وَاِنْ يُّرِيْدُوْا خِيَانَتَكَ فَقَدْ خَانُوا اللّٰهَ مِنْ قَبْلُ فَاَمْكَنَ مِنْهُمْ وَاللّٰهُ عَلِيْمٌ حَكِيْمٌ ٧١
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yurīdū
- يُرِيدُوا۟
- वो इरादा करेंगे
- khiyānataka
- خِيَانَتَكَ
- आपसे ख़यानत का
- faqad
- فَقَدْ
- पस तहक़ीक़
- khānū
- خَانُوا۟
- उन्होंने ख़यानत की
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- min
- مِن
- इससे पहले
- qablu
- قَبْلُ
- इससे पहले
- fa-amkana
- فَأَمْكَنَ
- तो उसने क़ाबू में दे दिया
- min'hum
- مِنْهُمْۗ
- उन्हें
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- बहुत इल्म वाला है
- ḥakīmun
- حَكِيمٌ
- बहुत हिकमत वाला है
किन्तुम यदि वे तुम्हारे साथ विश्वासघात करना चाहेंगे, तो इससे पहले वे अल्लाह के साथ विश्वासघात कर चुके है। तो उसने तुम्हें उनपर अधिकार दे दिया। अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, बड़ा तत्वदर्शी है ([८] अल-अन्फाल: 71)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَهَاجَرُوْا وَجَاهَدُوْا بِاَمْوَالِهِمْ وَاَنْفُسِهِمْ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَالَّذِيْنَ اٰوَوْا وَّنَصَرُوْٓا اُولٰۤىِٕكَ بَعْضُهُمْ اَوْلِيَاۤءُ بَعْضٍۗ وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَلَمْ يُهَاجِرُوْا مَا لَكُمْ مِّنْ وَّلَايَتِهِمْ مِّنْ شَيْءٍ حَتّٰى يُهَاجِرُوْاۚ وَاِنِ اسْتَنْصَرُوْكُمْ فِى الدِّيْنِ فَعَلَيْكُمُ النَّصْرُ اِلَّا عَلٰى قَوْمٍۢ بَيْنَكُمْ وَبَيْنَهُمْ مِّيْثَاقٌۗ وَاللّٰهُ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِيْرٌ ٧٢
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमाम लाए
- wahājarū
- وَهَاجَرُوا۟
- और उन्होंने हिजरत की
- wajāhadū
- وَجَٰهَدُوا۟
- और उन्होंने जिहाद किया
- bi-amwālihim
- بِأَمْوَٰلِهِمْ
- साथ अपने मालों
- wa-anfusihim
- وَأَنفُسِهِمْ
- और अपनी जानों के
- fī
- فِى
- अल्लाह के रास्ते में
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते में
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- āwaw
- ءَاوَوا۟
- पनाह दी
- wanaṣarū
- وَّنَصَرُوٓا۟
- और मदद की
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- baʿḍuhum
- بَعْضُهُمْ
- बाज़ उनके
- awliyāu
- أَوْلِيَآءُ
- दोस्त हैं
- baʿḍin
- بَعْضٍۚ
- बाज़ के
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- walam
- وَلَمْ
- और नहीं
- yuhājirū
- يُهَاجِرُوا۟
- उन्होंने हिजरत की
- mā
- مَا
- नहीं है
- lakum
- لَكُم
- तुम्हारे लिए
- min
- مِّن
- उनकी दोस्ती में से
- walāyatihim
- وَلَٰيَتِهِم
- उनकी दोस्ती में से
- min
- مِّن
- कोई भी चीज़
- shayin
- شَىْءٍ
- कोई भी चीज़
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yuhājirū
- يُهَاجِرُوا۟ۚ
- वो हिजरत कर जाऐं
- wa-ini
- وَإِنِ
- और अगर
- is'tanṣarūkum
- ٱسْتَنصَرُوكُمْ
- वो मदद माँगें तुमसे
- fī
- فِى
- दीन के मामले में
- l-dīni
- ٱلدِّينِ
- दीन के मामले में
- faʿalaykumu
- فَعَلَيْكُمُ
- तो तुम पर (लाज़िम) है
- l-naṣru
- ٱلنَّصْرُ
- मदद करना
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ʿalā
- عَلَىٰ
- उस क़ौम के ख़िलाफ़
- qawmin
- قَوْمٍۭ
- उस क़ौम के ख़िलाफ़
- baynakum
- بَيْنَكُمْ
- दर्मियान तुम्हारे
- wabaynahum
- وَبَيْنَهُم
- और दर्मियान उनके
- mīthāqun
- مِّيثَٰقٌۗ
- पुख़्ता मुआहिदा है
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- bimā
- بِمَا
- उसे जो
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते हो
- baṣīrun
- بَصِيرٌ
- ख़ूब देखने वाला है
