सूरा अल-कद्र - शब्द द्वारा शब्द
Al-Qadr
(Power, Fate)
१
اِنَّآ اَنْزَلْنٰهُ فِيْ لَيْلَةِ الْقَدْرِ ١
- innā
- إِنَّآ
- बेशक हम
- anzalnāhu
- أَنزَلْنَٰهُ
- नाज़िल किया हमने उसे
- fī
- فِى
- लैलतुल क़दर में
- laylati
- لَيْلَةِ
- लैलतुल क़दर में
- l-qadri
- ٱلْقَدْرِ
- लैलतुल क़दर में
हमने इसे क़द्र की रात में अवतरित किया ([९७] अल-कद्र: 1)Tafseer (तफ़सीर )
२
وَمَآ اَدْرٰىكَ مَا لَيْلَةُ الْقَدْرِۗ ٢
- wamā
- وَمَآ
- और क्या चीज़
- adrāka
- أَدْرَىٰكَ
- बताए आपको
- mā
- مَا
- क्या है
- laylatu
- لَيْلَةُ
- लैलतुल क़दर
- l-qadri
- ٱلْقَدْرِ
- लैलतुल क़दर
और तुम्हें क्या मालूम कि क़द्र की रात क्या है? ([९७] अल-कद्र: 2)Tafseer (तफ़सीर )
३
لَيْلَةُ الْقَدْرِ ەۙ خَيْرٌ مِّنْ اَلْفِ شَهْرٍۗ ٣
- laylatu
- لَيْلَةُ
- लैलतुल क़दर
- l-qadri
- ٱلْقَدْرِ
- लैलतुल क़दर
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर है
- min
- مِّنْ
- हज़ार महीनों से
- alfi
- أَلْفِ
- हज़ार महीनों से
- shahrin
- شَهْرٍ
- हज़ार महीनों से
क़द्र की रात उत्तम है हज़ार महीनों से, ([९७] अल-कद्र: 3)Tafseer (तफ़सीर )
४
تَنَزَّلُ الْمَلٰۤىِٕكَةُ وَالرُّوْحُ فِيْهَا بِاِذْنِ رَبِّهِمْۚ مِنْ كُلِّ اَمْرٍۛ ٤
- tanazzalu
- تَنَزَّلُ
- उतरते हैं
- l-malāikatu
- ٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
- फ़रिश्ते
- wal-rūḥu
- وَٱلرُّوحُ
- और रूह(जिब्रील)
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- bi-idh'ni
- بِإِذْنِ
- अपने रब के इज़्न से
- rabbihim
- رَبِّهِم
- अपने रब के इज़्न से
- min
- مِّن
- हर काम के लिए
- kulli
- كُلِّ
- हर काम के लिए
- amrin
- أَمْرٍ
- हर काम के लिए
उसमें फ़रिश्तें और रूह हर महत्वपूर्ण मामलें में अपने रब की अनुमति से उतरते है ([९७] अल-कद्र: 4)Tafseer (तफ़सीर )
५
سَلٰمٌ ۛهِيَ حَتّٰى مَطْلَعِ الْفَجْرِ ࣖ ٥
- salāmun
- سَلَٰمٌ
- सलामती है
- hiya
- هِىَ
- वो
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- maṭlaʿi
- مَطْلَعِ
- तुलूअ हो जाए
- l-fajri
- ٱلْفَجْرِ
- फ़जर
वह रात पूर्णतः शान्ति और सलामती है, उषाकाल के उदय होने तक ([९७] अल-कद्र: 5)Tafseer (तफ़सीर )