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सूरा अत-तौबा - Page: 10

At-Tawbah

(The Repentance)

९१

لَيْسَ عَلَى الضُّعَفَاۤءِ وَلَا عَلَى الْمَرْضٰى وَلَا عَلَى الَّذِيْنَ لَا يَجِدُوْنَ مَا يُنْفِقُوْنَ حَرَجٌ اِذَا نَصَحُوْا لِلّٰهِ وَرَسُوْلِهٖۗ مَا عَلَى الْمُحْسِنِيْنَ مِنْ سَبِيْلٍ ۗوَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌۙ ٩١

laysa
لَّيْسَ
नहीं है
ʿalā
عَلَى
ज़ईफ़ों पर
l-ḍuʿafāi
ٱلضُّعَفَآءِ
ज़ईफ़ों पर
walā
وَلَا
और ना
ʿalā
عَلَى
मरीज़ों पर
l-marḍā
ٱلْمَرْضَىٰ
मरीज़ों पर
walā
وَلَا
और ना
ʿalā
عَلَى
उन पर जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन पर जो
لَا
नहीं वो पाते
yajidūna
يَجِدُونَ
नहीं वो पाते
مَا
वो (चीज़) जो
yunfiqūna
يُنفِقُونَ
वो ख़र्च करें
ḥarajun
حَرَجٌ
कोई हरज
idhā
إِذَا
जब
naṣaḥū
نَصَحُوا۟
वो ख़ैरख़्वाही करें
lillahi
لِلَّهِ
वास्ते अल्लाह के
warasūlihi
وَرَسُولِهِۦۚ
और उसके रसूल के
مَا
नहीं है
ʿalā
عَلَى
एहसान करने वालों पर
l-muḥ'sinīna
ٱلْمُحْسِنِينَ
एहसान करने वालों पर
min
مِن
कोई मुआख़ज़ा
sabīlin
سَبِيلٍۚ
कोई मुआख़ज़ा
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
बहुत रहम करने वाला है
न तो कमज़ोरों के लिए कोई दोष की बात है और न बीमारों के लिए और न उन लोगों के लिए जिन्हें ख़र्च करने के लिए कुछ प्राप्त नहीं, जबकि वे अल्लाह और उसके रसूल के प्रति निष्ठावान हों। उत्तमकारों पर इलज़ाम की कोई गुंजाइश नहीं है। अल्लाह तो बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है ([९] अत-तौबा: 91)
Tafseer (तफ़सीर )
९२

وَّلَا عَلَى الَّذِيْنَ اِذَا مَآ اَتَوْكَ لِتَحْمِلَهُمْ قُلْتَ لَآ اَجِدُ مَآ اَحْمِلُكُمْ عَلَيْهِ ۖتَوَلَّوْا وَّاَعْيُنُهُمْ تَفِيْضُ مِنَ الدَّمْعِ حَزَنًا اَلَّا يَجِدُوْا مَا يُنْفِقُوْنَۗ ٩٢

walā
وَلَا
और ना
ʿalā
عَلَى
उन पर जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन पर जो
idhā
إِذَا
जब भी
مَآ
जब भी
atawka
أَتَوْكَ
वो आए आपके पास
litaḥmilahum
لِتَحْمِلَهُمْ
ताकि आप सवार करें उन्हें
qul'ta
قُلْتَ
कहा आपने
لَآ
नहीं मैं पाता
ajidu
أَجِدُ
नहीं मैं पाता
مَآ
वो जो
aḥmilukum
أَحْمِلُكُمْ
मैं सवार करुँ तुम्हें
ʿalayhi
عَلَيْهِ
जिस पर
tawallaw
تَوَلَّوا۟
वो पलट गए
wa-aʿyunuhum
وَّأَعْيُنُهُمْ
और आँखें उनकी
tafīḍu
تَفِيضُ
बह रही थीं
mina
مِنَ
आँसुओं से
l-damʿi
ٱلدَّمْعِ
आँसुओं से
ḥazanan
حَزَنًا
ग़म की वजह से
allā
أَلَّا
कि नहीं
yajidū
يَجِدُوا۟
वो पाते
مَا
जो
yunfiqūna
يُنفِقُونَ
वो ख़र्च कर सकें
और न उन लोगों पर आक्षेप करने की कोई गुंजाइश है जिनका हाल यह है कि जब वे तुम्हारे पास आते है, कि तुम उनके लिए सवारी का प्रबन्ध कर दो, तुम कहते हो, 'मुझे ऐसा कुछ प्राप्त नहीं जिसपर तुम्हें सवार करूँ।' वे इस दशा में लौटते है कि इस ग़म में उनकी आँखे आँसू बहा रही होती है कि वे अपने पास ख़र्च करने को कुछ नहीं पाते ([९] अत-तौबा: 92)
Tafseer (तफ़सीर )
९३

