وَالْمُؤْمِنُوْنَ وَالْمُؤْمِنٰتُ بَعْضُهُمْ اَوْلِيَاۤءُ بَعْضٍۘ يَأْمُرُوْنَ بِالْمَعْرُوْفِ وَيَنْهَوْنَ عَنِ الْمُنْكَرِ وَيُقِيْمُوْنَ الصَّلٰوةَ وَيُؤْتُوْنَ الزَّكٰوةَ وَيُطِيْعُوْنَ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ ۗاُولٰۤىِٕكَ سَيَرْحَمُهُمُ اللّٰهُ ۗاِنَّ اللّٰهَ عَزِيْزٌ حَكِيْمٌ ٧١
- wal-mu'minūna
- وَٱلْمُؤْمِنُونَ
- और मोमिन मर्द
- wal-mu'minātu
- وَٱلْمُؤْمِنَٰتُ
- और मोमिन औरतें
- baʿḍuhum
- بَعْضُهُمْ
- बाज़ उनके
- awliyāu
- أَوْلِيَآءُ
- दोस्त हैं
- baʿḍin
- بَعْضٍۚ
- बाज़ के
- yamurūna
- يَأْمُرُونَ
- वो हुक्म देते हैं
- bil-maʿrūfi
- بِٱلْمَعْرُوفِ
- भलाई का
- wayanhawna
- وَيَنْهَوْنَ
- और वो रोकते हैं
- ʿani
- عَنِ
- बुराई से
- l-munkari
- ٱلْمُنكَرِ
- बुराई से
- wayuqīmūna
- وَيُقِيمُونَ
- और वो क़ायम करते हैं
- l-ṣalata
- ٱلصَّلَوٰةَ
- नमाज़
- wayu'tūna
- وَيُؤْتُونَ
- और वो अदा करते हैं
- l-zakata
- ٱلزَّكَوٰةَ
- ज़कात
- wayuṭīʿūna
- وَيُطِيعُونَ
- और वो अताअत करते हैं
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- warasūlahu
- وَرَسُولَهُۥٓۚ
- और उसके रसूल की
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- sayarḥamuhumu
- سَيَرْحَمُهُمُ
- ज़रूर रहम करेगा उन पर
- l-lahu
- ٱللَّهُۗ
- अल्लाह
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿazīzun
- عَزِيزٌ
- बहुत ज़बरदस्त है
- ḥakīmun
- حَكِيمٌ
- ख़ूब हिकमत वाला है
रहे मोमिन मर्द औऱ मोमिन औरतें, वे सब परस्पर एक-दूसरे के मित्र है। भलाई का हुक्म देते है और बुराई से रोकते है। नमाज़ क़ायम करते हैं, ज़कात देते है और अल्लाह और उसके रसूल का आज्ञापालन करते हैं। ये वे लोग है, जिनकर शीघ्र ही अल्लाह दया करेगा। निस्सन्देह प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([९] अत-तौबा: 71)Tafseer (तफ़सीर )
وَعَدَ اللّٰهُ الْمُؤْمِنِيْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِيْنَ فِيْهَا وَمَسٰكِنَ طَيِّبَةً فِيْ جَنّٰتِ عَدْنٍ ۗوَرِضْوَانٌ مِّنَ اللّٰهِ اَكْبَرُ ۗذٰلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيْمُ ࣖ ٧٢
- waʿada
- وَعَدَ
- वादा किया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों मर्दों से
- wal-mu'mināti
- وَٱلْمُؤْمِنَٰتِ
- और मोमिन औरतों से
- jannātin
- جَنَّٰتٍ
- बाग़ात का
- tajrī
- تَجْرِى
- बहती हैं
- min
- مِن
- उनके नीचे से
- taḥtihā
- تَحْتِهَا
- उनके नीचे से
- l-anhāru
- ٱلْأَنْهَٰرُ
- नहरें
- khālidīna
- خَٰلِدِينَ
- हमेशा रहने वाले हैं
- fīhā
- فِيهَا
- उनमें
- wamasākina
- وَمَسَٰكِنَ
- और घर
- ṭayyibatan
- طَيِّبَةً
- पाकीज़ा
- fī
- فِى
- बाग़ात में
- jannāti
- جَنَّٰتِ
- बाग़ात में
- ʿadnin
- عَدْنٍۚ
- अदन के
- wariḍ'wānun
- وَرِضْوَٰنٌ
- और रज़ामन्दी
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की तरफ़ से
- akbaru
