فَاِنْ تَابُوْا وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتَوُا الزَّكٰوةَ فَاِخْوَانُكُمْ فِى الدِّيْنِ ۗوَنُفَصِّلُ الْاٰيٰتِ لِقَوْمٍ يَّعْلَمُوْنَ ١١
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- tābū
- تَابُوا۟
- वो तौबा कर लें
- wa-aqāmū
- وَأَقَامُوا۟
- और वो क़ायम करें
- l-ṣalata
- ٱلصَّلَوٰةَ
- नमाज़
- waātawū
- وَءَاتَوُا۟
- और वो अदा करें
- l-zakata
- ٱلزَّكَوٰةَ
- ज़कात
- fa-ikh'wānukum
- فَإِخْوَٰنُكُمْ
- तो भाई हैं तुम्हारे
- fī
- فِى
- दीन में
- l-dīni
- ٱلدِّينِۗ
- दीन में
- wanufaṣṣilu
- وَنُفَصِّلُ
- और हम खोल-खोल कर बयान करते हैं
- l-āyāti
- ٱلْءَايَٰتِ
- आयात को
- liqawmin
- لِقَوْمٍ
- उन लोगों के लिए
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- जो इल्म रखते हैं
अतः यदि वे तौबा कर लें और नमाज़ क़ायम करें और ज़कात दें तो वे धर्म के भाई हैं। और हम उन लोगों के लिए आयतें खोल-खोलकर बयान करते हैं, जो जानना चाहें ([९] अत-तौबा: 11)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنْ نَّكَثُوْٓا اَيْمَانَهُمْ مِّنْۢ بَعْدِ عَهْدِهِمْ وَطَعَنُوْا فِيْ دِيْنِكُمْ فَقَاتِلُوْٓا اَىِٕمَّةَ الْكُفْرِۙ اِنَّهُمْ لَآ اَيْمَانَ لَهُمْ لَعَلَّهُمْ يَنْتَهُوْنَ ١٢
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- nakathū
- نَّكَثُوٓا۟
- वो तोड़ दें
- aymānahum
- أَيْمَٰنَهُم
- अपनी क़समें
- min
- مِّنۢ
- बाद
- baʿdi
- بَعْدِ
- बाद
- ʿahdihim
- عَهْدِهِمْ
- अपने अहद करने के
- waṭaʿanū
- وَطَعَنُوا۟
- और वो तअन(ताना) करें
- fī
- فِى
- तुम्हारे दीन में
- dīnikum
- دِينِكُمْ
- तुम्हारे दीन में
- faqātilū
- فَقَٰتِلُوٓا۟
- तो जंग करो
- a-immata
- أَئِمَّةَ
- इमामों से
- l-kuf'ri
- ٱلْكُفْرِۙ
- कुफ़्र के
- innahum
- إِنَّهُمْ
- बेशक वो
- lā
- لَآ
- नहीं हैं कोई क़समें
- aymāna
- أَيْمَٰنَ
- नहीं हैं कोई क़समें
- lahum
- لَهُمْ
- उनकी
- laʿallahum
- لَعَلَّهُمْ
- ताकि वो
- yantahūna
- يَنتَهُونَ
- वो रुक जाऐं
और यदि अपने अभिवचन के पश्चात वे अपनी क़समॊं कॊ तॊड़ डालॆं और तुम्हारॆ दीन (धर्म) पर चॊटें करनॆ लगॆं, तॊ फिर कुफ़्र (अधर्म) कॆ सरदारों सॆ युद्ध करॊ, उनकी क़समॆं कुछ नहीं, ताकि वॆ बाज़ आ जाऐं। ([९] अत-तौबा: 12)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَا تُقَاتِلُوْنَ قَوْمًا نَّكَثُوْٓا اَيْمَانَهُمْ وَهَمُّوْا بِاِخْرَاجِ الرَّسُوْلِ وَهُمْ بَدَءُوْكُمْ اَوَّلَ مَرَّةٍۗ اَتَخْشَوْنَهُمْ ۚفَاللّٰهُ اَحَقُّ اَنْ تَخْشَوْهُ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِيْنَ ١٣
- alā
- أَلَا
- क्या नहीं
- tuqātilūna
- تُقَٰتِلُونَ
- तुम जंग करोगे
- qawman
- قَوْمًا
- ऐसी क़ौम से
- nakathū
- نَّكَثُوٓا۟
- जिन्होंने तोड़ दीं
- aymānahum
- أَيْمَٰنَهُمْ
- अपनी क़समें
- wahammū
- وَهَمُّوا۟
- और उन्होंने इरादा किया
- bi-ikh'rāji
- بِإِخْرَاجِ
- निकालने का
- l-rasūli
- ٱلرَّسُولِ
- रसूल को
- wahum
- وَهُم
- हालाँकि वो
- badaūkum
- بَدَءُوكُمْ
- उन्होंने इब्तिदा की थी तुमसे
- awwala
- أَوَّلَ
- पहली मर्तबा
- marratin
- مَرَّةٍۚ
- पहली मर्तबा
- atakhshawnahum
- أَتَخْشَوْنَهُمْۚ
- क्या तुम डरते हो उनसे
- fal-lahu
- فَٱللَّهُ
- तो अल्लाह
- aḥaqqu
- أَحَقُّ
- ज़्यादा हक़दार है
- an
