اِتَّخَذُوْٓا اَحْبَارَهُمْ وَرُهْبَانَهُمْ اَرْبَابًا مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَالْمَسِيْحَ ابْنَ مَرْيَمَۚ وَمَآ اُمِرُوْٓا اِلَّا لِيَعْبُدُوْٓا اِلٰهًا وَّاحِدًاۚ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَۗ سُبْحٰنَهٗ عَمَّا يُشْرِكُوْنَ ٣١
- ittakhadhū
- ٱتَّخَذُوٓا۟
- उन्होंने बना लिया
- aḥbārahum
- أَحْبَارَهُمْ
- अपने उलमा को
- waruh'bānahum
- وَرُهْبَٰنَهُمْ
- और अपने राहिबों को
- arbāban
- أَرْبَابًا
- रब (मुख़्तलिफ़)
- min
- مِّن
- सिवाय
- dūni
- دُونِ
- सिवाय
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- wal-masīḥa
- وَٱلْمَسِيحَ
- और मसीह इब्ने मरियम को
- ib'na
- ٱبْنَ
- और मसीह इब्ने मरियम को
- maryama
- مَرْيَمَ
- और मसीह इब्ने मरियम को
- wamā
- وَمَآ
- हालाँकि नहीं
- umirū
- أُمِرُوٓا۟
- वो हुक्म दिए गए
- illā
- إِلَّا
- मगर
- liyaʿbudū
- لِيَعْبُدُوٓا۟
- ये कि वो इबादत करें
- ilāhan
- إِلَٰهًا
- इलाह की
- wāḥidan
- وَٰحِدًاۖ
- एक ही
- lā
- لَّآ
- नहीं
- ilāha
- إِلَٰهَ
- कोई इलाह (बरहक़)
- illā
- إِلَّا
- मगर
- huwa
- هُوَۚ
- वो ही
- sub'ḥānahu
- سُبْحَٰنَهُۥ
- पाक है वो
- ʿammā
- عَمَّا
- उससे जो
- yush'rikūna
- يُشْرِكُونَ
- वो शरीक ठहराते हैं
उन्होंने अल्लाह से हटकर अपने धर्मज्ञाताओं और संसार-त्यागी संतों और मरयम के बेटे ईसा को अपने रब बना लिए है - हालाँकि उन्हें इसके सिवा और कोई आदेश नहीं दिया गया था कि अकेले इष्टि-पूज्य की वे बन्दगी करें, जिसक सिवा कोई और पूज्य नहीं। उसकी महिमा के प्रतिकूल है वह शिर्क जो ये लोग करते है। - ([९] अत-तौबा: 31)Tafseer (तफ़सीर )
يُرِيْدُوْنَ اَنْ يُّطْفِـُٔوْا نُوْرَ اللّٰهِ بِاَفْوَاهِهِمْ وَيَأْبَى اللّٰهُ اِلَّآ اَنْ يُّتِمَّ نُوْرَهٗ وَلَوْ كَرِهَ الْكٰفِرُوْنَ ٣٢
- yurīdūna
- يُرِيدُونَ
- वो चाहते हैं
- an
- أَن
- कि
- yuṭ'fiū
- يُطْفِـُٔوا۟
- वो बुझा दें
- nūra
- نُورَ
- नूर
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- bi-afwāhihim
- بِأَفْوَٰهِهِمْ
- अपने मुँहों से
- wayabā
- وَيَأْبَى
- और इन्कार करता है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि वो इबादत करें
- yutimma
- يُتِمَّ
- वो पूरा करे
- nūrahu
- نُورَهُۥ
- अपने नूर को
- walaw
- وَلَوْ
- और अगरचे
- kariha
- كَرِهَ
- नापसंद करें
- l-kāfirūna
- ٱلْكَٰفِرُونَ
- काफ़िर
चाहते है कि अल्लाह के प्रकाश को अपने मुँह से बुझा दें, किन्तु अल्लाह अपने प्रकाश को पूर्ण किए बिना नहीं रहेगा, चाहे इनकार करनेवालों को अप्रिय ही लगे ([९] अत-तौबा: 32)Tafseer (तफ़सीर )
هُوَ الَّذِيْٓ اَرْسَلَ رَسُوْلَهٗ بِالْهُدٰى وَدِيْنِ الْحَقِّ لِيُظْهِرَهٗ عَلَى الدِّيْنِ كُلِّهٖۙ وَلَوْ كَرِهَ الْمُشْرِكُوْنَ ٣٣
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- जिसने
- arsala
- أَرْسَلَ
- भेजा
- rasūlahu
- رَسُولَهُۥ
- अपने रसूल को
- bil-hudā
- بِٱلْهُدَىٰ