- أَكْبَرُۚ
- सबसे बड़ी है
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- यही
- huwa
- هُوَ
- वो
- l-fawzu
- ٱلْفَوْزُ
- कामयाबी है
- l-ʿaẓīmu
- ٱلْعَظِيمُ
- बहुत बड़ी
मोमिन मर्दों और मोमिन औरतों से अल्लाह ने ऐसे बाग़ों का वादा किया है जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी, जिनमें वे सदैव रहेंगे और सदाबहार बाग़ों में पवित्र निवास गृहों का (भी वादा है) और, अल्लाह की प्रसन्नता और रज़ामन्दी का; जो सबसे बढ़कर है। यही सबसे बड़ी सफलता है ([९] अत-तौबा: 72)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا النَّبِيُّ جَاهِدِ الْكُفَّارَ وَالْمُنٰفِقِيْنَ وَاغْلُظْ عَلَيْهِمْ ۗوَمَأْوٰىهُمْ جَهَنَّمُ وَبِئْسَ الْمَصِيْرُ ٧٣
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ
- l-nabiyu
- ٱلنَّبِىُّ
- नबी
- jāhidi
- جَٰهِدِ
- जिहाद कीजिए
- l-kufāra
- ٱلْكُفَّارَ
- कुफ़्फ़ार
- wal-munāfiqīna
- وَٱلْمُنَٰفِقِينَ
- और मुनाफ़िक़ीन से
- wa-ugh'luẓ
- وَٱغْلُظْ
- और सख़्ती कीजिए
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْۚ
- उन पर
- wamawāhum
- وَمَأْوَىٰهُمْ
- और ठिकाना उनका
- jahannamu
- جَهَنَّمُۖ
- जहन्नम है
- wabi'sa
- وَبِئْسَ
- और बहुत ही बुरा
- l-maṣīru
- ٱلْمَصِيرُ
- ठिकाना है
ऐ नबी! इनकार करनेवालों और मुनाफ़िक़ों से जिहाद करो और उनके साथ सख़्ती से पेश आओ। अन्ततः उनका ठिकाना जहन्नम है और वह जा पहुँचने की बहुत बुरी जगह है! ([९] अत-तौबा: 73)Tafseer (तफ़सीर )
يَحْلِفُوْنَ بِاللّٰهِ مَا قَالُوْا ۗوَلَقَدْ قَالُوْا كَلِمَةَ الْكُفْرِ وَكَفَرُوْا بَعْدَ اِسْلَامِهِمْ وَهَمُّوْا بِمَا لَمْ يَنَالُوْاۚ وَمَا نَقَمُوْٓا اِلَّآ اَنْ اَغْنٰىهُمُ اللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗ مِنْ فَضْلِهٖ ۚفَاِنْ يَّتُوْبُوْا يَكُ خَيْرًا لَّهُمْ ۚوَاِنْ يَّتَوَلَّوْا يُعَذِّبْهُمُ اللّٰهُ عَذَابًا اَلِيْمًا فِى الدُّنْيَا وَالْاٰخِرَةِ ۚوَمَا لَهُمْ فِى الْاَرْضِ مِنْ وَّلِيٍّ وَّلَا نَصِيْرٍ ٧٤
- yaḥlifūna
- يَحْلِفُونَ
- वो क़समें खाते हैं
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह की
- mā
- مَا
- नहीं
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- walaqad
- وَلَقَدْ
- हालाँकि अलबत्ता तहक़ीक़
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- kalimata
- كَلِمَةَ
- कलमा
- l-kuf'ri
- ٱلْكُفْرِ
- कुफ़्र का
- wakafarū
- وَكَفَرُوا۟
- और उन्होंने कुफ़्र किया
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- is'lāmihim
- إِسْلَٰمِهِمْ
- अपने इस्लाम के
- wahammū
- وَهَمُّوا۟
- और उन्होंने इरादा किया
- bimā
- بِمَا
- उसका जो
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yanālū
- يَنَالُوا۟ۚ
- वो पा सके
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- naqamū
- نَقَمُوٓا۟
- उन्होंने इन्तिक़ाम लिया