- أَن
- कि
- takhshawhu
- تَخْشَوْهُ
- तुम डरो उससे
- in
- إِن
- अगर
- kuntum
- كُنتُم
- हो तुम
- mu'minīna
- مُّؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वाले
क्या तुम ऐसॆ लॊगॊं सॆ नहीं लड़ॊगॆ जिन्हॊंनॆ अपनी क़समों को तोड़ डालीं और रसूल को निकाल देना चाहा और वही हैं जिन्होंने तुमसे छेड़ में पहल की? क्या तुम उनसे डरते हो? यदि तुम मोमिन हो तो इसका ज़्यादा हक़दार अल्लाह है कि तुम उससे डरो ([९] अत-तौबा: 13)Tafseer (तफ़सीर )
قَاتِلُوْهُمْ يُعَذِّبْهُمُ اللّٰهُ بِاَيْدِيْكُمْ وَيُخْزِهِمْ وَيَنْصُرْكُمْ عَلَيْهِمْ وَيَشْفِ صُدُوْرَ قَوْمٍ مُّؤْمِنِيْنَۙ ١٤
- qātilūhum
- قَٰتِلُوهُمْ
- जंग करो उनसे
- yuʿadhib'humu
- يُعَذِّبْهُمُ
- अज़ाब देगा उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- bi-aydīkum
- بِأَيْدِيكُمْ
- तुम्हारे लिए
- wayukh'zihim
- وَيُخْزِهِمْ
- और वो रुस्वा करेगा उन्हें
- wayanṣur'kum
- وَيَنصُرْكُمْ
- और वो मदद करेगा तुम्हारी
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उनके ख़िलाफ़
- wayashfi
- وَيَشْفِ
- और वो शिफ़ा बख़्शेगा
- ṣudūra
- صُدُورَ
- सीनों को
- qawmin
- قَوْمٍ
- मोमिन क़ौम के
- mu'minīna
- مُّؤْمِنِينَ
- मोमिन क़ौम के
उनसे लड़ो। अल्लाह तुम्हारे हाथों से उन्हें यातना देगा और उन्हें अपमानित करेगा और उनके मुक़ाबले में वह तुम्हारी सहायता करेगा। और ईमानवाले लोगों के दिलों का दुखमोचन करेगा; ([९] अत-तौबा: 14)Tafseer (तफ़सीर )
وَيُذْهِبْ غَيْظَ قُلُوْبِهِمْۗ وَيَتُوْبُ اللّٰهُ عَلٰى مَنْ يَّشَاۤءُۗ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌ حَكِيْمٌ ١٥
- wayudh'hib
- وَيُذْهِبْ
- और वो ले जाएगा
- ghayẓa
- غَيْظَ
- ग़ुस्सा
- qulūbihim
- قُلُوبِهِمْۗ
- उनके दिलों का
- wayatūbu
- وَيَتُوبُ
- और मेहरबान होगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿalā
- عَلَىٰ
- ऊपर जिसके
- man
- مَن
- ऊपर जिसके
- yashāu
- يَشَآءُۗ
- वो चाहेगा
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब इल्म वाला है
- ḥakīmun
- حَكِيمٌ
- बहुत हिकमत वाला है
उनके दिलों का क्रोध मिटाएगा, अल्लाह जिसे चाहेगा, उसपर दया-दृष्टि डालेगा। अल्लाह सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है ([९] अत-तौबा: 15)Tafseer (तफ़सीर )
اَمْ حَسِبْتُمْ اَنْ تُتْرَكُوْا وَلَمَّا يَعْلَمِ اللّٰهُ الَّذِيْنَ جَاهَدُوْا مِنْكُمْ وَلَمْ يَتَّخِذُوْا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ وَلَا رَسُوْلِهٖ وَلَا الْمُؤْمِنِيْنَ وَلِيْجَةً ۗوَاللّٰهُ خَبِيْرٌۢ بِمَا تَعْمَلُوْنَ ࣖ ١٦
- am
- أَمْ
- क्या
- ḥasib'tum
- حَسِبْتُمْ
- गुमान किया तुमने
- an
- أَن
- कि
- tut'rakū
- تُتْرَكُوا۟
- तुम छोड़ दिए जाओगे
- walammā
- وَلَمَّا
- हालाँकि अभी तक नहीं
- yaʿlami
- يَعْلَمِ
- जाना
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जिन्होंने
- jāhadū
- جَٰهَدُوا۟
- जिहाद किया
- minkum
- مِنكُمْ
- तुम में से
- walam
- وَلَمْ
- और नहीं
- yattakhidhū
- يَتَّخِذُوا۟
- उन्होंने बनाया
- min
- مِن
- सिवाय
- dūni
- دُونِ
- सिवाय
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- walā
- وَلَا
- और ना
- rasūlihi
- رَسُولِهِۦ
- उसके रसूल के
- walā
- وَلَا
- और ना
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों के
