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सूरा अत-तौबा - Page: 6

At-Tawbah

(The Repentance)

५१

قُلْ لَّنْ يُّصِيْبَنَآ اِلَّا مَا كَتَبَ اللّٰهُ لَنَاۚ هُوَ مَوْلٰىنَا وَعَلَى اللّٰهِ فَلْيَتَوَكَّلِ الْمُؤْمِنُوْنَ ٥١

qul
قُل
कह दीजिए
lan
لَّن
हरगिज़ नहीं
yuṣībanā
يُصِيبَنَآ
पहुँचेगा हमें
illā
إِلَّا
मगर (वो ही)
مَا
जो
kataba
كَتَبَ
लिख दिया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
lanā
لَنَا
हमारे लिए
huwa
هُوَ
वो
mawlānā
مَوْلَىٰنَاۚ
मौला है हमारा
waʿalā
وَعَلَى
और अल्लाह ही पर
l-lahi
ٱللَّهِ
और अल्लाह ही पर
falyatawakkali
فَلْيَتَوَكَّلِ
पस चाहिए कि तवक्कल करें
l-mu'minūna
ٱلْمُؤْمِنُونَ
ईमान लाने वाले
कह दो, 'हमें कुछ भी पेश नहीं आ सकता सिवाय उसके जो अल्लाह ने लिख दिया है। वही हमारा स्वामी है। और ईमानवालों को अल्लाह ही पर भरोसा करना चाहिए।' ([९] अत-तौबा: 51)
Tafseer (तफ़सीर )
५२

قُلْ هَلْ تَرَبَّصُوْنَ بِنَآ اِلَّآ اِحْدَى الْحُسْنَيَيْنِۗ وَنَحْنُ نَتَرَبَّصُ بِكُمْ اَنْ يُّصِيْبَكُمُ اللّٰهُ بِعَذَابٍ مِّنْ عِنْدِهٖٓ اَوْ بِاَيْدِيْنَاۖ فَتَرَبَّصُوْٓا اِنَّا مَعَكُمْ مُّتَرَبِّصُوْنَ ٥٢

qul
قُلْ
कह दीजिए
hal
هَلْ
नहीं
tarabbaṣūna
تَرَبَّصُونَ
तुम इन्तिज़ार करते
binā
بِنَآ
हमारे बारे में
illā
إِلَّآ
मगर
iḥ'dā
إِحْدَى
एक का
l-ḥus'nayayni
ٱلْحُسْنَيَيْنِۖ
दो भलाईयों में से
wanaḥnu
وَنَحْنُ
और हम
natarabbaṣu
نَتَرَبَّصُ
हम इन्तिज़ार करते हैं
bikum
بِكُمْ
तुम्हारे बारे में
an
أَن
कि
yuṣībakumu
يُصِيبَكُمُ
पहुँचाए तुम्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
biʿadhābin
بِعَذَابٍ
कोई अज़ाब
min
مِّنْ
अपने पास से
ʿindihi
عِندِهِۦٓ
अपने पास से
aw
أَوْ
या
bi-aydīnā
بِأَيْدِينَاۖ
हमारे हाथों से
fatarabbaṣū
فَتَرَبَّصُوٓا۟
पस तुम इन्तिज़ार करो
innā
إِنَّا
बेशक हम
maʿakum
مَعَكُم
साथ तुम्हारे
mutarabbiṣūna
مُّتَرَبِّصُونَ
इन्तिज़ार करने वाले हैं
कहो, 'तुम हमारे लिए दो भलाईयों में से किसी एक भलाई के सिवा किसकी प्रतीक्षा कर सकते है? जबकि हमें तुम्हारे हक़ में इसी की प्रतिक्षा है कि अल्लाह अपनी ओर से तुम्हें कोई यातना देता है या हमारे हाथों दिलाता है। अच्छा तो तुम भी प्रतीक्षा करो, हम भी तुम्हारे साथ प्रतीक्षा कर रहे है।' ([९] अत-तौबा: 52)
Tafseer (तफ़सीर )
५३

