اِنْفِرُوْا خِفَافًا وَّثِقَالًا وَّجَاهِدُوْا بِاَمْوَالِكُمْ وَاَنْفُسِكُمْ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۗذٰلِكُمْ خَيْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ٤١
- infirū
- ٱنفِرُوا۟
- निकलो
- khifāfan
- خِفَافًا
- हल्के
- wathiqālan
- وَثِقَالًا
- और बोझल
- wajāhidū
- وَجَٰهِدُوا۟
- और जिहाद करो
- bi-amwālikum
- بِأَمْوَٰلِكُمْ
- साथ अपने मालों
- wa-anfusikum
- وَأَنفُسِكُمْ
- और अपने नफ़्सों के
- fī
- فِى
- अल्लाह के रास्ते में
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते में
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह के रास्ते में
- dhālikum
- ذَٰلِكُمْ
- ये बात
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर है
- lakum
- لَّكُمْ
- तुम्हारे लिए
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُمْ
- हो तुम
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- तुम जानते
हलके और बोझिल निकल पड़ो और अल्लाह के मार्ग में अपने मालों और अपनी जानों के साथ जिहाद करो! यही तुम्हारे लिए उत्तम है, यदि तुम जानो ([९] अत-तौबा: 41)Tafseer (तफ़सीर )
لَوْ كَانَ عَرَضًا قَرِيْبًا وَّسَفَرًا قَاصِدًا لَّاتَّبَعُوْكَ وَلٰكِنْۢ بَعُدَتْ عَلَيْهِمُ الشُّقَّةُۗ وَسَيَحْلِفُوْنَ بِاللّٰهِ لَوِ اسْتَطَعْنَا لَخَرَجْنَا مَعَكُمْۚ يُهْلِكُوْنَ اَنْفُسَهُمْۚ وَاللّٰهُ يَعْلَمُ اِنَّهُمْ لَكٰذِبُوْنَ ࣖ ٤٢
- law
- لَوْ
- अगर
- kāna
- كَانَ
- होता
- ʿaraḍan
- عَرَضًا
- सामान
- qarīban
- قَرِيبًا
- क़रीब का
- wasafaran
- وَسَفَرًا
- और सफ़र
- qāṣidan
- قَاصِدًا
- दर्मियाना
- la-ittabaʿūka
- لَّٱتَّبَعُوكَ
- अलबत्ता वो पैरवी करते आपकी
- walākin
- وَلَٰكِنۢ
- और लेकिन
- baʿudat
- بَعُدَتْ
- दूर हो गई
- ʿalayhimu
- عَلَيْهِمُ
- उन पर
- l-shuqatu
- ٱلشُّقَّةُۚ
- मुसाफ़त
- wasayaḥlifūna
- وَسَيَحْلِفُونَ
- और अनक़रीब वो क़समें खाऐंगे
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह की
- lawi
- لَوِ
- अगर
- is'taṭaʿnā
- ٱسْتَطَعْنَا
- इस्तिताअत रखते हम
- lakharajnā
- لَخَرَجْنَا
- अलबत्ता निकलते हम
- maʿakum
- مَعَكُمْ
- साथ तुम्हारे
- yuh'likūna
- يُهْلِكُونَ
- वो हलाक कर रहे हैं
- anfusahum
- أَنفُسَهُمْ
- अपने नफ़्सों को
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- जानता है
- innahum
- إِنَّهُمْ
- बेशक वो
- lakādhibūna
- لَكَٰذِبُونَ
- अलबत्ता झूठे हैं
यदि निकट (भविष्य में) ही कुछ मिलनेवाला होता और सफ़र भी हलका होता तो वे अवश्य तुम्हारे पीछे चल पड़ते, किन्तु मार्ग की दूरी उन्हें कठिन और बहुत दीर्घ प्रतीत हुई। अब वे अल्लाह की क़समें खाएँगे कि, 'यदि हममें इसकी सामर्थ्य होती तो हम अवश्य तुम्हारे साथ निकलते।' वे अपने आपको तबाही में डाल रहे है और अल्लाह भली-भाँति जानता है कि निश्चय ही वे झूठे है ([९] अत-तौबा: 42)Tafseer (तफ़सीर )
عَفَا اللّٰهُ عَنْكَۚ لِمَ اَذِنْتَ لَهُمْ حَتّٰى يَتَبَيَّنَ لَكَ الَّذِيْنَ صَدَقُوْا وَتَعْلَمَ الْكٰذِبِيْنَ ٤٣
