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सूरा अस-शम्स - Page: 2

Ash-Shams

(सूरज)

११

كَذَّبَتْ ثَمُوْدُ بِطَغْوٰىهَآ ۖ ١١

kadhabat
كَذَّبَتْ
झुठलाया
thamūdu
ثَمُودُ
समूद ने
biṭaghwāhā
بِطَغْوَىٰهَآ
बवजह अपनी सरकशी के
समूद ने अपनी सरकशी से झुठलाया, ([९१] अस-शम्स: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

اِذِ انْۢبَعَثَ اَشْقٰىهَاۖ ١٢

idhi
إِذِ
जब
inbaʿatha
ٱنۢبَعَثَ
उठा
ashqāhā
أَشْقَىٰهَا
सबसे बड़ा बदबख़्त उसका
जब उनमें का सबसे बड़ा दुर्भाग्यशाली उठ खड़ा हुआ, ([९१] अस-शम्स: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

فَقَالَ لَهُمْ رَسُوْلُ اللّٰهِ نَاقَةَ اللّٰهِ وَسُقْيٰهَاۗ ١٣

faqāla
فَقَالَ
तो कहा
lahum
لَهُمْ
उन्हें
rasūlu
رَسُولُ
अल्लाह के रसूल ने
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रसूल ने
nāqata
نَاقَةَ
ऊँटनी है
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की
wasuq'yāhā
وَسُقْيَٰهَا
और पानी पिलाना है उसे
तो अल्लाह के रसूल ने उनसे कहा, 'सावधान, अल्लाह की ऊँटनी और उसके पिलाने (की बारी) से।' ([९१] अस-शम्स: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

فَكَذَّبُوْهُ فَعَقَرُوْهَاۖ فَدَمْدَمَ عَلَيْهِمْ رَبُّهُمْ بِذَنْۢبِهِمْ فَسَوّٰىهَاۖ ١٤

fakadhabūhu
فَكَذَّبُوهُ
तो उन्होंने झुठला दिया उसे
faʿaqarūhā
فَعَقَرُوهَا
फिर कूँचें काट दीं उसकी
fadamdama
فَدَمْدَمَ
तो हलाकत डाली
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
rabbuhum
رَبُّهُم
उनके रब ने
bidhanbihim
بِذَنۢبِهِمْ
बवजह उनके गुनाहों के
fasawwāhā
فَسَوَّىٰهَا
फिर उसने बराबर कर दिया उसे
किन्तु उन्होंने उसे झुठलाया और उस ऊँटनी की कूचें काट डाली। अन्ततः उनके रब ने उनके गुनाह के कारण उनपर तबाही डाल दी और उन्हें बराबर कर दिया ([९१] अस-शम्स: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

وَلَا يَخَافُ عُقْبٰهَا ࣖ ١٥

walā
وَلَا
और नहीं
yakhāfu
يَخَافُ
वो डरता
ʿuq'bāhā
عُقْبَٰهَا
उसके अंजाम से
और उसे उसके परिणाम का कोई भय नहीं ([९१] अस-शम्स: 15)
Tafseer (तफ़सीर )