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सूरा अत-तौबा - Page: 11

At-Tawbah

(The Repentance)

१०१

وَمِمَّنْ حَوْلَكُمْ مِّنَ الْاَعْرَابِ مُنٰفِقُوْنَ ۗوَمِنْ اَهْلِ الْمَدِيْنَةِ مَرَدُوْا عَلَى النِّفَاقِۗ لَا تَعْلَمُهُمْۗ نَحْنُ نَعْلَمُهُمْۗ سَنُعَذِّبُهُمْ مَّرَّتَيْنِ ثُمَّ يُرَدُّوْنَ اِلٰى عَذَابٍ عَظِيْمٍ ۚ ١٠١

wamimman
وَمِمَّنْ
और उनमें से जो
ḥawlakum
حَوْلَكُم
तुम्हारे आस पास हैं
mina
مِّنَ
देहातियों/बदवियों में से
l-aʿrābi
ٱلْأَعْرَابِ
देहातियों/बदवियों में से
munāfiqūna
مُنَٰفِقُونَۖ
कुछ मुनाफ़िक़ हैं
wamin
وَمِنْ
और कुछ रहने वालों में से
ahli
أَهْلِ
और कुछ रहने वालों में से
l-madīnati
ٱلْمَدِينَةِۖ
मदीना के
maradū
مَرَدُوا۟
जो अड़ गए हैं
ʿalā
عَلَى
मुनाफ़िक़त पर
l-nifāqi
ٱلنِّفَاقِ
मुनाफ़िक़त पर
لَا
नहीं तुम जानते उन्हें
taʿlamuhum
تَعْلَمُهُمْۖ
नहीं तुम जानते उन्हें
naḥnu
نَحْنُ
हम
naʿlamuhum
نَعْلَمُهُمْۚ
जानते हैं उन्हें
sanuʿadhibuhum
سَنُعَذِّبُهُم
अनक़रीब हम अज़ाब देंगे उन्हें
marratayni
مَّرَّتَيْنِ
दो बार
thumma
ثُمَّ
फिर
yuraddūna
يُرَدُّونَ
वो लौटाए जाऐंगे
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ अज़ाब
ʿadhābin
عَذَابٍ
तरफ़ अज़ाब
ʿaẓīmin
عَظِيمٍ
बहुत बड़े के
और तुम्हारे आस-पास के बद्दुनओं में और मदीनावालों में कुछ ऐसे कपटाचारी है जो कपट-नीति पर जमें हुए है। उनको तुम नहीं जानते, हम उन्हें भली-भाँति जानते है। शीघ्र ही हम उन्हें दो बार यातना देंगे। फिर वे एक बड़ी यातना की ओर लौटाए जाएँगे ([९] अत-तौबा: 101)
Tafseer (तफ़सीर )
१०२

وَاٰخَرُوْنَ اعْتَرَفُوْا بِذُنُوْبِهِمْ خَلَطُوْا عَمَلًا صَالِحًا وَّاٰخَرَ سَيِّئًاۗ عَسَى اللّٰهُ اَنْ يَّتُوْبَ عَلَيْهِمْۗ اِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ١٠٢

waākharūna
وَءَاخَرُونَ
और कुछ दूसरे
iʿ'tarafū
ٱعْتَرَفُوا۟
जिन्होंने ऐतराफ़ किया
bidhunūbihim
بِذُنُوبِهِمْ
अपने गुनाहों का
khalaṭū
خَلَطُوا۟
उन्होंने मिला दिए
ʿamalan
عَمَلًا
कुछ अमल
ṣāliḥan
صَٰلِحًا
नेक
waākhara
وَءَاخَرَ
और दूसरे
sayyi-an
سَيِّئًا
बुरे
ʿasā
عَسَى
उम्मीद है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
an
أَن
कि
yatūba
يَتُوبَ
वो मेहरबान हो
ʿalayhim
عَلَيْهِمْۚ
उन पर
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
और दूसरे कुछ लोग है जिन्होंने अपने गुनाहों का इक़रार किया। उन्होंने मिले-जुले कर्म किए, कुछ अच्छे और कुछ बुरे। आशा है कि अल्लाह की कृपा-स्पष्ट उनपर हो। निस्संदेह अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है ([९] अत-तौबा: 102)
Tafseer (तफ़सीर )
१०३