قُلْ اَنْفِقُوْا طَوْعًا اَوْ كَرْهًا لَّنْ يُّتَقَبَّلَ مِنْكُمْ ۗاِنَّكُمْ كُنْتُمْ قَوْمًا فٰسِقِيْنَ ٥٣

qul
قُلْ
कह दीजिए
anfiqū
أَنفِقُوا۟
ख़र्च करो
ṭawʿan
طَوْعًا
ख़ुशी से
aw
أَوْ
या
karhan
كَرْهًا
नाख़ुशी से
lan
لَّن
हरगिज़ नहीं
yutaqabbala
يُتَقَبَّلَ
वो क़ुबूल किया जाएगा
minkum
مِنكُمْۖ
तुम से
innakum
إِنَّكُمْ
बेशक तुम
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
qawman
قَوْمًا
लोग
fāsiqīna
فَٰسِقِينَ
नाफ़रमान
कह दो, 'तुम चाहे स्वेच्छापूर्वक ख़र्च करो या अनिच्छापूर्वक, तुमसे कुछ भी स्वीकार न किया जाएगा। निस्संदेह तुम अवज्ञाकारी लोग हो।' ([९] अत-तौबा: 53)
Tafseer (तफ़सीर )
५४

وَمَا مَنَعَهُمْ اَنْ تُقْبَلَ مِنْهُمْ نَفَقٰتُهُمْ اِلَّآ اَنَّهُمْ كَفَرُوْا بِاللّٰهِ وَبِرَسُوْلِهٖ وَلَا يَأْتُوْنَ الصَّلٰوةَ اِلَّا وَهُمْ كُسَالٰى وَلَا يُنْفِقُوْنَ اِلَّا وَهُمْ كٰرِهُوْنَ ٥٤

wamā
وَمَا
और नहीं
manaʿahum
مَنَعَهُمْ
मानेअ/रुकावट हुआ उनके
an
أَن
कि
tuq'bala
تُقْبَلَ
क़ुबूल किए जाऐं
min'hum
مِنْهُمْ
उनसे
nafaqātuhum
نَفَقَٰتُهُمْ
सदक़ात उनके
illā
إِلَّآ
मगर
annahum
أَنَّهُمْ
ये कि वो
kafarū
كَفَرُوا۟
उन्होंने कुफ़्र किया
bil-lahi
بِٱللَّهِ
साथ अल्लाह के
wabirasūlihi
وَبِرَسُولِهِۦ
और साथ उसके रसूल के
walā
وَلَا
और नहीं
yatūna
يَأْتُونَ
वो आते
l-ṣalata
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़ को
illā
إِلَّا
मगर
wahum
وَهُمْ
इस हाल में कि वो
kusālā
كُسَالَىٰ
सुस्त होते हैं
walā
وَلَا
और नहीं
yunfiqūna
يُنفِقُونَ
वो ख़र्च करते
illā
إِلَّا
मगर
wahum
وَهُمْ
इस हाल में कि वो
kārihūna
كَٰرِهُونَ
नापसंद करने वाले हैं
उनके ख़र्च के स्वीकृत होने में इसके अतिरिक्त और कोई चीज़ बाधक नहीं कि उन्होंने अल्लाह औऱ उसके रसूल के साथ कुफ़्र किया। नमाज़ को आते है तो बस हारे जी आते है और ख़र्च करते है, तो अनिच्छापूर्वक ही ([९] अत-तौबा: 54)
Tafseer (तफ़सीर )
५५

فَلَا تُعْجِبْكَ اَمْوَالُهُمْ وَلَآ اَوْلَادُهُمْ ۗاِنَّمَا يُرِيْدُ اللّٰهُ لِيُعَذِّبَهُمْ بِهَا فِى الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا وَتَزْهَقَ اَنْفُسُهُمْ وَهُمْ كٰفِرُوْنَ ٥٥

falā
فَلَا
पस ना
tuʿ'jib'ka
تُعْجِبْكَ
ताज्जुब में डालें आपको
amwāluhum
أَمْوَٰلُهُمْ
माल उनके
walā
وَلَآ
और ना
awlāduhum
أَوْلَٰدُهُمْۚ
औलाद उनकी
innamā
إِنَّمَا
बेशक
yurīdu
يُرِيدُ
चाहता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
liyuʿadhibahum
لِيُعَذِّبَهُم
कि वो अज़ाब दे उन्हें
bihā
بِهَا
साथ उनके
فِى
ज़िन्दगी में
l-ḥayati
ٱلْحَيَوٰةِ
ज़िन्दगी में
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
watazhaqa
وَتَزْهَقَ
और निकलें
anfusuhum
أَنفُسُهُمْ
जानें उनकी
wahum
وَهُمْ
इस हाल में कि वो
kāfirūna
كَٰفِرُونَ
काफ़िर हों
अतः उनके माल तुम्हें मोहित न करें और न उनकी सन्तान ही। अल्लाह तो बस यह चाहता है कि उनके द्वारा उन्हें सांसारिक जीवन में यातना दे और उनके प्राण इस दशा में निकलें कि वे इनकार करनेवाले ही रहे ([९] अत-तौबा: 55)
Tafseer (तफ़सीर )
५६

