وَلَا يُنْفِقُوْنَ نَفَقَةً صَغِيْرَةً وَّلَا كَبِيْرَةً وَّلَا يَقْطَعُوْنَ وَادِيًا اِلَّا كُتِبَ لَهُمْ لِيَجْزِيَهُمُ اللّٰهُ اَحْسَنَ مَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ١٢١
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yunfiqūna
- يُنفِقُونَ
- वो ख़र्च करते
- nafaqatan
- نَفَقَةً
- कोई ख़र्च करना
- ṣaghīratan
- صَغِيرَةً
- छोटा
- walā
- وَلَا
- और ना
- kabīratan
- كَبِيرَةً
- बड़ा
- walā
- وَلَا
- और नहीं
- yaqṭaʿūna
- يَقْطَعُونَ
- वो तय करते
- wādiyan
- وَادِيًا
- कोई वादी
- illā
- إِلَّا
- मगर
- kutiba
- كُتِبَ
- लिखा जाता है (अजर)
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- liyajziyahumu
- لِيَجْزِيَهُمُ
- ताकि बदला दे उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- aḥsana
- أَحْسَنَ
- बहुत अच्छा
- mā
- مَا
- उसका जो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल करते
और वे थो़ड़ा या ज़्यादा जो कुछ भी ख़र्च करें या (अल्लाह के मार्ग में) कोई घाटी पार करें, उनके हक़ में अनिवार्यतः लिख लिया जाता है, ताकि अल्लाह उन्हें उनके अच्छे कर्मों का बदला प्रदान करे ([९] अत-तौबा: 121)Tafseer (तफ़सीर )
۞ وَمَا كَانَ الْمُؤْمِنُوْنَ لِيَنْفِرُوْا كَاۤفَّةًۗ فَلَوْلَا نَفَرَ مِنْ كُلِّ فِرْقَةٍ مِّنْهُمْ طَاۤىِٕفَةٌ لِّيَتَفَقَّهُوْا فِى الدِّيْنِ وَلِيُنْذِرُوْا قَوْمَهُمْ اِذَا رَجَعُوْٓا اِلَيْهِمْ لَعَلَّهُمْ يَحْذَرُوْنَ ࣖ ١٢٢
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- kāna
- كَانَ
- है
- l-mu'minūna
- ٱلْمُؤْمِنُونَ
- मोमिनों के (लायक़)
- liyanfirū
- لِيَنفِرُوا۟
- कि वो निकल पड़ें
- kāffatan
- كَآفَّةًۚ
- सारे के सारे
- falawlā
- فَلَوْلَا
- फिर क्यों ना
- nafara
- نَفَرَ
- निकली
- min
- مِن
- हर गिरोह से
- kulli
- كُلِّ
- हर गिरोह से
- fir'qatin
- فِرْقَةٍ
- हर गिरोह से
- min'hum
- مِّنْهُمْ
- उनमें से
- ṭāifatun
- طَآئِفَةٌ
- एक जमाअत
- liyatafaqqahū
- لِّيَتَفَقَّهُوا۟
- ताकि वो समझ बूझ हासिल करें
- fī
- فِى
- दीन में
- l-dīni
- ٱلدِّينِ
- दीन में
- waliyundhirū
- وَلِيُنذِرُوا۟
- और ताकि वो डराऐं
- qawmahum
- قَوْمَهُمْ
- अपनी कौम को
- idhā
- إِذَا
- जब
- rajaʿū
- رَجَعُوٓا۟
- वो लौटें
- ilayhim
- إِلَيْهِمْ
- तरफ़ उनके
- laʿallahum
- لَعَلَّهُمْ
- ताकि वो
- yaḥdharūna
- يَحْذَرُونَ
- वो डरें
यह तो नहीं कि ईमानवाले सब के सब निकल खड़े हों, फिर ऐसा क्यों नहीं हुआ कि उनके हर गिरोह में से कुछ लोग निकलते, ताकि वे धर्म में समझ प्राप्ति करते और ताकि वे अपने लोगों को सचेत करते, जब वे उनकी ओर लौटते, ताकि वे (बुरे कर्मों से) बचते? ([९] अत-तौबा: 122)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا قَاتِلُوا الَّذِيْنَ يَلُوْنَكُمْ مِّنَ الْكُفَّارِ وَلْيَجِدُوْا فِيْكُمْ غِلْظَةًۗ وَاعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ مَعَ الْمُتَّقِيْنَ ١٢٣
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- qātilū
- قَٰتِلُوا۟
- जंग करो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनसे जो
- yalūnakum
- يَلُونَكُم
- तुम्हारे आस पास हैं
- mina
- مِّنَ
- कुफ़्फ़ार में से
- l-kufāri
- ٱلْكُفَّارِ
- कुफ़्फ़ार में से
- walyajidū
- وَلْيَجِدُوا۟
- और चाहिए के वो पाऐं
- fīkum
- فِيكُمْ
- तुम में
- ghil'ẓatan
- غِلْظَةًۚ
- सख़्ती
- wa-iʿ'lamū
- وَٱعْلَمُوٓا۟
- और जान लो
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- maʿa
- مَعَ
- साथ है
- l-mutaqīna
- ٱلْمُتَّقِينَ
