بَرَاۤءَةٌ مِّنَ اللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖٓ اِلَى الَّذِيْنَ عَاهَدْتُّمْ مِّنَ الْمُشْرِكِيْنَۗ ١
- barāatun
- بَرَآءَةٌ
- بَرَآءَةٌ है (ऐलान)
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की तरफ़ से
- warasūlihi
- وَرَسُولِهِۦٓ
- और उसके रसूल (की तरफ़ से)
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ उनके जिनसे
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- तरफ़ उनके जिनसे
- ʿāhadttum
- عَٰهَدتُّم
- मुआहिदा किया तुमने
- mina
- مِّنَ
- मुशरिकीन में से
- l-mush'rikīna
- ٱلْمُشْرِكِينَ
- मुशरिकीन में से
मुशरिकों (बहुदेववादियों) से जिनसे तुमने संधि की थी, विरक्ति (की उद्घॊषणा) है अल्लाह और उसके रसूल की ओर से ([९] अत-तौबा: 1)Tafseer (तफ़सीर )
فَسِيْحُوْا فِى الْاَرْضِ اَرْبَعَةَ اَشْهُرٍ وَّاعْلَمُوْٓا اَنَّكُمْ غَيْرُ مُعْجِزِى اللّٰهِ ۙوَاَنَّ اللّٰهَ مُخْزِى الْكٰفِرِيْنَ ٢
- fasīḥū
- فَسِيحُوا۟
- पस चलो फिरो तुम
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- arbaʿata
- أَرْبَعَةَ
- चार
- ashhurin
- أَشْهُرٍ
- महीने
- wa-iʿ'lamū
- وَٱعْلَمُوٓا۟
- और जान लो
- annakum
- أَنَّكُمْ
- बेशक तुम
- ghayru
- غَيْرُ
- नहीं
- muʿ'jizī
- مُعْجِزِى
- आजिज़ करने वाले
- l-lahi
- ٱللَّهِۙ
- अल्लाह को
- wa-anna
- وَأَنَّ
- और बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- mukh'zī
- مُخْزِى
- रुस्वा करने वाला है
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों को
'अतः इस धरती में चार महीने और चल-फिर लो और यह बात जान लो कि अल्लाह के क़ाबू से बाहर नहीं जा सकते और यह कि अल्लाह इनकार करनेवालों को अपमानित करता है।' ([९] अत-तौबा: 2)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَذَانٌ مِّنَ اللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖٓ اِلَى النَّاسِ يَوْمَ الْحَجِّ الْاَكْبَرِ اَنَّ اللّٰهَ بَرِيْۤءٌ مِّنَ الْمُشْرِكِيْنَ ەۙ وَرَسُوْلُهٗ ۗفَاِنْ تُبْتُمْ فَهُوَ خَيْرٌ لَّكُمْۚ وَاِنْ تَوَلَّيْتُمْ فَاعْلَمُوْٓا اَنَّكُمْ غَيْرُ مُعْجِزِى اللّٰهِ ۗوَبَشِّرِ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِعَذَابٍ اَلِيْمٍۙ ٣
- wa-adhānun
- وَأَذَٰنٌ
- और ऐलान है
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की तरफ़ से
- warasūlihi
- وَرَسُولِهِۦٓ
- और उसके रसूल की तरफ़ से
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ लोगों के
- l-nāsi
- ٱلنَّاسِ
- तरफ़ लोगों के
- yawma
- يَوْمَ
- दिन
- l-ḥaji
- ٱلْحَجِّ
- हज-ए-अकबर के
- l-akbari
- ٱلْأَكْبَرِ
- हज-ए-अकबर के
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- barīon
- بَرِىٓءٌ