- साथ हिदायत
- wadīni
- وَدِينِ
- और दीने
- l-ḥaqi
- ٱلْحَقِّ
- हक़ के
- liyuẓ'hirahu
- لِيُظْهِرَهُۥ
- ताकि वो ग़ालिब कर दे उसे
- ʿalā
- عَلَى
- दीन पर
- l-dīni
- ٱلدِّينِ
- दीन पर
- kullihi
- كُلِّهِۦ
- सबके सब
- walaw
- وَلَوْ
- और अगरचे
- kariha
- كَرِهَ
- नापसंद करें
- l-mush'rikūna
- ٱلْمُشْرِكُونَ
- मुशरिक
वही है जिसने अपने रसूल को मार्गदर्शन और सत्यधर्म के साथ भेजा ताकि उसे तमाम दीन (धर्म) पर प्रभावी कर दे, चाहे मुशरिकों को बुरा लगे ([९] अत-तौबा: 33)Tafseer (तफ़सीर )
۞ يٰٓاَيُّهَا الَّذِينَ اٰمَنُوْٓا اِنَّ كَثِيْرًا مِّنَ الْاَحْبَارِ وَالرُّهْبَانِ لَيَأْكُلُوْنَ اَمْوَالَ النَّاسِ بِالْبَاطِلِ وَيَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۗوَالَّذِيْنَ يَكْنِزُوْنَ الذَّهَبَ وَالْفِضَّةَ وَلَا يُنْفِقُوْنَهَا فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۙفَبَشِّرْهُمْ بِعَذَابٍ اَلِيْمٍۙ ٣٤
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوٓا۟
- ईमान लाए हो
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- kathīran
- كَثِيرًا
- बहुत से
- mina
- مِّنَ
- उलमा में से
- l-aḥbāri
- ٱلْأَحْبَارِ
- उलमा में से
- wal-ruh'bāni
- وَٱلرُّهْبَانِ
- और राहिबों में से
- layakulūna
- لَيَأْكُلُونَ
- अलबत्ता खाते हैं
- amwāla
- أَمْوَٰلَ
- माल
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- लोगों के
- bil-bāṭili
- بِٱلْبَٰطِلِ
- नाहक़
- wayaṣuddūna
- وَيَصُدُّونَ
- और वो रोकते हैं
- ʿan
- عَن
- अल्लाह के रास्ते से
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते से
- l-lahi
- ٱللَّهِۗ
- अल्लाह के रास्ते से
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- yaknizūna
- يَكْنِزُونَ
- जमा करते हैं
- l-dhahaba
- ٱلذَّهَبَ
- सोना
- wal-fiḍata
- وَٱلْفِضَّةَ
- और चाँदी
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yunfiqūnahā
- يُنفِقُونَهَا
- वो ख़र्च करते उसे
- fī
- فِى
- अल्लाह के रास्ते में
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते में
- fabashir'hum
- فَبَشِّرْهُم
- पस ख़ुशख़बरी दे दीजिए उन्हें
- biʿadhābin
- بِعَذَابٍ
- अज़ाब
- alīmin
- أَلِيمٍ
- दर्दनाक की
ऐ ईमान लानेवालो! अवश्य ही बहुत-से धर्मज्ञाता और संसार-त्यागी संत ऐसे है जो लोगो को माल नाहक़ खाते है और अल्लाह के मार्ग से रोकते है, और जो लोग सोना और चाँदी एकत्र करके रखते है और उन्हें अल्लाह के मार्ग में ख़र्च नहीं करते, उन्हें दुखद यातना की शुभ-सूचना दे दो ([९] अत-तौबा: 34)Tafseer (तफ़सीर )
يَّوْمَ يُحْمٰى عَلَيْهَا فِيْ نَارِ جَهَنَّمَ فَتُكْوٰى بِهَا جِبَاهُهُمْ وَجُنُوْبُهُمْ وَظُهُوْرُهُمْۗ هٰذَا مَا كَنَزْتُمْ لِاَنْفُسِكُمْ فَذُوْقُوْا مَا كُنْتُمْ تَكْنِزُوْنَ ٣٥
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- yuḥ'mā
- يُحْمَىٰ
- तपाया जाएगा
- ʿalayhā
- عَلَيْهَا
- उस (माल) को
- fī