जो लोग ईमान लाए और उन्होंने हिजरत की और अल्लाह के मार्ग में अपने मालों और अपनी जानों के साथ जिहाद किया और जिन लोगों ने उन्हें शरण दी और सहायता की, वही लोग परस्पर एक-दूसरे के संरक्षक मित्र है। रहे वे लोग जो ईमान लाए, किन्तु उन्होंने हिजरत नहीं की, उनसे तुम्हारा संरक्षण और मित्रता का कोई सम्बन्ध नहीं है, जब तक कि वे हिजरत न करें, किन्तु यदि वे धर्म के मामले में तुमसे सहायता माँगे तो तुमपर अनिवार्य है कि सहायता करो, सिवाय इसके कि सहायता किसी ऐसी क़ौम के मुक़ाबले में हो जिससे तुम्हारी कोई संधि हो। तुम जो कुछ करते हो अल्लाह उसे देखता है ([८] अल-अन्फाल: 72)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ كَفَرُوْا بَعْضُهُمْ اَوْلِيَاۤءُ بَعْضٍۗ اِلَّا تَفْعَلُوْهُ تَكُنْ فِتْنَةٌ فِى الْاَرْضِ وَفَسَادٌ كَبِيْرٌۗ ٧٣
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- baʿḍuhum
- بَعْضُهُمْ
- बाज़ उनके
- awliyāu
- أَوْلِيَآءُ
- मददगार हैं
- baʿḍin
- بَعْضٍۚ
- बाज़ के
- illā
- إِلَّا
- अगर नहीं
- tafʿalūhu
- تَفْعَلُوهُ
- तुम करोगे ऐसा
- takun
- تَكُن
- होगा
- fit'natun
- فِتْنَةٌ
- फ़ितना
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- wafasādun
- وَفَسَادٌ
- और फ़साद
- kabīrun
- كَبِيرٌ
- बहुत बड़ा
जो इनकार करनेवाले लोग है, वे आपस में एक-दूसरे के मित्र और सहायक है। यदि तुम ऐसा नहीं करोगे तो धरती में फ़ितना और बड़ा फ़साद फैलेगा ([८] अल-अन्फाल: 73)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا وَهَاجَرُوْا وَجَاهَدُوْا فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ وَالَّذِيْنَ اٰوَوْا وَّنَصَرُوْٓا اُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْمُؤْمِنُوْنَ حَقًّاۗ لَهُمْ مَّغْفِرَةٌ وَّرِزْقٌ كَرِيْمٌ ٧٤
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- wahājarū
- وَهَاجَرُوا۟
- और उन्होंने हिजरत की
- wajāhadū
- وَجَٰهَدُوا۟
- और उन्होंने जिहाद किया
- fī
- فِى
- अल्लाह के रास्ते में
- sabīli
- سَبِيلِ
- अल्लाह के रास्ते में
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के रास्ते में
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जिन्होंने
- āwaw
- ءَاوَوا۟
- पनाह दी
- wanaṣarū
- وَّنَصَرُوٓا۟
- और मदद की
- ulāika
- أُو۟لَٰٓئِكَ
- यही लोग हैं
- humu
- هُمُ
- वो
- l-mu'minūna
- ٱلْمُؤْمِنُونَ
- जो मोमिन हैं
- ḥaqqan
- حَقًّاۚ
- सच्चे
- lahum
- لَّهُم
- उनके लिए
- maghfiratun
- مَّغْفِرَةٌ
- बख़्शिश है
- wariz'qun
- وَرِزْقٌ
- और रिज़्क़
- karīmun
- كَرِيمٌ
- इज़्ज़त वाला
और जो लोग ईमान लाए और उन्होंने हिजरत की और अल्लाह के मार्ग में जिहाद किया और जिन लोगों ने उन्हें शरण दी और सहायता की वही सच्चे मोमिन हैं। उनके क्षमा और सम्मानित - उत्तम आजीविका है ([८] अल-अन्फाल: 74)Tafseer (तफ़सीर )
وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا مِنْۢ بَعْدُ وَهَاجَرُوْا وَجَاهَدُوْا مَعَكُمْ فَاُولٰۤىِٕكَ مِنْكُمْۗ وَاُولُوا الْاَرْحَامِ بَعْضُهُمْ اَوْلٰى بِبَعْضٍ فِيْ كِتٰبِ اللّٰهِ ۗاِنَّ اللّٰهَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيْمٌ ࣖ ٧٥
- wa-alladhīna
- وَٱلَّذِينَ
- और वो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए
- min
- مِنۢ
- बाज़ उसके
- baʿdu
- بَعْدُ
- बाज़ उसके
- wahājarū
- وَهَاجَرُوا۟
- और उन्होंने हिजरत की
- wajāhadū
- وَجَٰهَدُوا۟
- और जिहाद किया
- maʿakum
- مَعَكُمْ
- तुम्हारे साथ
- fa-ulāika
- فَأُو۟لَٰٓئِكَ
- तो यही लोग हैं
- minkum
- مِنكُمْۚ
- तुम में से
- wa-ulū
- وَأُو۟لُوا۟
- और रहम/रिश्तों वाले
- l-arḥāmi
- ٱلْأَرْحَامِ
- और रहम/रिश्तों वाले
- baʿḍuhum
- بَعْضُهُمْ
- बाज़ उनके
- awlā
- أَوْلَىٰ
- ज़्यादा क़रीब हैं
- bibaʿḍin
- بِبَعْضٍ
- बाज़ के
- fī
- فِى
- अल्लाह की किताब में
- kitābi
- كِتَٰبِ
- अल्लाह की किताब में
- l-lahi
- ٱللَّهِۗ
- अल्लाह की किताब में
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- bikulli
- بِكُلِّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ को
- ʿalīmun
- عَلِيمٌۢ
- ख़ूब जानने वाला है
और जो लोग बाद में ईमान लाए और उन्होंने हिजरत की और तुम्हारे साथ मिलकर जिहाद किया तो ऐसे लोग भी तुम में ही से हैं। किन्तु अल्लाह की किताब मे ख़ून के रिश्तेदार एक-दूसरे के ज़्यादा हक़दार है। निश्चय ही अल्लाह को हर चीज़ का ज्ञान है ([८] अल-अन्फाल: 75)Tafseer (तफ़सीर )