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सूरा अत-तौबा - शब्द द्वारा शब्द

At-Tawbah

(The Repentance)

بَرَاۤءَةٌ مِّنَ اللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖٓ اِلَى الَّذِيْنَ عَاهَدْتُّمْ مِّنَ الْمُشْرِكِيْنَۗ ١

barāatun
بَرَآءَةٌ
بَرَآءَةٌ है (ऐलान)
mina
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
warasūlihi
وَرَسُولِهِۦٓ
और उसके रसूल (की तरफ़ से)
ilā
إِلَى
तरफ़ उनके जिनसे
alladhīna
ٱلَّذِينَ
तरफ़ उनके जिनसे
ʿāhadttum
عَٰهَدتُّم
मुआहिदा किया तुमने
mina
مِّنَ
मुशरिकीन में से
l-mush'rikīna
ٱلْمُشْرِكِينَ
मुशरिकीन में से
मुशरिकों (बहुदेववादियों) से जिनसे तुमने संधि की थी, विरक्ति (की उद्घॊषणा) है अल्लाह और उसके रसूल की ओर से ([९] अत-तौबा: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

فَسِيْحُوْا فِى الْاَرْضِ اَرْبَعَةَ اَشْهُرٍ وَّاعْلَمُوْٓا اَنَّكُمْ غَيْرُ مُعْجِزِى اللّٰهِ ۙوَاَنَّ اللّٰهَ مُخْزِى الْكٰفِرِيْنَ ٢

fasīḥū
فَسِيحُوا۟
पस चलो फिरो तुम
فِى
ज़मीन में
l-arḍi
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
arbaʿata
أَرْبَعَةَ
चार
ashhurin
أَشْهُرٍ
महीने
wa-iʿ'lamū
وَٱعْلَمُوٓا۟
और जान लो
annakum
أَنَّكُمْ
बेशक तुम
ghayru
غَيْرُ
नहीं
muʿ'jizī
مُعْجِزِى
आजिज़ करने वाले
l-lahi
ٱللَّهِۙ
अल्लाह को
wa-anna
وَأَنَّ
और बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
mukh'zī
مُخْزِى
रुस्वा करने वाला है
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों को
'अतः इस धरती में चार महीने और चल-फिर लो और यह बात जान लो कि अल्लाह के क़ाबू से बाहर नहीं जा सकते और यह कि अल्लाह इनकार करनेवालों को अपमानित करता है।' ([९] अत-तौबा: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

وَاَذَانٌ مِّنَ اللّٰهِ وَرَسُوْلِهٖٓ اِلَى النَّاسِ يَوْمَ الْحَجِّ الْاَكْبَرِ اَنَّ اللّٰهَ بَرِيْۤءٌ مِّنَ الْمُشْرِكِيْنَ ەۙ وَرَسُوْلُهٗ ۗفَاِنْ تُبْتُمْ فَهُوَ خَيْرٌ لَّكُمْۚ وَاِنْ تَوَلَّيْتُمْ فَاعْلَمُوْٓا اَنَّكُمْ غَيْرُ مُعْجِزِى اللّٰهِ ۗوَبَشِّرِ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِعَذَابٍ اَلِيْمٍۙ ٣

wa-adhānun
وَأَذَٰنٌ
और ऐलान है
mina
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
warasūlihi
وَرَسُولِهِۦٓ
और उसके रसूल की तरफ़ से
ilā
إِلَى
तरफ़ लोगों के
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
तरफ़ लोगों के
yawma
يَوْمَ
दिन
l-ḥaji
ٱلْحَجِّ
हज-ए-अकबर के
l-akbari
ٱلْأَكْبَرِ
हज-ए-अकबर के
anna
أَنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
barīon
بَرِىٓءٌ
बरी-उज़-ज़िम्मा है
mina
مِّنَ
मुशरिकों से
l-mush'rikīna
ٱلْمُشْرِكِينَۙ
मुशरिकों से
warasūluhu
وَرَسُولُهُۥۚ
और उसका रसूल भी
fa-in
فَإِن
फिर अगर
tub'tum
تُبْتُمْ
तौबा कर लो तुम
fahuwa
فَهُوَ
तो वो
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
lakum
لَّكُمْۖ
तुम्हारे लिए
wa-in
وَإِن
और अगर
tawallaytum
تَوَلَّيْتُمْ
मुँह फेरा तुमने
fa-iʿ'lamū
فَٱعْلَمُوٓا۟
तो जान लो
annakum
أَنَّكُمْ
बेशक तुम
ghayru
غَيْرُ
नहीं
muʿ'jizī
مُعْجِزِى
आजिज़ करने वाले
l-lahi
ٱللَّهِۗ
अल्लाह को
wabashiri
وَبَشِّرِ
और ख़ुशख़बरी दे दीजिए
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनको जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
biʿadhābin
بِعَذَابٍ
अज़ाब
alīmin
أَلِيمٍ
दर्दनाक की
सार्वजनिक उद्घॊषणा है अल्लाह और उसके रसूल की ओर से, बड़े हज के दिन लोगों के लिए, कि 'अल्लाह मुशरिकों के प्रति जिम्मेदार से बरी है और उसका रसूल भी। अब यदि तुम तौबा कर लो, तो यह तुम्हारे ही लिए अच्छा है, किन्तु यदि तुम मुह मोड़ते हो, तो जान लो कि तुम अल्लाह के क़ाबू से बाहर नहीं जा सकते।' और इनकार करनेवालों के लिए एक दुखद यातना की शुभ-सूचना दे दो ([९] अत-तौबा: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