- فِى
- आग में
- nāri
- نَارِ
- आग में
- jahannama
- جَهَنَّمَ
- जहन्नम की
- fatuk'wā
- فَتُكْوَىٰ
- फिर दाग़ी जाऐंगी
- bihā
- بِهَا
- साथ उसके
- jibāhuhum
- جِبَاهُهُمْ
- पेशानियाँ उनकी
- wajunūbuhum
- وَجُنُوبُهُمْ
- और पहलू उनके
- waẓuhūruhum
- وَظُهُورُهُمْۖ
- और पुश्तें उनकी
- hādhā
- هَٰذَا
- ये है
- mā
- مَا
- जो
- kanaztum
- كَنَزْتُمْ
- जमा किया तुमने
- li-anfusikum
- لِأَنفُسِكُمْ
- अपने नफ़्सों के लिए
- fadhūqū
- فَذُوقُوا۟
- पस मज़ा चखो
- mā
- مَا
- जो
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- taknizūna
- تَكْنِزُونَ
- तुम जमा करते
जिस दिन उनको जहन्नम की आग में तपाया जाएगा फिर उससे उनके ललाटो और उनके पहलुओ और उनकी पीठों को दाग़ा जाएगा (और कहा जाएगा), 'यहीं है जो तुमने अपने लिए संचय किया, तो जो कुछ तुम संचित करते रहे हो, उसका मज़ा चखो!' ([९] अत-तौबा: 35)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ عِدَّةَ الشُّهُوْرِ عِنْدَ اللّٰهِ اثْنَا عَشَرَ شَهْرًا فِيْ كِتٰبِ اللّٰهِ يَوْمَ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ مِنْهَآ اَرْبَعَةٌ حُرُمٌ ۗذٰلِكَ الدِّيْنُ الْقَيِّمُ ەۙ فَلَا تَظْلِمُوْا فِيْهِنَّ اَنْفُسَكُمْ وَقَاتِلُوا الْمُشْرِكِيْنَ كَاۤفَّةً كَمَا يُقَاتِلُوْنَكُمْ كَاۤفَّةً ۗوَاعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ مَعَ الْمُتَّقِيْنَ ٣٦
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- ʿiddata
- عِدَّةَ
- गिनती
- l-shuhūri
- ٱلشُّهُورِ
- महीनों की
- ʿinda
- عِندَ
- अल्लाह के नज़दीक
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के नज़दीक
- ith'nā
- ٱثْنَا
- बारह
- ʿashara
- عَشَرَ
- बारह
- shahran
- شَهْرًا
- महीने है
- fī
- فِى
- अल्लाह की किताब में
- kitābi
- كِتَٰبِ
- अल्लाह की किताब में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की किताब में
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- khalaqa
- خَلَقَ
- उसने पैदा किया
- l-samāwāti
- ٱلسَّمَٰوَٰتِ
- आसमानों को
- wal-arḍa
- وَٱلْأَرْضَ
- और ज़मीन को
- min'hā
- مِنْهَآ
- उनमें से
- arbaʿatun
- أَرْبَعَةٌ
- चार
- ḥurumun
- حُرُمٌۚ
- हुरमत वाले हैं
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये है
- l-dīnu
- ٱلدِّينُ
- दीन
- l-qayimu
- ٱلْقَيِّمُۚ
- दुरुस्त
- falā
- فَلَا
- पस ना
- taẓlimū
- تَظْلِمُوا۟
- तुम ज़ुल्म करो
- fīhinna
- فِيهِنَّ
- इनमें
- anfusakum
- أَنفُسَكُمْۚ
- अपने नफ़्सों पर
- waqātilū
- وَقَٰتِلُوا۟
- और जंग करो
- l-mush'rikīna
- ٱلْمُشْرِكِينَ
- मुशरिकीन से
- kāffatan
- كَآفَّةً
- इकट्ठे
- kamā
- كَمَا
- जैसा कि
- yuqātilūnakum
- يُقَٰتِلُونَكُمْ
- वो जंग करते हैं तुमसे
- kāffatan
- كَآفَّةًۚ
- इकट्ठे
- wa-iʿ'lamū
- وَٱعْلَمُوٓا۟
- और जान लो
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- maʿa
- مَعَ
- साथ है
- l-mutaqīna
