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सूरा अत-तौबा - Page: 12

At-Tawbah

(The Repentance)

१११

۞ اِنَّ اللّٰهَ اشْتَرٰى مِنَ الْمُؤْمِنِيْنَ اَنْفُسَهُمْ وَاَمْوَالَهُمْ بِاَنَّ لَهُمُ الْجَنَّةَۗ يُقَاتِلُوْنَ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ فَيَقْتُلُوْنَ وَيُقْتَلُوْنَ وَعْدًا عَلَيْهِ حَقًّا فِى التَّوْرٰىةِ وَالْاِنْجِيْلِ وَالْقُرْاٰنِۗ وَمَنْ اَوْفٰى بِعَهْدِهٖ مِنَ اللّٰهِ فَاسْتَبْشِرُوْا بِبَيْعِكُمُ الَّذِيْ بَايَعْتُمْ بِهٖۗ وَذٰلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيْمُ ١١١

inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह ने
ish'tarā
ٱشْتَرَىٰ
ख़रीद लीं
mina
مِنَ
मोमिनों से
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों से
anfusahum
أَنفُسَهُمْ
जानें उनकी
wa-amwālahum
وَأَمْوَٰلَهُم
और माल उनके
bi-anna
بِأَنَّ
बवजह उसके कि
lahumu
لَهُمُ
उनके लिए
l-janata
ٱلْجَنَّةَۚ
जन्नत है
yuqātilūna
يُقَٰتِلُونَ
वो जंग करते हैं
فِى
अल्लाह के रास्ते मे
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते मे
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते मे
fayaqtulūna
فَيَقْتُلُونَ
फिर वो मारते हैं
wayuq'talūna
وَيُقْتَلُونَۖ
और वो मारे जाते हैं
waʿdan
وَعْدًا
वादा है
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उसके ज़िम्मे
ḥaqqan
حَقًّا
सच्चा
فِى
तौरात में
l-tawrāti
ٱلتَّوْرَىٰةِ
तौरात में
wal-injīli
وَٱلْإِنجِيلِ
और इन्जील
wal-qur'āni
وَٱلْقُرْءَانِۚ
और क़ुरआन में
waman
وَمَنْ
और कौन
awfā
أَوْفَىٰ
ज़्यादा पूरा करने वाला है
biʿahdihi
بِعَهْدِهِۦ
अपने अहद को
mina
مِنَ
अल्लाह से
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह से
fa-is'tabshirū
فَٱسْتَبْشِرُوا۟
पस ख़ुशियाँ मनाओ
bibayʿikumu
بِبَيْعِكُمُ
अपने सौदे पर
alladhī
ٱلَّذِى
वो जो
bāyaʿtum
بَايَعْتُم
सौदा किया तुमने
bihi
بِهِۦۚ
साथ उसके
wadhālika
وَذَٰلِكَ
और ये
huwa
هُوَ
वो ही है
l-fawzu
ٱلْفَوْزُ
कामयाबी
l-ʿaẓīmu
ٱلْعَظِيمُ
बहुत बड़ी
निस्संदेह अल्लाह ने ईमानवालों से उनके प्राण और उनके माल इसके बदले में खरीद लिए है कि उनके लिए जन्नत है। वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते है, तो वे मारते भी है और मारे भी जाते है। यह उनके ज़िम्मे तौरात, इनजील और क़ुरआन में (किया गया) एक पक्का वादा है। और अल्लाह से बढ़कर अपने वादे को पूरा करनेवाला हो भी कौन सकता है? अतः अपने उस सौदे पर खु़शियाँ मनाओ, जो सौदा तुमने उससे किया है। और यही सबसे बड़ी सफलता है ([९] अत-तौबा: 111)
Tafseer (तफ़सीर )
११२