- ʿafā
- عَفَا
- माफ़ कर दिया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿanka
- عَنكَ
- आपको
- lima
- لِمَ
- क्यों
- adhinta
- أَذِنتَ
- इजाज़त दी आपने
- lahum
- لَهُمْ
- उन्हें
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yatabayyana
- يَتَبَيَّنَ
- ज़ाहिर हो जाते
- laka
- لَكَ
- आपके लिए
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- ṣadaqū
- صَدَقُوا۟
- सच कहा
- wataʿlama
- وَتَعْلَمَ
- और आप जान लेते
- l-kādhibīna
- ٱلْكَٰذِبِينَ
- झूठों को
अल्लाह ने तुम्हे क्षमा कर दिया! तुमने उन्हें क्यों अनुमति दे दी, यहाँ तक कि जो लोग सच्चे है वे तुम्हारे सामने प्रकट हो जाते और झूठों को भी तुम जान लेते? ([९] अत-तौबा: 43)Tafseer (तफ़सीर )
لَا يَسْتَأْذِنُكَ الَّذِيْنَ يُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ اَنْ يُّجَاهِدُوْا بِاَمْوَالِهِمْ وَاَنْفُسِهِمْۗ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌۢ بِالْمُتَّقِيْنَ ٤٤
- lā
- لَا
- नहीं इजाज़त माँगते आपसे
- yastadhinuka
- يَسْتَـْٔذِنُكَ
- नहीं इजाज़त माँगते आपसे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- ईमान लाते हैं
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- wal-yawmi
- وَٱلْيَوْمِ
- और आख़िरी दिन पर
- l-ākhiri
- ٱلْءَاخِرِ
- और आख़िरी दिन पर
- an
- أَن
- कि
- yujāhidū
- يُجَٰهِدُوا۟
- वो जिहाद करें
- bi-amwālihim
- بِأَمْوَٰلِهِمْ
- साथ अपने मालों के
- wa-anfusihim
- وَأَنفُسِهِمْۗ
- और अपनी जानों के
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿalīmun
- عَلِيمٌۢ
- ख़ूब जानने वाला है
- bil-mutaqīna
- بِٱلْمُتَّقِينَ
- मुत्तक़ी लोगों के
जो लोग अल्लाह और अंतिम दिन पर ईमान रखते है, वे तुमसे कभी यह नहीं चाहेंगे कि उन्हें अपने मालों और अपनी जानों के साथ जिहाद करने से माफ़ रखा जाए। और अल्लाह डर रखनेवालों को भली-भाँति जानता है ([९] अत-तौबा: 44)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّمَا يَسْتَأْذِنُكَ الَّذِيْنَ لَا يُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ وَارْتَابَتْ قُلُوْبُهُمْ فَهُمْ فِيْ رَيْبِهِمْ يَتَرَدَّدُوْنَ ٤٥
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- yastadhinuka
- يَسْتَـْٔذِنُكَ
- इजाज़त माँगते हैं आपसे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- lā
- لَا
- नही वो ईमान रखते
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- नही वो ईमान रखते
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- wal-yawmi
- وَٱلْيَوْمِ
- और आख़िरी दिन पर
- l-ākhiri
- ٱلْءَاخِرِ
- और आख़िरी दिन पर
- wa-ir'tābat
- وَٱرْتَابَتْ
- और शक करते हैं
- qulūbuhum
- قُلُوبُهُمْ
- दिल उनके
- fahum
- فَهُمْ
- पस वो
- fī
- فِى
- अपने शक में
- raybihim
- رَيْبِهِمْ
- अपने शक में
- yataraddadūna
- يَتَرَدَّدُونَ
- वो मुतरदिद/हैरान हैं
