وَمِمَّنْ حَوْلَكُمْ مِّنَ الْاَعْرَابِ مُنٰفِقُوْنَ ۗوَمِنْ اَهْلِ الْمَدِيْنَةِ مَرَدُوْا عَلَى النِّفَاقِۗ لَا تَعْلَمُهُمْۗ نَحْنُ نَعْلَمُهُمْۗ سَنُعَذِّبُهُمْ مَّرَّتَيْنِ ثُمَّ يُرَدُّوْنَ اِلٰى عَذَابٍ عَظِيْمٍ ۚ ١٠١
- wamimman
- وَمِمَّنْ
- और उनमें से जो
- ḥawlakum
- حَوْلَكُم
- तुम्हारे आस पास हैं
- mina
- مِّنَ
- देहातियों/बदवियों में से
- l-aʿrābi
- ٱلْأَعْرَابِ
- देहातियों/बदवियों में से
- munāfiqūna
- مُنَٰفِقُونَۖ
- कुछ मुनाफ़िक़ हैं
- wamin
- وَمِنْ
- और कुछ रहने वालों में से
- ahli
- أَهْلِ
- और कुछ रहने वालों में से
- l-madīnati
- ٱلْمَدِينَةِۖ
- मदीना के
- maradū
- مَرَدُوا۟
- जो अड़ गए हैं
- ʿalā
- عَلَى
- मुनाफ़िक़त पर
- l-nifāqi
- ٱلنِّفَاقِ
- मुनाफ़िक़त पर
- lā
- لَا
- नहीं तुम जानते उन्हें
- taʿlamuhum
- تَعْلَمُهُمْۖ
- नहीं तुम जानते उन्हें
- naḥnu
- نَحْنُ
- हम
- naʿlamuhum
- نَعْلَمُهُمْۚ
- जानते हैं उन्हें
- sanuʿadhibuhum
- سَنُعَذِّبُهُم
- अनक़रीब हम अज़ाब देंगे उन्हें
- marratayni
- مَّرَّتَيْنِ
- दो बार
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- yuraddūna
- يُرَدُّونَ
- वो लौटाए जाऐंगे
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ अज़ाब
- ʿadhābin
- عَذَابٍ
- तरफ़ अज़ाब
- ʿaẓīmin
- عَظِيمٍ
- बहुत बड़े के
और तुम्हारे आस-पास के बद्दुनओं में और मदीनावालों में कुछ ऐसे कपटाचारी है जो कपट-नीति पर जमें हुए है। उनको तुम नहीं जानते, हम उन्हें भली-भाँति जानते है। शीघ्र ही हम उन्हें दो बार यातना देंगे। फिर वे एक बड़ी यातना की ओर लौटाए जाएँगे ([९] अत-तौबा: 101)Tafseer (तफ़सीर )
وَاٰخَرُوْنَ اعْتَرَفُوْا بِذُنُوْبِهِمْ خَلَطُوْا عَمَلًا صَالِحًا وَّاٰخَرَ سَيِّئًاۗ عَسَى اللّٰهُ اَنْ يَّتُوْبَ عَلَيْهِمْۗ اِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ١٠٢
- waākharūna
- وَءَاخَرُونَ
- और कुछ दूसरे
- iʿ'tarafū
- ٱعْتَرَفُوا۟
- जिन्होंने ऐतराफ़ किया
- bidhunūbihim
- بِذُنُوبِهِمْ
- अपने गुनाहों का
- khalaṭū
- خَلَطُوا۟
- उन्होंने मिला दिए
- ʿamalan
- عَمَلًا
- कुछ अमल
- ṣāliḥan
- صَٰلِحًا
- नेक
- waākhara
- وَءَاخَرَ
- और दूसरे
- sayyi-an
- سَيِّئًا
- बुरे
- ʿasā
- عَسَى
- उम्मीद है
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- an
- أَن
- कि
- yatūba
- يَتُوبَ
- वो मेहरबान हो
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْۚ
- उन पर
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
और दूसरे कुछ लोग है जिन्होंने अपने गुनाहों का इक़रार किया। उन्होंने मिले-जुले कर्म किए, कुछ अच्छे और कुछ बुरे। आशा है कि अल्लाह की कृपा-स्पष्ट उनपर हो। निस्संदेह अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है ([९] अत-तौबा: 102)Tafseer (तफ़सीर )