وَيَحْلِفُوْنَ بِاللّٰهِ اِنَّهُمْ لَمِنْكُمْۗ وَمَا هُمْ مِّنْكُمْ وَلٰكِنَّهُمْ قَوْمٌ يَّفْرَقُوْنَ ٥٦

wayaḥlifūna
وَيَحْلِفُونَ
और वो कसमें खाते हैं
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह की
innahum
إِنَّهُمْ
बेशक वो
laminkum
لَمِنكُمْ
अलबत्ता तुम में से हैं
wamā
وَمَا
हालाँकि नहीं
hum
هُم
वो
minkum
مِّنكُمْ
तुम में से
walākinnahum
وَلَٰكِنَّهُمْ
और लेकिन वो
qawmun
قَوْمٌ
ऐसे लोग हैं
yafraqūna
يَفْرَقُونَ
जो डरते हैं
वे अल्लाह की क़समें खाते है कि वे तुम्हीं में से है, हालाँकि वे तुममें से नहीं है, बल्कि वे ऐसे लोग है जो त्रस्त रहते है ([९] अत-तौबा: 56)
Tafseer (तफ़सीर )
५७

لَوْ يَجِدُوْنَ مَلْجَاً اَوْ مَغٰرٰتٍ اَوْ مُدَّخَلًا لَّوَلَّوْا اِلَيْهِ وَهُمْ يَجْمَحُوْنَ ٥٧

law
لَوْ
अगर
yajidūna
يَجِدُونَ
वो पाऐं
malja-an
مَلْجَـًٔا
कोई जाय पनाह
aw
أَوْ
या
maghārātin
مَغَٰرَٰتٍ
कोई ग़ार
aw
أَوْ
या
muddakhalan
مُدَّخَلًا
कोई घुस बैठने की जगह
lawallaw
لَّوَلَّوْا۟
अलबत्ता वो मुड़ कर भाग जाऐं
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
wahum
وَهُمْ
इस हाल में कि वो
yajmaḥūna
يَجْمَحُونَ
वो सरपट दौड़ते हैं
यदि वे कोई शरण पा लें या कोई गुफा या घुस बैठने की जगह, तो अवश्य ही वे बगटुट उसकी ओर उल्टे भाग जाएँ ([९] अत-तौबा: 57)
Tafseer (तफ़सीर )
५८

وَمِنْهُمْ مَّنْ يَّلْمِزُكَ فِى الصَّدَقٰتِۚ فَاِنْ اُعْطُوْا مِنْهَا رَضُوْا وَاِنْ لَّمْ يُعْطَوْا مِنْهَآ اِذَا هُمْ يَسْخَطُوْنَ ٥٨

wamin'hum
وَمِنْهُم
और कुछ उनमें से हैं
man
مَّن
जो
yalmizuka
يَلْمِزُكَ
इलज़ाम लगाते हैं आप पर
فِى
सदक़ात के बारे में
l-ṣadaqāti
ٱلصَّدَقَٰتِ
सदक़ात के बारे में
fa-in
فَإِنْ
फिर अगर
uʿ'ṭū
أُعْطُوا۟
वो दिए जाऐं
min'hā
مِنْهَا
उनमें से
raḍū
رَضُوا۟
वो राज़ी हो जाते हैं
wa-in
وَإِن
और अगर
lam
لَّمْ
ना
yuʿ'ṭaw
يُعْطَوْا۟
वो दिए जाऐं
min'hā
مِنْهَآ
उनमें से
idhā
إِذَا
तब
hum
هُمْ
वो
yaskhaṭūna
يَسْخَطُونَ
वो नाराज़ हो जाते हैं
और उनमें से कुछ लोग सदक़ो के विषय में तुम पर चोटे करते है। किन्तु यदि उन्हें उसमें से दे दिया जाए तो प्रसन्न हो जाएँ और यदि उन्हें उसमें से न दिया गया तो क्या देखोगे कि वे क्रोधित होने लगते है ([९] अत-तौबा: 58)
Tafseer (तफ़सीर )
५९