اَلتَّاۤىِٕبُوْنَ الْعٰبِدُوْنَ الْحَامِدُوْنَ السَّاۤىِٕحُوْنَ الرَّاكِعُوْنَ السَّاجِدُوْنَ الْاٰمِرُوْنَ بِالْمَعْرُوْفِ وَالنَّاهُوْنَ عَنِ الْمُنْكَرِ وَالْحٰفِظُوْنَ لِحُدُوْدِ اللّٰهِ ۗوَبَشِّرِ الْمُؤْمِنِيْنَ ١١٢

al-tāibūna
ٱلتَّٰٓئِبُونَ
जो तौबा करने वाले
l-ʿābidūna
ٱلْعَٰبِدُونَ
इबादत करने वाले
l-ḥāmidūna
ٱلْحَٰمِدُونَ
हम्द करने वाले
l-sāiḥūna
ٱلسَّٰٓئِحُونَ
सियाहत करने वाले
l-rākiʿūna
ٱلرَّٰكِعُونَ
रुकू करने वाले
l-sājidūna
ٱلسَّٰجِدُونَ
सजदा करने वाले
l-āmirūna
ٱلْءَامِرُونَ
हुक्म देने वाले
bil-maʿrūfi
بِٱلْمَعْرُوفِ
नेकी का
wal-nāhūna
وَٱلنَّاهُونَ
और रोकने वाले
ʿani
عَنِ
बुराई से
l-munkari
ٱلْمُنكَرِ
बुराई से
wal-ḥāfiẓūna
وَٱلْحَٰفِظُونَ
और हिफ़ाज़त करने वाले हैं
liḥudūdi
لِحُدُودِ
अल्लाह की हुदूद की
l-lahi
ٱللَّهِۗ
अल्लाह की हुदूद की
wabashiri
وَبَشِّرِ
और ख़ुशख़बरी दे दीजिए
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों को
वे ऐसे हैं, जो तौबा करते हैं, बन्दगी करते है, स्तुति करते हैं, (अल्लाह के मार्ग में) भ्रमण करते हैं, (अल्लाह के आगे) झुकते है, सजदा करते है, भलाई का हुक्म देते है और बुराई से रोकते हैं और अल्लाह की निर्धारित सीमाओं की रक्षा करते हैं -और इन ईमानवालों को शुभ-सूचना दे दो ([९] अत-तौबा: 112)
Tafseer (तफ़सीर )
११३

مَا كَانَ لِلنَّبِيِّ وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اَنْ يَّسْتَغْفِرُوْا لِلْمُشْرِكِيْنَ وَلَوْ كَانُوْٓا اُولِيْ قُرْبٰى مِنْۢ بَعْدِ مَا تَبَيَّنَ لَهُمْ اَنَّهُمْ اَصْحٰبُ الْجَحِيْمِ ١١٣

مَا
नहीं
kāna
كَانَ
है (लायक़)
lilnnabiyyi
لِلنَّبِىِّ
नबी के
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और उनके
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
जो ईमान लाए
an
أَن
कि
yastaghfirū
يَسْتَغْفِرُوا۟
वो बख़्शिश माँगें
lil'mush'rikīna
لِلْمُشْرِكِينَ
मुशरिकीन के लिए
walaw
وَلَوْ
और अगरचे
kānū
كَانُوٓا۟
हों वो
ulī
أُو۟لِى
क़राबत वाले
qur'bā
قُرْبَىٰ
क़राबत वाले
min
مِنۢ
बाद इसके
baʿdi
بَعْدِ
बाद इसके
مَا
जो
tabayyana
تَبَيَّنَ
वाज़ेह हो गया
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
annahum
أَنَّهُمْ
कि बेशक वो
aṣḥābu
أَصْحَٰبُ
साथी हैं
l-jaḥīmi
ٱلْجَحِيمِ
जहन्नम के
नबी और ईमान लानेवालों के लिए उचित नहीं कि वे बहुदेववादियों के लिए क्षमा की प्रार्थना करें, यद्यपि वे उसके नातेदार ही क्यों न हो, जबकि उनपर यह बात खुल चुकी है कि वे भड़कती आगवाले हैं ([९] अत-तौबा: 113)
Tafseer (तफ़सीर )
११४