خُذْ مِنْ اَمْوَالِهِمْ صَدَقَةً تُطَهِّرُهُمْ وَتُزَكِّيْهِمْ بِهَا وَصَلِّ عَلَيْهِمْۗ اِنَّ صَلٰوتَكَ سَكَنٌ لَّهُمْۗ وَاللّٰهُ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌ ١٠٣
- khudh
- خُذْ
- ले लीजिए
- min
- مِنْ
- उनके मालों में से
- amwālihim
- أَمْوَٰلِهِمْ
- उनके मालों में से
- ṣadaqatan
- صَدَقَةً
- सदक़ा
- tuṭahhiruhum
- تُطَهِّرُهُمْ
- आप पाक कीजिए उन्हें
- watuzakkīhim
- وَتُزَكِّيهِم
- और आप तज़किया कीजिए उनका
- bihā
- بِهَا
- साथ उसके
- waṣalli
- وَصَلِّ
- और दुआए रहमत कीजिए
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْۖ
- उनके हक़ में
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- ṣalataka
- صَلَوٰتَكَ
- दुआ आपकी
- sakanun
- سَكَنٌ
- सुकून का ज़रिया है
- lahum
- لَّهُمْۗ
- उनके लिए
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- samīʿun
- سَمِيعٌ
- ख़ूब सुनने वाला है
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब जानने वाला है
तुम उनके माल में से दान लेकर उन्हें शुद्ध करो और उनके द्वारा उन (की आत्मा) को विकसित करो और उनके लिए दुआ करो। निस्संदेह तुम्हारी दुआ उनके लिए सर्वथा परितोष है। अल्लाह सब कुछ सुनता, जानता है ([९] अत-तौबा: 103)Tafseer (तफ़सीर )
اَلَمْ يَعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ هُوَ يَقْبَلُ التَّوْبَةَ عَنْ عِبَادِهٖ وَيَأْخُذُ الصَّدَقٰتِ وَاَنَّ اللّٰهَ هُوَ التَّوَّابُ الرَّحِيْمُ ١٠٤
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- yaʿlamū
- يَعْلَمُوٓا۟
- वो जानते
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- yaqbalu
- يَقْبَلُ
- वो क़ुबूल करता है
- l-tawbata
- ٱلتَّوْبَةَ
- तौबा को
- ʿan
- عَنْ
- अपने बन्दों से
- ʿibādihi
- عِبَادِهِۦ
- अपने बन्दों से
- wayakhudhu
- وَيَأْخُذُ
- और वो ले लेता है
- l-ṣadaqāti
- ٱلصَّدَقَٰتِ
- सदक़ात
- wa-anna
- وَأَنَّ
- और बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- l-tawābu
- ٱلتَّوَّابُ
- बहुत तौबा क़ुबूल करने वाला
- l-raḥīmu
- ٱلرَّحِيمُ
- निहायत रहम करने वाला
क्या वे जानते नहीं कि अल्लाह ही अपने बन्दों की तौबा क़बूल करता है और सदक़े लेता है और यह कि अल्लाह ही तौबा क़बूल करनेवाला, अत्यन्त दयावान है ([९] अत-तौबा: 104)Tafseer (तफ़सीर )
وَقُلِ اعْمَلُوْا فَسَيَرَى اللّٰهُ عَمَلَكُمْ وَرَسُوْلُهٗ وَالْمُؤْمِنُوْنَۗ وَسَتُرَدُّوْنَ اِلٰى عٰلِمِ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ فَيُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَۚ ١٠٥
- waquli
- وَقُلِ
- और कह दीजिए
- iʿ'malū