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَنْ
- ये कि
- aghnāhumu
- أَغْنَىٰهُمُ
- ग़नी कर दिया उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- warasūluhu
- وَرَسُولُهُۥ
- और उसके रसूल ने
- min
- مِن
- अपने फ़ज़ल से
- faḍlihi
- فَضْلِهِۦۚ
- अपने फ़ज़ल से
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- yatūbū
- يَتُوبُوا۟
- वो तौबा कर लें
- yaku
- يَكُ
- होगा
- khayran
- خَيْرًا
- बेहतर
- lahum
- لَّهُمْۖ
- उनके लिए
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yatawallaw
- يَتَوَلَّوْا۟
- वो मुँह मोड़ें
- yuʿadhib'humu
- يُعَذِّبْهُمُ
- अज़ाब देगा उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿadhāban
- عَذَابًا
- अज़ाब
- alīman
- أَلِيمًا
- दर्दनाक
- fī
- فِى
- दुनिया में
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया में
- wal-ākhirati
- وَٱلْءَاخِرَةِۚ
- और आख़िरत में
- wamā
- وَمَا
- और ना होगा
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- min
- مِن
- कोई दोस्त
- waliyyin
- وَلِىٍّ
- कोई दोस्त
- walā
- وَلَا
- और ना
- naṣīrin
- نَصِيرٍ
- कोई मददगार
वे अल्लाह की क़समें खाते है कि उन्होंने नहीं कहा, हालाँकि उन्होंने अवश्य ही कुफ़्र की बात कही है और अपने इस्लाम स्वीकार करने के पश्चात इनकार किया, और वह चाहा जो वे न पा सके। उनके प्रतिशोध का कारण तो यह है कि अल्लाह और उसके रसूल ने अपने अनुग्रह से उन्हें समृद्ध कर दिया। अब यदि वे तौबा कर लें तो उन्हीं के लिए अच्छा है और यदि उन्होंने मुँह मोड़ा तो अल्लाह उन्हें दुनिया और आख़िरत में दुखद यातना देगा और धरती में उनका न कोई मित्र होगा और न सहायक ([९] अत-तौबा: 74)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَمِنْهُمْ مَّنْ عٰهَدَ اللّٰهَ لَىِٕنْ اٰتٰىنَا مِنْ فَضْلِهٖ لَنَصَّدَّقَنَّ وَلَنَكُوْنَنَّ مِنَ الصّٰلِحِيْنَ ٧٥
- wamin'hum
- وَمِنْهُم
- और कुछ उनमें से वो हैं
- man
- مَّنْ
- जिन्होंने
- ʿāhada
- عَٰهَدَ
- अहद किया
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- la-in
- لَئِنْ
- अलबत्ता अगर
- ātānā
- ءَاتَىٰنَا
- वो देगा हमें
- min
- مِن
- अपने फ़ज़ल से
- faḍlihi
- فَضْلِهِۦ
- अपने फ़ज़ल से
- lanaṣṣaddaqanna
- لَنَصَّدَّقَنَّ
- अलबत्ता हम ज़रूर सदक़ा करेंगे
- walanakūnanna
- وَلَنَكُونَنَّ
- और अलबत्ता हम ज़रूर हो जाऐंगे
- mina
- مِنَ
- नेक लोगों में से
- l-ṣāliḥīna
- ٱلصَّٰلِحِينَ
- नेक लोगों में से
और उनमें से कुछ लोग ऐसे भी है जिन्होने अल्लाह को वचन दिया था कि 'यदि उसने हमें अपने अनुग्रह से दिया तो हम अवश्य दान करेंगे और नेक होकर रहेंगे।' ([९] अत-तौबा: 75)Tafseer (तफ़सीर )
فَلَمَّآ اٰتٰىهُمْ مِّنْ فَضْلِهٖ بَخِلُوْا بِهٖ وَتَوَلَّوْا وَّهُمْ مُّعْرِضُوْنَ ٧٦
- falammā
- فَلَمَّآ
- फिर जब
- ātāhum
- ءَاتَىٰهُم
- उसने दिया उन्हें
- min
- مِّن
- अपने फ़ज़ल से
- faḍlihi
- فَضْلِهِۦ
