Skip to content

सूरा अल-मुताफ्फिन - Page: 4

Al-Mutaffifin

(Defrauding, The Cheats, Cheating)

३१

وَاِذَا انْقَلَبُوْٓا اِلٰٓى اَهْلِهِمُ انْقَلَبُوْا فَكِهِيْنَۖ ٣١

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
inqalabū
ٱنقَلَبُوٓا۟
वो पलट कर जाते
ilā
إِلَىٰٓ
तरफ़
ahlihimu
أَهْلِهِمُ
अपने घर वालों के
inqalabū
ٱنقَلَبُوا۟
वो पलटते
fakihīna
فَكِهِينَ
दिल्लगी करते हुए
और जब अपने लोगों की ओर पलटते है तो चहकते, इतराते हुए पलटते थे, ([८३] अल-मुताफ्फिन: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

وَاِذَا رَاَوْهُمْ قَالُوْٓا اِنَّ هٰٓؤُلَاۤءِ لَضَاۤلُّوْنَۙ ٣٢

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
ra-awhum
رَأَوْهُمْ
वो देखते उन्हें
qālū
قَالُوٓا۟
वो कहते
inna
إِنَّ
बेशक
hāulāi
هَٰٓؤُلَآءِ
ये लोग
laḍāllūna
لَضَآلُّونَ
यक़ीनन गुमराह हैं
और जब उन्हें देखते तो कहते, 'ये तो भटके हुए है।' ([८३] अल-मुताफ्फिन: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

وَمَآ اُرْسِلُوْا عَلَيْهِمْ حٰفِظِيْنَۗ ٣٣

wamā
وَمَآ
हालाँकि नहीं
ur'silū
أُرْسِلُوا۟
वो भेजे गए थे
ʿalayhim
عَلَيْهِمْ
उन पर
ḥāfiẓīna
حَٰفِظِينَ
निगहबान बना कर
हालाँकि वे उनपर कोई निगरानी करनेवाले बनाकर नहीं भेजे गए थे ([८३] अल-मुताफ्फिन: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

فَالْيَوْمَ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا مِنَ الْكُفَّارِ يَضْحَكُوْنَۙ ٣٤

fal-yawma
فَٱلْيَوْمَ
पस आज के दिन
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
mina
مِنَ
काफ़िरों पर
l-kufāri
ٱلْكُفَّارِ
काफ़िरों पर
yaḍḥakūna
يَضْحَكُونَ
वो हँस रहे होंगे
तो आज ईमान लानेवाले, इनकार करनेवालों पर हँस रहे हैं, ([८३] अल-मुताफ्फिन: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

عَلَى الْاَرَاۤىِٕكِ يَنْظُرُوْنَۗ ٣٥

ʿalā
عَلَى
मसनदों पर
l-arāiki
ٱلْأَرَآئِكِ
मसनदों पर
yanẓurūna
يَنظُرُونَ
वो देख रहे होंगे
ऊँची मसनदों पर से देख रहे है ([८३] अल-मुताफ्फिन: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

هَلْ ثُوِّبَ الْكُفَّارُ مَا كَانُوْا يَفْعَلُوْنَ ࣖ ٣٦

hal
هَلْ
क्या
thuwwiba
ثُوِّبَ
बदला दिए गए
l-kufāru
ٱلْكُفَّارُ
काफ़िर
مَا
जो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
yafʿalūna
يَفْعَلُونَ
वो किया करते
क्या मिल गया बदला इनकार करनेवालों को उसका जो कुछ वे करते रहे है? ([८३] अल-मुताफ्फिन: 36)
Tafseer (तफ़सीर )