११
اِنَّ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَهُمْ جَنّٰتٌ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ ەۗ ذٰلِكَ الْفَوْزُ الْكَبِيْرُۗ ١١
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- waʿamilū
- وَعَمِلُوا۟
- और उन्होंने अमल किए
- l-ṣāliḥāti
- ٱلصَّٰلِحَٰتِ
- नेक
- lahum
- لَهُمْ
- उनके लिए
- jannātun
- جَنَّٰتٌ
- बाग़ात हैं
- tajrī
- تَجْرِى
- बहती हैं
- min
- مِن
- उनके नीचे से
- taḥtihā
- تَحْتِهَا
- उनके नीचे से
- l-anhāru
- ٱلْأَنْهَٰرُۚ
- नहरें
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- l-fawzu
- ٱلْفَوْزُ
- कामयाबी है
- l-kabīru
- ٱلْكَبِيرُ
- बहुत बड़ी
निश्चय ही जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उनके लिए बाग़ है, जिनके नीचे नहरें बह रही होगी। वही है बड़ी सफलता ([८५] अल-बुरूज: 11)Tafseer (तफ़सीर )
१२
اِنَّ بَطْشَ رَبِّكَ لَشَدِيْدٌ ۗ ١٢
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- baṭsha
- بَطْشَ
- पकड़
- rabbika
- رَبِّكَ
- आपके रब की
- lashadīdun
- لَشَدِيدٌ
- अलबत्ता बहुत शदीद है
वास्तव में तुम्हारे रब की पकड़ बड़ी ही सख़्त है ([८५] अल-बुरूज: 12)Tafseer (तफ़सीर )
१३
اِنَّهٗ هُوَ يُبْدِئُ وَيُعِيْدُۚ ١٣
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- huwa
- هُوَ
- वो ही
- yub'di-u
- يُبْدِئُ
- पहली बार पैदा करता है
- wayuʿīdu
- وَيُعِيدُ
- और वो ही लौटाएगा
वही आरम्भ करता है और वही पुनरावृत्ति करता है, ([८५] अल-बुरूज: 13)Tafseer (तफ़सीर )
१४
وَهُوَ الْغَفُوْرُ الْوَدُوْدُۙ ١٤
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो ही है
- l-ghafūru
- ٱلْغَفُورُ
- बहुत बख़्शने वाला
- l-wadūdu
- ٱلْوَدُودُ
- बहुत मुहब्बत करने वाला है
वह बड़ा क्षमाशील, बहुत प्रेम करनेवाला है, ([८५] अल-बुरूज: 14)Tafseer (तफ़सीर )
१५
ذُو الْعَرْشِ الْمَجِيْدُۙ ١٥
- dhū
- ذُو
- अर्श वाला
- l-ʿarshi
- ٱلْعَرْشِ
- अर्श वाला
- l-majīdu
- ٱلْمَجِيدُ
- बड़ी शान वाला
सिंहासन का स्वामी है, बडा गौरवशाली, ([८५] अल-बुरूज: 15)Tafseer (तफ़सीर )
१६
فَعَّالٌ لِّمَا يُرِيْدُۗ ١٦
- faʿʿālun
- فَعَّالٌ
- कर गुज़रने वाला है
- limā
- لِّمَا
- उसे जो
- yurīdu
- يُرِيدُ
- वो चाहता है
जो चाहे उसे कर डालनेवाला ([८५] अल-बुरूज: 16)Tafseer (तफ़सीर )
१७
هَلْ اَتٰىكَ حَدِيْثُ الْجُنُوْدِۙ ١٧
- hal
- هَلْ
- क्या
- atāka
- أَتَىٰكَ
- आई आपके पास
- ḥadīthu
- حَدِيثُ
- ख़बर
- l-junūdi
- ٱلْجُنُودِ
- लश्करों की
क्या तुम्हें उन सेनाओं की भी ख़बर पहुँची हैं, ([८५] अल-बुरूज: 17)Tafseer (तफ़सीर )
१८
فِرْعَوْنَ وَثَمُوْدَۗ ١٨
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- फ़िरऔन
- wathamūda
- وَثَمُودَ
- और समूद के
फ़िरऔन और समूद की? ([८५] अल-बुरूज: 18)Tafseer (तफ़सीर )
१९
بَلِ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا فِيْ تَكْذِيْبٍۙ ١٩
- bali
- بَلِ
- बल्कि
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- fī
- فِى
- झुठलाने में लगे हुए हैं
- takdhībin
- تَكْذِيبٍ
- झुठलाने में लगे हुए हैं
नहीं, बल्कि जिन लोगों ने इनकार किया है, वे झुठलाने में लगे हुए है; ([८५] अल-बुरूज: 19)Tafseer (तफ़सीर )
२०
وَّاللّٰهُ مِنْ وَّرَاۤىِٕهِمْ مُّحِيْطٌۚ ٢٠
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- min
- مِن
- उनके पीछे से (उन्हें)
- warāihim
- وَرَآئِهِم
- उनके पीछे से (उन्हें)
- muḥīṭun
- مُّحِيطٌۢ
- घेरने वाला है
हालाँकि अल्लाह उन्हें घेरे हुए है, उनके आगे-पीछे से ([८५] अल-बुरूज: 20)Tafseer (तफ़सीर )