لَيْسَ عَلَى الضُّعَفَاۤءِ وَلَا عَلَى الْمَرْضٰى وَلَا عَلَى الَّذِيْنَ لَا يَجِدُوْنَ مَا يُنْفِقُوْنَ حَرَجٌ اِذَا نَصَحُوْا لِلّٰهِ وَرَسُوْلِهٖۗ مَا عَلَى الْمُحْسِنِيْنَ مِنْ سَبِيْلٍ ۗوَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌۙ ٩١
- laysa
- لَّيْسَ
- नहीं है
- ʿalā
- عَلَى
- ज़ईफ़ों पर
- l-ḍuʿafāi
- ٱلضُّعَفَآءِ
- ज़ईफ़ों पर
- walā
- وَلَا
- और ना
- ʿalā
- عَلَى
- मरीज़ों पर
- l-marḍā
- ٱلْمَرْضَىٰ
- मरीज़ों पर
- walā
- وَلَا
- और ना
- ʿalā
- عَلَى
- उन पर जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन पर जो
- lā
- لَا
- नहीं वो पाते
- yajidūna
- يَجِدُونَ
- नहीं वो पाते
- mā
- مَا
- वो (चीज़) जो
- yunfiqūna
- يُنفِقُونَ
- वो ख़र्च करें
- ḥarajun
- حَرَجٌ
- कोई हरज
- idhā
- إِذَا
- जब
- naṣaḥū
- نَصَحُوا۟
- वो ख़ैरख़्वाही करें
- lillahi
- لِلَّهِ
- वास्ते अल्लाह के
- warasūlihi
- وَرَسُولِهِۦۚ
- और उसके रसूल के
- mā
- مَا
- नहीं है
- ʿalā
- عَلَى
- एहसान करने वालों पर
- l-muḥ'sinīna
- ٱلْمُحْسِنِينَ
- एहसान करने वालों पर
- min
- مِن
- कोई मुआख़ज़ा
- sabīlin
- سَبِيلٍۚ
- कोई मुआख़ज़ा
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- बहुत रहम करने वाला है
न तो कमज़ोरों के लिए कोई दोष की बात है और न बीमारों के लिए और न उन लोगों के लिए जिन्हें ख़र्च करने के लिए कुछ प्राप्त नहीं, जबकि वे अल्लाह और उसके रसूल के प्रति निष्ठावान हों। उत्तमकारों पर इलज़ाम की कोई गुंजाइश नहीं है। अल्लाह तो बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है ([९] अत-तौबा: 91)Tafseer (तफ़सीर )
وَّلَا عَلَى الَّذِيْنَ اِذَا مَآ اَتَوْكَ لِتَحْمِلَهُمْ قُلْتَ لَآ اَجِدُ مَآ اَحْمِلُكُمْ عَلَيْهِ ۖتَوَلَّوْا وَّاَعْيُنُهُمْ تَفِيْضُ مِنَ الدَّمْعِ حَزَنًا اَلَّا يَجِدُوْا مَا يُنْفِقُوْنَۗ ٩٢
- walā
- وَلَا
- और ना
- ʿalā
- عَلَى
- उन पर जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन पर जो
- idhā
- إِذَا
- जब भी
- mā
- مَآ
- जब भी
- atawka
- أَتَوْكَ
- वो आए आपके पास
- litaḥmilahum
- لِتَحْمِلَهُمْ
- ताकि आप सवार करें उन्हें
- qul'ta
- قُلْتَ
- कहा आपने
- lā
- لَآ
- नहीं मैं पाता
- ajidu
- أَجِدُ
- नहीं मैं पाता
- mā
- مَآ
- वो जो
- aḥmilukum
- أَحْمِلُكُمْ
- मैं सवार करुँ तुम्हें
- ʿalayhi
- عَلَيْهِ
- जिस पर
- tawallaw
- تَوَلَّوا۟
- वो पलट गए
- wa-aʿyunuhum
- وَّأَعْيُنُهُمْ
- और आँखें उनकी
- tafīḍu
- تَفِيضُ
- बह रही थीं
- mina
- مِنَ
- आँसुओं से
- l-damʿi
- ٱلدَّمْعِ
- आँसुओं से
- ḥazanan
- حَزَنًا
- ग़म की वजह से
- allā
- أَلَّا
- कि नहीं
- yajidū
- يَجِدُوا۟
- वो पाते
- mā
- مَا
- जो
- yunfiqūna
- يُنفِقُونَ
- वो ख़र्च कर सकें