اِنَّمَا السَّبِيْلُ عَلَى الَّذِيْنَ يَسْتَأْذِنُوْنَكَ وَهُمْ اَغْنِيَاۤءُۚ رَضُوْا بِاَنْ يَّكُوْنُوْا مَعَ الْخَوَالِفِۙ وَطَبَعَ اللّٰهُ عَلٰى قُلُوْبِهِمْ فَهُمْ لَا يَعْلَمُوْنَ ۔ ٩٣

innamā
إِنَّمَا
बेशक
l-sabīlu
ٱلسَّبِيلُ
मुआख़ज़ा तो
ʿalā
عَلَى
उन पर है जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन पर है जो
yastadhinūnaka
يَسْتَـْٔذِنُونَكَ
इजाज़त तलब करते हैं आपसे
wahum
وَهُمْ
हालाँकि वो
aghniyāu
أَغْنِيَآءُۚ
ग़नी हैं
raḍū
رَضُوا۟
वो राज़ी हो गए
bi-an
بِأَن
कि
yakūnū
يَكُونُوا۟
हों वो
maʿa
مَعَ
साथ पीछे रहने वालों के
l-khawālifi
ٱلْخَوَالِفِ
साथ पीछे रहने वालों के
waṭabaʿa
وَطَبَعَ
और मोहर लगा दी
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ʿalā
عَلَىٰ
उनके दिलों पर
qulūbihim
قُلُوبِهِمْ
उनके दिलों पर
fahum
فَهُمْ
पस वो
لَا
नहीं वो जानते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नहीं वो जानते
इल्ज़ाम तो बस उनपर है जो धनवान होते हुए तुमसे छुट्टी माँगते है। वे इसपर राज़ी हुए कि पीछे डाले गए लोगों के साथ रह जाएँ। अल्लाह ने तो उनके दिलों पर मुहर लगा दी है, इसलिए वे जानते नहीं ([९] अत-तौबा: 93)
Tafseer (तफ़सीर )
९४

يَعْتَذِرُوْنَ اِلَيْكُمْ اِذَا رَجَعْتُمْ اِلَيْهِمْ ۗ قُلْ لَّا تَعْتَذِرُوْا لَنْ نُّؤْمِنَ لَكُمْ قَدْ نَبَّاَنَا اللّٰهُ مِنْ اَخْبَارِكُمْ وَسَيَرَى اللّٰهُ عَمَلَكُمْ وَرَسُوْلُهٗ ثُمَّ تُرَدُّوْنَ اِلٰى عٰلِمِ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ فَيُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ٩٤

yaʿtadhirūna
يَعْتَذِرُونَ
वो उज़र पेश करेंगे
ilaykum
إِلَيْكُمْ
तरफ़ तुम्हारे
idhā
إِذَا
जब
rajaʿtum
رَجَعْتُمْ
लौटोगे तुम
ilayhim
إِلَيْهِمْۚ
तरफ़ उनके
qul
قُل
कह दीजिए
لَّا
ना तुम उज़र पेश करो
taʿtadhirū
تَعْتَذِرُوا۟
ना तुम उज़र पेश करो
lan
لَن
हरगिज़ नहीं
nu'mina
نُّؤْمِنَ
हम ऐतबार करेंगे
lakum
لَكُمْ
तुम्हारा
qad
قَدْ
तहक़ीक़
nabba-anā
نَبَّأَنَا
बता दीं हमें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
min
مِنْ
बाज़ ख़बरें तुम्हारी
akhbārikum
أَخْبَارِكُمْۚ
बाज़ ख़बरें तुम्हारी
wasayarā
وَسَيَرَى
और अनक़रीब देखेगा
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿamalakum
عَمَلَكُمْ
अमल तुहारा
warasūluhu
وَرَسُولُهُۥ
और उसका रसूल (भी)
thumma
ثُمَّ
फिर
turaddūna
تُرَدُّونَ
तुम लौटाए जाओगे
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ जानने वाले
ʿālimi
عَٰلِمِ
तरफ़ जानने वाले
l-ghaybi
ٱلْغَيْبِ
ग़ैब
wal-shahādati
وَٱلشَّهَٰدَةِ
और हाज़िर के
fayunabbi-ukum
فَيُنَبِّئُكُم
फिर वो बताएगा तुम्हें
bimā
بِمَا
वो जो
kuntum
كُنتُمْ
थे तुम
taʿmalūna
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते
जब तुम पलटकर उनके पास पहुँचोगे तो वे तुम्हारे सामने बहाने करेंगे। तुम कह देना, 'बहाने न बनाओ। हम तु्म्हारी बात कदापि नहीं मानेंगे। हमें अल्लाह ने तुम्हारे वृत्तांत बता दिए है। अभी अल्लाह और उसका रसूल तुम्हारे काम को देखेगा, फिर तुम उसकी ओर लौटोगे, जो छिपे और खुले का ज्ञान रखता है। फिर जो कुछ तुम करते रहे हो वह तुम्हे बता देगा।' ([९] अत-तौबा: 94)
Tafseer (तफ़सीर )
९५