خُذْ مِنْ اَمْوَالِهِمْ صَدَقَةً تُطَهِّرُهُمْ وَتُزَكِّيْهِمْ بِهَا وَصَلِّ عَلَيْهِمْۗ اِنَّ صَلٰوتَكَ سَكَنٌ لَّهُمْۗ وَاللّٰهُ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌ ١٠٣

khudh
خُذْ
ले लीजिए
min
مِنْ
उनके मालों में से
amwālihim
أَمْوَٰلِهِمْ
उनके मालों में से
ṣadaqatan
صَدَقَةً
सदक़ा
tuṭahhiruhum
تُطَهِّرُهُمْ
आप पाक कीजिए उन्हें
watuzakkīhim
وَتُزَكِّيهِم
और आप तज़किया कीजिए उनका
bihā
بِهَا
साथ उसके
waṣalli
وَصَلِّ
और दुआए रहमत कीजिए
ʿalayhim
عَلَيْهِمْۖ
उनके हक़ में
inna
إِنَّ
बेशक
ṣalataka
صَلَوٰتَكَ
दुआ आपकी
sakanun
سَكَنٌ
सुकून का ज़रिया है
lahum
لَّهُمْۗ
उनके लिए
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
samīʿun
سَمِيعٌ
ख़ूब सुनने वाला है
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
तुम उनके माल में से दान लेकर उन्हें शुद्ध करो और उनके द्वारा उन (की आत्मा) को विकसित करो और उनके लिए दुआ करो। निस्संदेह तुम्हारी दुआ उनके लिए सर्वथा परितोष है। अल्लाह सब कुछ सुनता, जानता है ([९] अत-तौबा: 103)
Tafseer (तफ़सीर )
१०४

اَلَمْ يَعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ هُوَ يَقْبَلُ التَّوْبَةَ عَنْ عِبَادِهٖ وَيَأْخُذُ الصَّدَقٰتِ وَاَنَّ اللّٰهَ هُوَ التَّوَّابُ الرَّحِيْمُ ١٠٤

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
yaʿlamū
يَعْلَمُوٓا۟
वो जानते
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
huwa
هُوَ
वो ही
yaqbalu
يَقْبَلُ
वो क़ुबूल करता है
l-tawbata
ٱلتَّوْبَةَ
तौबा को
ʿan
عَنْ
अपने बन्दों से
ʿibādihi
عِبَادِهِۦ
अपने बन्दों से
wayakhudhu
وَيَأْخُذُ
और वो ले लेता है
l-ṣadaqāti
ٱلصَّدَقَٰتِ
सदक़ात
wa-anna
وَأَنَّ
और बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
huwa
هُوَ
वो ही है
l-tawābu
ٱلتَّوَّابُ
बहुत तौबा क़ुबूल करने वाला
l-raḥīmu
ٱلرَّحِيمُ
निहायत रहम करने वाला
क्या वे जानते नहीं कि अल्लाह ही अपने बन्दों की तौबा क़बूल करता है और सदक़े लेता है और यह कि अल्लाह ही तौबा क़बूल करनेवाला, अत्यन्त दयावान है ([९] अत-तौबा: 104)
Tafseer (तफ़सीर )
१०५

