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सूरा अल-इन्शिकाक - Page: 3

Al-Inshiqaq

(The Sundering, Splitting Open)

२१

وَاِذَا قُرِئَ عَلَيْهِمُ الْقُرْاٰنُ لَا يَسْجُدُوْنَ ۗ ۩ ٢١

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
quri-a
قُرِئَ
पढ़ा जाता है
ʿalayhimu
عَلَيْهِمُ
उन पर
l-qur'ānu
ٱلْقُرْءَانُ
क़ुरआन
لَا
नहीं वो सजदा करते
yasjudūna
يَسْجُدُونَ۩
नहीं वो सजदा करते
और जब उन्हें कुरआन पढ़कर सुनाया जाता है तो सजदे में नहीं गिर पड़ते? ([८४] अल-इन्शिकाक: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

بَلِ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا يُكَذِّبُوْنَۖ ٢٢

bali
بَلِ
बल्कि
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
yukadhibūna
يُكَذِّبُونَ
वो झुठलाते हैं
नहीं, बल्कि इनकार करनेवाले तो झुठलाते है, ([८४] अल-इन्शिकाक: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

وَاللّٰهُ اَعْلَمُ بِمَا يُوْعُوْنَۖ ٢٣

wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
aʿlamu
أَعْلَمُ
ख़ूब जानता है
bimā
بِمَا
उसे जो
yūʿūna
يُوعُونَ
वो समेट रहे हैं
हालाँकि जो कुछ वे अपने अन्दर एकत्र कर रहे है, अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है ([८४] अल-इन्शिकाक: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

فَبَشِّرْهُمْ بِعَذَابٍ اَلِيْمٍۙ ٢٤

fabashir'hum
فَبَشِّرْهُم
पस ख़ुशख़बरी दे दीजिए उन्हें
biʿadhābin
بِعَذَابٍ
अज़ाब की
alīmin
أَلِيمٍ
दर्दनाक
अतः उन्हें दुखद यातना की मंगल सूचना दे दो ([८४] अल-इन्शिकाक: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

اِلَّا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَهُمْ اَجْرٌ غَيْرُ مَمْنُوْنٍ ࣖ ٢٥

illā
إِلَّا
सिवाए
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों के जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
waʿamilū
وَعَمِلُوا۟
और उन्होंने अमल किए
l-ṣāliḥāti
ٱلصَّٰلِحَٰتِ
नेक
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
ajrun
أَجْرٌ
अजर है
ghayru
غَيْرُ
ना
mamnūnin
مَمْنُونٍۭ
ख़त्म होने वाला
अलबत्ता जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उनके लिए कभी न समाप्त॥ होनेवाला प्रतिदान है ([८४] अल-इन्शिकाक: 25)
Tafseer (तफ़सीर )