- ٱعْمَلُوا۟
- अमल करो
- fasayarā
- فَسَيَرَى
- पस अनक़रीब देखेगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿamalakum
- عَمَلَكُمْ
- अमल तुम्हारा
- warasūluhu
- وَرَسُولُهُۥ
- और रसूल उसका
- wal-mu'minūna
- وَٱلْمُؤْمِنُونَۖ
- और अहले ईमान भी
- wasaturaddūna
- وَسَتُرَدُّونَ
- और अनक़रीब तुम लौटाए जाओगो
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ जानने वाले
- ʿālimi
- عَٰلِمِ
- तरफ़ जानने वाले
- l-ghaybi
- ٱلْغَيْبِ
- ग़ैब
- wal-shahādati
- وَٱلشَّهَٰدَةِ
- और हाज़िर के
- fayunabbi-ukum
- فَيُنَبِّئُكُم
- फिर वो बताएगा तुम्हें
- bimā
- بِمَا
- वो जो
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते
कह दो, 'कर्म किए जाओ। अभी अल्लाह और उसका रसूल और ईमानवाले तुम्हारे कर्म को देखेंगे। फिर तुम उसकी ओर पलटोगे, जो छिपे और खुले को जानता है। फिर जो कुछ तम करते रहे हो, वह सब तुम्हें बता देगा।' ([९] अत-तौबा: 105)Tafseer (तफ़सीर )
وَاٰخَرُوْنَ مُرْجَوْنَ لِاَمْرِ اللّٰهِ اِمَّا يُعَذِّبُهُمْ وَاِمَّا يَتُوْبُ عَلَيْهِمْۗ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌ حَكِيْمٌ ١٠٦
- waākharūna
- وَءَاخَرُونَ
- और कुछ दूसरे
- mur'jawna
- مُرْجَوْنَ
- जो मुअख़्ख़र रखे गए हैं
- li-amri
- لِأَمْرِ
- हुक्म के लिए
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के
- immā
- إِمَّا
- ख़्वाह
- yuʿadhibuhum
- يُعَذِّبُهُمْ
- वो अज़ाब दे उन्हें
- wa-immā
- وَإِمَّا
- और ख़्वाह
- yatūbu
- يَتُوبُ
- वो मेहरबान हो
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْۗ
- उन पर
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब इल्म वाला है
- ḥakīmun
- حَكِيمٌ
- बहुत हिकमत वाला है
और कुछ दूसरे लोग भी है जिनका मामला अल्लाह का हुक्म आने तक स्थगित है, चाहे वह उन्हें यातना दे या उनकी तौबा क़बूल करे। अल्लाह सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है ([९] अत-तौबा: 106)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ اتَّخَذُوْا مَسْجِدًا ضِرَارًا وَّكُفْرًا وَّتَفْرِيْقًاۢ بَيْنَ الْمُؤْمِنِيْنَ وَاِرْصَادًا لِّمَنْ حَارَبَ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ مِنْ قَبْلُ ۗوَلَيَحْلِفُنَّ اِنْ اَرَدْنَآ اِلَّا الْحُسْنٰىۗ وَاللّٰهُ يَشْهَدُ اِنَّهُمْ لَكٰذِبُوْنَ ١٠٧
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- ittakhadhū
- ٱتَّخَذُوا۟
- बना ली
- masjidan
- مَسْجِدًا
- एक मस्जिद
- ḍirāran
- ضِرَارًا
- ज़रर पहुँचाने के लिए
- wakuf'ran
- وَكُفْرًا
- और कुफ़्र के लिए
- watafrīqan
- وَتَفْرِيقًۢا
- और जुदाई डालने के लिए
- bayna
- بَيْنَ
- दर्मियान ईमान वालों के