وَلَوْ اَنَّهُمْ رَضُوْا مَآ اٰتٰىهُمُ اللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗۙ وَقَالُوْا حَسْبُنَا اللّٰهُ سَيُؤْتِيْنَا اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖ وَرَسُوْلُهٗٓ اِنَّآ اِلَى اللّٰهِ رَاغِبُوْنَ ࣖ ٥٩

walaw
وَلَوْ
और काश
annahum
أَنَّهُمْ
ये कि वो
raḍū
رَضُوا۟
वो राज़ी हो जाते
مَآ
उस पर जो
ātāhumu
ءَاتَىٰهُمُ
दिया उन्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
warasūluhu
وَرَسُولُهُۥ
और उसके रसूल ने
waqālū
وَقَالُوا۟
और वो कहते
ḥasbunā
حَسْبُنَا
काफ़ी है हमें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
sayu'tīnā
سَيُؤْتِينَا
अनक़रीब देगा हमें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
min
مِن
अपने फ़ज़ल से
faḍlihi
فَضْلِهِۦ
अपने फ़ज़ल से
warasūluhu
وَرَسُولُهُۥٓ
और उसका रसूल (भी)
innā
إِنَّآ
बेशक हम
ilā
إِلَى
तरफ़ अल्लाह के
l-lahi
ٱللَّهِ
तरफ़ अल्लाह के
rāghibūna
رَٰغِبُونَ
रग़बत करने वाले हैं
यदि अल्लाह और उसके रसूल ने जो कुछ उन्हें दिया था, उसपर वे राज़ी रहते औऱ कहते कि 'हमारे लिए अल्लाह काफ़ी है। अल्लाह हमें जल्द ही अपने अनुग्रह से देगा और उसका रसूल भी। हम तो अल्लाह ही की ओऱ उन्मुख है।' (तो यह उनके लिए अच्छा होता) ([९] अत-तौबा: 59)
Tafseer (तफ़सीर )
६०

۞ اِنَّمَا الصَّدَقٰتُ لِلْفُقَرَاۤءِ وَالْمَسٰكِيْنِ وَالْعَامِلِيْنَ عَلَيْهَا وَالْمُؤَلَّفَةِ قُلُوْبُهُمْ وَفِى الرِّقَابِ وَالْغَارِمِيْنَ وَفِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَابْنِ السَّبِيْلِۗ فَرِيْضَةً مِّنَ اللّٰهِ ۗوَاللّٰهُ عَلِيْمٌ حَكِيْمٌ ٦٠

innamā
إِنَّمَا
बेशक
l-ṣadaqātu
ٱلصَّدَقَٰتُ
सदक़ात तो
lil'fuqarāi
لِلْفُقَرَآءِ
फ़ुक़रा के लिए हैं
wal-masākīni
وَٱلْمَسَٰكِينِ
और मिस्कीनों के लिए
wal-ʿāmilīna
وَٱلْعَٰمِلِينَ
और जो काम करने वाले हैं
ʿalayhā
عَلَيْهَا
उन पर
wal-mu-alafati
وَٱلْمُؤَلَّفَةِ
और उलफ़त दिलाए गए
qulūbuhum
قُلُوبُهُمْ
दिल जिनके
wafī
وَفِى
और गर्दनों (के आज़ाद) करने में
l-riqābi
ٱلرِّقَابِ
और गर्दनों (के आज़ाद) करने में
wal-ghārimīna
وَٱلْغَٰرِمِينَ
और क़र्ज़दारों (के लिए)
wafī
وَفِى
और अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
और अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِ
और अल्लाह के रास्ते में
wa-ib'ni
وَٱبْنِ
और मुसाफ़िर/राहगीर (के लिए)
l-sabīli
ٱلسَّبِيلِۖ
और मुसाफ़िर/राहगीर (के लिए)
farīḍatan
فَرِيضَةً
फ़रीज़ा है
mina
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِۗ
अल्लाह की तरफ़ से
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब इल्म वाला है
ḥakīmun
حَكِيمٌ
ख़ूब हिकमत वाला है
सदक़े तो बस ग़रीबों, मुहताजों और उन लोगों के लिए है, जो काम पर नियुक्त हों और उनके लिए जिनके दिलों को आकृष्ट करना औऱ परचाना अभीष्ट हो और गर्दनों को छुड़ाने और क़र्ज़दारों और तावान भरनेवालों की सहायता करने में, अल्लाह के मार्ग में, मुसाफ़िरों की सहायता करने में लगाने के लिए है। यह अल्लाह की ओर से ठहराया हुआ हुक्म है। अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, अत्यन्त तत्वदर्शी है ([९] अत-तौबा: 60)
Tafseer (तफ़सीर )