११
فَلَا اقْتَحَمَ الْعَقَبَةَ ۖ ١١
- falā
- فَلَا
- पस ना
- iq'taḥama
- ٱقْتَحَمَ
- वो दाख़िल हुआ
- l-ʿaqabata
- ٱلْعَقَبَةَ
- घाटी में
किन्तु वह तो हुमककर घाटी में से गुजंरा ही नहीं और (न उसने मुक्ति का मार्ग पाया) ([९०] अल-बलद: 11)Tafseer (तफ़सीर )
१२
وَمَآ اَدْرٰىكَ مَا الْعَقَبَةُ ۗ ١٢
- wamā
- وَمَآ
- और क्या चीज़
- adrāka
- أَدْرَىٰكَ
- बताए आपको
- mā
- مَا
- कि क्या है
- l-ʿaqabatu
- ٱلْعَقَبَةُ
- वो घाटी
और तुम्हें क्या मालूम कि वह घाटी क्या है! ([९०] अल-बलद: 12)Tafseer (तफ़सीर )
१३
فَكُّ رَقَبَةٍۙ ١٣
- fakku
- فَكُّ
- आज़ाद करना
- raqabatin
- رَقَبَةٍ
- एक गर्दन का
किसी गरदन का छुड़ाना ([९०] अल-बलद: 13)Tafseer (तफ़सीर )
१४
اَوْ اِطْعَامٌ فِيْ يَوْمٍ ذِيْ مَسْغَبَةٍۙ ١٤
- aw
- أَوْ
- या
- iṭ'ʿāmun
- إِطْعَٰمٌ
- खाना खिलाना
- fī
- فِى
- एक दिन में
- yawmin
- يَوْمٍ
- एक दिन में
- dhī
- ذِى
- भूख वाले
- masghabatin
- مَسْغَبَةٍ
- भूख वाले
या भूख के दिन खाना खिलाना ([९०] अल-बलद: 14)Tafseer (तफ़सीर )
१५
يَّتِيْمًا ذَا مَقْرَبَةٍۙ ١٥
- yatīman
- يَتِيمًا
- किसी यतीम
- dhā
- ذَا
- क़राबत वाले को
- maqrabatin
- مَقْرَبَةٍ
- क़राबत वाले को
किसी निकटवर्ती अनाथ को, ([९०] अल-बलद: 15)Tafseer (तफ़सीर )
१६
اَوْ مِسْكِيْنًا ذَا مَتْرَبَةٍۗ ١٦
- aw
- أَوْ
- या
- mis'kīnan
- مِسْكِينًا
- किसी मिसकीन
- dhā
- ذَا
- ख़ाक नशीन को
- matrabatin
- مَتْرَبَةٍ
- ख़ाक नशीन को
या धूल-धूसरित मुहताज को; ([९०] अल-बलद: 16)Tafseer (तफ़सीर )
१७
ثُمَّ كَانَ مِنَ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَتَوَاصَوْا بِالصَّبْرِ وَتَوَاصَوْا بِالْمَرْحَمَةِۗ ١٧
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- kāna
- كَانَ
- हो वो
- mina
- مِنَ
- उनमें से जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनमें से जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- watawāṣaw
- وَتَوَاصَوْا۟
- और उन्होंने एक दूसरे को तलक़ीन की
- bil-ṣabri
- بِٱلصَّبْرِ
- सब्र की
- watawāṣaw
- وَتَوَاصَوْا۟
- और एक दूसरे को तलक़ीन की
- bil-marḥamati
- بِٱلْمَرْحَمَةِ
- रहम करने की
फिर यह कि वह उन लोगों में से हो जो ईमान लाए और जिन्होंने एक-दूसरे को धैर्य की ताकीद की , और एक-दूसरे को दया की ताकीद की ([९०] अल-बलद: 17)Tafseer (तफ़सीर )
१८
اُولٰۤىِٕكَ اَصْحٰبُ الْمَيْمَنَةِۗ ١٨
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- aṣḥābu
- أَصْحَٰبُ
- दाऐं हाथ वाले
- l-maymanati
- ٱلْمَيْمَنَةِ
- दाऐं हाथ वाले
वही लोग है सौभाग्यशाली ([९०] अल-बलद: 18)Tafseer (तफ़सीर )
१९
وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِاٰيٰتِنَا هُمْ اَصْحٰبُ الْمَشْئَمَةِۗ ١٩
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَا
- हमारी आयात के साथ
- hum
- هُمْ
- वो हैं
- aṣḥābu
- أَصْحَٰبُ
- बाऐं हाथ वाले
- l-mashamati
- ٱلْمَشْـَٔمَةِ
- बाऐं हाथ वाले
रहे वे लोग जिन्होंने हमारी आयातों का इनकार किया, वे दुर्भाग्यशाली लोग है ([९०] अल-बलद: 19)Tafseer (तफ़सीर )
२०
عَلَيْهِمْ نَارٌ مُّؤْصَدَةٌ ࣖ ٢٠
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर
- nārun
- نَارٌ
- आग होगी
- mu'ṣadatun
- مُّؤْصَدَةٌۢ
- बन्द की हुई
उनपर आग होगी, जिसे बन्द कर दिया गया होगा ([९०] अल-बलद: 20)Tafseer (तफ़सीर )