तुमसे छुट्टी तो बस वही लोग माँगते है जो अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान नहीं रखते, और जिनके दिल सन्देह में पड़े है, तो वे अपने सन्देह ही में डाँवाडोल हो रहे है ([९] अत-तौबा: 45)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَلَوْ اَرَادُوا الْخُرُوْجَ لَاَعَدُّوْا لَهٗ عُدَّةً وَّلٰكِنْ كَرِهَ اللّٰهُ انْۢبِعَاثَهُمْ فَثَبَّطَهُمْ وَقِيْلَ اقْعُدُوْا مَعَ الْقٰعِدِيْنَ ٤٦
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- arādū
- أَرَادُوا۟
- वो इरादा करते
- l-khurūja
- ٱلْخُرُوجَ
- निकलने का
- la-aʿaddū
- لَأَعَدُّوا۟
- ज़रूर वो तैयार करते
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- ʿuddatan
- عُدَّةً
- साज़ो सामान
- walākin
- وَلَٰكِن
- और लेकिन
- kariha
- كَرِهَ
- नापसंद किया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- inbiʿāthahum
- ٱنۢبِعَاثَهُمْ
- उठना उनका
- fathabbaṭahum
- فَثَبَّطَهُمْ
- तो उसने रोक दिया उन्हें
- waqīla
- وَقِيلَ
- और कहा
- uq'ʿudū
- ٱقْعُدُوا۟
- बैठ जाओ
- maʿa
- مَعَ
- साथ बैठने वालों के
- l-qāʿidīna
- ٱلْقَٰعِدِينَ
- साथ बैठने वालों के
यदि वे निकलने का इरादा करते तो इसके लिए कुछ सामग्री जुटाते, किन्तु अल्लाह ने उनके उठने को नापसन्द किया तो उसने उन्हें रोक दिया। उनके कह दिया गया, 'बैठनेवालों के साथ बैठ रहो।' ([९] अत-तौबा: 46)Tafseer (तफ़सीर )
لَوْ خَرَجُوْا فِيْكُمْ مَّا زَادُوْكُمْ اِلَّا خَبَالًا وَّلَاَوْضَعُوْا خِلٰلَكُمْ يَبْغُوْنَكُمُ الْفِتْنَةَۚ وَفِيْكُمْ سَمّٰعُوْنَ لَهُمْۗ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌۢ بِالظّٰلِمِيْنَ ٤٧
- law
- لَوْ
- अगर
- kharajū
- خَرَجُوا۟
- वो निकलते
- fīkum
- فِيكُم
- तुम में
- mā
- مَّا
- ना
- zādūkum
- زَادُوكُمْ
- वो ज़्यादा करते तुम्हें
- illā
- إِلَّا
- मगर
- khabālan
- خَبَالًا
- ख़राबी में
- wala-awḍaʿū
- وَلَأَوْضَعُوا۟
- और अलबत्ता वो (घोड़े) दौड़ाते
- khilālakum
- خِلَٰلَكُمْ
- दर्मियान तुम्हारे
- yabghūnakumu
- يَبْغُونَكُمُ
- वो तलाश में रहते तुम में
- l-fit'nata
- ٱلْفِتْنَةَ
- फ़ितने की
- wafīkum
- وَفِيكُمْ
- और तुम में
- sammāʿūna
- سَمَّٰعُونَ
- सुनने वाले (जासूस) हैं
- lahum
- لَهُمْۗ
- उनके लिए
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿalīmun
- عَلِيمٌۢ
- ख़ूब जानने वाला है
- bil-ẓālimīna
- بِٱلظَّٰلِمِينَ
- ज़ालिमों को
यदि वे तुम्हारे साथ निकलते भी तो तुम्हारे अन्दर ख़राबी के सिवा किसी और चीज़ की अभिवृद्धि नहीं करते। और वे तुम्हारे बीच उपद्रव मचाने के लिए दौड़-धूप करते और तुममें उनकी सुननेवाले है। और अल्लाह अत्याचारियों को भली-भाँति जानता है ([९] अत-तौबा: 47)Tafseer (तफ़सीर )
لَقَدِ ابْتَغَوُا الْفِتْنَةَ مِنْ قَبْلُ وَقَلَّبُوْا لَكَ الْاُمُوْرَ حَتّٰى جَاۤءَ الْحَقُّ وَظَهَرَ اَمْرُ اللّٰهِ وَهُمْ كٰرِهُوْنَ ٤٨
- laqadi
- لَقَدِ
- अलबत्ता तहक़ीक़
- ib'taghawū
- ٱبْتَغَوُا۟
- उन्होंने (डालना) चाहा
- l-fit'nata
- ٱلْفِتْنَةَ
- फ़ितना