- ٱلْمُتَّقِينَ
- मुत्तक़ी लोगों के
निस्संदेह महीनों की संख्या - अल्लाह के अध्यादेश में उस दिन से जब उसने आकाशों और धरती को पैदा किया - अल्लाह की दृष्टि में बारह महीने है। उनमें चार आदर के है, यही सीधा दीन (धर्म) है। अतः तुम उन (महीनों) में अपने ऊपर अत्याचार न करो। और मुशरिकों से तुम सबके सब लड़ो, जिस प्रकार वे सब मिलकर तुमसे लड़ते है। और जान लो कि अल्लाह डर रखनेवालों के साथ है ([९] अत-तौबा: 36)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّمَا النَّسِيْۤءُ زِيَادَةٌ فِى الْكُفْرِ يُضَلُّ بِهِ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا يُحِلُّوْنَهٗ عَامًا وَّيُحَرِّمُوْنَهٗ عَامًا لِّيُوَاطِـُٔوْا عِدَّةَ مَا حَرَّمَ اللّٰهُ فَيُحِلُّوْا مَا حَرَّمَ اللّٰهُ ۗزُيِّنَ لَهُمْ سُوْۤءُ اَعْمَالِهِمْۗ وَاللّٰهُ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الْكٰفِرِيْنَ ࣖ ٣٧
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- l-nasīu
- ٱلنَّسِىٓءُ
- महीनों को आगे पीछे करना
- ziyādatun
- زِيَادَةٌ
- ज़्यादती है
- fī
- فِى
- कुफ़्र में
- l-kuf'ri
- ٱلْكُفْرِۖ
- कुफ़्र में
- yuḍallu
- يُضَلُّ
- गुमराह किए जाते हैं
- bihi
- بِهِ
- साथ उसके
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- yuḥillūnahu
- يُحِلُّونَهُۥ
- वो हलाल करते हैं उसे
- ʿāman
- عَامًا
- एक साल
- wayuḥarrimūnahu
- وَيُحَرِّمُونَهُۥ
- और हराम करते हैं उसे
- ʿāman
- عَامًا
- एक साल
- liyuwāṭiū
- لِّيُوَاطِـُٔوا۟
- ताकि वो दुरुस्त कर लें
- ʿiddata
- عِدَّةَ
- गिनती
- mā
- مَا
- उनकी जो
- ḥarrama
- حَرَّمَ
- हराम ठहराए
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- fayuḥillū
- فَيُحِلُّوا۟
- पस वो हलाल करते हैं
- mā
- مَا
- जो
- ḥarrama
- حَرَّمَ
- हराम किया
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह ने
- zuyyina
- زُيِّنَ
- मुज़य्यन कर दिए गए
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- sūu
- سُوٓءُ
- बुरे
- aʿmālihim
- أَعْمَٰلِهِمْۗ
- आमाल उनके
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं हिदायत देता
- yahdī
- يَهْدِى
- नहीं हिदायत देता
- l-qawma
- ٱلْقَوْمَ
- उन लोगों को
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- जो काफ़िर हैं
(आदर के महीनों का) हटाना तो बस कुफ़्र में एक बृद्धि है, जिससे इनकार करनेवाले गुमराही में पड़ते है। किसी वर्ष वे उसे हलाल (वैध) ठहरा लेते है और किसी वर्ष उसको हराम ठहरा लेते है, ताकि अल्लाह के आदृत (महीनों) की संख्या पूरी कर लें, और इस प्रकार अल्लाह के हराम किए हुए को वैध ठहरा ले। उनके अपने बुरे कर्म उनके लिए सुहाने हो गए है और अल्लाह इनकार करनेवाले लोगों को सीधा मार्ग नहीं दिखाता ([९] अत-तौबा: 37)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا مَا لَكُمْ اِذَا قِيْلَ لَكُمُ انْفِرُوْا فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ اثَّاقَلْتُمْ اِلَى الْاَرْضِۗ اَرَضِيْتُمْ بِالْحَيٰوةِ الدُّنْيَا مِنَ الْاٰخِرَةِۚ فَمَا مَتَاعُ الْحَيٰوةِ الدُّنْيَا فِى الْاٰخِرَةِ اِلَّا قَلِيْلٌ ٣٨