और न उन लोगों पर आक्षेप करने की कोई गुंजाइश है जिनका हाल यह है कि जब वे तुम्हारे पास आते है, कि तुम उनके लिए सवारी का प्रबन्ध कर दो, तुम कहते हो, 'मुझे ऐसा कुछ प्राप्त नहीं जिसपर तुम्हें सवार करूँ।' वे इस दशा में लौटते है कि इस ग़म में उनकी आँखे आँसू बहा रही होती है कि वे अपने पास ख़र्च करने को कुछ नहीं पाते ([९] अत-तौबा: 92)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّمَا السَّبِيْلُ عَلَى الَّذِيْنَ يَسْتَأْذِنُوْنَكَ وَهُمْ اَغْنِيَاۤءُۚ رَضُوْا بِاَنْ يَّكُوْنُوْا مَعَ الْخَوَالِفِۙ وَطَبَعَ اللّٰهُ عَلٰى قُلُوْبِهِمْ فَهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَ ۔ ٩٣
- innamā
- إِنَّمَا
- बेशक
- l-sabīlu
- ٱلسَّبِيلُ
- मुआख़ज़ा तो
- ʿalā
- عَلَى
- उन पर है जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन पर है जो
- yastadhinūnaka
- يَسْتَـْٔذِنُونَكَ
- इजाज़त तलब करते हैं आपसे
- wahum
- وَهُمْ
- हालाँकि वो
- aghniyāu
- أَغْنِيَآءُۚ
- ग़नी हैं
- raḍū
- رَضُوا۟
- वो राज़ी हो गए
- bi-an
- بِأَن
- कि
- yakūnū
- يَكُونُوا۟
- हों वो
- maʿa
- مَعَ
- साथ पीछे रहने वालों के
- l-khawālifi
- ٱلْخَوَالِفِ
- साथ पीछे रहने वालों के
- waṭabaʿa
- وَطَبَعَ
- और मोहर लगा दी
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उनके दिलों पर
- qulūbihim
- قُلُوبِهِمْ
- उनके दिलों पर
- fahum
- فَهُمْ
- पस वो
- lā
- لَا
- नहीं वो जानते
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- नहीं वो जानते
इल्ज़ाम तो बस उनपर है जो धनवान होते हुए तुमसे छुट्टी माँगते है। वे इसपर राज़ी हुए कि पीछे डाले गए लोगों के साथ रह जाएँ। अल्लाह ने तो उनके दिलों पर मुहर लगा दी है, इसलिए वे जानते नहीं ([९] अत-तौबा: 93)Tafseer (तफ़सीर )
يَعْتَذِرُوْنَ اِلَيْكُمْ اِذَا رَجَعْتُمْ اِلَيْهِمْ ۗ قُلْ لَّا تَعْتَذِرُوْا لَنْ نُّؤْمِنَ لَكُمْ قَدْ نَبَّاَنَا اللّٰهُ مِنْ اَخْبَارِكُمْ وَسَيَرَى اللّٰهُ عَمَلَكُمْ وَرَسُوْلُهٗ ثُمَّ تُرَدُّوْنَ اِلٰى عٰلِمِ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ فَيُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ٩٤
- yaʿtadhirūna
- يَعْتَذِرُونَ
- वो उज़र पेश करेंगे
- ilaykum
- إِلَيْكُمْ
- तरफ़ तुम्हारे
- idhā
- إِذَا
- जब
- rajaʿtum
- رَجَعْتُمْ
- लौटोगे तुम
- ilayhim
- إِلَيْهِمْۚ
- तरफ़ उनके
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- lā
- لَّا
- ना तुम उज़र पेश करो
- taʿtadhirū
- تَعْتَذِرُوا۟
- ना तुम उज़र पेश करो
- lan
- لَن
- हरगिज़ नहीं
- nu'mina
- نُّؤْمِنَ
- हम ऐतबार करेंगे
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारा
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- nabba-anā
- نَبَّأَنَا
- बता दीं हमें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- min
- مِنْ
- बाज़ ख़बरें तुम्हारी
- akhbārikum
- أَخْبَارِكُمْۚ
- बाज़ ख़बरें तुम्हारी
- wasayarā
- وَسَيَرَى
- और अनक़रीब देखेगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿamalakum
- عَمَلَكُمْ
- अमल तुहारा
- warasūluhu
- وَرَسُولُهُۥ
- और उसका रसूल (भी)
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- turaddūna
- تُرَدُّونَ
- तुम लौटाए जाओगे
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ जानने वाले
- ʿālimi
- عَٰلِمِ
- तरफ़ जानने वाले
- l-ghaybi