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- दर्मियान ईमान वालों के
- wa-ir'ṣādan
- وَإِرْصَادًا
- और घात लगाने के लिए
- liman
- لِّمَنْ
- उस शख़्स के लिए जिसने
- ḥāraba
- حَارَبَ
- जंग की
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- warasūlahu
- وَرَسُولَهُۥ
- और उसके रसूल से
- min
- مِن
- इससे पहले
- qablu
- قَبْلُۚ
- इससे पहले
- walayaḥlifunna
- وَلَيَحْلِفُنَّ
- और अलबत्ता वो ज़रूर क़समें खाऐंगे
- in
- إِنْ
- नहीं
- aradnā
- أَرَدْنَآ
- इरादा किया था हमने
- illā
- إِلَّا
- मगर
- l-ḥus'nā
- ٱلْحُسْنَىٰۖ
- भलाई का
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- yashhadu
- يَشْهَدُ
- वो गवाही देता है
- innahum
- إِنَّهُمْ
- बेशक वो
- lakādhibūna
- لَكَٰذِبُونَ
- अलबत्ता झूठे हैं
और कुछ ऐसे लोग भी हैं , जिन्होंने मस्जिद बनाई इसलिए कि नुक़सान पहुँचाएँ और कुफ़्र करें और इसलिए कि ईमानवालों के बीच फूट डाले और उस व्यक्ति के घात लगाने का ठिकाना बनाएँ, जो इससे पहले अल्लाह और उसके रसूल से लड़ चुका है। वे निश्चय ही क़समें खाएँगे कि 'हमने तो बस अच्छा ही चाहा था।' किन्तु अल्लाह गवाही देता है कि वे बिलकुल झूठे है ([९] अत-तौबा: 107)Tafseer (तफ़सीर )
لَا تَقُمْ فِيْهِ اَبَدًاۗ لَمَسْجِدٌ اُسِّسَ عَلَى التَّقْوٰى مِنْ اَوَّلِ يَوْمٍ اَحَقُّ اَنْ تَقُوْمَ فِيْهِۗ فِيْهِ رِجَالٌ يُّحِبُّوْنَ اَنْ يَّتَطَهَّرُوْاۗ وَاللّٰهُ يُحِبُّ الْمُطَّهِّرِيْنَ ١٠٨
- lā
- لَا
- ना आप खड़े हों
- taqum
- تَقُمْ
- ना आप खड़े हों
- fīhi
- فِيهِ
- उसमें
- abadan
- أَبَدًاۚ
- कभी भी
- lamasjidun
- لَّمَسْجِدٌ
- अलबत्ता मस्जिद
- ussisa
- أُسِّسَ
- जिसकी बुनियाद रखी गई
- ʿalā
- عَلَى
- तक़वा पर
- l-taqwā
- ٱلتَّقْوَىٰ
- तक़वा पर
- min
- مِنْ
- पहले दिन से
- awwali
- أَوَّلِ
- पहले दिन से
- yawmin
- يَوْمٍ
- पहले दिन से
- aḥaqqu
- أَحَقُّ
- ज़्यादा हक़दार है
- an
- أَن
- कि
- taqūma
- تَقُومَ
- आप खड़े हों
- fīhi
- فِيهِۚ
- उसमें
- fīhi
- فِيهِ
- उसमें
- rijālun
- رِجَالٌ
- कुछ लोग हैं
- yuḥibbūna
- يُحِبُّونَ
- जो पसंद करते हैं
- an
- أَن
- कि
- yataṭahharū
- يَتَطَهَّرُوا۟ۚ
- वो पाक साफ़ रहें
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- yuḥibbu
- يُحِبُّ
- वो पसंद करता है
- l-muṭahirīna
- ٱلْمُطَّهِّرِينَ
- पाक साफ़ रहने वालों को
तुम कभी भी उसमें खड़े न होना। वह मस्जिद जिसकी आधारशिला पहले दिन ही से ईशपरायणता पर रखी गई है, वह इसकी ज़्यादा हक़दार है कि तुम उसमें खड़े हो। उसमें ऐसे लोग पाए जाते हैं, जो अच्छी तरह स्वच्छ रहना पसन्द करते है, और अल्लाह भी पाक-साफ़ रहनेवालों को पसन्द करता है ([९] अत-तौबा: 108)Tafseer (तफ़सीर )