وَمَا كَانَ اسْتِغْفَارُ اِبْرٰهِيْمَ لِاَبِيْهِ اِلَّا عَنْ مَّوْعِدَةٍ وَّعَدَهَآ اِيَّاهُۚ فَلَمَّا تَبَيَّنَ لَهٗٓ اَنَّهٗ عَدُوٌّ لِّلّٰهِ تَبَرَّاَ مِنْهُۗ اِنَّ اِبْرٰهِيْمَ لَاَوَّاهٌ حَلِيْمٌ ١١٤

wamā
وَمَا
और ना
kāna
كَانَ
था
is'tigh'fāru
ٱسْتِغْفَارُ
इस्तिग़फ़ार करना
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِيمَ
इब्राहीम का
li-abīhi
لِأَبِيهِ
अपने बाप के लिए
illā
إِلَّا
मगर
ʿan
عَن
एक वादे की वजह से
mawʿidatin
مَّوْعِدَةٍ
एक वादे की वजह से
waʿadahā
وَعَدَهَآ
उसने वादा किया उसका
iyyāhu
إِيَّاهُ
उससे
falammā
فَلَمَّا
फिर जब
tabayyana
تَبَيَّنَ
ज़ाहिर हो गया
lahu
لَهُۥٓ
उसके लिए
annahu
أَنَّهُۥ
कि बेशक वो
ʿaduwwun
عَدُوٌّ
दुश्मन है
lillahi
لِّلَّهِ
अल्लाह का
tabarra-a
تَبَرَّأَ
वो बेज़ार हो गया
min'hu
مِنْهُۚ
उससे
inna
إِنَّ
बेशक
ib'rāhīma
إِبْرَٰهِيمَ
इब्राहीम
la-awwāhun
لَأَوَّٰهٌ
अलबत्ता बहुत आह वा ज़ारी करने वाला
ḥalīmun
حَلِيمٌ
बहुत बुर्दबार था
इबराहीम ने अपने बाप के लिए जो क्षमा की प्रार्थना की थी, वह तो केवल एक वादे के कारण की थी, जो वादा वह उससे कर चुका था। फिर जब उसपर यह बात खुल गई कि वह अल्लाह का शत्रु है तो वह उससे विरक्त हो गया। वास्तव में, इबराहीम बड़ा ही कोमल हृदय, अत्यन्त सहनशील था ([९] अत-तौबा: 114)
Tafseer (तफ़सीर )
११५

وَمَا كَانَ اللّٰهُ لِيُضِلَّ قَوْمًاۢ بَعْدَ اِذْ هَدٰىهُمْ حَتّٰى يُبَيِّنَ لَهُمْ مَّا يَتَّقُوْنَۗ اِنَّ اللّٰهَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمٌ ١١٥

wamā
وَمَا
और नहीं
kāna
كَانَ
है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
liyuḍilla
لِيُضِلَّ
कि वो भटका दे
qawman
قَوْمًۢا
किसी क़ौम को
baʿda
بَعْدَ
बाद इसके
idh
إِذْ
जब
hadāhum
هَدَىٰهُمْ
उसने हिदायत दी उन्हें
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yubayyina
يُبَيِّنَ
वो वाज़ेह कर दे
lahum
لَهُم
उनके लिए
مَّا
वो जिससे
yattaqūna
يَتَّقُونَۚ
वो बचें
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
bikulli
بِكُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ का
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब इल्म रखने वाला है
अल्लाह ऐसा नहीं कि लोगों को पथभ्रष्ट ठहराए, जबकि वह उनको राह पर ला चुका हो, जब तक कि उन्हें साफ़-साफ़ वे बातें बता न दे, जिनसे उन्हें बचना है। निस्संदेह अल्लाह हर चीज़ को भली-भाँति जानता है ([९] अत-तौबा: 115)
Tafseer (तफ़सीर )
११६