- ٱلْغَيْبِ
- ग़ैब
- wal-shahādati
- وَٱلشَّهَٰدَةِ
- और हाज़िर के
- fayunabbi-ukum
- فَيُنَبِّئُكُم
- फिर वो बताएगा तुम्हें
- bimā
- بِمَا
- वो जो
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते
जब तुम पलटकर उनके पास पहुँचोगे तो वे तुम्हारे सामने बहाने करेंगे। तुम कह देना, 'बहाने न बनाओ। हम तु्म्हारी बात कदापि नहीं मानेंगे। हमें अल्लाह ने तुम्हारे वृत्तांत बता दिए है। अभी अल्लाह और उसका रसूल तुम्हारे काम को देखेगा, फिर तुम उसकी ओर लौटोगे, जो छिपे और खुले का ज्ञान रखता है। फिर जो कुछ तुम करते रहे हो वह तुम्हे बता देगा।' ([९] अत-तौबा: 94)Tafseer (तफ़सीर )
سَيَحْلِفُوْنَ بِاللّٰهِ لَكُمْ اِذَا انْقَلَبْتُمْ اِلَيْهِمْ لِتُعْرِضُوْا عَنْهُمْ ۗ فَاَعْرِضُوْا عَنْهُمْ ۗ اِنَّهُمْ رِجْسٌۙ وَّمَأْوٰىهُمْ جَهَنَّمُ جَزَاۤءً ۢبِمَا كَانُوْا يَكْسِبُوْنَ ٩٥
- sayaḥlifūna
- سَيَحْلِفُونَ
- अनक़रीब वो क़समें खाऐंगे
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह की
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- idhā
- إِذَا
- जब
- inqalabtum
- ٱنقَلَبْتُمْ
- लौटोगे तुम
- ilayhim
- إِلَيْهِمْ
- तरफ़ उनके
- lituʿ'riḍū
- لِتُعْرِضُوا۟
- ताकि तुम ऐराज़ करो
- ʿanhum
- عَنْهُمْۖ
- उनसे
- fa-aʿriḍū
- فَأَعْرِضُوا۟
- तो ऐराज़ कर लो
- ʿanhum
- عَنْهُمْۖ
- उनसे
- innahum
- إِنَّهُمْ
- क्योंकि वो
- rij'sun
- رِجْسٌۖ
- गंदगी हैं
- wamawāhum
- وَمَأْوَىٰهُمْ
- और ठिकाना उनका
- jahannamu
- جَهَنَّمُ
- जहन्नम है
- jazāan
- جَزَآءًۢ
- बदला है
- bimā
- بِمَا
- उसका जो
- kānū
- كَانُوا۟
- हैं वो
- yaksibūna
- يَكْسِبُونَ
- वो कमाई करते
जब तुम पलटकर उनके पास जाओगे तो वे तुम्हारे सामने अल्लाह की क़समें खाएँगे, ताकि तुम उन्हें उनकी हालत पर छोड़ दो। तो तुम उन्हें छोड़ ही दो। निश्चय ही वे गन्दगी है और उनका ठिकाना जहन्नम है। जो कुछ वे कमाते रहे है, यह उसी का बदला है ([९] अत-तौबा: 95)Tafseer (तफ़सीर )
يَحْلِفُوْنَ لَكُمْ لِتَرْضَوْا عَنْهُمْ ۚفَاِنْ تَرْضَوْا عَنْهُمْ فَاِنَّ اللّٰهَ لَا يَرْضٰى عَنِ الْقَوْمِ الْفٰسِقِيْنَ ٩٦
- yaḥlifūna
- يَحْلِفُونَ
- वो क़समें खाऐंगे
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- litarḍaw
- لِتَرْضَوْا۟
- ताकि तुम राज़ी हो जाओ
- ʿanhum
- عَنْهُمْۖ
- उनसे
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- tarḍaw
- تَرْضَوْا۟
- तुम राज़ी हो भी जाओ
- ʿanhum
- عَنْهُمْ
- उनसे
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- lā
- لَا
- नहीं वो राज़ी होता
- yarḍā
- يَرْضَىٰ
- नहीं वो राज़ी होता
- ʿani
- عَنِ
- उन लोगों से
- l-qawmi
- ٱلْقَوْمِ
- उन लोगों से
- l-fāsiqīna
- ٱلْفَٰسِقِينَ
- जो फ़ासिक़ हैं
वे तुम्हारे सामने क़समें खाएँगे ताकि तुम उनसे राज़ी हो जाओ, किन्तु यदि तुम उनसे राज़ी भी हो गए तो अल्लाह ऐसे लोगो से कदापि राज़ी न होगा, जो अवज्ञाकारी है ([९] अत-तौबा: 96)Tafseer (तफ़सीर )
اَلْاَعْرَابُ اَشَدُّ كُفْرًا وَّنِفَاقًا وَّاَجْدَرُ اَلَّا يَعْلَمُوْا حُدُوْدَ مَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ عَلٰى رَسُوْلِهٖ ۗوَاللّٰهُ عَلِيْمٌ حَكِيْمٌ ٩٧