- min
- مِن
- इससे पहले
- qablu
- قَبْلُ
- इससे पहले
- waqallabū
- وَقَلَّبُوا۟
- और उलट-पुलट किए
- laka
- لَكَ
- आपके लिए
- l-umūra
- ٱلْأُمُورَ
- मामलात
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- jāa
- جَآءَ
- आ गया
- l-ḥaqu
- ٱلْحَقُّ
- हक़
- waẓahara
- وَظَهَرَ
- और ज़ाहिर हो गया
- amru
- أَمْرُ
- हुक्म
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- wahum
- وَهُمْ
- जबकि वो
- kārihūna
- كَٰرِهُونَ
- नापसंद करने वाले थे
उन्होंने तो इससे पहले भी उपद्रव मचाना चाहा था और वे तुम्हारे विरुद्ध घटनाओं और मामलों के उलटने-पलटने में लगे रहे, यहाँ तक कि हक़ आ गया और अल्लाह को आदेश प्रकट होकर रहा, यद्यपि उन्हें अप्रिय ही लगता रहा ([९] अत-तौबा: 48)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنْهُمْ مَّنْ يَّقُوْلُ ائْذَنْ لِّيْ وَلَا تَفْتِنِّيْۗ اَلَا فِى الْفِتْنَةِ سَقَطُوْاۗ وَاِنَّ جَهَنَّمَ لَمُحِيْطَةٌ ۢ بِالْكٰفِرِيْنَ ٤٩
- wamin'hum
- وَمِنْهُم
- और उनमें से कोई है
- man
- مَّن
- जो
- yaqūlu
- يَقُولُ
- कहता है
- i'dhan
- ٱئْذَن
- इजाज़त दीजिए
- lī
- لِّى
- मुझे
- walā
- وَلَا
- और ना
- taftinnī
- تَفْتِنِّىٓۚ
- आप फ़ितने में डालिए मुझे
- alā
- أَلَا
- ख़बरदार
- fī
- فِى
- फ़ितने में तो
- l-fit'nati
- ٱلْفِتْنَةِ
- फ़ितने में तो
- saqaṭū
- سَقَطُوا۟ۗ
- वो पड़ चुके हैं
- wa-inna
- وَإِنَّ
- और बेशक
- jahannama
- جَهَنَّمَ
- जहन्नम
- lamuḥīṭatun
- لَمُحِيطَةٌۢ
- अलबत्ता घेरने वाली है
- bil-kāfirīna
- بِٱلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों को
उनमें कोई है, जो कहता है, 'मुझे इजाज़त दे दीजिए, मुझे फ़ितने में न डालिए।' जान लो कि वे फ़ितने में तो पड़ ही चुके है और निश्चय ही जहन्नम भी इनकार करनेवालों को घेर रही है ([९] अत-तौबा: 49)Tafseer (तफ़सीर )
اِنْ تُصِبْكَ حَسَنَةٌ تَسُؤْهُمْۚ وَاِنْ تُصِبْكَ مُصِيْبَةٌ يَّقُوْلُوْا قَدْ اَخَذْنَآ اَمْرَنَا مِنْ قَبْلُ وَيَتَوَلَّوْا وَّهُمْ فَرِحُوْنَ ٥٠
- in
- إِن
- अगर
- tuṣib'ka
- تُصِبْكَ
- पहुँचती है आपको
- ḥasanatun
- حَسَنَةٌ
- कोई भलाई
- tasu'hum
- تَسُؤْهُمْۖ
- वो बुरी लगती है उन्हें
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- tuṣib'ka
- تُصِبْكَ
- पहुँचती है आपको
- muṣībatun
- مُصِيبَةٌ
- कोई मुसीबत
- yaqūlū
- يَقُولُوا۟
- वो कहते हैं
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- akhadhnā
- أَخَذْنَآ
- संभाल लिया हमने
- amranā
- أَمْرَنَا
- मामला अपना
- min
- مِن
- पहले से
- qablu
- قَبْلُ
- पहले से
- wayatawallaw
- وَيَتَوَلَّوا۟
- और वो मुँह मोड़ जाते हैं
- wahum
- وَّهُمْ
- इस हाल में कि वो
- fariḥūna
- فَرِحُونَ
- ख़ुश होने वाले हैं
यदि तुम्हें कोई अच्छी हालत पेश आती है, तो उन्हें बुरा लगता है औऱ यदि तुम पर कोई मुसीबत आ जाती है, तो वे कहते है, 'हमने तो अपना काम पहले ही सँभाल लिया था।' और वे ख़ुश होते हुए पलटते है ([९] अत-तौबा: 50)Tafseer (तफ़सीर )