- walījatan
- وَلِيجَةًۚ
- कोई दिली दोस्त
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- khabīrun
- خَبِيرٌۢ
- ख़ूब ख़बर रखने वाला है
- bimā
- بِمَا
- उसकी जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
क्या तुमने यह समझ रखा है कि तुम ऐसे ही छोड़ दिए जाओगे, हालाँकि अल्लाह ने अभी उन लोगों को छाँटा ही नहीं, जिन्होंने तुममें से जिहाद किया और अल्लाह और उसके रसूल और मोमिनों को छोड़कर किसी को घनिष्ठ मित्र नहीं बनाया? तुम जो कुछ भी करते हो, अल्लाह उसकी ख़बर रखता है ([९] अत-तौबा: 16)Tafseer (तफ़सीर )
مَا كَانَ لِلْمُشْرِكِيْنَ اَنْ يَّعْمُرُوْا مَسٰجِدَ اللّٰهِ شٰهِدِيْنَ عَلٰٓى اَنْفُسِهِمْ بِالْكُفْرِۗ اُولٰۤىِٕكَ حَبِطَتْ اَعْمَالُهُمْۚ وَ فِى النَّارِ هُمْ خٰلِدُوْنَ ١٧
- mā
- مَا
- नहीं
- kāna
- كَانَ
- है
- lil'mush'rikīna
- لِلْمُشْرِكِينَ
- मुशरिकीन के लिए
- an
- أَن
- कि
- yaʿmurū
- يَعْمُرُوا۟
- वो आबाद करें
- masājida
- مَسَٰجِدَ
- मस्जिदें
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- shāhidīna
- شَٰهِدِينَ
- शहादत देने वाले
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- अपने नफ़्सों पर
- anfusihim
- أَنفُسِهِم
- अपने नफ़्सों पर
- bil-kuf'ri
- بِٱلْكُفْرِۚ
- कुफ़्र की
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- ḥabiṭat
- حَبِطَتْ
- ज़ाया हो गए
- aʿmāluhum
- أَعْمَٰلُهُمْ
- आमाल उनके
- wafī
- وَفِى
- और आग में
- l-nāri
- ٱلنَّارِ
- और आग में
- hum
- هُمْ
- वो
- khālidūna
- خَٰلِدُونَ
- हमेशा रहने वाले हैं
यह मुशरिकों का काम नहीं कि वे अल्लाह की मस्जिदों को आबाद करें और उसके प्रबंधक हों, जबकि वे स्वयं अपने विरुद्ध कुफ़्र की गवाही दे रहे है। उन लोगों का सारा किया-धरा अकारथ गया और वे आग में सदैव रहेंगे ([९] अत-तौबा: 17)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّمَا يَعْمُرُ مَسٰجِدَ اللّٰهِ مَنْ اٰمَنَ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ وَاَقَامَ الصَّلٰوةَ وَاٰتَى الزَّكٰوةَ وَلَمْ يَخْشَ اِلَّا اللّٰهَ ۗفَعَسٰٓى اُولٰۤىِٕكَ اَنْ يَّكُوْنُوْا مِنَ الْمُهْتَدِيْنَ ١٨
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- yaʿmuru
- يَعْمُرُ
- आबाद करता है
- masājida
- مَسَٰجِدَ
- मस्जिदें
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की
- man
- مَنْ
- वो जो
- āmana
- ءَامَنَ
- ईमान लाए
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- wal-yawmi
- وَٱلْيَوْمِ
- और आख़िरी दिन पर
- l-ākhiri
- ٱلْءَاخِرِ
- और आख़िरी दिन पर
- wa-aqāma
- وَأَقَامَ
- और वो क़ायम करे
- l-ṣalata
- ٱلصَّلَوٰةَ
- नमाज़
- waātā
- وَءَاتَى
- और वो अदा करे
- l-zakata
- ٱلزَّكَوٰةَ
- ज़कात
- walam
- وَلَمْ
- और ना
- yakhsha
- يَخْشَ
- वो डरे
- illā
- إِلَّا
- सिवाय
- l-laha
- ٱللَّهَۖ
- अल्लाह के
- faʿasā
- فَعَسَىٰٓ
- तो उम्मीद है
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- ये लोग
- an
- أَن
- कि
- yakūnū
- يَكُونُوا۟
- वो होंगे
- mina
- مِنَ
- हिदायत पाने वालों में से
- l-muh'tadīna
- ٱلْمُهْتَدِينَ
- हिदायत पाने वालों में से