اِنَّ اللّٰهَ لَهٗ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ يُحْيٖ وَيُمِيْتُۗ وَمَا لَكُمْ مِّنْ دُوْنِ اللّٰهِ مِنْ وَّلِيٍّ وَّلَا نَصِيْرٍ ١١٦

inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
lahu
لَهُۥ
उसी के लिए है
mul'ku
مُلْكُ
बादशाहत
l-samāwāti
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
wal-arḍi
وَٱلْأَرْضِۖ
और ज़मीन की
yuḥ'yī
يُحْىِۦ
वो ज़िन्दा करता है
wayumītu
وَيُمِيتُۚ
और वो मौत देता है
wamā
وَمَا
और नहीं
lakum
لَكُم
तुम्हारे लिए
min
مِّن
सिवाय
dūni
دُونِ
सिवाय
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
min
مِن
कोई दोस्त
waliyyin
وَلِىٍّ
कोई दोस्त
walā
وَلَا
और ना
naṣīrin
نَصِيرٍ
कोई मददगार
आकाशों और धरती का राज्य अल्लाह ही का है, वही जिलाता है और मारता है। अल्लाह से हटकर न तुम्हारा कोई मित्र है और न सहायक ([९] अत-तौबा: 116)
Tafseer (तफ़सीर )
११७

لَقَدْ تَّابَ اللّٰهُ عَلَى النَّبِيِّ وَالْمُهٰجِرِيْنَ وَالْاَنْصَارِ الَّذِيْنَ اتَّبَعُوْهُ فِيْ سَاعَةِ الْعُسْرَةِ مِنْۢ بَعْدِ مَا كَادَ يَزِيْغُ قُلُوْبُ فَرِيْقٍ مِّنْهُمْ ثُمَّ تَابَ عَلَيْهِمْۗ اِنَّهٗ بِهِمْ رَءُوْفٌ رَّحِيْمٌ ۙ ١١٧

laqad
لَّقَد
अलबत्ता तहक़ीक़
tāba
تَّابَ
मेहरबान हुआ
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿalā
عَلَى
नबी पर
l-nabiyi
ٱلنَّبِىِّ
नबी पर
wal-muhājirīna
وَٱلْمُهَٰجِرِينَ
और मुहाजिरीन
wal-anṣāri
وَٱلْأَنصَارِ
और अन्सार पर
alladhīna
ٱلَّذِينَ
जिन्होंने
ittabaʿūhu
ٱتَّبَعُوهُ
पैरवी की उसकी
فِى
घड़ी में
sāʿati
سَاعَةِ
घड़ी में
l-ʿus'rati
ٱلْعُسْرَةِ
तंगी की
min
مِنۢ
बाद इसके
baʿdi
بَعْدِ
बाद इसके
مَا
जो क़रीब था कि
kāda
كَادَ
जो क़रीब था कि
yazīghu
يَزِيغُ
टेढ़े हो जाते
qulūbu
قُلُوبُ
दिल
farīqin
فَرِيقٍ
एक गिरोह के
min'hum
مِّنْهُمْ
उनमें से
thumma
ثُمَّ
फिर
tāba
تَابَ
वो मेहरबान हुआ
ʿalayhim
عَلَيْهِمْۚ
उन पर
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
bihim
بِهِمْ
उन पर
raūfun
رَءُوفٌ
बहुत शफ़क़त करने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
अल्लाह नबी पर मेहरबान हो गया और मुहाजिरों और अनसार पर भी, जिन्होंने तंगी की घड़ी में उसका साथ दिया, इसके पश्चात कि उनमें से एक गिरोह के दिल कुटिलता की ओर झुक गए थे। फिर उसने उनपर दया-दृष्टि दर्शाई। निस्संदेह, वह उनके लिए अत्यन्त करुणामय, दयावान है ([९] अत-तौबा: 117)
Tafseer (तफ़सीर )
११८

