२१
ثُمَّ اَمَاتَهٗ فَاَقْبَرَهٗۙ ٢١
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- amātahu
- أَمَاتَهُۥ
- उसने मौत दी उसे
- fa-aqbarahu
- فَأَقْبَرَهُۥ
- फिर उसने क़ब्र दी उसे
फिर उसे मृत्यु दी और क्रब में उसे रखवाया, ([८०] सूरह अबसा: 21)Tafseer (तफ़सीर )
२२
ثُمَّ اِذَا شَاۤءَ اَنْشَرَهٗۗ ٢٢
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- idhā
- إِذَا
- जब
- shāa
- شَآءَ
- वो चाहेगा
- ansharahu
- أَنشَرَهُۥ
- वो उठा खड़ा करेगा उसे
फिर जब चाहेगा उसे (जीवित करके) उठा खड़ा करेगा। - ([८०] सूरह अबसा: 22)Tafseer (तफ़सीर )
२३
كَلَّا لَمَّا يَقْضِ مَآ اَمَرَهٗۗ ٢٣
- kallā
- كَلَّا
- हरगिज़ नहीं
- lammā
- لَمَّا
- अभी तक नहीं
- yaqḍi
- يَقْضِ
- उसने पूरा किया
- mā
- مَآ
- जो
- amarahu
- أَمَرَهُۥ
- उसने हुक्म दिया था उसे
कदापि नहीं, उसने उसको पूरा नहीं किया जिसका आदेश अल्लाह ने उसे दिया है ([८०] सूरह अबसा: 23)Tafseer (तफ़सीर )
२४
فَلْيَنْظُرِ الْاِنْسَانُ اِلٰى طَعَامِهٖٓ ۙ ٢٤
- falyanẓuri
- فَلْيَنظُرِ
- पस चाहिए कि देखे
- l-insānu
- ٱلْإِنسَٰنُ
- इन्सान
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ अपने खाने के
- ṭaʿāmihi
- طَعَامِهِۦٓ
- तरफ़ अपने खाने के
अतः मनुष्य को चाहिए कि अपने भोजन को देखे, ([८०] सूरह अबसा: 24)Tafseer (तफ़सीर )
२५
اَنَّا صَبَبْنَا الْمَاۤءَ صَبًّاۙ ٢٥
- annā
- أَنَّا
- बेशक हम
- ṣababnā
- صَبَبْنَا
- उँडेला हमने
- l-māa
- ٱلْمَآءَ
- पानी
- ṣabban
- صَبًّا
- ख़ूब उँडेलना
कि हमने ख़ूब पानी बरसाया, ([८०] सूरह अबसा: 25)Tafseer (तफ़सीर )
२६
ثُمَّ شَقَقْنَا الْاَرْضَ شَقًّاۙ ٢٦
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- shaqaqnā
- شَقَقْنَا
- फाड़ी हमने
- l-arḍa
- ٱلْأَرْضَ
- ज़मीन
- shaqqan
- شَقًّا
- ख़ूब फाड़ना
फिर धरती को विशेष रूप से फाड़ा, ([८०] सूरह अबसा: 26)Tafseer (तफ़सीर )
२७
فَاَنْۢبَتْنَا فِيْهَا حَبًّاۙ ٢٧
- fa-anbatnā
- فَأَنۢبَتْنَا
- फिर उगाया हमने
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- ḥabban
- حَبًّا
- ग़ल्ला
फिर हमने उसमें उगाए अनाज, ([८०] सूरह अबसा: 27)Tafseer (तफ़सीर )
२८
وَّعِنَبًا وَّقَضْبًاۙ ٢٨
- waʿinaban
- وَعِنَبًا
- और उंगूर
- waqaḍban
- وَقَضْبًا
- और तरकारी
और अंगूर और तरकारी, ([८०] सूरह अबसा: 28)Tafseer (तफ़सीर )
२९
وَّزَيْتُوْنًا وَّنَخْلًاۙ ٢٩
- wazaytūnan
- وَزَيْتُونًا
- और ज़ैतून
- wanakhlan
- وَنَخْلًا
- और खजूर
और ज़ैतून और खजूर, ([८०] सूरह अबसा: 29)Tafseer (तफ़सीर )
३०
وَّحَدَاۤئِقَ غُلْبًا ٣٠
- waḥadāiqa
- وَحَدَآئِقَ
- और बाग़ात
- ghul'ban
- غُلْبًا
- घने
और घने बाग़, ([८०] सूरह अबसा: 30)Tafseer (तफ़सीर )