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सूरा अत-तौबा - Page: 5

At-Tawbah

(The Repentance)

४१

اِنْفِرُوْا خِفَافًا وَّثِقَالًا وَّجَاهِدُوْا بِاَمْوَالِكُمْ وَاَنْفُسِكُمْ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۗذٰلِكُمْ خَيْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ٤١

infirū
ٱنفِرُوا۟
निकलो
khifāfan
خِفَافًا
हल्के
wathiqālan
وَثِقَالًا
और बोझल
wajāhidū
وَجَٰهِدُوا۟
और जिहाद करो
bi-amwālikum
بِأَمْوَٰلِكُمْ
साथ अपने मालों
wa-anfusikum
وَأَنفُسِكُمْ
और अपने नफ़्सों के
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह के रास्ते में
dhālikum
ذَٰلِكُمْ
ये बात
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
lakum
لَّكُمْ
तुम्हारे लिए
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
taʿlamūna
تَعْلَمُونَ
तुम जानते
हलके और बोझिल निकल पड़ो और अल्लाह के मार्ग में अपने मालों और अपनी जानों के साथ जिहाद करो! यही तुम्हारे लिए उत्तम है, यदि तुम जानो ([९] अत-तौबा: 41)
Tafseer (तफ़सीर )
४२

لَوْ كَانَ عَرَضًا قَرِيْبًا وَّسَفَرًا قَاصِدًا لَّاتَّبَعُوْكَ وَلٰكِنْۢ بَعُدَتْ عَلَيْهِمُ الشُّقَّةُۗ وَسَيَحْلِفُوْنَ بِاللّٰهِ لَوِ اسْتَطَعْنَا لَخَرَجْنَا مَعَكُمْۚ يُهْلِكُوْنَ اَنْفُسَهُمْۚ وَاللّٰهُ يَعْلَمُ اِنَّهُمْ لَكٰذِبُوْنَ ࣖ ٤٢

law
لَوْ
अगर
kāna
كَانَ
होता
ʿaraḍan
عَرَضًا
सामान
qarīban
قَرِيبًا
क़रीब का
wasafaran
وَسَفَرًا
और सफ़र
qāṣidan
قَاصِدًا
दर्मियाना
la-ittabaʿūka
لَّٱتَّبَعُوكَ
अलबत्ता वो पैरवी करते आपकी
walākin
وَلَٰكِنۢ
और लेकिन
baʿudat
بَعُدَتْ
दूर हो गई
ʿalayhimu
عَلَيْهِمُ
उन पर
l-shuqatu
ٱلشُّقَّةُۚ
मुसाफ़त
wasayaḥlifūna
وَسَيَحْلِفُونَ
और अनक़रीब वो क़समें खाऐंगे
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह की
lawi
لَوِ
अगर
is'taṭaʿnā
ٱسْتَطَعْنَا
इस्तिताअत रखते हम
lakharajnā
لَخَرَجْنَا
अलबत्ता निकलते हम
maʿakum
مَعَكُمْ
साथ तुम्हारे
yuh'likūna
يُهْلِكُونَ
वो हलाक कर रहे हैं
anfusahum
أَنفُسَهُمْ
अपने नफ़्सों को
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yaʿlamu
يَعْلَمُ
जानता है
innahum
إِنَّهُمْ
बेशक वो
lakādhibūna
لَكَٰذِبُونَ
अलबत्ता झूठे हैं
यदि निकट (भविष्य में) ही कुछ मिलनेवाला होता और सफ़र भी हलका होता तो वे अवश्य तुम्हारे पीछे चल पड़ते, किन्तु मार्ग की दूरी उन्हें कठिन और बहुत दीर्घ प्रतीत हुई। अब वे अल्लाह की क़समें खाएँगे कि, 'यदि हममें इसकी सामर्थ्य होती तो हम अवश्य तुम्हारे साथ निकलते।' वे अपने आपको तबाही में डाल रहे है और अल्लाह भली-भाँति जानता है कि निश्चय ही वे झूठे है ([९] अत-तौबा: 42)
Tafseer (तफ़सीर )
४३

عَفَا اللّٰهُ عَنْكَۚ لِمَ اَذِنْتَ لَهُمْ حَتّٰى يَتَبَيَّنَ لَكَ الَّذِيْنَ صَدَقُوْا وَتَعْلَمَ الْكٰذِبِيْنَ ٤٣