- बरी-उज़-ज़िम्मा है
- mina
- مِّنَ
- मुशरिकों से
- l-mush'rikīna
- ٱلْمُشْرِكِينَۙ
- मुशरिकों से
- warasūluhu
- وَرَسُولُهُۥۚ
- और उसका रसूल भी
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- tub'tum
- تُبْتُمْ
- तौबा कर लो तुम
- fahuwa
- فَهُوَ
- तो वो
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर है
- lakum
- لَّكُمْۖ
- तुम्हारे लिए
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- tawallaytum
- تَوَلَّيْتُمْ
- मुँह फेरा तुमने
- fa-iʿ'lamū
- فَٱعْلَمُوٓا۟
- तो जान लो
- annakum
- أَنَّكُمْ
- बेशक तुम
- ghayru
- غَيْرُ
- नहीं
- muʿ'jizī
- مُعْجِزِى
- आजिज़ करने वाले
- l-lahi
- ٱللَّهِۗ
- अल्लाह को
- wabashiri
- وَبَشِّرِ
- और ख़ुशख़बरी दे दीजिए
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनको जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- biʿadhābin
- بِعَذَابٍ
- अज़ाब
- alīmin
- أَلِيمٍ
- दर्दनाक की
सार्वजनिक उद्घॊषणा है अल्लाह और उसके रसूल की ओर से, बड़े हज के दिन लोगों के लिए, कि 'अल्लाह मुशरिकों के प्रति जिम्मेदार से बरी है और उसका रसूल भी। अब यदि तुम तौबा कर लो, तो यह तुम्हारे ही लिए अच्छा है, किन्तु यदि तुम मुह मोड़ते हो, तो जान लो कि तुम अल्लाह के क़ाबू से बाहर नहीं जा सकते।' और इनकार करनेवालों के लिए एक दुखद यातना की शुभ-सूचना दे दो ([९] अत-तौबा: 3)Tafseer (तफ़सीर )
اِلَّا الَّذِيْنَ عَاهَدْتُّمْ مِّنَ الْمُشْرِكِيْنَ ثُمَّ لَمْ يَنْقُصُوْكُمْ شَيْـًٔا وَّلَمْ يُظَاهِرُوْا عَلَيْكُمْ اَحَدًا فَاَتِمُّوْٓا اِلَيْهِمْ عَهْدَهُمْ اِلٰى مُدَّتِهِمْۗ اِنَّ اللّٰهَ يُحِبُّ الْمُتَّقِيْنَ ٤
- illā
- إِلَّا
- सिवाय
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनके जिनसे
- ʿāhadttum
- عَٰهَدتُّم
- मुआहिदा किया तुमने
- mina
- مِّنَ
- मुशरिकीन में से
- l-mush'rikīna
- ٱلْمُشْرِكِينَ
- मुशरिकीन में से
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yanquṣūkum
- يَنقُصُوكُمْ
- उन्होंने कमी की तुमसे
- shayan
- شَيْـًٔا
- कुछ भी
- walam
- وَلَمْ
- और ना ही
- yuẓāhirū
- يُظَٰهِرُوا۟
- उन्होंने पुश्त पनाही की
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम्हारे ख़िलाफ़
- aḥadan
- أَحَدًا
- किसी की
- fa-atimmū
- فَأَتِمُّوٓا۟
- तो पूरा करो
- ilayhim
- إِلَيْهِمْ
- तरफ़ उनके
- ʿahdahum
- عَهْدَهُمْ
- अहद उनके
- ilā
- إِلَىٰ
- उनकी मुद्दत तक
- muddatihim
- مُدَّتِهِمْۚ
- उनकी मुद्दत तक
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yuḥibbu
- يُحِبُّ
- वो पसंद करता है
- l-mutaqīna
- ٱلْمُتَّقِينَ
- मुत्तक़ी लोगों को
