يُبَشِّرُهُمْ رَبُّهُمْ بِرَحْمَةٍ مِّنْهُ وَرِضْوَانٍ وَّجَنّٰتٍ لَّهُمْ فِيْهَا نَعِيْمٌ مُّقِيْمٌۙ ٢١
- yubashiruhum
- يُبَشِّرُهُمْ
- ख़ुशख़बरी देता है उन्हें
- rabbuhum
- رَبُّهُم
- रब उनका
- biraḥmatin
- بِرَحْمَةٍ
- रहमत की
- min'hu
- مِّنْهُ
- अपनी तरफ़ से
- wariḍ'wānin
- وَرِضْوَٰنٍ
- और रज़ामन्दी की
- wajannātin
- وَجَنَّٰتٍ
- और बाग़ात की
- lahum
- لَّهُمْ
- उनके लिए
- fīhā
- فِيهَا
- उनमें
- naʿīmun
- نَعِيمٌ
- नेअमतें हैं
- muqīmun
- مُّقِيمٌ
- क़ायम रहने वाली
उन्हें उनका रब अपना दयालुता और प्रसन्नता और ऐसे बाग़ों की शुभ-सूचना देता है, जिनमें उनके लिए स्थायी सुख-सामग्री है ([९] अत-तौबा: 21)Tafseer (तफ़सीर )
خٰلِدِيْنَ فِيْهَآ اَبَدًا ۗاِنَّ اللّٰهَ عِنْدَهٗٓ اَجْرٌ عَظِيْمٌ ٢٢
- khālidīna
- خَٰلِدِينَ
- हमेशा रहने वाले हैं
- fīhā
- فِيهَآ
- उनमें
- abadan
- أَبَدًاۚ
- हमेशा-हमेशा
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿindahu
- عِندَهُۥٓ
- उसके पास
- ajrun
- أَجْرٌ
- अजर है
- ʿaẓīmun
- عَظِيمٌ
- बहुत बड़ा
उनमें वे सदैव रहेंगे। निस्संदेह अल्लाह के पास बड़ा बदला है ([९] अत-तौबा: 22)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَتَّخِذُوْٓا اٰبَاۤءَكُمْ وَاِخْوَانَكُمْ اَوْلِيَاۤءَ اِنِ اسْتَحَبُّوا الْكُفْرَ عَلَى الْاِيْمَانِۗ وَمَنْ يَّتَوَلَّهُمْ مِّنْكُمْ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الظّٰلِمُوْنَ ٢٣
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- lā
- لَا
- ना तुम बनाओ
- tattakhidhū
- تَتَّخِذُوٓا۟
- ना तुम बनाओ
- ābāakum
- ءَابَآءَكُمْ
- अपने आबा ओ अजदाद को
- wa-ikh'wānakum
- وَإِخْوَٰنَكُمْ
- और अपने भाईयों को
- awliyāa
- أَوْلِيَآءَ
- दोस्त
- ini
- إِنِ
- अगर
- is'taḥabbū
- ٱسْتَحَبُّوا۟
- वो तरजीह दें
- l-kuf'ra
- ٱلْكُفْرَ
- कुफ़्र को
- ʿalā
- عَلَى
- ईमान पर
- l-īmāni
- ٱلْإِيمَٰنِۚ
- ईमान पर
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yatawallahum
- يَتَوَلَّهُم
- दोस्त रखेगा उन्हें
- minkum
- مِّنكُمْ
- तुम में से
- fa-ulāika
- فَأُو۟لَٰٓئِكَ
- तो यही लोग हैं
- humu
- هُمُ
- वो
- l-ẓālimūna
- ٱلظَّٰلِمُونَ
- जो ज़ालिम हैं
ऐ ईमान लानेवालो! अपने बाप और अपने भाइयों को अपने मित्र न बनाओ यदि ईमान के मुक़ाबले में कुफ़्र उन्हें प्रिय हो। तुममें से जो कोई उन्हें अपना मित्र बनाएगा, तो ऐसे ही लोग अत्याचारी होंगे ([९] अत-तौबा: 23)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اِنْ كَانَ اٰبَاۤؤُكُمْ وَاَبْنَاۤؤُكُمْ وَاِخْوَانُكُمْ وَاَزْوَاجُكُمْ وَعَشِيْرَتُكُمْ وَاَمْوَالُ ِۨاقْتَرَفْتُمُوْهَا وَتِجَارَةٌ تَخْشَوْنَ كَسَادَهَا وَمَسٰكِنُ تَرْضَوْنَهَآ اَحَبَّ اِلَيْكُمْ مِّنَ اللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖ وَجِهَادٍ فِيْ سَبِيْلِهٖ فَتَرَبَّصُوْا حَتّٰى يَأْتِيَ اللّٰهُ بِاَمْرِهٖۗ وَاللّٰهُ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الْفٰسِقِيْنَ ࣖ ٢٤