وَقُلِ اعْمَلُوْا فَسَيَرَى اللّٰهُ عَمَلَكُمْ وَرَسُوْلُهٗ وَالْمُؤْمِنُوْنَۗ وَسَتُرَدُّوْنَ اِلٰى عٰلِمِ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ فَيُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَۚ ١٠٥

waquli
وَقُلِ
और कह दीजिए
iʿ'malū
ٱعْمَلُوا۟
अमल करो
fasayarā
فَسَيَرَى
पस अनक़रीब देखेगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿamalakum
عَمَلَكُمْ
अमल तुम्हारा
warasūluhu
وَرَسُولُهُۥ
और रसूल उसका
wal-mu'minūna
وَٱلْمُؤْمِنُونَۖ
और अहले ईमान भी
wasaturaddūna
وَسَتُرَدُّونَ
और अनक़रीब तुम लौटाए जाओगो
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ जानने वाले
ʿālimi
عَٰلِمِ
तरफ़ जानने वाले
l-ghaybi
ٱلْغَيْبِ
ग़ैब
wal-shahādati
وَٱلشَّهَٰدَةِ
और हाज़िर के
fayunabbi-ukum
فَيُنَبِّئُكُم
फिर वो बताएगा तुम्हें
bimā
بِمَا
वो जो
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते
कह दो, 'कर्म किए जाओ। अभी अल्लाह और उसका रसूल और ईमानवाले तुम्हारे कर्म को देखेंगे। फिर तुम उसकी ओर पलटोगे, जो छिपे और खुले को जानता है। फिर जो कुछ तम करते रहे हो, वह सब तुम्हें बता देगा।' ([९] अत-तौबा: 105)
Tafseer (तफ़सीर )
१०६

وَاٰخَرُوْنَ مُرْجَوْنَ لِاَمْرِ اللّٰهِ اِمَّا يُعَذِّبُهُمْ وَاِمَّا يَتُوْبُ عَلَيْهِمْۗ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌ حَكِيْمٌ ١٠٦

waākharūna
وَءَاخَرُونَ
और कुछ दूसरे
mur'jawna
مُرْجَوْنَ
जो मुअख़्ख़र रखे गए हैं
li-amri
لِأَمْرِ
हुक्म के लिए
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
immā
إِمَّا
ख़्वाह
yuʿadhibuhum
يُعَذِّبُهُمْ
वो अज़ाब दे उन्हें
wa-immā
وَإِمَّا
और ख़्वाह
yatūbu
يَتُوبُ
वो मेहरबान हो
ʿalayhim
عَلَيْهِمْۗ
उन पर
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब इल्म वाला है
ḥakīmun
حَكِيمٌ
बहुत हिकमत वाला है
और कुछ दूसरे लोग भी है जिनका मामला अल्लाह का हुक्म आने तक स्थगित है, चाहे वह उन्हें यातना दे या उनकी तौबा क़बूल करे। अल्लाह सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है ([९] अत-तौबा: 106)
Tafseer (तफ़सीर )
१०७

وَالَّذِيْنَ اتَّخَذُوْا مَسْجِدًا ضِرَارًا وَّكُفْرًا وَّتَفْرِيْقًاۢ بَيْنَ الْمُؤْمِنِيْنَ وَاِرْصَادًا لِّمَنْ حَارَبَ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ مِنْ قَبْلُ ۗوَلَيَحْلِفُنَّ اِنْ اَرَدْنَآ اِلَّا الْحُسْنٰىۗ وَاللّٰهُ يَشْهَدُ اِنَّهُمْ لَكٰذِبُوْنَ ١٠٧

wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जिन्होंने
ittakhadhū
ٱتَّخَذُوا۟
बना ली
masjidan
مَسْجِدًا
एक मस्जिद
ḍirāran
ضِرَارًا
ज़रर पहुँचाने के लिए
wakuf'ran
وَكُفْرًا
और कुफ़्र के लिए
watafrīqan
وَتَفْرِيقًۢا
और जुदाई डालने के लिए
bayna
بَيْنَ
दर्मियान ईमान वालों के
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
दर्मियान ईमान वालों के
wa-ir'ṣādan
وَإِرْصَادًا
और घात लगाने के लिए
liman
لِّمَنْ
उस शख़्स के लिए जिसने
ḥāraba
حَارَبَ
जंग की
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह से
warasūlahu
وَرَسُولَهُۥ
और उसके रसूल से
min
مِن
इससे पहले
qablu
قَبْلُۚ
इससे पहले
walayaḥlifunna
وَلَيَحْلِفُنَّ
और अलबत्ता वो ज़रूर क़समें खाऐंगे
in
إِنْ
नहीं
aradnā
أَرَدْنَآ
इरादा किया था हमने
illā
إِلَّا
मगर
l-ḥus'nā
ٱلْحُسْنَىٰۖ
भलाई का
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yashhadu
يَشْهَدُ
वो गवाही देता है
innahum
إِنَّهُمْ
बेशक वो
lakādhibūna
لَكَٰذِبُونَ
अलबत्ता झूठे हैं
और कुछ ऐसे लोग भी हैं , जिन्होंने मस्जिद बनाई इसलिए कि नुक़सान पहुँचाएँ और कुफ़्र करें और इसलिए कि ईमानवालों के बीच फूट डाले और उस व्यक्ति के घात लगाने का ठिकाना बनाएँ, जो इससे पहले अल्लाह और उसके रसूल से लड़ चुका है। वे निश्चय ही क़समें खाएँगे कि 'हमने तो बस अच्छा ही चाहा था।' किन्तु अल्लाह गवाही देता है कि वे बिलकुल झूठे है ([९] अत-तौबा: 107)
Tafseer (तफ़सीर )
१०८

لَا تَقُمْ فِيْهِ اَبَدًاۗ لَمَسْجِدٌ اُسِّسَ عَلَى التَّقْوٰى مِنْ اَوَّلِ يَوْمٍ اَحَقُّ اَنْ تَقُوْمَ فِيْهِۗ فِيْهِ رِجَالٌ يُّحِبُّوْنَ اَنْ يَّتَطَهَّرُوْاۗ وَاللّٰهُ يُحِبُّ الْمُطَّهِّرِيْنَ ١٠٨

لَا
ना आप खड़े हों
taqum
تَقُمْ
ना आप खड़े हों
fīhi
فِيهِ
उसमें
abadan
أَبَدًاۚ
कभी भी
lamasjidun
لَّمَسْجِدٌ
अलबत्ता मस्जिद
ussisa
أُسِّسَ
जिसकी बुनियाद रखी गई
ʿalā
عَلَى
तक़वा पर
l-taqwā
ٱلتَّقْوَىٰ
तक़वा पर
min
مِنْ
पहले दिन से
awwali
أَوَّلِ
पहले दिन से
yawmin
يَوْمٍ
पहले दिन से
aḥaqqu
أَحَقُّ
ज़्यादा हक़दार है
an
أَن
कि
taqūma
تَقُومَ
आप खड़े हों
fīhi
فِيهِۚ
उसमें
fīhi
فِيهِ
उसमें
rijālun
رِجَالٌ
कुछ लोग हैं
yuḥibbūna
يُحِبُّونَ
जो पसंद करते हैं
an
أَن
कि
yataṭahharū
يَتَطَهَّرُوا۟ۚ
वो पाक साफ़ रहें
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
yuḥibbu
يُحِبُّ
वो पसंद करता है
l-muṭahirīna
ٱلْمُطَّهِّرِينَ
पाक साफ़ रहने वालों को
तुम कभी भी उसमें खड़े न होना। वह मस्जिद जिसकी आधारशिला पहले दिन ही से ईशपरायणता पर रखी गई है, वह इसकी ज़्यादा हक़दार है कि तुम उसमें खड़े हो। उसमें ऐसे लोग पाए जाते हैं, जो अच्छी तरह स्वच्छ रहना पसन्द करते है, और अल्लाह भी पाक-साफ़ रहनेवालों को पसन्द करता है ([९] अत-तौबा: 108)
Tafseer (तफ़सीर )
१०९

