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सूरा अल-फज्र - Page: 2

Al-Fajr

(The Dawn, Daybreak)

११

الَّذِيْنَ طَغَوْا فِى الْبِلَادِۖ ١١

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
ṭaghaw
طَغَوْا۟
सरकशी की
فِى
शहरों में
l-bilādi
ٱلْبِلَٰدِ
शहरों में
वे लोग कि जिन्होंने देशो में सरकशी की, ([८९] अल-फज्र: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

فَاَكْثَرُوْا فِيْهَا الْفَسَادَۖ ١٢

fa-aktharū
فَأَكْثَرُوا۟
फिर उन्होंने कसरत से किया
fīhā
فِيهَا
उनमें
l-fasāda
ٱلْفَسَادَ
फ़साद
और उनमें बहुत बिगाड़ पैदा किया ([८९] अल-फज्र: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

فَصَبَّ عَلَيْهِمْ رَبُّكَ سَوْطَ عَذَابٍۖ ١٣

faṣabba
فَصَبَّ
तो बरसाया
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
rabbuka
رَبُّكَ
आपके रब ने
sawṭa
سَوْطَ
कोड़ा
ʿadhābin
عَذَابٍ
अज़ाब का
अततः तुम्हारे रब ने उनपर यातना का कोड़ा बरसा दिया ([८९] अल-फज्र: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

اِنَّ رَبَّكَ لَبِالْمِرْصَادِۗ ١٤

inna
إِنَّ
बेशक
rabbaka
رَبَّكَ
रब आपका
labil-mir'ṣādi
لَبِٱلْمِرْصَادِ
अलबत्ता घात में है
निस्संदेह तुम्हारा रब घात में रहता है ([८९] अल-फज्र: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

فَاَمَّا الْاِنْسَانُ اِذَا مَا ابْتَلٰىهُ رَبُّهٗ فَاَكْرَمَهٗ وَنَعَّمَهٗۙ فَيَقُوْلُ رَبِّيْٓ اَكْرَمَنِۗ ١٥

fa-ammā
فَأَمَّا
तो रहा
l-insānu
ٱلْإِنسَٰنُ
इन्सान
idhā
إِذَا
जब
مَا
जब
ib'talāhu
ٱبْتَلَىٰهُ
आज़माता है उसे
rabbuhu
رَبُّهُۥ
रब उसका
fa-akramahu
فَأَكْرَمَهُۥ
फिर वो इज़्ज़त देता है उसे
wanaʿʿamahu
وَنَعَّمَهُۥ
और वो नेअमत देता है उसे
fayaqūlu
فَيَقُولُ
तो वो कहता है
rabbī
رَبِّىٓ
मेरे रब ने
akramani
أَكْرَمَنِ
इज़्ज़त दी मुझे
किन्तु मनुष्य का हाल यह है कि जब उसका रब इस प्रकार उसकी परीक्षा करता है कि उसे प्रतिष्ठा और नेमत प्रदान करता है, तो वह कहता है, 'मेरे रब ने मुझे प्रतिष्ठित किया।' ([८९] अल-फज्र: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

وَاَمَّآ اِذَا مَا ابْتَلٰىهُ فَقَدَرَ عَلَيْهِ رِزْقَهٗ ەۙ فَيَقُوْلُ رَبِّيْٓ اَهَانَنِۚ ١٦

wa-ammā
وَأَمَّآ
और लेकिन
idhā
إِذَا
जब कभी
مَا
जब कभी
ib'talāhu
ٱبْتَلَىٰهُ
वो आज़माता है उसे
faqadara
فَقَدَرَ
फिर वो तंग कर देता है
ʿalayhi
عَلَيْهِ
उस पर
riz'qahu
رِزْقَهُۥ
रिज़्क़ उसका
fayaqūlu
فَيَقُولُ
तो वो कहता है
rabbī
رَبِّىٓ
मेरे रब ने
ahānani
أَهَٰنَنِ
ज़लील कर दिया मुझे
किन्तु जब कभी वह उसकी परीक्षा इस प्रकार करता है कि उसकी रोज़ी नपी-तुली कर देता है, तो वह कहता है, 'मेरे रब ने मेरा अपमान किया।' ([८९] अल-फज्र: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

كَلَّا بَلْ لَّا تُكْرِمُوْنَ الْيَتِيْمَۙ ١٧

kallā
كَلَّاۖ
हरगिज़ नहीं
bal
بَل
बल्कि
لَّا
नहीं
tuk'rimūna
تُكْرِمُونَ
तुम इज़्ज़त देते
l-yatīma
ٱلْيَتِيمَ
यतीम को
कदापि नहीं, बल्कि तुम अनाथ का सम्मान नहीं करते, ([८९] अल-फज्र: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

وَلَا تَحٰۤضُّوْنَ عَلٰى طَعَامِ الْمِسْكِيْنِۙ ١٨

walā
وَلَا
और नहीं
taḥāḍḍūna
تَحَٰٓضُّونَ
तुम आपस में तरग़ीब देते
ʿalā
عَلَىٰ
खाना खिलाने पर
ṭaʿāmi
طَعَامِ
खाना खिलाने पर
l-mis'kīni
ٱلْمِسْكِينِ
मिसकीन के
और न मुहताज को खिलान पर एक-दूसरे को उभारते हो, ([८९] अल-फज्र: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

وَتَأْكُلُوْنَ التُّرَاثَ اَكْلًا لَّمًّاۙ ١٩

watakulūna
وَتَأْكُلُونَ
और तुम खा जाते हो
l-turātha
ٱلتُّرَاثَ
मीरास को
aklan
أَكْلًا
खा जाना
lamman
لَّمًّا
समेट कर
और सारी मीरास समेटकर खा जाते हो, ([८९] अल-फज्र: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

وَّتُحِبُّوْنَ الْمَالَ حُبًّا جَمًّاۗ ٢٠

watuḥibbūna
وَتُحِبُّونَ
और तुम मुहब्बत रखते हो
l-māla
ٱلْمَالَ
माल से
ḥubban
حُبًّا
मुहब्बत
jamman
جَمًّا
बहुत ज़्यादा
और धन से उत्कट प्रेम रखते हो ([८९] अल-फज्र: 20)
Tafseer (तफ़सीर )