सिवाय उन मुशरिकों के जिनसे तुमने संधि-समझौते किए, फिर उन्होंने तुम्हारे साथ अपने वचन को पूर्ण करने में कोई कमी नही की और न तुम्हारे विरुद्ध किसी की सहायता ही की, तो उनके साथ उनकी संधि को उन लोगों के निर्धारित समय तक पूरा करो। निश्चय ही अल्लाह को डर रखनेवाले प्रिय है ([९] अत-तौबा: 4)Tafseer (तफ़सीर )
فَاِذَا انْسَلَخَ الْاَشْهُرُ الْحُرُمُ فَاقْتُلُوا الْمُشْرِكِيْنَ حَيْثُ وَجَدْتُّمُوْهُمْ وَخُذُوْهُمْ وَاحْصُرُوْهُمْ وَاقْعُدُوْا لَهُمْ كُلَّ مَرْصَدٍۚ فَاِنْ تَابُوْا وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتَوُا الزَّكٰوةَ فَخَلُّوْا سَبِيْلَهُمْۗ اِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٥
- fa-idhā
- فَإِذَا
- फिर जब
- insalakha
- ٱنسَلَخَ
- गुज़र जाऐं
- l-ashhuru
- ٱلْأَشْهُرُ
- महीने
- l-ḥurumu
- ٱلْحُرُمُ
- हुरमत वाले
- fa-uq'tulū
- فَٱقْتُلُوا۟
- तो क़त्ल करो
- l-mush'rikīna
- ٱلْمُشْرِكِينَ
- मुशरिकों को
- ḥaythu
- حَيْثُ
- जहाँ कहीं
- wajadttumūhum
- وَجَدتُّمُوهُمْ
- पाओ तुम उन्हें
- wakhudhūhum
- وَخُذُوهُمْ
- और पकड़ो उन्हें
- wa-uḥ'ṣurūhum
- وَٱحْصُرُوهُمْ
- और घेरो उन्हें
- wa-uq'ʿudū
- وَٱقْعُدُوا۟
- और बैठ जाओ
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- kulla
- كُلَّ
- हर
- marṣadin
- مَرْصَدٍۚ
- घात पर
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- tābū
- تَابُوا۟
- और वो तौबा कर लें
- wa-aqāmū
- وَأَقَامُوا۟
- और वो क़ायम करें
- l-ṣalata
- ٱلصَّلَوٰةَ
- नमाज़
- waātawū
- وَءَاتَوُا۟
- और वो अदा करें
- l-zakata
- ٱلزَّكَوٰةَ
- ज़कात
- fakhallū
- فَخَلُّوا۟
- तो छोड़ दो
- sabīlahum
- سَبِيلَهُمْۚ
- रास्ता उनका
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
फिर, जब हराम (प्रतिष्ठित) महीने बीत जाएँ तो मुशरिकों को जहाँ कहीं पाओ क़त्ल करो, उन्हें पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घात की जगह उनकी ताक में बैठो। फिर यदि वे तौबा कर लें और नमाज़ क़ायम करें और ज़कात दें तो उनका मार्ग छोड़ दो, निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है ([९] अत-तौबा: 5)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنْ اَحَدٌ مِّنَ الْمُشْرِكِيْنَ اسْتَجَارَكَ فَاَجِرْهُ حَتّٰى يَسْمَعَ كَلٰمَ اللّٰهِ ثُمَّ اَبْلِغْهُ مَأْمَنَهٗ ۗذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا يَعْلَمُوْنَ ࣖ ٦
- wa-in
- وَإِنْ
- और अगर
- aḥadun
- أَحَدٌ
- कोई एक
- mina
- مِّنَ
- मुशरिकीन में से
- l-mush'rikīna
- ٱلْمُشْرِكِينَ
- मुशरिकीन में से
- is'tajāraka
- ٱسْتَجَارَكَ
- पनाह माँगे आपसे
- fa-ajir'hu
- فَأَجِرْهُ
- तो पनाह दे दीजिए उसे
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yasmaʿa
- يَسْمَعَ
- वो सुन ले
- kalāma