وَّعَلَى الثَّلٰثَةِ الَّذِيْنَ خُلِّفُوْاۗ حَتّٰٓى اِذَا ضَاقَتْ عَلَيْهِمُ الْاَرْضُ بِمَا رَحُبَتْ وَضَاقَتْ عَلَيْهِمْ اَنْفُسُهُمْ وَظَنُّوْٓا اَنْ لَّا مَلْجَاَ مِنَ اللّٰهِ اِلَّآ اِلَيْهِۗ ثُمَّ تَابَ عَلَيْهِمْ لِيَتُوْبُوْاۗ اِنَّ اللّٰهَ هُوَ التَّوَّابُ الرَّحِيْمُ ࣖ ١١٨

waʿalā
وَعَلَى
और उन तीनों पर (भी)
l-thalāthati
ٱلثَّلَٰثَةِ
और उन तीनों पर (भी)
alladhīna
ٱلَّذِينَ
जो
khullifū
خُلِّفُوا۟
छोड़ दिए गए
ḥattā
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
idhā
إِذَا
जब
ḍāqat
ضَاقَتْ
तंग हो गई
ʿalayhimu
عَلَيْهِمُ
उन पर
l-arḍu
ٱلْأَرْضُ
ज़मीन
bimā
بِمَا
बावजूद इसके
raḥubat
رَحُبَتْ
कि वो कुशादा थी
waḍāqat
وَضَاقَتْ
और तंग हो गए
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
anfusuhum
أَنفُسُهُمْ
नफ़्स उनके
waẓannū
وَظَنُّوٓا۟
और उन्होंने यक़ीन कर लिया
an
أَن
कि
لَّا
नहीं कोई जाए पनाह
malja-a
مَلْجَأَ
नहीं कोई जाए पनाह
mina
مِنَ
अल्लाह से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह से
illā
إِلَّآ
मगर
ilayhi
إِلَيْهِ
तरफ़ उसी के
thumma
ثُمَّ
फिर
tāba
تَابَ
वो मेहरबान हुआ
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
liyatūbū
لِيَتُوبُوٓا۟ۚ
ताकि वो तौबा करें
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
huwa
هُوَ
वो ही है
l-tawābu
ٱلتَّوَّابُ
बहुत तौबा क़ुबूल करने वाला
l-raḥīmu
ٱلرَّحِيمُ
निहायत रहम करने वाला
और उन तीनों पर भी जो पीछे छोड़ दिए गए थे, यहाँ तक कि जब धरती विशाल होते हुए भी उनपर तंग हो गई और उनके प्राण उनपर दुभर हो गए और उन्होंने समझा कि अल्लाह से बचने के लिए कोई शरण नहीं मिल सकती है तो उसी के यहाँ। फिर उसने उनपर कृपा-दृष्टि की ताकि वे पलट आएँ। निस्संदेह अल्लाह ही तौबा क़बूल करनेवाला, अत्यन्त दयावान है ([९] अत-तौबा: 118)
Tafseer (तफ़सीर )
११९

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوا اتَّقُوا اللّٰهَ وَكُوْنُوْا مَعَ الصّٰدِقِيْنَ ١١٩

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
ittaqū
ٱتَّقُوا۟
डरो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
wakūnū
وَكُونُوا۟
और हो जाओ
maʿa
مَعَ
साथ
l-ṣādiqīna
ٱلصَّٰدِقِينَ
सच्चे लोगों के
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह का डर रखों और सच्चे लोगों के साथ हो जाओ ([९] अत-तौबा: 119)
Tafseer (तफ़सीर )
१२०

مَا كَانَ لِاَهْلِ الْمَدِيْنَةِ وَمَنْ حَوْلَهُمْ مِّنَ الْاَعْرَابِ اَنْ يَّتَخَلَّفُوْا عَنْ رَّسُوْلِ اللّٰهِ وَلَا يَرْغَبُوْا بِاَنْفُسِهِمْ عَنْ نَّفْسِهٖۗ ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ لَا يُصِيْبُهُمْ ظَمَاٌ وَّلَا نَصَبٌ وَّلَا مَخْمَصَةٌ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَلَا يَطَـُٔوْنَ مَوْطِئًا يَّغِيْظُ الْكُفَّارَ وَلَا يَنَالُوْنَ مِنْ عَدُوٍّ نَّيْلًا اِلَّا كُتِبَ لَهُمْ بِهٖ عَمَلٌ صَالِحٌۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يُضِيْعُ اَجْرَ الْمُحْسِنِيْنَ ١٢٠