- मुत्तक़ी लोगों के
ऐ ईमान लानेवालो! उन इनकार करनेवालों से लड़ो जो तुम्हारे निकट है और चाहिए कि वे तुममें सख़्ती पाएँ, और जान रखो कि अल्लाह डर रखनेवालों के साथ है ([९] अत-तौबा: 123)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذَا مَآ اُنْزِلَتْ سُوْرَةٌ فَمِنْهُمْ مَّنْ يَّقُوْلُ اَيُّكُمْ زَادَتْهُ هٰذِهٖٓ اِيْمَانًاۚ فَاَمَّا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا فَزَادَتْهُمْ اِيْمَانًا وَّهُمْ يَسْتَبْشِرُوْنَ ١٢٤
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब भी
- mā
- مَآ
- और जब भी
- unzilat
- أُنزِلَتْ
- नाज़िल की जाती है
- sūratun
- سُورَةٌ
- कोई सूरत
- famin'hum
- فَمِنْهُم
- तो उनमें से कोई है
- man
- مَّن
- जो
- yaqūlu
- يَقُولُ
- कहता है
- ayyukum
- أَيُّكُمْ
- कौन है तुम में
- zādathu
- زَادَتْهُ
- ज़्यादा किया उसको
- hādhihi
- هَٰذِهِۦٓ
- इस (सूरत) ने
- īmānan
- إِيمَٰنًاۚ
- ईमान में
- fa-ammā
- فَأَمَّا
- तो रहे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- fazādathum
- فَزَادَتْهُمْ
- तो उसने ज़्यादा कर दिया उन्हें
- īmānan
- إِيمَٰنًا
- ईमान में
- wahum
- وَهُمْ
- और वो
- yastabshirūna
- يَسْتَبْشِرُونَ
- वो ख़ुश होते हैं
जब भी कोई सूरा अवतरित की गई, तो उनमें से कुछ लोग कहते है, 'इसने तुममें से किसके ईमान को बढ़ाया?' हाँ, जो लोग ईमान लाए है इसने उनके ईमान को बढ़ाया है। और वे आनन्द मना रहे है ([९] अत-तौबा: 124)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَمَّا الَّذِيْنَ فِيْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ فَزَادَتْهُمْ رِجْسًا اِلٰى رِجْسِهِمْ وَمَاتُوْا وَهُمْ كٰفِرُوْنَ ١٢٥
- wa-ammā
- وَأَمَّا
- और रहे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो लोग
- fī
- فِى
- दिलों में जिनके
- qulūbihim
- قُلُوبِهِم
- दिलों में जिनके
- maraḍun
- مَّرَضٌ
- मर्ज़ है
- fazādathum
- فَزَادَتْهُمْ
- तो उसने ज़्यादा कर दिया उन्हें
- rij'san
- رِجْسًا
- नजासत में
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ उनकी नजासत के
- rij'sihim
- رِجْسِهِمْ
- तरफ़ उनकी नजासत के
- wamātū
- وَمَاتُوا۟
- और वो मर गए
- wahum
- وَهُمْ
- इस हाल में कि वो
- kāfirūna
- كَٰفِرُونَ
- काफ़िर थे
रहे वे लोग जिनके दिलों में रोग है, उनकी गन्दगी में अभिवृद्धि करते हुए उसने उन्हें उनकी अपनी गन्दगी में और आगे बढ़ा दिया। और वे मरे तो इनकार की दशा ही में ([९] अत-तौबा: 125)Tafseer (तफ़सीर )
اَوَلَا يَرَوْنَ اَنَّهُمْ يُفْتَنُوْنَ فِيْ كُلِّ عَامٍ مَّرَّةً اَوْ مَرَّتَيْنِ ثُمَّ لَا يَتُوْبُوْنَ وَلَا هُمْ يَذَّكَّرُوْنَ ١٢٦
- awalā
- أَوَلَا
- क्या भला नहीं
- yarawna
- يَرَوْنَ
- वो देखते
- annahum
- أَنَّهُمْ
- कि बेशक वो
- yuf'tanūna
- يُفْتَنُونَ
- आज़माए जाते हैं
- fī
- فِى
- हर साल में
- kulli
- كُلِّ
- हर साल में
- ʿāmin
- عَامٍ
- हर साल में
- marratan
- مَّرَّةً
- एक बार
- aw
- أَوْ
- या
- marratayni
- مَرَّتَيْنِ
- दो बार
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- lā
- لَا
- नहीं वो तौबा करते
- yatūbūna
- يَتُوبُونَ
- नहीं वो तौबा करते
- walā
- وَلَا
- और ना
- hum
- هُمْ
- वो
- yadhakkarūna
- يَذَّكَّرُونَ
- वो नसीहत पकड़ते हैं
क्या वे देखते नहीं कि प्रत्येक वर्ष वॆ एक या दो बार आज़माईश में डाले जाते है ? फिर भी न तो वे तौबा करते हैं और न चेतते। ([९] अत-तौबा: 126)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذَا مَآ اُنْزِلَتْ سُوْرَةٌ نَّظَرَ بَعْضُهُمْ اِلٰى بَعْضٍۗ هَلْ يَرٰىكُمْ مِّنْ اَحَدٍ ثُمَّ انْصَرَفُوْاۗ صَرَفَ اللّٰهُ قُلُوْبَهُمْ بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا يَفْقَهُوْنَ ١٢٧