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- in
- إِن
- अगर
- kāna
- كَانَ
- हैं
- ābāukum
- ءَابَآؤُكُمْ
- आबा ओ अजदाद तुम्हारे
- wa-abnāukum
- وَأَبْنَآؤُكُمْ
- और बेटे तुम्हारे
- wa-ikh'wānukum
- وَإِخْوَٰنُكُمْ
- और भाई तुम्हारे
- wa-azwājukum
- وَأَزْوَٰجُكُمْ
- और बीवियाँ तुम्हारी
- waʿashīratukum
- وَعَشِيرَتُكُمْ
- और ख़ानदान तुम्हारे
- wa-amwālun
- وَأَمْوَٰلٌ
- और माल
- iq'taraftumūhā
- ٱقْتَرَفْتُمُوهَا
- कमाया तुमने जिन्हें
- watijāratun
- وَتِجَٰرَةٌ
- और तिजारत
- takhshawna
- تَخْشَوْنَ
- तुम डरते हो
- kasādahā
- كَسَادَهَا
- उसके मन्दा होने से
- wamasākinu
- وَمَسَٰكِنُ
- और घर
- tarḍawnahā
- تَرْضَوْنَهَآ
- तुम पसंद करते हो जिन्हें
- aḥabba
- أَحَبَّ
- ज़्यादा महबूब हैं
- ilaykum
- إِلَيْكُم
- तरफ़ तुम्हारे
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह से
- warasūlihi
- وَرَسُولِهِۦ
- और उसके रसूल से
- wajihādin
- وَجِهَادٍ
- और जिहाद से
- fī
- فِى
- उसके रास्ते में
- sabīlihi
- سَبِيلِهِۦ
- उसके रास्ते में
- fatarabbaṣū
- فَتَرَبَّصُوا۟
- तो इन्तिज़ार करो
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yatiya
- يَأْتِىَ
- ले आए
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- bi-amrihi
- بِأَمْرِهِۦۗ
- फ़ैसला अपना
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं वो हिदायत देता
- yahdī
- يَهْدِى
- नहीं वो हिदायत देता
- l-qawma
- ٱلْقَوْمَ
- उन लोगों को
- l-fāsiqīna
- ٱلْفَٰسِقِينَ
- जो फ़ासिक़ हैं
कह दो, 'यदि तुम्हारे बाप, तुम्हारे बेटे, तुम्हारे भाई, तुम्हारी पत्नि यों और तुम्हारे रिश्ते-नातेवाले और माल, जो तुमने कमाए है और कारोबार जिसके मन्दा पड़ जाने का तुम्हें भय है और घर जिन्हें तुम पसन्द करते हो, तुम्हे अल्लाह और उसके रसूल और उसके मार्ग में जिहाद करने से अधिक प्रिय है तो प्रतीक्षा करो, यहाँ तक कि अल्लाह अपना फ़ैसला ले आए। औऱ अल्लाह अवज्ञाकारियों को मार्ग नहीं दिखाता।' ([९] अत-तौबा: 24)Tafseer (तफ़सीर )
لَقَدْ نَصَرَكُمُ اللّٰهُ فِيْ مَوَاطِنَ كَثِيْرَةٍۙ وَّيَوْمَ حُنَيْنٍۙ اِذْ اَعْجَبَتْكُمْ كَثْرَتُكُمْ فَلَمْ تُغْنِ عَنْكُمْ شَيْـًٔا وَّضَاقَتْ عَلَيْكُمُ الْاَرْضُ بِمَا رَحُبَتْ ثُمَّ وَلَّيْتُمْ مُّدْبِرِيْنَۚ ٢٥
- laqad
- لَقَدْ
- अलबत्ता तहक़ीक़
- naṣarakumu
- نَصَرَكُمُ
- मदद की तुम्हारी
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- fī
- فِى
- जगहों में
- mawāṭina
- مَوَاطِنَ
- जगहों में
- kathīratin
- كَثِيرَةٍۙ