- كَلَٰمَ
- कलाम
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह का
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- abligh'hu
- أَبْلِغْهُ
- पहुँचा दीजिए उसे
- mamanahu
- مَأْمَنَهُۥۚ
- उसके अमन की जगह
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- bi-annahum
- بِأَنَّهُمْ
- बवजह उसके कि वो
- qawmun
- قَوْمٌ
- लोग
- lā
- لَّا
- नहीं वो इल्म रखते
- yaʿlamūna
- يَعْلَمُونَ
- नहीं वो इल्म रखते
और यदि मुशरिकों में से कोई तुमसे शरण माँगे, तो तुम उसे शरण दे दो, यहाँ तक कि वह अल्लाह की वाणी सुन ले। फिर उसे उसके सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दो, क्योंकि वे ऐसे लोग हैं, जिन्हें ज्ञान नहीं ([९] अत-तौबा: 6)Tafseer (तफ़सीर )
كَيْفَ يَكُوْنُ لِلْمُشْرِكِيْنَ عَهْدٌ عِنْدَ اللّٰهِ وَعِنْدَ رَسُوْلِهٖٓ اِلَّا الَّذِيْنَ عَاهَدْتُّمْ عِنْدَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِۚ فَمَا اسْتَقَامُوْا لَكُمْ فَاسْتَقِيْمُوْا لَهُمْ ۗاِنَّ اللّٰهَ يُحِبُّ الْمُتَّقِيْنَ ٧
- kayfa
- كَيْفَ
- किस तरह
- yakūnu
- يَكُونُ
- हो सकता है
- lil'mush'rikīna
- لِلْمُشْرِكِينَ
- मुशरिकीन के लिए
- ʿahdun
- عَهْدٌ
- कोई अहद
- ʿinda
- عِندَ
- अल्लाह के नज़दीक
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के नज़दीक
- waʿinda
- وَعِندَ
- और उसके रसूल के नज़दीक
- rasūlihi
- رَسُولِهِۦٓ
- और उसके रसूल के नज़दीक
- illā
- إِلَّا
- सिवाय
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनके जिनसे
- ʿāhadttum
- عَٰهَدتُّمْ
- मुआहिदा किया तुमने
- ʿinda
- عِندَ
- पास
- l-masjidi
- ٱلْمَسْجِدِ
- मस्जिदे हराम के
- l-ḥarāmi
- ٱلْحَرَامِۖ
- मस्जिदे हराम के
- famā
- فَمَا
- तो जब तक
- is'taqāmū
- ٱسْتَقَٰمُوا۟
- वो सीधे रहें
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- fa-is'taqīmū
- فَٱسْتَقِيمُوا۟
- पस तुम भी सीधे रहो
- lahum
- لَهُمْۚ
- उनके लिए
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yuḥibbu
- يُحِبُّ
- वो पसंद करता है
- l-mutaqīna
- ٱلْمُتَّقِينَ
- मुत्तक़ी लोगों को
इन मुशरिकों को किसी संधि की कोई ज़िम्मेदारी अल्लाह और उसके रसूल पर कैसे बाक़ी रह सकती है? - उन लोगों का मामला इससे अलग है, जिनसे तुमने मस्जिदे हराम (काबा) के पास संधि की थी, तो जब तक वे तुम्हारे साथ सीधे रहें, तब तक तुम भी उनके साथ सीधे रहो। निश्चय ही अल्लाह को डर रखनेवाले प्रिय है। - ([९] अत-तौबा: 7)Tafseer (तफ़सीर )
كَيْفَ وَاِنْ يَّظْهَرُوْا عَلَيْكُمْ لَا يَرْقُبُوْا فِيْكُمْ اِلًّا وَّلَا ذِمَّةً ۗيُرْضُوْنَكُمْ بِاَفْوَاهِهِمْ وَتَأْبٰى قُلُوْبُهُمْۚ وَاَكْثَرُهُمْ فٰسِقُوْنَۚ ٨
- kayfa
- كَيْفَ
- कैसे (मुमकिन है)