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब भी
- mā
- مَآ
- और जब भी
- unzilat
- أُنزِلَتْ
- नाज़िल की जाती है
- sūratun
- سُورَةٌ
- कोई सूरत
- naẓara
- نَّظَرَ
- देखता है
- baʿḍuhum
- بَعْضُهُمْ
- बाज़ उनका
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ बाज़ के
- baʿḍin
- بَعْضٍ
- तरफ़ बाज़ के
- hal
- هَلْ
- क्या
- yarākum
- يَرَىٰكُم
- देख रहा है तुम्हें
- min
- مِّنْ
- कोई एक
- aḥadin
- أَحَدٍ
- कोई एक
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- inṣarafū
- ٱنصَرَفُوا۟ۚ
- वो फिर जाते हैं
- ṣarafa
- صَرَفَ
- फेर दिया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- qulūbahum
- قُلُوبَهُم
- उनके दिलों को
- bi-annahum
- بِأَنَّهُمْ
- बवजह इसके कि वो
- qawmun
- قَوْمٌ
- ऐसे लोग हैं
- lā
- لَّا
- नहीं वो समझते
- yafqahūna
- يَفْقَهُونَ
- नहीं वो समझते
और जब कोई सूरा अवतरित होती है, तो वे परस्पर एक-दूसरे को देखने लगते है कि 'तुम्हें कोई देख तो नहीं रहा है।' फिर पलट जाते है। अल्लाह ने उनके दिल फेर दिए, क्योंकि वे ऐसे लोग है जो समझते नहीं है ([९] अत-तौबा: 127)Tafseer (तफ़सीर )
لَقَدْ جَاۤءَكُمْ رَسُوْلٌ مِّنْ اَنْفُسِكُمْ عَزِيْزٌ عَلَيْهِ مَا عَنِتُّمْ حَرِيْصٌ عَلَيْكُمْ بِالْمُؤْمِنِيْنَ رَءُوْفٌ رَّحِيْمٌ ١٢٨
- laqad
- لَقَدْ
- अलबत्ता तहक़ीक़
- jāakum
- جَآءَكُمْ
- आ गया तुम्हारे पास
- rasūlun
- رَسُولٌ
- एक रसूल
- min
- مِّنْ
- तुम्हारे नफ़्सों में से
- anfusikum
- أَنفُسِكُمْ
- तुम्हारे नफ़्सों में से
- ʿazīzun
- عَزِيزٌ
- गिराँ है
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- उस पर
- mā
- مَا
- कि मशक़्कत में पड़ो तुम
- ʿanittum
- عَنِتُّمْ
- कि मशक़्कत में पड़ो तुम
- ḥarīṣun
- حَرِيصٌ
- हरीस है
- ʿalaykum
- عَلَيْكُم
- तुम पर (भलाई का)
- bil-mu'minīna
- بِٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों पर
- raūfun
- رَءُوفٌ
- बहुत शफ़क़त करने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
तुम्हारे पास तुम्हीं में से एक रसूल आ गया है। तुम्हारा मुश्किल में पड़ना उसके लिए असह्य है। वह तुम्हारे लिए लालयित है। वह मोमिनों के प्रति अत्यन्त करुणामय, दयावान है ([९] अत-तौबा: 128)Tafseer (तफ़सीर )
فَاِنْ تَوَلَّوْا فَقُلْ حَسْبِيَ اللّٰهُ لَآ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ۗ عَلَيْهِ تَوَكَّلْتُ وَهُوَ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِيْمِ ࣖ ١٢٩
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- tawallaw
- تَوَلَّوْا۟
- वो मुँह मोड़ें
- faqul
- فَقُلْ
- तो कह दीजिए
- ḥasbiya
- حَسْبِىَ
- काफ़ी है मुझे
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- lā
- لَآ
- नहीं
- ilāha
- إِلَٰهَ
- कोई इलाह (बरहक़)
- illā
- إِلَّا
- मगर
- huwa
- هُوَۖ
- वो ही
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- इसी पर
- tawakkaltu
- تَوَكَّلْتُۖ
- भरोसा किया मैंने
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- rabbu
- رَبُّ
- रब है
- l-ʿarshi
- ٱلْعَرْشِ
- अर्शे
- l-ʿaẓīmi
- ٱلْعَظِيمِ
- अज़ीम का
अब यदि वे मुँह मोड़े तो कह दो, 'मेरे लिए अल्लाह काफ़ी है, उसके अतिरिक्त कोई पूज्य-प्रभु नहीं! उसी पर मैंने भऱोसा किया और वही बड़े सिंहासन का प्रभु है।' ([९] अत-तौबा: 129)Tafseer (तफ़सीर )