१
عَبَسَ وَتَوَلّٰىٓۙ ١
- ʿabasa
- عَبَسَ
- उसने तेवरी चढ़ाई
- watawallā
- وَتَوَلَّىٰٓ
- और उसने मुँह फेर लिया
उसने त्योरी चढ़ाई और मुँह फेर लिया, ([८०] सूरह अबसा: 1)Tafseer (तफ़सीर )
२
اَنْ جَاۤءَهُ الْاَعْمٰىۗ ٢
- an
- أَن
- कि
- jāahu
- جَآءَهُ
- आया उसके पास
- l-aʿmā
- ٱلْأَعْمَىٰ
- एक नाबीना
इस कारण कि उसके पास अन्धा आ गया। ([८०] सूरह अबसा: 2)Tafseer (तफ़सीर )
३
وَمَا يُدْرِيْكَ لَعَلَّهٗ يَزَّكّٰىٓۙ ٣
- wamā
- وَمَا
- और क्या चीज़
- yud'rīka
- يُدْرِيكَ
- बताए आपको
- laʿallahu
- لَعَلَّهُۥ
- शायद कि वो
- yazzakkā
- يَزَّكَّىٰٓ
- वो पाक हो जाता
और तुझे क्या मालूम शायद वह स्वयं को सँवारता-निखारता हो ([८०] सूरह अबसा: 3)Tafseer (तफ़सीर )
४
اَوْ يَذَّكَّرُ فَتَنْفَعَهُ الذِّكْرٰىۗ ٤
- aw
- أَوْ
- या
- yadhakkaru
- يَذَّكَّرُ
- वो नसीहत पकड़ता
- fatanfaʿahu
- فَتَنفَعَهُ
- तो फ़ायदा देती उसे
- l-dhik'rā
- ٱلذِّكْرَىٰٓ
- नसीहत
या नसीहत हासिल करता हो तो नसीहत उसके लिए लाभदायक हो? ([८०] सूरह अबसा: 4)Tafseer (तफ़सीर )
५
اَمَّا مَنِ اسْتَغْنٰىۙ ٥
- ammā
- أَمَّا
- रहा
- mani
- مَنِ
- वो जो
- is'taghnā
- ٱسْتَغْنَىٰ
- बेपरवाही करता है
रहा वह व्यक्ति जो धनी हो गया ह ([८०] सूरह अबसा: 5)Tafseer (तफ़सीर )
६
فَاَنْتَ لَهٗ تَصَدّٰىۗ ٦
- fa-anta
- فَأَنتَ
- तो आप
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- taṣaddā
- تَصَدَّىٰ
- आप तवज्जो करते हैं
तू उसके पीछे पड़ा है - ([८०] सूरह अबसा: 6)Tafseer (तफ़सीर )
७
وَمَا عَلَيْكَ اَلَّا يَزَّكّٰىۗ ٧
- wamā
- وَمَا
- हालाँकि नहीं
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर(ज़िम्मेदारी )
- allā
- أَلَّا
- कि नहीं
- yazzakkā
- يَزَّكَّىٰ
- वो पाक होता
हालाँकि वह अपने को न निखारे तो तुझपर कोई ज़िम्मेदारी नहीं आती - ([८०] सूरह अबसा: 7)Tafseer (तफ़सीर )
८
وَاَمَّا مَنْ جَاۤءَكَ يَسْعٰىۙ ٨
- wa-ammā
- وَأَمَّا
- और रहा
- man
- مَن
- वो जो
- jāaka
- جَآءَكَ
- आया है आपके पास
- yasʿā
- يَسْعَىٰ
- कोशिश करता हुआ
और रहा वह व्यक्ति जो स्वयं ही तेरे पास दौड़ता हुआ आया, ([८०] सूरह अबसा: 8)Tafseer (तफ़सीर )
९
وَهُوَ يَخْشٰىۙ ٩
- wahuwa
- وَهُوَ
- और वो
- yakhshā
- يَخْشَىٰ
- वो डरता है
और वह डरता भी है, ([८०] सूरह अबसा: 9)Tafseer (तफ़सीर )
१०
فَاَنْتَ عَنْهُ تَلَهّٰىۚ ١٠
- fa-anta
- فَأَنتَ
- तो आप
- ʿanhu
- عَنْهُ
- उससे
- talahhā
- تَلَهَّىٰ
- आप बेरुख़ी बरतते हैं
तो तू उससे बेपरवाई करता है ([८०] सूरह अबसा: 10)Tafseer (तफ़सीर )