- wa-in
- وَإِن
- जबकि अगर
- yaẓharū
- يَظْهَرُوا۟
- वो ग़लबा पा जाऐं
- ʿalaykum
- عَلَيْكُمْ
- तुम पर
- lā
- لَا
- ना वो लिहाज़ करेंगे
- yarqubū
- يَرْقُبُوا۟
- ना वो लिहाज़ करेंगे
- fīkum
- فِيكُمْ
- तुम्हारे मामले में
- illan
- إِلًّا
- किसी क़राबत का
- walā
- وَلَا
- और ना
- dhimmatan
- ذِمَّةًۚ
- किसी मुआहिदे का
- yur'ḍūnakum
- يُرْضُونَكُم
- वो राज़ी करते हैं तुम्हें
- bi-afwāhihim
- بِأَفْوَٰهِهِمْ
- अपने मुँहों से
- watabā
- وَتَأْبَىٰ
- और इन्कार करते हैं
- qulūbuhum
- قُلُوبُهُمْ
- दिल उनके
- wa-aktharuhum
- وَأَكْثَرُهُمْ
- और अक्सर उनके
- fāsiqūna
- فَٰسِقُونَ
- फ़ासिक़ हैं
कैसे बाक़ी रह सकती है? जबकि उनका हाल यह है कि यदि वे तुम्हें दबा पाएँ तो वे न तुम्हारे विषय में किसी नाते-रिश्ते का ख़याल रखें औऱ न किसी अभिवचन का। वे अपने मुँह ही से तुम्हें राज़ी करते है, किन्तु उनके दिल इनकार करते रहते है और उनमें अधिकतर अवज्ञाकारी है ([९] अत-तौबा: 8)Tafseer (तफ़सीर )
اِشْتَرَوْا بِاٰيٰتِ اللّٰهِ ثَمَنًا قَلِيْلًا فَصَدُّوْا عَنْ سَبِيْلِهٖۗ اِنَّهُمْ سَاۤءَ مَاكَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ٩
- ish'taraw
- ٱشْتَرَوْا۟
- उन्होंने बेच डाला
- biāyāti
- بِـَٔايَٰتِ
- अल्लाह की आयात को
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की आयात को
- thamanan
- ثَمَنًا
- क़ीमत
- qalīlan
- قَلِيلًا
- थोड़ी में
- faṣaddū
- فَصَدُّوا۟
- फिर उन्होंने रोका
- ʿan
- عَن
- उसके रास्ते से
- sabīlihi
- سَبِيلِهِۦٓۚ
- उसके रास्ते से
- innahum
- إِنَّهُمْ
- बेशक वो
- sāa
- سَآءَ
- कितना बुरा है
- mā
- مَا
- जो
- kānū
- كَانُوا۟
- हैं वो
- yaʿmalūna
- يَعْمَلُونَ
- वो अमल कर रहे हैं
उन्होंने अल्लाह की आयतों के बदले थोड़ा-सा मूल्य स्वीकार किया और इस प्रकार वे उसका मार्ग अपनाने से रूक गए। निश्चय ही बहुत बुरा है, जो कुछ वे कर रहे हैं ([९] अत-तौबा: 9)Tafseer (तफ़सीर )
لَا يَرْقُبُوْنَ فِيْ مُؤْمِنٍ اِلًّا وَّلَا ذِمَّةً ۗوَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْمُعْتَدُوْنَ ١٠
- lā
- لَا
- नहीं वो लिहाज़ करते
- yarqubūna
- يَرْقُبُونَ
- नहीं वो लिहाज़ करते
- fī
- فِى
- किसी मोमिन (के बारे में)
- mu'minin
- مُؤْمِنٍ
- किसी मोमिन (के बारे में)
- illan
- إِلًّا
- किसी क़राबत का
- walā
- وَلَا
- और ना
- dhimmatan
- ذِمَّةًۚ
- किसी मुआहिदे का
- wa-ulāika
- وَأُو۟لَٰٓئِكَ
- और यही लोग हैं
- humu
- هُمُ
- वो
- l-muʿ'tadūna
- ٱلْمُعْتَدُونَ
- जो हद से बढ़ने वाले हैं
किसी मोमिन के बारे में न तो नाते-रिश्ते का ख़याल रखते है और न किसी अभिवचन का। वही लोग है जिन्होंने सीमा का उल्लंघन किया ([९] अत-तौबा: 10)Tafseer (तफ़सीर )