اَفَمَنْ اَسَّسَ بُنْيَانَهٗ عَلٰى تَقْوٰى مِنَ اللّٰهِ وَرِضْوَانٍ خَيْرٌ اَمْ مَّنْ اَسَّسَ بُنْيَانَهٗ عَلٰى شَفَا جُرُفٍ هَارٍ فَانْهَارَ بِهٖ فِيْ نَارِ جَهَنَّمَۗ وَاللّٰهُ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الظّٰلِمِيْنَ ١٠٩
- afaman
- أَفَمَنْ
- क्या भला जिसने
- assasa
- أَسَّسَ
- बुनियाद रखी
- bun'yānahu
- بُنْيَٰنَهُۥ
- अपनी इमारत की
- ʿalā
- عَلَىٰ
- तक़वा पर
- taqwā
- تَقْوَىٰ
- तक़वा पर
- mina
- مِنَ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की तरफ़ से
- wariḍ'wānin
- وَرِضْوَٰنٍ
- और रज़ामंदी पर
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर है
- am
- أَم
- या
- man
- مَّنْ
- जिसने
- assasa
- أَسَّسَ
- बुनियाद रखी
- bun'yānahu
- بُنْيَٰنَهُۥ
- अपनी इमारत की
- ʿalā
- عَلَىٰ
- एक किनारे पर
- shafā
- شَفَا
- एक किनारे पर
- jurufin
- جُرُفٍ
- खाई
- hārin
- هَارٍ
- गिरने वाली के
- fa-in'hāra
- فَٱنْهَارَ
- तो वो ले गिरी
- bihi
- بِهِۦ
- उसे
- fī
- فِى
- आग में
- nāri
- نَارِ
- आग में
- jahannama
- جَهَنَّمَۗ
- जहन्नम की
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं वो हिदायत देता
- yahdī
- يَهْدِى
- नहीं वो हिदायत देता
- l-qawma
- ٱلْقَوْمَ
- उन लोगों को
- l-ẓālimīna
- ٱلظَّٰلِمِينَ
- जो जालिम हैं
फिर क्या वह अच्छा है जिसने अपने भवन की आधारशिला अल्लाह के भय और उसकी ख़ुशी पर रखी है या वह, जिसने अपने भवन की आधारशिला किसी खाई के खोखले कगार पर रखी, जो गिरने को है। फिर वह उसे लेकर जहन्नम की आग में जा गिरा? अल्लाह तो अत्याचारी लोगों को सीधा मार्ग नहीं दिखाता ([९] अत-तौबा: 109)Tafseer (तफ़सीर )
لَا يَزَالُ بُنْيَانُهُمُ الَّذِيْ بَنَوْا رِيْبَةً فِيْ قُلُوْبِهِمْ اِلَّآ اَنْ تَقَطَّعَ قُلُوْبُهُمْۗ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌ حَكِيْمٌ ࣖ ١١٠
- lā
- لَا
- हमेशा रहेगी
- yazālu
- يَزَالُ
- हमेशा रहेगी
- bun'yānuhumu
- بُنْيَٰنُهُمُ
- इमारत उनकी
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जो
- banaw
- بَنَوْا۟
- उन्होंने बनाई
- rībatan
- رِيبَةً
- शक का सबब
- fī
- فِى
- उनके दिलों में
- qulūbihim
- قُلُوبِهِمْ
- उनके दिलों में
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- taqaṭṭaʿa
- تَقَطَّعَ
- टुकड़े-टुकड़े हो जाऐं
- qulūbuhum
- قُلُوبُهُمْۗ
- दिल उनके
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब जानने वाला है
- ḥakīmun
- حَكِيمٌ
- बहुत हिकमत वाला है
उनका यह भवन जो उन्होंने बनाया है, सदैव उनके दिलों में खटक बनकर रहेगा। हाँ, यदि उनके दिल ही टुकड़े-टुकड़े हो जाएँ तो दूसरी बात है। अल्लाह तो सब कुछ जाननेवाला, अत्यन्त तत्वदर्शी है ([९] अत-तौबा: 110)Tafseer (तफ़सीर )