- बहुत सी
- wayawma
- وَيَوْمَ
- और हुनैन के दिन
- ḥunaynin
- حُنَيْنٍۙ
- और हुनैन के दिन
- idh
- إِذْ
- जब
- aʿjabatkum
- أَعْجَبَتْكُمْ
- भली लगी तुम्हें
- kathratukum
- كَثْرَتُكُمْ
- कसरत तुम्हारी
- falam
- فَلَمْ
- पस ना
- tugh'ni
- تُغْنِ
- उसने फ़ायदा दिया
- ʿankum
- عَنكُمْ
- तुम्हें
- shayan
- شَيْـًٔا
- कुछ भी
- waḍāqat
- وَضَاقَتْ
- और तंग हो गई
- ʿalaykumu
- عَلَيْكُمُ
- तुम पर
- l-arḍu
- ٱلْأَرْضُ
- ज़मीन
- bimā
- بِمَا
- बावजूद उसके जो
- raḥubat
- رَحُبَتْ
- कुशादा थी
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- wallaytum
- وَلَّيْتُم
- फिर गए तुम
- mud'birīna
- مُّدْبِرِينَ
- पीठ फेर कर
अल्लाह बहुत-से अवसरों पर तुम्हारी सहायता कर चुका है और हुनैन (की लड़ाई) के दिन भी, जब तुम अपनी अधिकता पर फूल गए, तो वह तुम्हारे कुछ काम न आई और धरती अपनी विशालता के बावजूद तुम पर तंग हो गई। फिर तुम पीठ फेरकर भाग खड़े हुए ([९] अत-तौबा: 25)Tafseer (तफ़सीर )
ثُمَّ اَنْزَلَ اللّٰهُ سَكِيْنَتَهٗ عَلٰى رَسُوْلِهٖ وَعَلَى الْمُؤْمِنِيْنَ وَاَنْزَلَ جُنُوْدًا لَّمْ تَرَوْهَا وَعَذَّبَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْاۗ وَذٰلِكَ جَزَاۤءُ الْكٰفِرِيْنَ ٢٦
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- anzala
- أَنزَلَ
- उतारी
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- sakīnatahu
- سَكِينَتَهُۥ
- सकीनत अपनी
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपने रसूल पर
- rasūlihi
- رَسُولِهِۦ
- अपने रसूल पर
- waʿalā
- وَعَلَى
- और मोमिनों पर
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- और मोमिनों पर
- wa-anzala
- وَأَنزَلَ
- और उसने उतारे
- junūdan
- جُنُودًا
- ऐसे लश्कर
- lam
- لَّمْ
- नहीं
- tarawhā
- تَرَوْهَا
- नहीं देखा तुमने उन्हें
- waʿadhaba
- وَعَذَّبَ
- और उसने अज़ाब दिया
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟ۚ
- कुफ़्र किया
- wadhālika
- وَذَٰلِكَ
- और यही है
- jazāu
- جَزَآءُ
- बदला
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों का
अन्ततः अल्लाह ने अपने रसूल पर और मोमिनों पर अपनी सकीनत (प्रशान्ति) उतारी और ऐसी सेनाएँ उतारी जिनको तुमने नहीं देखा। और इनकार करनेवालों को यातना दी, और यही इनकार करनेवालों का बदला है ([९] अत-तौबा: 26)Tafseer (तफ़सीर )
ثُمَّ يَتُوْبُ اللّٰهُ مِنْۢ بَعْدِ ذٰلِكَ عَلٰى مَنْ يَّشَاۤءُۗ وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٢٧
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- yatūbu
- يَتُوبُ
- मेहरबान होगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- min
- مِنۢ
- बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- इसके
- ʿalā
- عَلَىٰ
- जिस पर