سَيَحْلِفُوْنَ بِاللّٰهِ لَكُمْ اِذَا انْقَلَبْتُمْ اِلَيْهِمْ لِتُعْرِضُوْا عَنْهُمْ ۗ فَاَعْرِضُوْا عَنْهُمْ ۗ اِنَّهُمْ رِجْسٌۙ وَّمَأْوٰىهُمْ جَهَنَّمُ جَزَاۤءً ۢبِمَا كَانُوْا يَكْسِبُوْنَ ٩٥

sayaḥlifūna
سَيَحْلِفُونَ
अनक़रीब वो क़समें खाऐंगे
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह की
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
idhā
إِذَا
जब
inqalabtum
ٱنقَلَبْتُمْ
लौटोगे तुम
ilayhim
إِلَيْهِمْ
तरफ़ उनके
lituʿ'riḍū
لِتُعْرِضُوا۟
ताकि तुम ऐराज़ करो
ʿanhum
عَنْهُمْۖ
उनसे
fa-aʿriḍū
فَأَعْرِضُوا۟
तो ऐराज़ कर लो
ʿanhum
عَنْهُمْۖ
उनसे
innahum
إِنَّهُمْ
क्योंकि वो
rij'sun
رِجْسٌۖ
गंदगी हैं
wamawāhum
وَمَأْوَىٰهُمْ
और ठिकाना उनका
jahannamu
جَهَنَّمُ
जहन्नम है
jazāan
جَزَآءًۢ
बदला है
bimā
بِمَا
उसका जो
kānū
كَانُوا۟
हैं वो
yaksibūna
يَكْسِبُونَ
वो कमाई करते
जब तुम पलटकर उनके पास जाओगे तो वे तुम्हारे सामने अल्लाह की क़समें खाएँगे, ताकि तुम उन्हें उनकी हालत पर छोड़ दो। तो तुम उन्हें छोड़ ही दो। निश्चय ही वे गन्दगी है और उनका ठिकाना जहन्नम है। जो कुछ वे कमाते रहे है, यह उसी का बदला है ([९] अत-तौबा: 95)
Tafseer (तफ़सीर )
९६

يَحْلِفُوْنَ لَكُمْ لِتَرْضَوْا عَنْهُمْ ۚفَاِنْ تَرْضَوْا عَنْهُمْ فَاِنَّ اللّٰهَ لَا يَرْضٰى عَنِ الْقَوْمِ الْفٰسِقِيْنَ ٩٦

yaḥlifūna
يَحْلِفُونَ
वो क़समें खाऐंगे
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
litarḍaw
لِتَرْضَوْا۟
ताकि तुम राज़ी हो जाओ
ʿanhum
عَنْهُمْۖ
उनसे
fa-in
فَإِن
फिर अगर
tarḍaw
تَرْضَوْا۟
तुम राज़ी हो भी जाओ
ʿanhum
عَنْهُمْ
उनसे
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नहीं वो राज़ी होता
yarḍā
يَرْضَىٰ
नहीं वो राज़ी होता
ʿani
عَنِ
उन लोगों से
l-qawmi
ٱلْقَوْمِ
उन लोगों से
l-fāsiqīna
ٱلْفَٰسِقِينَ
जो फ़ासिक़ हैं
वे तुम्हारे सामने क़समें खाएँगे ताकि तुम उनसे राज़ी हो जाओ, किन्तु यदि तुम उनसे राज़ी भी हो गए तो अल्लाह ऐसे लोगो से कदापि राज़ी न होगा, जो अवज्ञाकारी है ([९] अत-तौबा: 96)
Tafseer (तफ़सीर )
९७