ʿafā
عَفَا
माफ़ कर दिया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ʿanka
عَنكَ
आपको
lima
لِمَ
क्यों
adhinta
أَذِنتَ
इजाज़त दी आपने
lahum
لَهُمْ
उन्हें
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yatabayyana
يَتَبَيَّنَ
ज़ाहिर हो जाते
laka
لَكَ
आपके लिए
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
ṣadaqū
صَدَقُوا۟
सच कहा
wataʿlama
وَتَعْلَمَ
और आप जान लेते
l-kādhibīna
ٱلْكَٰذِبِينَ
झूठों को
अल्लाह ने तुम्हे क्षमा कर दिया! तुमने उन्हें क्यों अनुमति दे दी, यहाँ तक कि जो लोग सच्चे है वे तुम्हारे सामने प्रकट हो जाते और झूठों को भी तुम जान लेते? ([९] अत-तौबा: 43)
Tafseer (तफ़सीर )
४४

لَا يَسْتَأْذِنُكَ الَّذِيْنَ يُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ اَنْ يُّجَاهِدُوْا بِاَمْوَالِهِمْ وَاَنْفُسِهِمْۗ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌۢ بِالْمُتَّقِيْنَ ٤٤

لَا
नहीं इजाज़त माँगते आपसे
yastadhinuka
يَسْتَـْٔذِنُكَ
नहीं इजाज़त माँगते आपसे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
ईमान लाते हैं
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
wal-yawmi
وَٱلْيَوْمِ
और आख़िरी दिन पर
l-ākhiri
ٱلْءَاخِرِ
और आख़िरी दिन पर
an
أَن
कि
yujāhidū
يُجَٰهِدُوا۟
वो जिहाद करें
bi-amwālihim
بِأَمْوَٰلِهِمْ
साथ अपने मालों के
wa-anfusihim
وَأَنفُسِهِمْۗ
और अपनी जानों के
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿalīmun
عَلِيمٌۢ
ख़ूब जानने वाला है
bil-mutaqīna
بِٱلْمُتَّقِينَ
मुत्तक़ी लोगों के
जो लोग अल्लाह और अंतिम दिन पर ईमान रखते है, वे तुमसे कभी यह नहीं चाहेंगे कि उन्हें अपने मालों और अपनी जानों के साथ जिहाद करने से माफ़ रखा जाए। और अल्लाह डर रखनेवालों को भली-भाँति जानता है ([९] अत-तौबा: 44)
Tafseer (तफ़सीर )
४५

اِنَّمَا يَسْتَأْذِنُكَ الَّذِيْنَ لَا يُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ وَارْتَابَتْ قُلُوْبُهُمْ فَهُمْ فِيْ رَيْبِهِمْ يَتَرَدَّدُوْنَ ٤٥

innamā
إِنَّمَا
बेशक
yastadhinuka
يَسْتَـْٔذِنُكَ
इजाज़त माँगते हैं आपसे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
لَا
नही वो ईमान रखते
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
नही वो ईमान रखते
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
wal-yawmi
وَٱلْيَوْمِ
और आख़िरी दिन पर
l-ākhiri
ٱلْءَاخِرِ
और आख़िरी दिन पर
wa-ir'tābat
وَٱرْتَابَتْ
और शक करते हैं
qulūbuhum
قُلُوبُهُمْ
दिल उनके
fahum
فَهُمْ
पस वो
فِى
अपने शक में
raybihim
رَيْبِهِمْ
अपने शक में
yataraddadūna
يَتَرَدَّدُونَ
वो मुतरदिद/हैरान हैं
तुमसे छुट्टी तो बस वही लोग माँगते है जो अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान नहीं रखते, और जिनके दिल सन्देह में पड़े है, तो वे अपने सन्देह ही में डाँवाडोल हो रहे है ([९] अत-तौबा: 45)
Tafseer (तफ़सीर )
४६

