११
كَذَّبَتْ ثَمُوْدُ بِطَغْوٰىهَآ ۖ ١١
- kadhabat
- كَذَّبَتْ
- झुठलाया
- thamūdu
- ثَمُودُ
- समूद ने
- biṭaghwāhā
- بِطَغْوَىٰهَآ
- बवजह अपनी सरकशी के
समूद ने अपनी सरकशी से झुठलाया, ([९१] अस-शम्स: 11)Tafseer (तफ़सीर )
१२
اِذِ انْۢبَعَثَ اَشْقٰىهَاۖ ١٢
- idhi
- إِذِ
- जब
- inbaʿatha
- ٱنۢبَعَثَ
- उठा
- ashqāhā
- أَشْقَىٰهَا
- सबसे बड़ा बदबख़्त उसका
जब उनमें का सबसे बड़ा दुर्भाग्यशाली उठ खड़ा हुआ, ([९१] अस-शम्स: 12)Tafseer (तफ़सीर )
१३
فَقَالَ لَهُمْ رَسُوْلُ اللّٰهِ نَاقَةَ اللّٰهِ وَسُقْيٰهَاۗ ١٣
- faqāla
- فَقَالَ
- तो कहा
- lahum
- لَهُمْ
- उन्हें
- rasūlu
- رَسُولُ
- अल्लाह के रसूल ने
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रसूल ने
- nāqata
- نَاقَةَ
- ऊँटनी है
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- wasuq'yāhā
- وَسُقْيَٰهَا
- और पानी पिलाना है उसे
तो अल्लाह के रसूल ने उनसे कहा, 'सावधान, अल्लाह की ऊँटनी और उसके पिलाने (की बारी) से।' ([९१] अस-शम्स: 13)Tafseer (तफ़सीर )
१४
فَكَذَّبُوْهُ فَعَقَرُوْهَاۖ فَدَمْدَمَ عَلَيْهِمْ رَبُّهُمْ بِذَنْۢبِهِمْ فَسَوّٰىهَاۖ ١٤
- fakadhabūhu
- فَكَذَّبُوهُ
- तो उन्होंने झुठला दिया उसे
- faʿaqarūhā
- فَعَقَرُوهَا
- फिर कूँचें काट दीं उसकी
- fadamdama
- فَدَمْدَمَ
- तो हलाकत डाली
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- rabbuhum
- رَبُّهُم
- उनके रब ने
- bidhanbihim
- بِذَنۢبِهِمْ
- बवजह उनके गुनाहों के
- fasawwāhā
- فَسَوَّىٰهَا
- फिर उसने बराबर कर दिया उसे
किन्तु उन्होंने उसे झुठलाया और उस ऊँटनी की कूचें काट डाली। अन्ततः उनके रब ने उनके गुनाह के कारण उनपर तबाही डाल दी और उन्हें बराबर कर दिया ([९१] अस-शम्स: 14)Tafseer (तफ़सीर )
१५
وَلَا يَخَافُ عُقْبٰهَا ࣖ ١٥
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yakhāfu
- يَخَافُ
- वो डरता
- ʿuq'bāhā
- عُقْبَٰهَا
- उसके अंजाम से
और उसे उसके परिणाम का कोई भय नहीं ([९१] अस-शम्स: 15)Tafseer (तफ़सीर )