اَلْاَعْرَابُ اَشَدُّ كُفْرًا وَّنِفَاقًا وَّاَجْدَرُ اَلَّا يَعْلَمُوْا حُدُوْدَ مَآ اَنْزَلَ اللّٰهُ عَلٰى رَسُوْلِهٖ ۗوَاللّٰهُ عَلِيْمٌ حَكِيْمٌ ٩٧

al-aʿrābu
ٱلْأَعْرَابُ
देहाती/बदवी
ashaddu
أَشَدُّ
ज़्यादा सख़्त हैं
kuf'ran
كُفْرًا
कुफ़्र
wanifāqan
وَنِفَاقًا
और निफ़ाक़ में
wa-ajdaru
وَأَجْدَرُ
और ज़्यादा लायक़ हैं
allā
أَلَّا
कि ना
yaʿlamū
يَعْلَمُوا۟
वो जानें
ḥudūda
حُدُودَ
हुदूद को
مَآ
उसकी जो
anzala
أَنزَلَ
नाज़िल किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
ʿalā
عَلَىٰ
अपने रसूल पर
rasūlihi
رَسُولِهِۦۗ
अपने रसूल पर
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब इल्म वाला है
ḥakīmun
حَكِيمٌ
बहुत हिकमत वाला है
वे बद्दूग इनकार और कपटाचार में बहुत-ही बढ़े हुए है। और इसी के ज़्यादा योग्य है कि उनकी सीमाओं से अनभिज्ञ रहें, जिसे अल्लाह ने अपने रसूल पर अवतरित किया है। अल्लाह सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है ([९] अत-तौबा: 97)
Tafseer (तफ़सीर )
९८

وَمِنَ الْاَعْرَابِ مَنْ يَّتَّخِذُ مَا يُنْفِقُ مَغْرَمًا وَّيَتَرَبَّصُ بِكُمُ الدَّوَاۤىِٕرَ ۗعَلَيْهِمْ دَاۤىِٕرَةُ السَّوْءِ ۗوَاللّٰهُ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌ ٩٨

wamina
وَمِنَ
और देहातियों/बदवियों में से
l-aʿrābi
ٱلْأَعْرَابِ
और देहातियों/बदवियों में से
man
مَن
कोई है जो
yattakhidhu
يَتَّخِذُ
बना लेता है
مَا
उसे जो
yunfiqu
يُنفِقُ
वो ख़र्च करता है
maghraman
مَغْرَمًا
तावान
wayatarabbaṣu
وَيَتَرَبَّصُ
और वो इन्तिज़ार करता है
bikumu
بِكُمُ
तुम्हारे बारे में
l-dawāira
ٱلدَّوَآئِرَۚ
गर्दिशों का
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर है
dāiratu
دَآئِرَةُ
गर्दिश
l-sawi
ٱلسَّوْءِۗ
बुरी
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
samīʿun
سَمِيعٌ
खूब सुनने वाला है
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
और कुछ बद्दूज ऐसे है कि वे जो कुछ ख़र्च करते है, उसे तावान समझते है और तुम्हारे हक़ मं बुरी गर्दिशों (बुरे दिन) की प्रतीक्षा में हैं, बुरी गर्दिश में तो वही है। अल्लाह सब कुछ सुनता, जानता है ([९] अत-तौबा: 98)
Tafseer (तफ़सीर )
९९

وَمِنَ الْاَعْرَابِ مَنْ يُّؤْمِنُ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ وَيَتَّخِذُ مَا يُنْفِقُ قُرُبٰتٍ عِنْدَ اللّٰهِ وَصَلَوٰتِ الرَّسُوْلِ ۗ اَلَآ اِنَّهَا قُرْبَةٌ لَّهُمْ ۗ سَيُدْخِلُهُمُ اللّٰهُ فِيْ رَحْمَتِهٖ ۗاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ࣖ ٩٩