अल्लाह की मस्जिदों का प्रबंधक और उसे आबाद करनेवाला वही हो सकता है जो अल्लाह और अंतिम दिन पर ईमान लाया, नमाज़ क़ायम की और ज़कात दी और अल्लाह के सिवा किसी से न डरा। अतः ऐसे ही लोग, आशा है कि सीधा मार्ग पानेवाले होंगे ([९] अत-तौबा: 18)Tafseer (तफ़सीर )
۞ اَجَعَلْتُمْ سِقَايَةَ الْحَاۤجِّ وَعِمَارَةَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ كَمَنْ اٰمَنَ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ وَجَاهَدَ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۗ لَا يَسْتَوٗنَ عِنْدَ اللّٰهِ ۗوَاللّٰهُ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الظّٰلِمِيْنَۘ ١٩
- ajaʿaltum
- أَجَعَلْتُمْ
- क्या बना लिया तुमने
- siqāyata
- سِقَايَةَ
- पानी पिलाना
- l-ḥāji
- ٱلْحَآجِّ
- हाजियों को
- waʿimārata
- وَعِمَارَةَ
- और आबाद करना
- l-masjidi
- ٱلْمَسْجِدِ
- मस्जिदे
- l-ḥarāmi
- ٱلْحَرَامِ
- हराम को
- kaman
- كَمَنْ
- मानिन्द उसके जो
- āmana
- ءَامَنَ
- ईमान लाया
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- wal-yawmi
- وَٱلْيَوْمِ
- और आख़िरी दिन पर
- l-ākhiri
- ٱلْءَاخِرِ
- और आख़िरी दिन पर
- wajāhada
- وَجَٰهَدَ
- और उसने जिहाद किया
- fī
- فِى
- अल्लाह के रास्ते में
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते में
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह के रास्ते में
- lā
- لَا
- नहीं वो बराबर हो सकते
- yastawūna
- يَسْتَوُۥنَ
- नहीं वो बराबर हो सकते
- ʿinda
- عِندَ
- अल्लाह के नज़दीक
- l-lahi
- ٱللَّهِۗ
- अल्लाह के नज़दीक
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं हिदायत देता
- yahdī
- يَهْدِى
- नहीं हिदायत देता
- l-qawma
- ٱلْقَوْمَ
- उन लोगों को
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- जो ज़ालिम हैं
क्या तुमने हाजियों को पानी पिलाने और मस्जिदे हराम (काबा) के प्रबंध को उस क्यक्ति के काम के बराबर ठहरा लिया है, जो अल्लाह और अंतिम दिन पर ईमान लाया और उसने अल्लाह के मार्ग में संघर्ष किया?अल्लाह की दृष्टि में वे बराबर नहीं। और अल्लाह अत्याचारी लोगों को मार्ग नहीं दिखाता ([९] अत-तौबा: 19)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَهَاجَرُوْا وَجَاهَدُوْا فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ بِاَمْوَالِهِمْ وَاَنْفُسِهِمْۙ اَعْظَمُ دَرَجَةً عِنْدَ اللّٰهِ ۗوَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْفَاۤىِٕزُوْنَ ٢٠
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- wahājarū
- وَهَاجَرُوا۟
- और उन्होंने हिजरत की
- wajāhadū
- وَجَٰهَدُوا۟
- और उन्होंने जिहाद किया
- fī
- فِى
- अल्लाह के रास्ते में
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते में
- bi-amwālihim
- بِأَمْوَٰلِهِمْ
- अपने मालों से
- wa-anfusihim
- وَأَنفُسِهِمْ
- और अपनी जानों से
- aʿẓamu
- أَعْظَمُ
- ज़्यादा बड़े हैं
- darajatan
- دَرَجَةً
- दर्जे में
- ʿinda
- عِندَ
- अल्लाह के नज़दीक
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह के नज़दीक
- wa-ulāika
- وَأُو۟لَٰٓئِكَ
- और यही लोग हैं
- humu
- هُمُ
- वो
- l-fāizūna
- ٱلْفَآئِزُونَ
- जो कामयाब होने वाले हैं
जो लोग ईमान लाए और उन्होंने हिजरत की और अल्लाह के मार्ग में अपने मालों और अपनी जानों से जिहाद किया, अल्लाह के यहाँ दर्जे में वे बहुत बड़े है और वही सफल है ([९] अत-तौबा: 20)Tafseer (तफ़सीर )