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- mā
- مَا
- क्या है
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हें
- idhā
- إِذَا
- जब
- qīla
- قِيلَ
- कहा जाता है
- lakumu
- لَكُمُ
- तुमसे
- infirū
- ٱنفِرُوا۟
- निकलो
- fī
- فِى
- अल्लाह के रास्ते में
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते में
- ithāqaltum
- ٱثَّاقَلْتُمْ
- बोझल हो जाते हो तुम
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ ज़मीन के
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِۚ
- तरफ़ ज़मीन के
- araḍītum
- أَرَضِيتُم
- क्या राज़ी हो गए तुम
- bil-ḥayati
- بِٱلْحَيَوٰةِ
- ज़िन्दगी पर
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया की
- mina
- مِنَ
- आख़िरत के (मुक़ाबले में)
- l-ākhirati
- ٱلْءَاخِرَةِۚ
- आख़िरत के (मुक़ाबले में)
- famā
- فَمَا
- तो नहीं
- matāʿu
- مَتَٰعُ
- सामान
- l-ḥayati
- ٱلْحَيَوٰةِ
- ज़िन्दगी का
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया की
- fī
- فِى
- आख़िरत के (मुक़ाबले में)
- l-ākhirati
- ٱلْءَاخِرَةِ
- आख़िरत के (मुक़ाबले में)
- illā
- إِلَّا
- मगर
- qalīlun
- قَلِيلٌ
- बहुत थोड़ा
ऐ ईमान लानेवालो! तुम्हें क्या हो गया है कि जब तुमसे कहा जाता है, 'अल्लाह के मार्ग में निकलो' तो तुम धरती पर ढहे जाते हो? क्या तुम आख़िरत की अपेक्षा सांसारिक जीवन पर राज़ी हो गए? सांसारिक जीवन की सुख-सामग्री तो आख़िरत के हिसाब में है कुछ थोड़ी ही! ([९] अत-तौबा: 38)Tafseer (तफ़सीर )
اِلَّا تَنْفِرُوْا يُعَذِّبْكُمْ عَذَابًا اَلِيمًاۙ وَّيَسْتَبْدِلْ قَوْمًا غَيْرَكُمْ وَلَا تَضُرُّوْهُ شَيْـًٔاۗ وَاللّٰهُ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ٣٩
- illā
- إِلَّا
- अगर नहीं
- tanfirū
- تَنفِرُوا۟
- तुम निकलोगे
- yuʿadhib'kum
- يُعَذِّبْكُمْ
- वो अज़ाब देगा तुम्हें
- ʿadhāban
- عَذَابًا
- अज़ाब
- alīman
- أَلِيمًا
- दर्दनाक
- wayastabdil
- وَيَسْتَبْدِلْ
- और वो बदल देगा
- qawman
- قَوْمًا
- कोई क़ौम
- ghayrakum
- غَيْرَكُمْ
- तुम्हारे अलावा
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- taḍurrūhu
- تَضُرُّوهُ
- तुम ज़रर पहुँचा सकते उसे
- shayan
- شَيْـًٔاۗ
- कुछ भी
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर
- kulli
- كُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ के
- qadīrun
- قَدِيرٌ
- ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
यदि तुम निकालोगे तो वह तुम्हें दुखद यातना देगा और वह तुम्हारी जगह दूसरे गिरोह को ले आएगा और तुम उसका कुछ न बिगाड़ सकोगे। और अल्लाह हर चीज़ की सामर्थ्य रखता है ([९] अत-तौबा: 39)Tafseer (तफ़सीर )
