Skip to content

सूरा अल-बलद - Page: 2

Al-Balad

(The City, This Countryside)

११

فَلَا اقْتَحَمَ الْعَقَبَةَ ۖ ١١

falā
فَلَا
पस ना
iq'taḥama
ٱقْتَحَمَ
वो दाख़िल हुआ
l-ʿaqabata
ٱلْعَقَبَةَ
घाटी में
किन्तु वह तो हुमककर घाटी में से गुजंरा ही नहीं और (न उसने मुक्ति का मार्ग पाया) ([९०] अल-बलद: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

وَمَآ اَدْرٰىكَ مَا الْعَقَبَةُ ۗ ١٢

wamā
وَمَآ
और क्या चीज़
adrāka
أَدْرَىٰكَ
बताए आपको
مَا
कि क्या है
l-ʿaqabatu
ٱلْعَقَبَةُ
वो घाटी
और तुम्हें क्या मालूम कि वह घाटी क्या है! ([९०] अल-बलद: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

فَكُّ رَقَبَةٍۙ ١٣

fakku
فَكُّ
आज़ाद करना
raqabatin
رَقَبَةٍ
एक गर्दन का
किसी गरदन का छुड़ाना ([९०] अल-बलद: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

اَوْ اِطْعَامٌ فِيْ يَوْمٍ ذِيْ مَسْغَبَةٍۙ ١٤

aw
أَوْ
या
iṭ'ʿāmun
إِطْعَٰمٌ
खाना खिलाना
فِى
एक दिन में
yawmin
يَوْمٍ
एक दिन में
dhī
ذِى
भूख वाले
masghabatin
مَسْغَبَةٍ
भूख वाले
या भूख के दिन खाना खिलाना ([९०] अल-बलद: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

يَّتِيْمًا ذَا مَقْرَبَةٍۙ ١٥

yatīman
يَتِيمًا
किसी यतीम
dhā
ذَا
क़राबत वाले को
maqrabatin
مَقْرَبَةٍ
क़राबत वाले को
किसी निकटवर्ती अनाथ को, ([९०] अल-बलद: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

اَوْ مِسْكِيْنًا ذَا مَتْرَبَةٍۗ ١٦

aw
أَوْ
या
mis'kīnan
مِسْكِينًا
किसी मिसकीन
dhā
ذَا
ख़ाक नशीन को
matrabatin
مَتْرَبَةٍ
ख़ाक नशीन को
या धूल-धूसरित मुहताज को; ([९०] अल-बलद: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

ثُمَّ كَانَ مِنَ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَتَوَاصَوْا بِالصَّبْرِ وَتَوَاصَوْا بِالْمَرْحَمَةِۗ ١٧

thumma
ثُمَّ
फिर
kāna
كَانَ
हो वो
mina
مِنَ
उनमें से जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनमें से जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
watawāṣaw
وَتَوَاصَوْا۟
और उन्होंने एक दूसरे को तलक़ीन की
bil-ṣabri
بِٱلصَّبْرِ
सब्र की
watawāṣaw
وَتَوَاصَوْا۟
और एक दूसरे को तलक़ीन की
bil-marḥamati
بِٱلْمَرْحَمَةِ
रहम करने की
फिर यह कि वह उन लोगों में से हो जो ईमान लाए और जिन्होंने एक-दूसरे को धैर्य की ताकीद की , और एक-दूसरे को दया की ताकीद की ([९०] अल-बलद: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

اُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ الْمَيْمَنَةِۗ ١٨

ulāika
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
दाऐं हाथ वाले
l-maymanati
ٱلْمَيْمَنَةِ
दाऐं हाथ वाले
वही लोग है सौभाग्यशाली ([९०] अल-बलद: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِاٰيٰتِنَا هُمْ اَصْحٰبُ الْمَشْئَمَةِۗ ١٩

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَا
हमारी आयात के साथ
hum
هُمْ
वो हैं
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
बाऐं हाथ वाले
l-mashamati
ٱلْمَشْـَٔمَةِ
बाऐं हाथ वाले
रहे वे लोग जिन्होंने हमारी आयातों का इनकार किया, वे दुर्भाग्यशाली लोग है ([९०] अल-बलद: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

عَلَيْهِمْ نَارٌ مُّؤْصَدَةٌ ࣖ ٢٠

ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
nārun
نَارٌ
आग होगी
mu'ṣadatun
مُّؤْصَدَةٌۢ
बन्द की हुई
उनपर आग होगी, जिसे बन्द कर दिया गया होगा ([९०] अल-बलद: 20)
Tafseer (तफ़सीर )