- man
- مَن
- जिस पर
- yashāu
- يَشَآءُۗ
- वो चाहेगा
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
फिर इसके बाद अल्लाह जिसको चाहता है उसे तौबा नसीब करता है। अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है ([९] अत-तौबा: 27)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِنَّمَا الْمُشْرِكُوْنَ نَجَسٌ فَلَا يَقْرَبُوا الْمَسْجِدَ الْحَرَامَ بَعْدَ عَامِهِمْ هٰذَا ۚوَاِنْ خِفْتُمْ عَيْلَةً فَسَوْفَ يُغْنِيْكُمُ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖٓ اِنْ شَاۤءَۗ اِنَّ اللّٰهَ عَلِيْمٌ حَكِيْمٌ ٢٨
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوٓا۟
- ईमान लाए हो
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- l-mush'rikūna
- ٱلْمُشْرِكُونَ
- मुशरिकीन
- najasun
- نَجَسٌ
- नापाक हैं
- falā
- فَلَا
- तो ना
- yaqrabū
- يَقْرَبُوا۟
- वो क़रीब आऐं
- l-masjida
- ٱلْمَسْجِدَ
- मस्जिदे
- l-ḥarāma
- ٱلْحَرَامَ
- हराम के
- baʿda
- بَعْدَ
- बाद
- ʿāmihim
- عَامِهِمْ
- अपने इस साल के
- hādhā
- هَٰذَاۚ
- अपने इस साल के
- wa-in
- وَإِنْ
- और अगर
- khif'tum
- خِفْتُمْ
- ख़ौफ़ हो तुम्हें
- ʿaylatan
- عَيْلَةً
- मुफ़लिसी का
- fasawfa
- فَسَوْفَ
- तो अनक़रीब
- yugh'nīkumu
- يُغْنِيكُمُ
- ग़नी कर देगा तुम्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- min
- مِن
- अपने फ़ज़ल से
- faḍlihi
- فَضْلِهِۦٓ
- अपने फ़ज़ल से
- in
- إِن
- अगर
- shāa
- شَآءَۚ
- वो चाहे
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब इल्म वाला है
- ḥakīmun
- حَكِيمٌ
- बहत हिकमत वाला है
ऐ ईमान लानेवालो! मुशरिक तो बस अपवित्र ही है। अतः इस वर्ष के पश्चात वे मस्जिदे हराम के पास न आएँ। और यदि तुम्हें निर्धनता का भय हो तो आगे यदि अल्लाह चाहेगा तो तुम्हें अपने अनुग्रह से समृद्ध कर देगा। निश्चय ही अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, अत्यन्त तत्वदर्शी है ([९] अत-तौबा: 28)Tafseer (तफ़सीर )
قَاتِلُوا الَّذِيْنَ لَا يُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَلَا بِالْيَوْمِ الْاٰخِرِ وَلَا يُحَرِّمُوْنَ مَا حَرَّمَ اللّٰهُ وَرَسُوْلُهٗ وَلَا يَدِيْنُوْنَ دِيْنَ الْحَقِّ مِنَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ حَتّٰى يُعْطُوا الْجِزْيَةَ عَنْ يَّدٍ وَّهُمْ صَاغِرُوْنَ ࣖ ٢٩
- qātilū
- قَٰتِلُوا۟
- जंग करो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनसे जो
- lā
- لَا
- नहीं
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- नहीं वो ईमान रखते
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- walā
- وَلَا
- और ना
- bil-yawmi
- بِٱلْيَوْمِ
- आख़िरी दिन पर
- l-ākhiri
- ٱلْءَاخِرِ
- आख़िरी दिन पर
