११
لَّا تَسْمَعُ فِيْهَا لَاغِيَةً ۗ ١١
- lā
- لَّا
- नहीं वो सुनेंगे
- tasmaʿu
- تَسْمَعُ
- नहीं वो सुनेंगे
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- lāghiyatan
- لَٰغِيَةً
- कोई लग़्व बात
जिसमें कोई व्यर्थ बात न सुनेंगे ([८८] अल-घाशिया: 11)Tafseer (तफ़सीर )
१२
فِيْهَا عَيْنٌ جَارِيَةٌ ۘ ١٢
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- ʿaynun
- عَيْنٌ
- एक चश्मा होगा
- jāriyatun
- جَارِيَةٌ
- जारी / रवाँ
उसमें स्रोत प्रवाहित होगा, ([८८] अल-घाशिया: 12)Tafseer (तफ़सीर )
१३
فِيْهَا سُرُرٌ مَّرْفُوْعَةٌ ۙ ١٣
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- sururun
- سُرُرٌ
- मसनदें होंगी
- marfūʿatun
- مَّرْفُوعَةٌ
- बुलन्द
उसमें ऊँची-ऊँची मसनदें होगी, ([८८] अल-घाशिया: 13)Tafseer (तफ़सीर )
१४
وَّاَكْوَابٌ مَّوْضُوْعَةٌ ۙ ١٤
- wa-akwābun
- وَأَكْوَابٌ
- और प्याले
- mawḍūʿatun
- مَّوْضُوعَةٌ
- रखे हुए
प्याले ढंग से रखे होंगे, ([८८] अल-घाशिया: 14)Tafseer (तफ़सीर )
१५
وَّنَمَارِقُ مَصْفُوْفَةٌ ۙ ١٥
- wanamāriqu
- وَنَمَارِقُ
- और तकिये
- maṣfūfatun
- مَصْفُوفَةٌ
- सफ़ दर सफ़
क्रम से गाव तकिए लगे होंगे, ([८८] अल-घाशिया: 15)Tafseer (तफ़सीर )
१६
وَّزَرَابِيُّ مَبْثُوْثَةٌ ۗ ١٦
- wazarābiyyu
- وَزَرَابِىُّ
- और नफ़ीस क़ालीन
- mabthūthatun
- مَبْثُوثَةٌ
- फैलाए हुए
और हर ओर क़ालीने बिछी होंगी ([८८] अल-घाशिया: 16)Tafseer (तफ़सीर )
१७
اَفَلَا يَنْظُرُوْنَ اِلَى الْاِبِلِ كَيْفَ خُلِقَتْۗ ١٧
- afalā
- أَفَلَا
- क्या फिर नहीं
- yanẓurūna
- يَنظُرُونَ
- वो देखते
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ ऊँटों के
- l-ibili
- ٱلْإِبِلِ
- तरफ़ ऊँटों के
- kayfa
- كَيْفَ
- कैसे
- khuliqat
- خُلِقَتْ
- वो पैदा किए गए
फिर क्या वे ऊँट की ओर नहीं देखते कि कैसा बनाया गया? ([८८] अल-घाशिया: 17)Tafseer (तफ़सीर )
१८
وَاِلَى السَّمَاۤءِ كَيْفَ رُفِعَتْۗ ١٨
- wa-ilā
- وَإِلَى
- और तरफ़ आसमान के
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- और तरफ़ आसमान के
- kayfa
- كَيْفَ
- कैसे
- rufiʿat
- رُفِعَتْ
- वो बुलन्द किया गया
और आकाश की ओर कि कैसा ऊँचा किया गया? ([८८] अल-घाशिया: 18)Tafseer (तफ़सीर )
१९
وَاِلَى الْجِبَالِ كَيْفَ نُصِبَتْۗ ١٩
- wa-ilā
- وَإِلَى
- और तरफ़ पहाड़ों के
- l-jibāli
- ٱلْجِبَالِ
- और तरफ़ पहाड़ों के
- kayfa
- كَيْفَ
- कैसे
- nuṣibat
- نُصِبَتْ
- वो नसब किए गए
और पहाड़ो की ओर कि कैसे खड़े किए गए? ([८८] अल-घाशिया: 19)Tafseer (तफ़सीर )
२०
وَاِلَى الْاَرْضِ كَيْفَ سُطِحَتْۗ ٢٠
- wa-ilā
- وَإِلَى
- और तरफ़ ज़मीन के
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- और तरफ़ ज़मीन के
- kayfa
- كَيْفَ
- कैसे
- suṭiḥat
- سُطِحَتْ
- वो बिछाई गई
और धरती की ओर कि कैसी बिछाई गई? ([८८] अल-घाशिया: 20)Tafseer (तफ़सीर )