११
كَلَّآ اِنَّهَا تَذْكِرَةٌ ۚ ١١
- kallā
- كَلَّآ
- हरगिज़ नहीं
- innahā
- إِنَّهَا
- बेशक वो
- tadhkiratun
- تَذْكِرَةٌ
- एक नसीहत है
कदापि नहीं, वे (आयतें) तो महत्वपूर्ण नसीहत है - ([८०] सूरह अबसा: 11)Tafseer (तफ़सीर )
१२
فَمَنْ شَاۤءَ ذَكَرَهٗ ۘ ١٢
- faman
- فَمَن
- तो जो कोई
- shāa
- شَآءَ
- चाहे
- dhakarahu
- ذَكَرَهُۥ
- नसीहत हासिल करे उससे
तो जो चाहे उसे याद कर ले - ([८०] सूरह अबसा: 12)Tafseer (तफ़सीर )
१३
فِيْ صُحُفٍ مُّكَرَّمَةٍۙ ١٣
- fī
- فِى
- सहीफ़ों में है
- ṣuḥufin
- صُحُفٍ
- सहीफ़ों में है
- mukarramatin
- مُّكَرَّمَةٍ
- इज़्ज़त दिए गए
पवित्र पन्नों में अंकित है, ([८०] सूरह अबसा: 13)Tafseer (तफ़सीर )
१४
مَّرْفُوْعَةٍ مُّطَهَّرَةٍ ۢ ۙ ١٤
- marfūʿatin
- مَّرْفُوعَةٍ
- बुलन्द मरतबा
- muṭahharatin
- مُّطَهَّرَةٍۭ
- निहायत पाकीज़ा
प्रतिष्ठि्त, उच्च, ([८०] सूरह अबसा: 14)Tafseer (तफ़सीर )
१५
بِاَيْدِيْ سَفَرَةٍۙ ١٥
- bi-aydī
- بِأَيْدِى
- हाथों में है
- safaratin
- سَفَرَةٍ
- लिखने वालों के
ऐसे कातिबों के हाथों में रहा करते है ([८०] सूरह अबसा: 15)Tafseer (तफ़सीर )
१६
كِرَامٍۢ بَرَرَةٍۗ ١٦
- kirāmin
- كِرَامٍۭ
- मुअज़्ज़िज़
- bararatin
- بَرَرَةٍ
- नेकोकार
जो प्रतिष्ठित और नेक है ([८०] सूरह अबसा: 16)Tafseer (तफ़सीर )
१७
قُتِلَ الْاِنْسَانُ مَآ اَكْفَرَهٗۗ ١٧
- qutila
- قُتِلَ
- मारा जाए
- l-insānu
- ٱلْإِنسَٰنُ
- इन्सान
- mā
- مَآ
- किस क़दर नाशुक्रा है वो
- akfarahu
- أَكْفَرَهُۥ
- किस क़दर नाशुक्रा है वो
विनष्ट हुआ मनुष्य! कैसा अकृतज्ञ है! ([८०] सूरह अबसा: 17)Tafseer (तफ़सीर )
१८
مِنْ اَيِّ شَيْءٍ خَلَقَهٗۗ ١٨
- min
- مِنْ
- किस चीज़ से
- ayyi
- أَىِّ
- किस चीज़ से
- shayin
- شَىْءٍ
- किस चीज़ से
- khalaqahu
- خَلَقَهُۥ
- उसने पैदा किया उसे
उसको किस चीज़ से पैदा किया? ([८०] सूरह अबसा: 18)Tafseer (तफ़सीर )
१९
مِنْ نُّطْفَةٍۗ خَلَقَهٗ فَقَدَّرَهٗۗ ١٩
- min
- مِن
- एक नुत्फ़े से
- nuṭ'fatin
- نُّطْفَةٍ
- एक नुत्फ़े से
- khalaqahu
- خَلَقَهُۥ
- उसने पैदा किया उसे
- faqaddarahu
- فَقَدَّرَهُۥ
- फिर उसने तक़दीर मुक़र्रर की उसकी
तनिक-सी बूँद से उसको पैदा किया, तो उसके लिए एक अंदाजा ठहराया, ([८०] सूरह अबसा: 19)Tafseer (तफ़सीर )
२०
ثُمَّ السَّبِيْلَ يَسَّرَهٗۙ ٢٠
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- l-sabīla
- ٱلسَّبِيلَ
- रास्ता
- yassarahu
- يَسَّرَهُۥ
- उसने आसान किया उसका
फिर मार्ग को देखो, उसे सुगम कर दिया, ([८०] सूरह अबसा: 20)Tafseer (तफ़सीर )