اِلَّا الَّذِيْنَ عَاهَدْتُّمْ مِّنَ الْمُشْرِكِيْنَ ثُمَّ لَمْ يَنْقُصُوْكُمْ شَيْـًٔا وَّلَمْ يُظَاهِرُوْا عَلَيْكُمْ اَحَدًا فَاَتِمُّوْٓا اِلَيْهِمْ عَهْدَهُمْ اِلٰى مُدَّتِهِمْۗ اِنَّ اللّٰهَ يُحِبُّ الْمُتَّقِيْنَ ٤

illā
إِلَّا
सिवाय
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनके जिनसे
ʿāhadttum
عَٰهَدتُّم
मुआहिदा किया तुमने
mina
مِّنَ
मुशरिकीन में से
l-mush'rikīna
ٱلْمُشْرِكِينَ
मुशरिकीन में से
thumma
ثُمَّ
फिर
lam
لَمْ
नहीं
yanquṣūkum
يَنقُصُوكُمْ
उन्होंने कमी की तुमसे
shayan
شَيْـًٔا
कुछ भी
walam
وَلَمْ
और ना ही
yuẓāhirū
يُظَٰهِرُوا۟
उन्होंने पुश्त पनाही की
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम्हारे ख़िलाफ़
aḥadan
أَحَدًا
किसी की
fa-atimmū
فَأَتِمُّوٓا۟
तो पूरा करो
ilayhim
إِلَيْهِمْ
तरफ़ उनके
ʿahdahum
عَهْدَهُمْ
अहद उनके
ilā
إِلَىٰ
उनकी मुद्दत तक
muddatihim
مُدَّتِهِمْۚ
उनकी मुद्दत तक
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yuḥibbu
يُحِبُّ
वो पसंद करता है
l-mutaqīna
ٱلْمُتَّقِينَ
मुत्तक़ी लोगों को
सिवाय उन मुशरिकों के जिनसे तुमने संधि-समझौते किए, फिर उन्होंने तुम्हारे साथ अपने वचन को पूर्ण करने में कोई कमी नही की और न तुम्हारे विरुद्ध किसी की सहायता ही की, तो उनके साथ उनकी संधि को उन लोगों के निर्धारित समय तक पूरा करो। निश्चय ही अल्लाह को डर रखनेवाले प्रिय है ([९] अत-तौबा: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

فَاِذَا انْسَلَخَ الْاَشْهُرُ الْحُرُمُ فَاقْتُلُوا الْمُشْرِكِيْنَ حَيْثُ وَجَدْتُّمُوْهُمْ وَخُذُوْهُمْ وَاحْصُرُوْهُمْ وَاقْعُدُوْا لَهُمْ كُلَّ مَرْصَدٍۚ فَاِنْ تَابُوْا وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتَوُا الزَّكٰوةَ فَخَلُّوْا سَبِيْلَهُمْۗ اِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٥

fa-idhā
فَإِذَا
फिर जब
insalakha
ٱنسَلَخَ
गुज़र जाऐं
l-ashhuru
ٱلْأَشْهُرُ
महीने
l-ḥurumu
ٱلْحُرُمُ
हुरमत वाले
fa-uq'tulū
فَٱقْتُلُوا۟
तो क़त्ल करो
l-mush'rikīna
ٱلْمُشْرِكِينَ
मुशरिकों को
ḥaythu
حَيْثُ
जहाँ कहीं
wajadttumūhum
وَجَدتُّمُوهُمْ
पाओ तुम उन्हें
wakhudhūhum
وَخُذُوهُمْ
और पकड़ो उन्हें
wa-uḥ'ṣurūhum
وَٱحْصُرُوهُمْ
और घेरो उन्हें
wa-uq'ʿudū
وَٱقْعُدُوا۟
और बैठ जाओ
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
kulla
كُلَّ
हर
marṣadin
مَرْصَدٍۚ
घात पर
fa-in
فَإِن
फिर अगर
tābū
تَابُوا۟
और वो तौबा कर लें
wa-aqāmū
وَأَقَامُوا۟
और वो क़ायम करें
l-ṣalata
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़
waātawū
وَءَاتَوُا۟
और वो अदा करें
l-zakata
ٱلزَّكَوٰةَ
ज़कात
fakhallū
فَخَلُّوا۟
तो छोड़ दो
sabīlahum
سَبِيلَهُمْۚ
रास्ता उनका
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ghafūrun
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
raḥīmun
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
फिर, जब हराम (प्रतिष्ठित) महीने बीत जाएँ तो मुशरिकों को जहाँ कहीं पाओ क़त्ल करो, उन्हें पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घात की जगह उनकी ताक में बैठो। फिर यदि वे तौबा कर लें और नमाज़ क़ायम करें और ज़कात दें तो उनका मार्ग छोड़ दो, निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है ([९] अत-तौबा: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