۞ وَلَوْ اَرَادُوا الْخُرُوْجَ لَاَعَدُّوْا لَهٗ عُدَّةً وَّلٰكِنْ كَرِهَ اللّٰهُ انْۢبِعَاثَهُمْ فَثَبَّطَهُمْ وَقِيْلَ اقْعُدُوْا مَعَ الْقٰعِدِيْنَ ٤٦

walaw
وَلَوْ
और अगर
arādū
أَرَادُوا۟
वो इरादा करते
l-khurūja
ٱلْخُرُوجَ
निकलने का
la-aʿaddū
لَأَعَدُّوا۟
ज़रूर वो तैयार करते
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
ʿuddatan
عُدَّةً
साज़ो सामान
walākin
وَلَٰكِن
और लेकिन
kariha
كَرِهَ
नापसंद किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
inbiʿāthahum
ٱنۢبِعَاثَهُمْ
उठना उनका
fathabbaṭahum
فَثَبَّطَهُمْ
तो उसने रोक दिया उन्हें
waqīla
وَقِيلَ
और कहा
uq'ʿudū
ٱقْعُدُوا۟
बैठ जाओ
maʿa
مَعَ
साथ बैठने वालों के
l-qāʿidīna
ٱلْقَٰعِدِينَ
साथ बैठने वालों के
यदि वे निकलने का इरादा करते तो इसके लिए कुछ सामग्री जुटाते, किन्तु अल्लाह ने उनके उठने को नापसन्द किया तो उसने उन्हें रोक दिया। उनके कह दिया गया, 'बैठनेवालों के साथ बैठ रहो।' ([९] अत-तौबा: 46)
Tafseer (तफ़सीर )
४७

لَوْ خَرَجُوْا فِيْكُمْ مَّا زَادُوْكُمْ اِلَّا خَبَالًا وَّلَاَوْضَعُوْا خِلٰلَكُمْ يَبْغُوْنَكُمُ الْفِتْنَةَۚ وَفِيْكُمْ سَمّٰعُوْنَ لَهُمْۗ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌۢ بِالظّٰلِمِيْنَ ٤٧

law
لَوْ
अगर
kharajū
خَرَجُوا۟
वो निकलते
fīkum
فِيكُم
तुम में
مَّا
ना
zādūkum
زَادُوكُمْ
वो ज़्यादा करते तुम्हें
illā
إِلَّا
मगर
khabālan
خَبَالًا
ख़राबी में
wala-awḍaʿū
وَلَأَوْضَعُوا۟
और अलबत्ता वो (घोड़े) दौड़ाते
khilālakum
خِلَٰلَكُمْ
दर्मियान तुम्हारे
yabghūnakumu
يَبْغُونَكُمُ
वो तलाश में रहते तुम में
l-fit'nata
ٱلْفِتْنَةَ
फ़ितने की
wafīkum
وَفِيكُمْ
और तुम में
sammāʿūna
سَمَّٰعُونَ
सुनने वाले (जासूस) हैं
lahum
لَهُمْۗ
उनके लिए
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿalīmun
عَلِيمٌۢ
ख़ूब जानने वाला है
bil-ẓālimīna
بِٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों को
यदि वे तुम्हारे साथ निकलते भी तो तुम्हारे अन्दर ख़राबी के सिवा किसी और चीज़ की अभिवृद्धि नहीं करते। और वे तुम्हारे बीच उपद्रव मचाने के लिए दौड़-धूप करते और तुममें उनकी सुननेवाले है। और अल्लाह अत्याचारियों को भली-भाँति जानता है ([९] अत-तौबा: 47)
Tafseer (तफ़सीर )
४८

لَقَدِ ابْتَغَوُا الْفِتْنَةَ مِنْ قَبْلُ وَقَلَّبُوْا لَكَ الْاُمُوْرَ حَتّٰى جَاۤءَ الْحَقُّ وَظَهَرَ اَمْرُ اللّٰهِ وَهُمْ كٰرِهُوْنَ ٤٨