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yuḥarrimūna
- يُحَرِّمُونَ
- वो हराम समझते
- mā
- مَا
- जो
- ḥarrama
- حَرَّمَ
- हराम किया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- warasūluhu
- وَرَسُولُهُۥ
- और उसके रसूल ने
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yadīnūna
- يَدِينُونَ
- वो दीन बनाते
- dīna
- دِينَ
- दीने
- l-ḥaqi
- ٱلْحَقِّ
- हक़ को
- mina
- مِنَ
- उनमें से जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनमें से जो
- ūtū
- أُوتُوا۟
- दिए गए
- l-kitāba
- ٱلْكِتَٰبَ
- किताब
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yuʿ'ṭū
- يُعْطُوا۟
- वो दे दें
- l-jiz'yata
- ٱلْجِزْيَةَ
- जिज़या
- ʿan
- عَن
- हाथ से
- yadin
- يَدٍ
- हाथ से
- wahum
- وَهُمْ
- इस हाल में कि वो
- ṣāghirūna
- صَٰغِرُونَ
- ज़लील हों
वे किताबवाले जो न अल्लाह पर ईमान रखते है और न अन्तिम दिन पर और न अल्लाह और उसके रसूल के हराम ठहराए हुए को हराम ठहराते है और न सत्यधर्म का अनुपालन करते है, उनसे लड़ो, यहाँ तक कि वे सत्ता से विलग होकर और छोटे (अधीनस्थ) बनकर जिज़्या देने लगे ([९] अत-तौबा: 29)Tafseer (तफ़सीर )
وَقَالَتِ الْيَهُوْدُ عُزَيْرُ ِۨابْنُ اللّٰهِ وَقَالَتِ النَّصٰرَى الْمَسِيْحُ ابْنُ اللّٰهِ ۗذٰلِكَ قَوْلُهُمْ بِاَفْوَاهِهِمْۚ يُضَاهِـُٔوْنَ قَوْلَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ قَبْلُ ۗقَاتَلَهُمُ اللّٰهُ ۚ اَنّٰى يُؤْفَكُوْنَ ٣٠
- waqālati
- وَقَالَتِ
- और कहा
- l-yahūdu
- ٱلْيَهُودُ
- यहूद ने
- ʿuzayrun
- عُزَيْرٌ
- उज़ैर
- ub'nu
- ٱبْنُ
- बेटे हैं
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- waqālati
- وَقَالَتِ
- और कहा
- l-naṣārā
- ٱلنَّصَٰرَى
- नसारा ने
- l-masīḥu
- ٱلْمَسِيحُ
- मसीह
- ub'nu
- ٱبْنُ
- बेटे हैं
- l-lahi
- ٱللَّهِۖ
- अल्लाह के
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- qawluhum
- قَوْلُهُم
- बात है उनकी
- bi-afwāhihim
- بِأَفْوَٰهِهِمْۖ
- उनके मुँहों से
- yuḍāhiūna
- يُضَٰهِـُٔونَ
- वो नक़ल करते हैं
- qawla
- قَوْلَ
- बात
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनकी जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- min
- مِن
- इससे पहले
- qablu
- قَبْلُۚ
- इससे पहले
- qātalahumu
- قَٰتَلَهُمُ
- हलाक करे उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह
- annā
- أَنَّىٰ
- कहाँ से
- yu'fakūna
- يُؤْفَكُونَ
- वो फेरे जाते हैं
यहूदी करते है, 'उज़ैर अल्लाह का बेटा है।' और ईसाई कहते है, 'मसीह अल्लाह का बेटा है।' ये उनकी अपने मुँह की बातें हैं। ये उन लोगों की-सी बातें कर रहे है जो इससे पहले इनकार कर चुके है। अल्लाह की मार इन पर! ये कहाँ से औधे हुए जा रहे हैं! ([९] अत-तौबा: 30)Tafseer (तफ़सीर )