وَاِنْ اَحَدٌ مِّنَ الْمُشْرِكِيْنَ اسْتَجَارَكَ فَاَجِرْهُ حَتّٰى يَسْمَعَ كَلٰمَ اللّٰهِ ثُمَّ اَبْلِغْهُ مَأْمَنَهٗ ۗذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا يَعْلَمُوْنَ ࣖ ٦

wa-in
وَإِنْ
और अगर
aḥadun
أَحَدٌ
कोई एक
mina
مِّنَ
मुशरिकीन में से
l-mush'rikīna
ٱلْمُشْرِكِينَ
मुशरिकीन में से
is'tajāraka
ٱسْتَجَارَكَ
पनाह माँगे आपसे
fa-ajir'hu
فَأَجِرْهُ
तो पनाह दे दीजिए उसे
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yasmaʿa
يَسْمَعَ
वो सुन ले
kalāma
كَلَٰمَ
कलाम
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह का
thumma
ثُمَّ
फिर
abligh'hu
أَبْلِغْهُ
पहुँचा दीजिए उसे
mamanahu
مَأْمَنَهُۥۚ
उसके अमन की जगह
dhālika
ذَٰلِكَ
ये
bi-annahum
بِأَنَّهُمْ
बवजह उसके कि वो
qawmun
قَوْمٌ
लोग
لَّا
नहीं वो इल्म रखते
yaʿlamūna
يَعْلَمُونَ
नहीं वो इल्म रखते
और यदि मुशरिकों में से कोई तुमसे शरण माँगे, तो तुम उसे शरण दे दो, यहाँ तक कि वह अल्लाह की वाणी सुन ले। फिर उसे उसके सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दो, क्योंकि वे ऐसे लोग हैं, जिन्हें ज्ञान नहीं ([९] अत-तौबा: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

كَيْفَ يَكُوْنُ لِلْمُشْرِكِيْنَ عَهْدٌ عِنْدَ اللّٰهِ وَعِنْدَ رَسُوْلِهٖٓ اِلَّا الَّذِيْنَ عَاهَدْتُّمْ عِنْدَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِۚ فَمَا اسْتَقَامُوْا لَكُمْ فَاسْتَقِيْمُوْا لَهُمْ ۗاِنَّ اللّٰهَ يُحِبُّ الْمُتَّقِيْنَ ٧

kayfa
كَيْفَ
किस तरह
yakūnu
يَكُونُ
हो सकता है
lil'mush'rikīna
لِلْمُشْرِكِينَ
मुशरिकीन के लिए
ʿahdun
عَهْدٌ
कोई अहद
ʿinda
عِندَ
अल्लाह के नज़दीक
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के नज़दीक
waʿinda
وَعِندَ
और उसके रसूल के नज़दीक
rasūlihi
رَسُولِهِۦٓ
और उसके रसूल के नज़दीक
illā
إِلَّا
सिवाय
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनके जिनसे
ʿāhadttum
عَٰهَدتُّمْ
मुआहिदा किया तुमने
ʿinda
عِندَ
पास
l-masjidi
ٱلْمَسْجِدِ
मस्जिदे हराम के
l-ḥarāmi
ٱلْحَرَامِۖ
मस्जिदे हराम के
famā
فَمَا
तो जब तक
is'taqāmū
ٱسْتَقَٰمُوا۟
वो सीधे रहें
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
fa-is'taqīmū
فَٱسْتَقِيمُوا۟
पस तुम भी सीधे रहो
lahum
لَهُمْۚ
उनके लिए
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
yuḥibbu
يُحِبُّ
वो पसंद करता है
l-mutaqīna
ٱلْمُتَّقِينَ
मुत्तक़ी लोगों को
इन मुशरिकों को किसी संधि की कोई ज़िम्मेदारी अल्लाह और उसके रसूल पर कैसे बाक़ी रह सकती है? - उन लोगों का मामला इससे अलग है, जिनसे तुमने मस्जिदे हराम (काबा) के पास संधि की थी, तो जब तक वे तुम्हारे साथ सीधे रहें, तब तक तुम भी उनके साथ सीधे रहो। निश्चय ही अल्लाह को डर रखनेवाले प्रिय है। - ([९] अत-तौबा: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

