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सूरा अल-मुताफ्फिन - Page: 3

Al-Mutaffifin

(Defrauding, The Cheats, Cheating)

२१

يَّشْهَدُهُ الْمُقَرَّبُوْنَۗ ٢١

yashhaduhu
يَشْهَدُهُ
हाज़िर रहते है उस पर
l-muqarabūna
ٱلْمُقَرَّبُونَ
मुक़र्रब (फ़रिश्ते )
जिसे देखने के लिए सामीप्य प्राप्त लोग उपस्थित होंगे, ([८३] अल-मुताफ्फिन: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

اِنَّ الْاَبْرَارَ لَفِيْ نَعِيْمٍۙ ٢٢

inna
إِنَّ
बेशक
l-abrāra
ٱلْأَبْرَارَ
नेक लोग
lafī
لَفِى
यक़ीनन नेअमतों मे होंगे
naʿīmin
نَعِيمٍ
यक़ीनन नेअमतों मे होंगे
निस्संदेह अच्छे लोग नेमतों में होंगे, ([८३] अल-मुताफ्फिन: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

عَلَى الْاَرَاۤىِٕكِ يَنْظُرُوْنَۙ ٢٣

ʿalā
عَلَى
मसनदों पर
l-arāiki
ٱلْأَرَآئِكِ
मसनदों पर
yanẓurūna
يَنظُرُونَ
वो देख रहे होंगे
ऊँची मसनदों पर से देख रहे होंगे ([८३] अल-मुताफ्फिन: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

تَعْرِفُ فِيْ وُجُوْهِهِمْ نَضْرَةَ النَّعِيْمِۚ ٢٤

taʿrifu
تَعْرِفُ
आप पहचान लेंगे
فِى
उनके चेहरों में
wujūhihim
وُجُوهِهِمْ
उनके चेहरों में
naḍrata
نَضْرَةَ
रौनक़
l-naʿīmi
ٱلنَّعِيمِ
नेअमत की
उनके चहरों से तुम्हें नेमतों की ताज़गी और आभा को बोध हो रहा होगा, ([८३] अल-मुताफ्फिन: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

يُسْقَوْنَ مِنْ رَّحِيْقٍ مَّخْتُوْمٍۙ ٢٥

yus'qawna
يُسْقَوْنَ
वो पिलाए जाऐंगे
min
مِن
ख़ालिस शराब
raḥīqin
رَّحِيقٍ
ख़ालिस शराब
makhtūmin
مَّخْتُومٍ
मोहर बन्द
उन्हें मुहरबंद विशुद्ध पेय पिलाया जाएगा, ([८३] अल-मुताफ्फिन: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

خِتٰمُهٗ مِسْكٌ ۗوَفِيْ ذٰلِكَ فَلْيَتَنَافَسِ الْمُتَنَافِسُوْنَۗ ٢٦

khitāmuhu
خِتَٰمُهُۥ
उसकी मोहर
mis'kun
مِسْكٌۚ
मुश्क होगी
wafī
وَفِى
और उसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
और उसमें
falyatanāfasi
فَلْيَتَنَافَسِ
पस चाहिए कि एक दूसरे पर बाज़ी ले जाऐं
l-mutanāfisūna
ٱلْمُتَنَٰفِسُونَ
बाज़ी ले जाने वाले
मुहर उसकी मुश्क ही होगी - जो लोग दूसरी पर बाज़ी ले जाना चाहते हो वे इस चीज़ को प्राप्त करने में बाज़ी ले जाने का प्रयास करे - ([८३] अल-मुताफ्फिन: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

وَمِزَاجُهٗ مِنْ تَسْنِيْمٍۙ ٢٧

wamizājuhu
وَمِزَاجُهُۥ
और आमेज़िश उसकी
min
مِن
तसनीम होगी
tasnīmin
تَسْنِيمٍ
तसनीम होगी
और उसमें 'तसनीम' का मिश्रण होगा, ([८३] अल-मुताफ्फिन: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

عَيْنًا يَّشْرَبُ بِهَا الْمُقَرَّبُوْنَۗ ٢٨

ʿaynan
عَيْنًا
जो एक चश्मा है
yashrabu
يَشْرَبُ
पिऐंगे
bihā
بِهَا
उससे
l-muqarabūna
ٱلْمُقَرَّبُونَ
मुक़र्रब लोग
हाल यह है कि वह एक स्रोत है, जिसपर बैठकर सामीप्य प्राप्त लोग पिएँगे ([८३] अल-मुताफ्फिन: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

اِنَّ الَّذِيْنَ اَجْرَمُوْا كَانُوْا مِنَ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا يَضْحَكُوْنَۖ ٢٩

inna
إِنَّ
बेशक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
ajramū
أَجْرَمُوا۟
जुर्म किए
kānū
كَانُوا۟
थे वो
mina
مِنَ
उन लोगों पर जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन लोगों पर जो
āmanū
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
yaḍḥakūna
يَضْحَكُونَ
वो हँसा करते
जो अपराधी है वे ईमान लानेवालों पर हँसते थे, ([८३] अल-मुताफ्फिन: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

وَاِذَا مَرُّوْا بِهِمْ يَتَغَامَزُوْنَۖ ٣٠

wa-idhā
وَإِذَا
और जब
marrū
مَرُّوا۟
वो गुज़रते
bihim
بِهِمْ
उनके पास से
yataghāmazūna
يَتَغَامَزُونَ
वो एक दूसरे को आँख से इशारे करते
और जब उनके पास से गुज़रते तो आपस में आँखों और भौंहों से इशारे करते थे, ([८३] अल-मुताफ्फिन: 30)
Tafseer (तफ़सीर )