१
اِذَا السَّمَاۤءُ انْشَقَّتْۙ ١
- idhā
- إِذَا
- जब
- l-samāu
- ٱلسَّمَآءُ
- आसमान
- inshaqqat
- ٱنشَقَّتْ
- फट जाऐगा
जबकि आकाश फट जाएगा, ([८४] अल-इन्शिकाक: 1)Tafseer (तफ़सीर )
२
وَاَذِنَتْ لِرَبِّهَا وَحُقَّتْۙ ٢
- wa-adhinat
- وَأَذِنَتْ
- और वो कान लगाए हुए है
- lirabbihā
- لِرَبِّهَا
- अपने रब के लिए
- waḥuqqat
- وَحُقَّتْ
- और वो हक़ दिया गया है
और वह अपने रब की सुनेगा, और उसे यही चाहिए भी ([८४] अल-इन्शिकाक: 2)Tafseer (तफ़सीर )
३
وَاِذَا الْاَرْضُ مُدَّتْۙ ٣
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- l-arḍu
- ٱلْأَرْضُ
- ज़मीन
- muddat
- مُدَّتْ
- फैला दी जाएगी
जब धरती फैला दी जाएगी ([८४] अल-इन्शिकाक: 3)Tafseer (तफ़सीर )
४
وَاَلْقَتْ مَا فِيْهَا وَتَخَلَّتْۙ ٤
- wa-alqat
- وَأَلْقَتْ
- और वो डाल देगी
- mā
- مَا
- जो कुछ
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें है
- watakhallat
- وَتَخَلَّتْ
- और वो ख़ाली हो जाएगी
और जो कुछ उसके भीतर है उसे बाहर डालकर खाली हो जाएगी ([८४] अल-इन्शिकाक: 4)Tafseer (तफ़सीर )
५
وَاَذِنَتْ لِرَبِّهَا وَحُقَّتْۗ ٥
- wa-adhinat
- وَأَذِنَتْ
- और वो कान लगाए हुए है
- lirabbihā
- لِرَبِّهَا
- अपने रब के लिए
- waḥuqqat
- وَحُقَّتْ
- और वो हक़ दी गई है
और वह अपने रब की सुनेगी, और उसे यही चाहिए भी ([८४] अल-इन्शिकाक: 5)Tafseer (तफ़सीर )
६
يٰٓاَيُّهَا الْاِنْسَانُ اِنَّكَ كَادِحٌ اِلٰى رَبِّكَ كَدْحًا فَمُلٰقِيْهِۚ ٦
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ
- l-insānu
- ٱلْإِنسَٰنُ
- इन्सान
- innaka
- إِنَّكَ
- बेशक तू
- kādiḥun
- كَادِحٌ
- मेहनत करने वाला है
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ अपने रब के
- rabbika
- رَبِّكَ
- तरफ़ अपने रब के
- kadḥan
- كَدْحًا
- सख़्त मेहनत
- famulāqīhi
- فَمُلَٰقِيهِ
- फिर मिलने वाला है उससे
ऐ मनुष्य! तू मशक़्क़त करता हुआ अपने रब ही की ओर खिंचा चला जा रहा है और अन्ततः उससे मिलने वाला है ([८४] अल-इन्शिकाक: 6)Tafseer (तफ़सीर )
७
فَاَمَّا مَنْ اُوْتِيَ كِتٰبَهٗ بِيَمِيْنِهٖۙ ٧
- fa-ammā
- فَأَمَّا
- तो रहा
- man
- مَنْ
- वो जो
- ūtiya
- أُوتِىَ
- दिया गया
- kitābahu
- كِتَٰبَهُۥ
- किताब अपनी
- biyamīnihi
- بِيَمِينِهِۦ
- अपने दाऐं हाथ में
फिर जिस किसी को उसका कर्म-पत्र उसके दाहिने हाथ में दिया गया, ([८४] अल-इन्शिकाक: 7)Tafseer (तफ़सीर )
८
فَسَوْفَ يُحَاسَبُ حِسَابًا يَّسِيْرًاۙ ٨
- fasawfa
- فَسَوْفَ
- तो अनक़रीब
- yuḥāsabu
- يُحَاسَبُ
- वो हिसाब लिया जाएग
- ḥisāban
- حِسَابًا
- हिसाब
- yasīran
- يَسِيرًا
- निहायत आसान
तो उससे आसान, सरसरी हिसाब लिया जाएगा ([८४] अल-इन्शिकाक: 8)Tafseer (तफ़सीर )
९
وَّيَنْقَلِبُ اِلٰٓى اَهْلِهٖ مَسْرُوْرًاۗ ٩
- wayanqalibu
- وَيَنقَلِبُ
- और वो लौटेगा
- ilā
- إِلَىٰٓ
- तरफ़ अपने घर वालों के
- ahlihi
- أَهْلِهِۦ
- तरफ़ अपने घर वालों के
- masrūran
- مَسْرُورًا
- मसरूर/ ख़ुश
और वह अपने लोगों की ओर ख़ुश-ख़ुश पलटेगा ([८४] अल-इन्शिकाक: 9)Tafseer (तफ़सीर )
१०
وَاَمَّا مَنْ اُوْتِيَ كِتٰبَهٗ وَرَاۤءَ ظَهْرِهٖۙ ١٠
- wa-ammā
- وَأَمَّا
- और रहा
- man
- مَنْ
- वो जो
- ūtiya
- أُوتِىَ
- दिया गया
- kitābahu
- كِتَٰبَهُۥ
- किताब अपनी
- warāa
- وَرَآءَ
- पीछे से
- ẓahrihi
- ظَهْرِهِۦ
- अपनी पुश्त के
और रह वह व्यक्ति जिसका कर्म-पत्र (उसके बाएँ हाथ में) उसकी पीठ के पीछे से दिया गया, ([८४] अल-इन्शिकाक: 10)Tafseer (तफ़सीर )