wamina
وَمِنَ
और देहातियों/बदवियों में से
l-aʿrābi
ٱلْأَعْرَابِ
और देहातियों/बदवियों में से
man
مَن
कोई है जो
yu'minu
يُؤْمِنُ
ईमान रखता है
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
wal-yawmi
وَٱلْيَوْمِ
और आख़िरी दिन पर
l-ākhiri
ٱلْءَاخِرِ
और आख़िरी दिन पर
wayattakhidhu
وَيَتَّخِذُ
और वो बना लेता है
مَا
उसे जो
yunfiqu
يُنفِقُ
वो ख़र्च करता है
qurubātin
قُرُبَٰتٍ
क़ुरबतों (का ज़रिया)
ʿinda
عِندَ
अल्लाह के नज़दीक
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के नज़दीक
waṣalawāti
وَصَلَوَٰتِ
और दुआओं का
l-rasūli
ٱلرَّسُولِۚ
रसूल की
alā
أَلَآ
ख़बरदार
innahā
إِنَّهَا
बेशक वो
qur'batun
قُرْبَةٌ
क़ुरबत (का ज़रिया) है
lahum
لَّهُمْۚ
उनके लिए
sayud'khiluhumu
سَيُدْخِلُهُمُ
अनक़रीब दाख़िल करेगा उन्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
فِى
अपनी रहमत में
raḥmatihi
رَحْمَتِهِۦٓۗ
अपनी रहमत में
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
बहुत रहम करने वाला है
और बद्दु,ओं में ऐसे भी लोग है जो अल्लाह और अन्तिम दिन को मानते है और जो कुछ ख़र्च करते है, उसे अल्लाह के यहाँ निकटताओं का और रसूल की दुआओं को प्राप्त करने का साधन बनाते है। हाँ! निस्संदेह वह उनके हक़ में निकटता ही है। अल्लाह उन्हें शीघ्र ही अपनी दयालुता में दाख़िल करेगा। निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है ([९] अत-तौबा: 99)
Tafseer (तफ़सीर )
१००

وَالسّٰبِقُوْنَ الْاَوَّلُوْنَ مِنَ الْمُهٰجِرِيْنَ وَالْاَنْصَارِ وَالَّذِيْنَ اتَّبَعُوْهُمْ بِاِحْسَانٍۙ رَّضِيَ اللّٰهُ عَنْهُمْ وَرَضُوْا عَنْهُ وَاَعَدَّ لَهُمْ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ تَحْتَهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِيْنَ فِيْهَآ اَبَدًا ۗذٰلِكَ الْفَوْزُ الْعَظِيْمُ ١٠٠

wal-sābiqūna
وَٱلسَّٰبِقُونَ
और सबक़त करने वाले
l-awalūna
ٱلْأَوَّلُونَ
सब से पहले
mina
مِنَ
मुहाजिरीन में से
l-muhājirīna
ٱلْمُهَٰجِرِينَ
मुहाजिरीन में से
wal-anṣāri
وَٱلْأَنصَارِ
और अन्सार में से
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो जिन्होंने
ittabaʿūhum
ٱتَّبَعُوهُم
पैरवी की उनकी
bi-iḥ'sānin
بِإِحْسَٰنٍ
साथ एहसान के
raḍiya
رَّضِىَ
राज़ी हो गया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
ʿanhum
عَنْهُمْ
उनसे
waraḍū
وَرَضُوا۟
और वो राज़ी हो गए
ʿanhu
عَنْهُ
उससे
wa-aʿadda
وَأَعَدَّ
और उसने तैयार कर रखा है
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
jannātin
جَنَّٰتٍ
बाग़ात को
tajrī
تَجْرِى
बहती हैं
taḥtahā
تَحْتَهَا
नीचे उनके
l-anhāru
ٱلْأَنْهَٰرُ
नहरें
khālidīna
خَٰلِدِينَ
हमेशा रहने वाले हैं
fīhā
فِيهَآ
उसमें
abadan
أَبَدًاۚ
हमेशा-हमेशा
dhālika
ذَٰلِكَ
यही है
l-fawzu
ٱلْفَوْزُ
कामयाबी
l-ʿaẓīmu
ٱلْعَظِيمُ
बहुत बड़ी
सबसे पहले आगे बढ़नेवाले मुहाजिर और अनसार और जिन्होंने भली प्रकार उनका अनुसरण किया, अल्लाह उनसे राज़ी हुआ और वे उससे राज़ी हुए। और उसने उनके लिए ऐसे बाग़ तैयार कर रखे है, जिनके नीचे नहरें बह रही है, वे उनमें सदैव रहेंगे। यही बड़ी सफलता है ([९] अत-तौबा: 100)
Tafseer (तफ़सीर )