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सूरा अल-लैल - Page: 2

Al-Layl

(रात)

११

وَمَا يُغْنِيْ عَنْهُ مَالُهٗٓ اِذَا تَرَدّٰىٓۙ ١١

wamā
وَمَا
और नहीं
yugh'nī
يُغْنِى
काम आएगा
ʿanhu
عَنْهُ
उसे
māluhu
مَالُهُۥٓ
माल उसका
idhā
إِذَا
जब
taraddā
تَرَدَّىٰٓ
वो (जहन्नम में) गिरेगा
और उसका माल उसके कुछ काम न आएगा, जब वह (सिर के बल) खड्ड में गिरेगा ([९२] अल-लैल: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

اِنَّ عَلَيْنَا لَلْهُدٰىۖ ١٢

inna
إِنَّ
बेशक
ʿalaynā
عَلَيْنَا
हमारे ही ज़िम्मे है
lalhudā
لَلْهُدَىٰ
यक़ीनन हिदायत देना
निस्संदेह हमारे ज़िम्मे है मार्ग दिखाना ([९२] अल-लैल: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

وَاِنَّ لَنَا لَلْاٰخِرَةَ وَالْاُوْلٰىۗ ١٣

wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
lanā
لَنَا
हमारे ही इख़्तियार में है
lalākhirata
لَلْءَاخِرَةَ
यक़ीनन आख़िरत
wal-ūlā
وَٱلْأُولَىٰ
और पहली (दुनिया)
और वास्तव में हमारे अधिकार में है आख़िरत और दुनिया भी ([९२] अल-लैल: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

فَاَنْذَرْتُكُمْ نَارًا تَلَظّٰىۚ ١٤

fa-andhartukum
فَأَنذَرْتُكُمْ
तो डरा दिया मैंने तुम्हें
nāran
نَارًا
एक आग से
talaẓẓā
تَلَظَّىٰ
जो भड़कती है
अतः मैंने तुम्हें दहकती आग से सावधान कर दिया ([९२] अल-लैल: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

لَا يَصْلٰىهَآ اِلَّا الْاَشْقَىۙ ١٥

لَا
ना जलेगा उसमें
yaṣlāhā
يَصْلَىٰهَآ
ना जलेगा उसमें
illā
إِلَّا
मगर
l-ashqā
ٱلْأَشْقَى
निहायत बदबख़्त
इसमें बस वही पड़ेगा जो बड़ा ही अभागा होगा, ([९२] अल-लैल: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

الَّذِيْ كَذَّبَ وَتَوَلّٰىۗ ١٦

alladhī
ٱلَّذِى
वो जिसने
kadhaba
كَذَّبَ
झुठलाया
watawallā
وَتَوَلَّىٰ
और उसने मुँह मोड़ लिया
जिसने झुठलाया और मुँह फेरा ([९२] अल-लैल: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

وَسَيُجَنَّبُهَا الْاَتْقَىۙ ١٧

wasayujannabuhā
وَسَيُجَنَّبُهَا
और अनक़रीब बचा लिया जाऐगा उससे
l-atqā
ٱلْأَتْقَى
निहायत परहेज़गार
और उससे बच जाएगा वह अत्यन्त परहेज़गार व्यक्ति, ([९२] अल-लैल: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

الَّذِيْ يُؤْتِيْ مَالَهٗ يَتَزَكّٰىۚ ١٨

alladhī
ٱلَّذِى
वो जो
yu'tī
يُؤْتِى
देता है
mālahu
مَالَهُۥ
माल अपना
yatazakkā
يَتَزَكَّىٰ
कि वो पाक हो
जो अपना माल देकर अपने आपको निखारता है ([९२] अल-लैल: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

وَمَا لِاَحَدٍ عِنْدَهٗ مِنْ نِّعْمَةٍ تُجْزٰىٓۙ ١٩

wamā
وَمَا
और नहीं
li-aḥadin
لِأَحَدٍ
किसी एक के लिए
ʿindahu
عِندَهُۥ
उसके पास
min
مِن
कोई नेअमत(एहसान)
niʿ'matin
نِّعْمَةٍ
कोई नेअमत(एहसान)
tuj'zā
تُجْزَىٰٓ
बदला दिया जाएगा (जिसका)
और हाल यह है कि किसी का उसपर उपकार नहीं कि उसका बदला दिया जा रहा हो, ([९२] अल-लैल: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

اِلَّا ابْتِغَاۤءَ وَجْهِ رَبِّهِ الْاَعْلٰىۚ ٢٠

illā
إِلَّا
सिवाए
ib'tighāa
ٱبْتِغَآءَ
चाहने के लिए
wajhi
وَجْهِ
चेहरा
rabbihi
رَبِّهِ
अपने रब का
l-aʿlā
ٱلْأَعْلَىٰ
जो सबसे बुलन्द है
बल्कि इससे अभीष्ट केवल उसके अपने उच्च रब के मुख (प्रसन्नता) की चाह है ([९२] अल-लैल: 20)
Tafseer (तफ़सीर )