- al-aʿrābu
- ٱلْأَعْرَابُ
- देहाती/बदवी
- ashaddu
- أَشَدُّ
- ज़्यादा सख़्त हैं
- kuf'ran
- كُفْرًا
- कुफ़्र
- wanifāqan
- وَنِفَاقًا
- और निफ़ाक़ में
- wa-ajdaru
- وَأَجْدَرُ
- और ज़्यादा लायक़ हैं
- allā
- أَلَّا
- कि ना
- yaʿlamū
- يَعْلَمُوا۟
- वो जानें
- ḥudūda
- حُدُودَ
- हुदूद को
- mā
- مَآ
- उसकी जो
- anzala
- أَنزَلَ
- नाज़िल किया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपने रसूल पर
- rasūlihi
- رَسُولِهِۦۗ
- अपने रसूल पर
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब इल्म वाला है
- ḥakīmun
- حَكِيمٌ
- बहुत हिकमत वाला है
वे बद्दूग इनकार और कपटाचार में बहुत-ही बढ़े हुए है। और इसी के ज़्यादा योग्य है कि उनकी सीमाओं से अनभिज्ञ रहें, जिसे अल्लाह ने अपने रसूल पर अवतरित किया है। अल्लाह सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है ([९] अत-तौबा: 97)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنَ الْاَعْرَابِ مَنْ يَّتَّخِذُ مَا يُنْفِقُ مَغْرَمًا وَّيَتَرَبَّصُ بِكُمُ الدَّوَاۤىِٕرَ ۗعَلَيْهِمْ دَاۤىِٕرَةُ السَّوْءِ ۗوَاللّٰهُ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌ ٩٨
- wamina
- وَمِنَ
- और देहातियों/बदवियों में से
- l-aʿrābi
- ٱلْأَعْرَابِ
- और देहातियों/बदवियों में से
- man
- مَن
- कोई है जो
- yattakhidhu
- يَتَّخِذُ
- बना लेता है
- mā
- مَا
- उसे जो
- yunfiqu
- يُنفِقُ
- वो ख़र्च करता है
- maghraman
- مَغْرَمًا
- तावान
- wayatarabbaṣu
- وَيَتَرَبَّصُ
- और वो इन्तिज़ार करता है
- bikumu
- بِكُمُ
- तुम्हारे बारे में
- l-dawāira
- ٱلدَّوَآئِرَۚ
- गर्दिशों का
- ʿalayhim
- عَلَيْهِمْ
- उन पर है
- dāiratu
- دَآئِرَةُ
- गर्दिश
- l-sawi
- ٱلسَّوْءِۗ
- बुरी
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- samīʿun
- سَمِيعٌ
- खूब सुनने वाला है
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब जानने वाला है
और कुछ बद्दूज ऐसे है कि वे जो कुछ ख़र्च करते है, उसे तावान समझते है और तुम्हारे हक़ मं बुरी गर्दिशों (बुरे दिन) की प्रतीक्षा में हैं, बुरी गर्दिश में तो वही है। अल्लाह सब कुछ सुनता, जानता है ([९] अत-तौबा: 98)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنَ الْاَعْرَابِ مَنْ يُّؤْمِنُ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ وَيَتَّخِذُ مَا يُنْفِقُ قُرُبٰتٍ عِنْدَ اللّٰهِ وَصَلَوٰتِ الرَّسُوْلِ ۗ اَلَآ اِنَّهَا قُرْبَةٌ لَّهُمْ ۗ سَيُدْخِلُهُمُ اللّٰهُ فِيْ رَحْمَتِهٖ ۗاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ࣖ ٩٩
- wamina
- وَمِنَ
- और देहातियों/बदवियों में से
- l-aʿrābi
- ٱلْأَعْرَابِ
- और देहातियों/बदवियों में से
- man
- مَن
- कोई है जो
- yu'minu
- يُؤْمِنُ
- ईमान रखता है
- bil-lahi
- بِٱللَّهِ
- अल्लाह पर
- wal-yawmi
- وَٱلْيَوْمِ
- और आख़िरी दिन पर
- l-ākhiri
- ٱلْءَاخِرِ
- और आख़िरी दिन पर
- wayattakhidhu
- وَيَتَّخِذُ
- और वो बना लेता है