اِلَّا تَنْصُرُوْهُ فَقَدْ نَصَرَهُ اللّٰهُ اِذْ اَخْرَجَهُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا ثَانِيَ اثْنَيْنِ اِذْ هُمَا فِى الْغَارِ اِذْ يَقُوْلُ لِصَاحِبِهٖ لَا تَحْزَنْ اِنَّ اللّٰهَ مَعَنَاۚ فَاَنْزَلَ اللّٰهُ سَكِيْنَتَهٗ عَلَيْهِ وَاَيَّدَهٗ بِجُنُوْدٍ لَّمْ تَرَوْهَا وَجَعَلَ كَلِمَةَ الَّذِيْنَ كَفَرُوا السُّفْلٰىۗ وَكَلِمَةُ اللّٰهِ هِيَ الْعُلْيَاۗ وَاللّٰهُ عَزِيْزٌ حَكِيْمٌ ٤٠
- illā
- إِلَّا
- अगर नहीं
- tanṣurūhu
- تَنصُرُوهُ
- तुम मदद करोगे उसकी
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- naṣarahu
- نَصَرَهُ
- मदद की उसकी
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- idh
- إِذْ
- जब
- akhrajahu
- أَخْرَجَهُ
- निकाला उसे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन लोगों ने जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- thāniya
- ثَانِىَ
- वो दूसरा (था)
- ith'nayni
- ٱثْنَيْنِ
- दो में
- idh
- إِذْ
- जब वो दोनों
- humā
- هُمَا
- जब वो दोनों
- fī
- فِى
- ग़ार में थे
- l-ghāri
- ٱلْغَارِ
- ग़ार में थे
- idh
- إِذْ
- जब
- yaqūlu
- يَقُولُ
- वो कह रहा था
- liṣāḥibihi
- لِصَٰحِبِهِۦ
- अपने साथी से
- lā
- لَا
- ना तुम ग़म करो
- taḥzan
- تَحْزَنْ
- ना तुम ग़म करो
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- maʿanā
- مَعَنَاۖ
- हमारे साथ है
- fa-anzala
- فَأَنزَلَ
- तो उतारी
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- sakīnatahu
- سَكِينَتَهُۥ
- सकीनत अपनी
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- wa-ayyadahu
- وَأَيَّدَهُۥ
- और उसने ताईद की उसकी
- bijunūdin
- بِجُنُودٍ
- ऐसे लश्करों से
- lam
- لَّمْ
- नहीं
- tarawhā
- تَرَوْهَا
- तुमने देखा उन्हें
- wajaʿala
- وَجَعَلَ
- और कर दिया
- kalimata
- كَلِمَةَ
- बात को
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनकी जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- l-suf'lā
- ٱلسُّفْلَىٰۗ
- पस्त
- wakalimatu
- وَكَلِمَةُ
- और बात
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- hiya
- هِىَ
- वो ही
- l-ʿul'yā
- ٱلْعُلْيَاۗ
- बुलन्द है
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और है अल्लाह
- ʿazīzun
- عَزِيزٌ
- बहुत ज़बरदस्त
- ḥakīmun
- حَكِيمٌ
- खूब हिकमत वाला
यदि तुम उसकी सहायता न भी करो तो अल्लाह उसकी सहायता उस समय कर चुका है जब इनकार करनेवालों ने उसे इस स्थिति में निकाला कि वह केवल दो में का दूसरा था, जब वे दोनों गुफ़ा में थे। जबकि वह अपने साथी से कह रहा था, 'शोकाकुल न हो। अवश्यमेव अल्लाह हमारे साथ है।' फिर अल्लाह ने उसपर अपनी ओर से सकीनत (प्रशान्ति) उतारी और उसकी सहायता ऐसी सेनाओं से की जिन्हें तुम देख न सके और इनकार करनेवालों का बोल नीचा कर दिया, बोल तो अल्लाह ही का ऊँचा रहता है। अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशील, तत्वदर्शी है ([९] अत-तौबा: 40)Tafseer (तफ़सीर )