اَفَمَنْ اَسَّسَ بُنْيَانَهٗ عَلٰى تَقْوٰى مِنَ اللّٰهِ وَرِضْوَانٍ خَيْرٌ اَمْ مَّنْ اَسَّسَ بُنْيَانَهٗ عَلٰى شَفَا جُرُفٍ هَارٍ فَانْهَارَ بِهٖ فِيْ نَارِ جَهَنَّمَۗ وَاللّٰهُ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الظّٰلِمِيْنَ ١٠٩

afaman
أَفَمَنْ
क्या भला जिसने
assasa
أَسَّسَ
बुनियाद रखी
bun'yānahu
بُنْيَٰنَهُۥ
अपनी इमारत की
ʿalā
عَلَىٰ
तक़वा पर
taqwā
تَقْوَىٰ
तक़वा पर
mina
مِنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
wariḍ'wānin
وَرِضْوَٰنٍ
और रज़ामंदी पर
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
am
أَم
या
man
مَّنْ
जिसने
assasa
أَسَّسَ
बुनियाद रखी
bun'yānahu
بُنْيَٰنَهُۥ
अपनी इमारत की
ʿalā
عَلَىٰ
एक किनारे पर
shafā
شَفَا
एक किनारे पर
jurufin
جُرُفٍ
खाई
hārin
هَارٍ
गिरने वाली के
fa-in'hāra
فَٱنْهَارَ
तो वो ले गिरी
bihi
بِهِۦ
उसे
فِى
आग में
nāri
نَارِ
आग में
jahannama
جَهَنَّمَۗ
जहन्नम की
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
لَا
नहीं वो हिदायत देता
yahdī
يَهْدِى
नहीं वो हिदायत देता
l-qawma
ٱلْقَوْمَ
उन लोगों को
l-ẓālimīna
ٱلظَّٰلِمِينَ
जो जालिम हैं
फिर क्या वह अच्छा है जिसने अपने भवन की आधारशिला अल्लाह के भय और उसकी ख़ुशी पर रखी है या वह, जिसने अपने भवन की आधारशिला किसी खाई के खोखले कगार पर रखी, जो गिरने को है। फिर वह उसे लेकर जहन्नम की आग में जा गिरा? अल्लाह तो अत्याचारी लोगों को सीधा मार्ग नहीं दिखाता ([९] अत-तौबा: 109)
Tafseer (तफ़सीर )
११०

لَا يَزَالُ بُنْيَانُهُمُ الَّذِيْ بَنَوْا رِيْبَةً فِيْ قُلُوْبِهِمْ اِلَّآ اَنْ تَقَطَّعَ قُلُوْبُهُمْۗ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌ حَكِيْمٌ ࣖ ١١٠

لَا
हमेशा रहेगी
yazālu
يَزَالُ
हमेशा रहेगी
bun'yānuhumu
بُنْيَٰنُهُمُ
इमारत उनकी
alladhī
ٱلَّذِى
वो जो
banaw
بَنَوْا۟
उन्होंने बनाई
rībatan
رِيبَةً
शक का सबब
فِى
उनके दिलों में
qulūbihim
قُلُوبِهِمْ
उनके दिलों में
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
ये कि
taqaṭṭaʿa
تَقَطَّعَ
टुकड़े-टुकड़े हो जाऐं
qulūbuhum
قُلُوبُهُمْۗ
दिल उनके
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
ḥakīmun
حَكِيمٌ
बहुत हिकमत वाला है
उनका यह भवन जो उन्होंने बनाया है, सदैव उनके दिलों में खटक बनकर रहेगा। हाँ, यदि उनके दिल ही टुकड़े-टुकड़े हो जाएँ तो दूसरी बात है। अल्लाह तो सब कुछ जाननेवाला, अत्यन्त तत्वदर्शी है ([९] अत-तौबा: 110)
Tafseer (तफ़सीर )