- mā
- مَا
- उसे जो
- yunfiqu
- يُنفِقُ
- वो ख़र्च करता है
- qurubātin
- قُرُبَٰتٍ
- क़ुरबतों (का ज़रिया)
- ʿinda
- عِندَ
- अल्लाह के नज़दीक
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के नज़दीक
- waṣalawāti
- وَصَلَوَٰتِ
- और दुआओं का
- l-rasūli
- ٱلرَّسُولِۚ
- रसूल की
- alā
- أَلَآ
- ख़बरदार
- innahā
- إِنَّهَا
- बेशक वो
- qur'batun
- قُرْبَةٌ
- क़ुरबत (का ज़रिया) है
- lahum
- لَّهُمْۚ
- उनके लिए
- sayud'khiluhumu
- سَيُدْخِلُهُمُ
- अनक़रीब दाख़िल करेगा उन्हें
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- fī
- فِى
- अपनी रहमत में
- raḥmatihi
- رَحْمَتِهِۦٓۗ
- अपनी रहमत में
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- बहुत रहम करने वाला है
और बद्दु,ओं में ऐसे भी लोग है जो अल्लाह और अन्तिम दिन को मानते है और जो कुछ ख़र्च करते है, उसे अल्लाह के यहाँ निकटताओं का और रसूल की दुआओं को प्राप्त करने का साधन बनाते है। हाँ! निस्संदेह वह उनके हक़ में निकटता ही है। अल्लाह उन्हें शीघ्र ही अपनी दयालुता में दाख़िल करेगा। निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है ([९] अत-तौबा: 99)Tafseer (तफ़सीर )
وَالسّٰبِقُوْنَ الْاَوَّلُوْنَ مِنَ الْمُهٰجِرِيْنَ وَالْاَنْصَارِ وَالَّذِيْنَ اتَّبَعُوْهُمْ بِاِحْسَانٍۙ رَّضِيَ اللّٰهُ عَنْهُمْ وَرَضُوْا عَنْهُ وَاَعَدَّ لَهُمْ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ تَحْتَهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِيْنَ فِيْهَآ اَبَدًا ۗذٰلِكَ الْفَوْزُ الْعَظِيْمُ ١٠٠
- wal-sābiqūna
- وَٱلسَّٰبِقُونَ
- और सबक़त करने वाले
- l-awalūna
- ٱلْأَوَّلُونَ
- सब से पहले
- mina
- مِنَ
- मुहाजिरीन में से
- l-muhājirīna
- ٱلْمُهَٰجِرِينَ
- मुहाजिरीन में से
- wal-anṣāri
- وَٱلْأَنصَارِ
- और अन्सार में से
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- ittabaʿūhum
- ٱتَّبَعُوهُم
- पैरवी की उनकी
- bi-iḥ'sānin
- بِإِحْسَٰنٍ
- साथ एहसान के
- raḍiya
- رَّضِىَ
- राज़ी हो गया
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- ʿanhum
- عَنْهُمْ
- उनसे
- waraḍū
- وَرَضُوا۟
- और वो राज़ी हो गए
- ʿanhu
- عَنْهُ
- उससे
- wa-aʿadda
- وَأَعَدَّ
- और उसने तैयार कर रखा है
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- jannātin
- جَنَّٰتٍ
- बाग़ात को
- tajrī
- تَجْرِى
- बहती हैं
- taḥtahā
- تَحْتَهَا
- नीचे उनके
- l-anhāru
- ٱلْأَنْهَٰرُ
- नहरें
- khālidīna
- خَٰلِدِينَ
- हमेशा रहने वाले हैं
- fīhā
- فِيهَآ
- उसमें
- abadan
- أَبَدًاۚ
- हमेशा-हमेशा
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- यही है
- l-fawzu
- ٱلْفَوْزُ
- कामयाबी
- l-ʿaẓīmu
- ٱلْعَظِيمُ
- बहुत बड़ी
सबसे पहले आगे बढ़नेवाले मुहाजिर और अनसार और जिन्होंने भली प्रकार उनका अनुसरण किया, अल्लाह उनसे राज़ी हुआ और वे उससे राज़ी हुए। और उसने उनके लिए ऐसे बाग़ तैयार कर रखे है, जिनके नीचे नहरें बह रही है, वे उनमें सदैव रहेंगे। यही बड़ी सफलता है ([९] अत-तौबा: 100)Tafseer (तफ़सीर )