مَا
ना
kāna
كَانَ
था
li-ahli
لِأَهْلِ
मदीना वालों के (लायक़)
l-madīnati
ٱلْمَدِينَةِ
मदीना वालों के (लायक़)
waman
وَمَنْ
और उनके जो
ḥawlahum
حَوْلَهُم
उनके आस पास थे
mina
مِّنَ
देहातियों/बदवियों में से
l-aʿrābi
ٱلْأَعْرَابِ
देहातियों/बदवियों में से
an
أَن
कि
yatakhallafū
يَتَخَلَّفُوا۟
वो पीछे रह जाऐं
ʿan
عَن
अल्लाह के रसूल से
rasūli
رَّسُولِ
अल्लाह के रसूल से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रसूल से
walā
وَلَا
और ना
yarghabū
يَرْغَبُوا۟
कि वो रग़बत रखें
bi-anfusihim
بِأَنفُسِهِمْ
अपनी जानों की
ʿan
عَن
आपकी जान से (ज़्यादा)
nafsihi
نَّفْسِهِۦۚ
आपकी जान से (ज़्यादा)
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
bi-annahum
بِأَنَّهُمْ
बवजह इसके कि वो
لَا
नहीं पहुँचती उन्हें
yuṣībuhum
يُصِيبُهُمْ
नहीं पहुँचती उन्हें
ẓama-on
ظَمَأٌ
कोई प्यास
walā
وَلَا
और ना
naṣabun
نَصَبٌ
कोई थकावट
walā
وَلَا
और ना
makhmaṣatun
مَخْمَصَةٌ
कोई भूख
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
walā
وَلَا
और नहीं
yaṭaūna
يَطَـُٔونَ
वो रौंदते
mawṭi-an
مَوْطِئًا
किसी जगह को
yaghīẓu
يَغِيظُ
जो ग़ुस्सा दिलाए
l-kufāra
ٱلْكُفَّارَ
कुफ़्फ़ार को
walā
وَلَا
और नहीं
yanālūna
يَنَالُونَ
वो हासिल करते
min
مِنْ
दुश्मन पर
ʿaduwwin
عَدُوٍّ
दुश्मन पर
naylan
نَّيْلًا
कोई कामयाबी
illā
إِلَّا
मगर
kutiba
كُتِبَ
लिखा जाता है
lahum
لَهُم
उनके लिए
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
ʿamalun
عَمَلٌ
अमल
ṣāliḥun
صَٰلِحٌۚ
नेक
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नहीं वो ज़ाया करता
yuḍīʿu
يُضِيعُ
नहीं वो ज़ाया करता
ajra
أَجْرَ
अजर
l-muḥ'sinīna
ٱلْمُحْسِنِينَ
नेको कारों का
मदीनावालों और उसके आसपास के बद्दूहओं को ऐसा नहीं चाहिए था कि अल्लाह के रसूल को छोड़कर पीछे रह जाएँ और न यह कि उसकी जान के मुक़ाबले में उन्हें अपनी जान अधिक प्रिय हो, क्योंकि वह अल्लाह के मार्ग में प्यास या थकान या भूख की कोई भी तकलीफ़ उठाएँ या किसी ऐसी जगह क़दम रखें, जिससे काफ़िरों का क्रोध भड़के या जो चरका भी वे शत्रु को लगाएँ, उसपर उनके हक में अनिवार्यतः एक सुकर्म लिख लिया जाता है। निस्संदेह अल्लाह उत्तमकार का कर्मफल अकारथ नहीं जाने देता ([९] अत-तौबा: 120)
Tafseer (तफ़सीर )