كَيْفَ وَاِنْ يَّظْهَرُوْا عَلَيْكُمْ لَا يَرْقُبُوْا فِيْكُمْ اِلًّا وَّلَا ذِمَّةً ۗيُرْضُوْنَكُمْ بِاَفْوَاهِهِمْ وَتَأْبٰى قُلُوْبُهُمْۚ وَاَكْثَرُهُمْ فٰسِقُوْنَۚ ٨

kayfa
كَيْفَ
कैसे (मुमकिन है)
wa-in
وَإِن
जबकि अगर
yaẓharū
يَظْهَرُوا۟
वो ग़लबा पा जाऐं
ʿalaykum
عَلَيْكُمْ
तुम पर
لَا
ना वो लिहाज़ करेंगे
yarqubū
يَرْقُبُوا۟
ना वो लिहाज़ करेंगे
fīkum
فِيكُمْ
तुम्हारे मामले में
illan
إِلًّا
किसी क़राबत का
walā
وَلَا
और ना
dhimmatan
ذِمَّةًۚ
किसी मुआहिदे का
yur'ḍūnakum
يُرْضُونَكُم
वो राज़ी करते हैं तुम्हें
bi-afwāhihim
بِأَفْوَٰهِهِمْ
अपने मुँहों से
watabā
وَتَأْبَىٰ
और इन्कार करते हैं
qulūbuhum
قُلُوبُهُمْ
दिल उनके
wa-aktharuhum
وَأَكْثَرُهُمْ
और अक्सर उनके
fāsiqūna
فَٰسِقُونَ
फ़ासिक़ हैं
कैसे बाक़ी रह सकती है? जबकि उनका हाल यह है कि यदि वे तुम्हें दबा पाएँ तो वे न तुम्हारे विषय में किसी नाते-रिश्ते का ख़याल रखें औऱ न किसी अभिवचन का। वे अपने मुँह ही से तुम्हें राज़ी करते है, किन्तु उनके दिल इनकार करते रहते है और उनमें अधिकतर अवज्ञाकारी है ([९] अत-तौबा: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

اِشْتَرَوْا بِاٰيٰتِ اللّٰهِ ثَمَنًا قَلِيْلًا فَصَدُّوْا عَنْ سَبِيْلِهٖۗ اِنَّهُمْ سَاۤءَ مَاكَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ٩

ish'taraw
ٱشْتَرَوْا۟
उन्होंने बेच डाला
biāyāti
بِـَٔايَٰتِ
अल्लाह की आयात को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की आयात को
thamanan
ثَمَنًا
क़ीमत
qalīlan
قَلِيلًا
थोड़ी में
faṣaddū
فَصَدُّوا۟
फिर उन्होंने रोका
ʿan
عَن
उसके रास्ते से
sabīlihi
سَبِيلِهِۦٓۚ
उसके रास्ते से
innahum
إِنَّهُمْ
बेशक वो
sāa
سَآءَ
कितना बुरा है
مَا
जो
kānū
كَانُوا۟
हैं वो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल कर रहे हैं
उन्होंने अल्लाह की आयतों के बदले थोड़ा-सा मूल्य स्वीकार किया और इस प्रकार वे उसका मार्ग अपनाने से रूक गए। निश्चय ही बहुत बुरा है, जो कुछ वे कर रहे हैं ([९] अत-तौबा: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

لَا يَرْقُبُوْنَ فِيْ مُؤْمِنٍ اِلًّا وَّلَا ذِمَّةً ۗوَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْمُعْتَدُوْنَ ١٠

لَا
नहीं वो लिहाज़ करते
yarqubūna
يَرْقُبُونَ
नहीं वो लिहाज़ करते
فِى
किसी मोमिन (के बारे में)
mu'minin
مُؤْمِنٍ
किसी मोमिन (के बारे में)
illan
إِلًّا
किसी क़राबत का
walā
وَلَا
और ना
dhimmatan
ذِمَّةًۚ
किसी मुआहिदे का
wa-ulāika
وَأُو۟لَٰٓئِكَ
और यही लोग हैं
humu
هُمُ
वो
l-muʿ'tadūna
ٱلْمُعْتَدُونَ
जो हद से बढ़ने वाले हैं
किसी मोमिन के बारे में न तो नाते-रिश्ते का ख़याल रखते है और न किसी अभिवचन का। वही लोग है जिन्होंने सीमा का उल्लंघन किया ([९] अत-तौबा: 10)
Tafseer (तफ़सीर )