laqadi
لَقَدِ
अलबत्ता तहक़ीक़
ib'taghawū
ٱبْتَغَوُا۟
उन्होंने (डालना) चाहा
l-fit'nata
ٱلْفِتْنَةَ
फ़ितना
min
مِن
इससे पहले
qablu
قَبْلُ
इससे पहले
waqallabū
وَقَلَّبُوا۟
और उलट-पुलट किए
laka
لَكَ
आपके लिए
l-umūra
ٱلْأُمُورَ
मामलात
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
jāa
جَآءَ
आ गया
l-ḥaqu
ٱلْحَقُّ
हक़
waẓahara
وَظَهَرَ
और ज़ाहिर हो गया
amru
أَمْرُ
हुक्म
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
wahum
وَهُمْ
जबकि वो
kārihūna
كَٰرِهُونَ
नापसंद करने वाले थे
उन्होंने तो इससे पहले भी उपद्रव मचाना चाहा था और वे तुम्हारे विरुद्ध घटनाओं और मामलों के उलटने-पलटने में लगे रहे, यहाँ तक कि हक़ आ गया और अल्लाह को आदेश प्रकट होकर रहा, यद्यपि उन्हें अप्रिय ही लगता रहा ([९] अत-तौबा: 48)
Tafseer (तफ़सीर )
४९

وَمِنْهُمْ مَّنْ يَّقُوْلُ ائْذَنْ لِّيْ وَلَا تَفْتِنِّيْۗ اَلَا فِى الْفِتْنَةِ سَقَطُوْاۗ وَاِنَّ جَهَنَّمَ لَمُحِيْطَةٌ ۢ بِالْكٰفِرِيْنَ ٤٩

wamin'hum
وَمِنْهُم
और उनमें से कोई है
man
مَّن
जो
yaqūlu
يَقُولُ
कहता है
i'dhan
ٱئْذَن
इजाज़त दीजिए
لِّى
मुझे
walā
وَلَا
और ना
taftinnī
تَفْتِنِّىٓۚ
आप फ़ितने में डालिए मुझे
alā
أَلَا
ख़बरदार
فِى
फ़ितने में तो
l-fit'nati
ٱلْفِتْنَةِ
फ़ितने में तो
saqaṭū
سَقَطُوا۟ۗ
वो पड़ चुके हैं
wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
jahannama
جَهَنَّمَ
जहन्नम
lamuḥīṭatun
لَمُحِيطَةٌۢ
अलबत्ता घेरने वाली है
bil-kāfirīna
بِٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों को
उनमें कोई है, जो कहता है, 'मुझे इजाज़त दे दीजिए, मुझे फ़ितने में न डालिए।' जान लो कि वे फ़ितने में तो पड़ ही चुके है और निश्चय ही जहन्नम भी इनकार करनेवालों को घेर रही है ([९] अत-तौबा: 49)
Tafseer (तफ़सीर )
५०

اِنْ تُصِبْكَ حَسَنَةٌ تَسُؤْهُمْۚ وَاِنْ تُصِبْكَ مُصِيْبَةٌ يَّقُوْلُوْا قَدْ اَخَذْنَآ اَمْرَنَا مِنْ قَبْلُ وَيَتَوَلَّوْا وَّهُمْ فَرِحُوْنَ ٥٠

in
إِن
अगर
tuṣib'ka
تُصِبْكَ
पहुँचती है आपको
ḥasanatun
حَسَنَةٌ
कोई भलाई
tasu'hum
تَسُؤْهُمْۖ
वो बुरी लगती है उन्हें
wa-in
وَإِن
और अगर
tuṣib'ka
تُصِبْكَ
पहुँचती है आपको
muṣībatun
مُصِيبَةٌ
कोई मुसीबत
yaqūlū
يَقُولُوا۟
वो कहते हैं
qad
قَدْ
तहक़ीक़
akhadhnā
أَخَذْنَآ
संभाल लिया हमने
amranā
أَمْرَنَا
मामला अपना
min
مِن
पहले से
qablu
قَبْلُ
पहले से
wayatawallaw
وَيَتَوَلَّوا۟
और वो मुँह मोड़ जाते हैं
wahum
وَّهُمْ
इस हाल में कि वो
fariḥūna
فَرِحُونَ
ख़ुश होने वाले हैं
यदि तुम्हें कोई अच्छी हालत पेश आती है, तो उन्हें बुरा लगता है औऱ यदि तुम पर कोई मुसीबत आ जाती है, तो वे कहते है, 'हमने तो अपना काम पहले ही सँभाल लिया था।' और वे ख़ुश होते हुए पलटते है ([९] अत-तौबा: 50)
Tafseer (तफ़सीर )