- अपने फ़ज़ल से
- bakhilū
- بَخِلُوا۟
- वो बुख़्ल करने लगे
- bihi
- بِهِۦ
- साथ उसके
- watawallaw
- وَتَوَلَّوا۟
- और वो मुँह मोड़ गए
- wahum
- وَّهُم
- इस हाल में कि वो
- muʿ'riḍūna
- مُّعْرِضُونَ
- ऐराज़ करने वाले थे
किन्तु जब अल्लाह ने उन्हें अपने अनुग्रह से दिया तो वे उसमें कंजूसी करने लगे और पहलू बचाकर फिर गए ([९] अत-तौबा: 76)Tafseer (तफ़सीर )
فَاَعْقَبَهُمْ نِفَاقًا فِيْ قُلُوْبِهِمْ اِلٰى يَوْمِ يَلْقَوْنَهٗ بِمَآ اَخْلَفُوا اللّٰهَ مَا وَعَدُوْهُ وَبِمَا كَانُوْا يَكْذِبُوْنَ ٧٧
- fa-aʿqabahum
- فَأَعْقَبَهُمْ
- तो उसने सज़ा दी उन्हें
- nifāqan
- نِفَاقًا
- निफ़ाक़ (डाल कर)
- fī
- فِى
- उनके दिलों में
- qulūbihim
- قُلُوبِهِمْ
- उनके दिलों में
- ilā
- إِلَىٰ
- उस दिन तक
- yawmi
- يَوْمِ
- उस दिन तक
- yalqawnahu
- يَلْقَوْنَهُۥ
- वो मुलाक़ात करेंगे उससे
- bimā
- بِمَآ
- बवजह उसके जो
- akhlafū
- أَخْلَفُوا۟
- उन्होंने ख़िलाफ़ किया
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- mā
- مَا
- जिसका
- waʿadūhu
- وَعَدُوهُ
- उन्होंने वादा किया था उससे
- wabimā
- وَبِمَا
- और बवजह उसके जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yakdhibūna
- يَكْذِبُونَ
- वो झूठ बोलते
फिर परिणाम यह हुआ कि उसने उनके दिलों में उस दिन तक के लिए कपटाचार डाल दिया, जब वे उससे मिलेंगे, इसलिए कि उन्होंने अल्लाह से जो प्रतिज्ञा की थी उसे भंग कर दिया और इसलिए भी कि वे झूठ बोलते रहे ([९] अत-तौबा: 77)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَمْ يَعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ يَعْلَمُ سِرَّهُمْ وَنَجْوٰىهُمْ وَاَنَّ اللّٰهَ عَلَّامُ الْغُيُوْبِ ٧٨
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- yaʿlamū
- يَعْلَمُوٓا۟
- वो जानते
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- जानता है
- sirrahum
- سِرَّهُمْ
- राज़ उनके
- wanajwāhum
- وَنَجْوَىٰهُمْ
- और सरगोशियाँ उनकी
- wa-anna
- وَأَنَّ
- और बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿallāmu
- عَلَّٰمُ
- ख़ूब जानने वाला है
- l-ghuyūbi
- ٱلْغُيُوبِ
- ग़ैबों को
क्या उन्हें खबर नहीं कि अल्लाह उनका भेद और उनकी कानाफुसियों को अच्छी तरह जानता है और यह कि अल्लाह परोक्ष की सारी बातों को भली-भाँति जानता है ([९] अत-तौबा: 78)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَّذِيْنَ يَلْمِزُوْنَ الْمُطَّوِّعِيْنَ مِنَ الْمُؤْمِنِيْنَ فِى الصَّدَقٰتِ وَالَّذِيْنَ لَا يَجِدُوْنَ اِلَّا جُهْدَهُمْ فَيَسْخَرُوْنَ مِنْهُمْ ۗسَخِرَ اللّٰهُ مِنْهُمْ ۖ وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ ٧٩
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग जो
- yalmizūna
- يَلْمِزُونَ
- वो ताना देते हैं
- l-muṭawiʿīna
- ٱلْمُطَّوِّعِينَ
- ख़ुशी से देने वालों को
- mina
- مِنَ
- मोमिनों में से
