१
سَبِّحِ اسْمَ رَبِّكَ الْاَعْلَىۙ ١
- sabbiḥi
- سَبِّحِ
- तस्बीह कीजिए
- is'ma
- ٱسْمَ
- नाम की
- rabbika
- رَبِّكَ
- अपने रब के
- l-aʿlā
- ٱلْأَعْلَى
- जो बहुत बुलन्द है
तसबीह करो, अपने सर्वाच्च रब के नाम की, ([८७] अल-अला: 1)Tafseer (तफ़सीर )
२
الَّذِيْ خَلَقَ فَسَوّٰىۖ ٢
- alladhī
- ٱلَّذِى
- वो जिसने
- khalaqa
- خَلَقَ
- पैदा किया
- fasawwā
- فَسَوَّىٰ
- फिर उसने दुरुस्त किया
जिसने पैदा किया, फिर ठीक-ठाक किया, ([८७] अल-अला: 2)Tafseer (तफ़सीर )
३
وَالَّذِيْ قَدَّرَ فَهَدٰىۖ ٣
- wa-alladhī
- وَٱلَّذِى
- और वो जिसने
- qaddara
- قَدَّرَ
- अंदाज़ा किया
- fahadā
- فَهَدَىٰ
- फिर उसने हिदायत बख़्शी
जिसने निर्धारित किया, फिर मार्ग दिखाया, ([८७] अल-अला: 3)Tafseer (तफ़सीर )
४
وَالَّذِيْٓ اَخْرَجَ الْمَرْعٰىۖ ٤
- wa-alladhī
- وَٱلَّذِىٓ
- और वो जिसने
- akhraja
- أَخْرَجَ
- निकाला
- l-marʿā
- ٱلْمَرْعَىٰ
- चारा
जिसने वनस्पति उगाई, ([८७] अल-अला: 4)Tafseer (तफ़सीर )
५
فَجَعَلَهٗ غُثَاۤءً اَحْوٰىۖ ٥
- fajaʿalahu
- فَجَعَلَهُۥ
- फिर उसने बना दिया उसे
- ghuthāan
- غُثَآءً
- कूड़ा
- aḥwā
- أَحْوَىٰ
- स्याह
फिर उसे ख़ूब घना और हरा-भरा कर दिया ([८७] अल-अला: 5)Tafseer (तफ़सीर )
६
سَنُقْرِئُكَ فَلَا تَنْسٰىٓ ۖ ٦
- sanuq'ri-uka
- سَنُقْرِئُكَ
- अनक़रीब हम पढ़ा देंगे आपको
- falā
- فَلَا
- फिर नहीं
- tansā
- تَنسَىٰٓ
- आप भूलेंगे
हम तुम्हें पढ़ा देंगे, फिर तुम भूलोगे नहीं ([८७] अल-अला: 6)Tafseer (तफ़सीर )
७
اِلَّا مَا شَاۤءَ اللّٰهُ ۗاِنَّهٗ يَعْلَمُ الْجَهْرَ وَمَا يَخْفٰىۗ ٧
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mā
- مَا
- जो
- shāa
- شَآءَ
- चाहे
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- yaʿlamu
- يَعْلَمُ
- वो जानता है
- l-jahra
- ٱلْجَهْرَ
- ज़ाहिर को
- wamā
- وَمَا
- और उसको जो
- yakhfā
- يَخْفَىٰ
- पोशीदा है
बात यह है कि अल्लाह की इच्छा ही क्रियान्वित है। निश्चय ही वह जानता है खुले को भी और उसे भी जो छिपा रहे ([८७] अल-अला: 7)Tafseer (तफ़सीर )
८
وَنُيَسِّرُكَ لِلْيُسْرٰىۖ ٨
- wanuyassiruka
- وَنُيَسِّرُكَ
- और हम आसानी कर देंगे आपके लिए
- lil'yus'rā
- لِلْيُسْرَىٰ
- आसान(रास्ते) की
हम तुम्हें सहज ढंग से उस चीज़ की पात्र बना देंगे जो सहज एवं मृदुल (आरामदायक) है ([८७] अल-अला: 8)Tafseer (तफ़सीर )
९
فَذَكِّرْ اِنْ نَّفَعَتِ الذِّكْرٰىۗ ٩
- fadhakkir
- فَذَكِّرْ
- पस नसीहत कीजिए
- in
- إِن
- अगर
- nafaʿati
- نَّفَعَتِ
- फ़ायदा दे
- l-dhik'rā
- ٱلذِّكْرَىٰ
- नसीहत करना
अतः नसीहत करो, यदि नसीहत लाभप्रद हो! ([८७] अल-अला: 9)Tafseer (तफ़सीर )
१०
سَيَذَّكَّرُ مَنْ يَّخْشٰىۙ ١٠
- sayadhakkaru
- سَيَذَّكَّرُ
- अनक़रीब नसीहत पकड़ेगा
- man
- مَن
- वो जो
- yakhshā
- يَخْشَىٰ
- डरता होगा
नसीहत हासिल कर लेगा जिसको डर होगा, ([८७] अल-अला: 10)Tafseer (तफ़सीर )