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों में से
- fī
- فِى
- सदक़ात में
- l-ṣadaqāti
- ٱلصَّدَقَٰتِ
- सदक़ात में
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और उनको (भी) जो
- lā
- لَا
- नहीं वो पाते
- yajidūna
- يَجِدُونَ
- नहीं वो पाते
- illā
- إِلَّا
- सिवाय
- juh'dahum
- جُهْدَهُمْ
- अपनी मेहनत के
- fayaskharūna
- فَيَسْخَرُونَ
- तो वो मज़ाक़ उड़ाते हैं
- min'hum
- مِنْهُمْۙ
- उनका
- sakhira
- سَخِرَ
- मज़ाक़ उड़ाता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- min'hum
- مِنْهُمْ
- उनका
- walahum
- وَلَهُمْ
- और उनके लिए
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब है
- alīmun
- أَلِيمٌ
- दर्दनाक
जो लोग स्वेच्छापूर्वक देनेवाले मोमिनों पर उनके सदक़ो (दान) के विषय में चोटें करते है और उन लोगों का उपहास करते है, जिनके पास इसके सिवा कुछ नहीं जो वे मशक़्क़त उठाकर देते है, उन (उपहास करनेवालों) का उपहास अल्लाह ने किया और उनके लिए दुखद यातना है ([९] अत-तौबा: 79)Tafseer (तफ़सीर )
اِسْتَغْفِرْ لَهُمْ اَوْ لَا تَسْتَغْفِرْ لَهُمْۗ اِنْ تَسْتَغْفِرْ لَهُمْ سَبْعِيْنَ مَرَّةً فَلَنْ يَّغْفِرَ اللّٰهُ لَهُمْ ۗذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَفَرُوْا بِاللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖۗ وَاللّٰهُ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الْفٰسِقِيْنَ ࣖ ٨٠
- is'taghfir
- ٱسْتَغْفِرْ
- आप बख़्शिश माँगिए
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- aw
- أَوْ
- या
- lā
- لَا
- ना आप बख़्शिश माँगिए
- tastaghfir
- تَسْتَغْفِرْ
- ना आप बख़्शिश माँगिए
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- in
- إِن
- अगर
- tastaghfir
- تَسْتَغْفِرْ
- आप बख़्शिश माँगेंगे
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- sabʿīna
- سَبْعِينَ
- सत्तर
- marratan
- مَرَّةً
- बार
- falan
- فَلَن
- पस हरगिज़ ना
- yaghfira
- يَغْفِرَ
- माफ़ करेगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- lahum
- لَهُمْۚ
- उन्हें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- bi-annahum
- بِأَنَّهُمْ
- बवजह उसके कि उन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह का
- warasūlihi
- وَرَسُولِهِۦۗ
- और उसके रसूल का
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं हिदायत देता
- yahdī
- يَهْدِى
- नहीं हिदायत देता
- l-qawma
- ٱلْقَوْمَ
- उन लोगों को
- l-fāsiqīna
- ٱلْفَٰسِقِينَ
- जो फ़ासिक़ हैं
तुम उनके लिए क्षमा की प्रार्थना करो या उनके लिए क्षमा की प्रार्थना न करो। यदि तुम उनके लिए सत्तर बार भी क्षमा की प्रार्थना करोगे, तो भी अल्लाह उन्हें क्षमा नहीं करेगा, यह इसलिए कि उन्होंने अल्लाह और उसके रसूल के साथ कुफ़्र किया और अल्लाह अवज्ञाकारियों को सीधा मार्ग नहीं दिखाता ([९] अत-तौबा: 80)Tafseer (तफ़सीर )