۞ وَاِنْ جَنَحُوْا لِلسَّلْمِ فَاجْنَحْ لَهَا وَتَوَكَّلْ عَلَى اللّٰهِ ۗاِنَّهٗ هُوَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ ٦١
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- janaḥū
- جَنَحُوا۟
- वो माइल हों
- lilssalmi
- لِلسَّلْمِ
- सुलह के लिए
- fa-ij'naḥ
- فَٱجْنَحْ
- तो आप भी माइल हो जाइए
- lahā
- لَهَا
- उसके लिए
- watawakkal
- وَتَوَكَّلْ
- और तवक्कल कीजिए
- ʿalā
- عَلَى
- अल्लाह पर
- l-lahi
- ٱللَّهِۚ
- अल्लाह पर
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- l-samīʿu
- ٱلسَّمِيعُ
- ख़ूब सुनने वाला
- l-ʿalīmu
- ٱلْعَلِيمُ
- ख़ूब जानने वाला
और यदि वे संधि और सलामती की ओर झुकें तो तुम भी इसके लिए झुक जाओ और अल्लाह पर भरोसा रखो। निस्संदेह, वह सब कुछ सुनता, जानता है ([८] अल-अन्फाल: 61)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِنْ يُّرِيْدُوْٓا اَنْ يَّخْدَعُوْكَ فَاِنَّ حَسْبَكَ اللّٰهُ ۗهُوَ الَّذِيْٓ اَيَّدَكَ بِنَصْرِهٖ وَبِالْمُؤْمِنِيْنَۙ ٦٢
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yurīdū
- يُرِيدُوٓا۟
- वो चाहें
- an
- أَن
- कि
- yakhdaʿūka
- يَخْدَعُوكَ
- वो धोखा दें आपको
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- ḥasbaka
- حَسْبَكَ
- काफ़ी है आपको
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह
- huwa
- هُوَ
- वो ही है
- alladhī
- ٱلَّذِىٓ
- जिसने
- ayyadaka
- أَيَّدَكَ
- ताईद की आपकी
- binaṣrihi
- بِنَصْرِهِۦ
- साथ अपनी मदद के
- wabil-mu'minīna
- وَبِٱلْمُؤْمِنِينَ
- और साथ मोमिनों के
और यदि वे यह चाहें कि तुम्हें धोखा दें तो तुम्हारे लिए अल्लाह काफ़ी है। वही तो है जिसने तुम्हें अपनी सहायता से और मोमिनों के द्वारा शक्ति प्रदान की ([८] अल-अन्फाल: 62)Tafseer (तफ़सीर )
وَاَلَّفَ بَيْنَ قُلُوْبِهِمْۗ لَوْاَنْفَقْتَ مَا فِى الْاَرْضِ جَمِيْعًا مَّآ اَلَّفْتَ بَيْنَ قُلُوْبِهِمْ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ اَلَّفَ بَيْنَهُمْۗ اِنَّهٗ عَزِيْزٌ حَكِيْمٌ ٦٣
- wa-allafa
- وَأَلَّفَ
- और उसने उलफ़त डाल दी
- bayna
- بَيْنَ
- दर्मियान
- qulūbihim
- قُلُوبِهِمْۚ
- उनके दिलों के
- law
- لَوْ
- अगर
- anfaqta
- أَنفَقْتَ
- ख़र्च करते आप
- mā
- مَا
- जो कुछ
- fī
- فِى
- ज़मीन में है
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में है
- jamīʿan
- جَمِيعًا
- सारे का सारा
- mā
- مَّآ
- ना
- allafta
- أَلَّفْتَ
- उलफ़त डाल सकते थे आप
- bayna
- بَيْنَ
- दर्मियान
- qulūbihim
- قُلُوبِهِمْ
- उनके दिलों के
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह ने
- allafa
- أَلَّفَ
- उलफ़त डाल दी
- baynahum
- بَيْنَهُمْۚ
- दर्मियान उनके
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- ʿazīzun
- عَزِيزٌ
- बहुत ज़बरदस्त है
- ḥakīmun
- حَكِيمٌ
- बहुत हिकमत वाला है
और उनके दिल आपस में एक-दूसरे से जोड़ दिए। यदि तुम धरती में जो कुछ है, सब खर्च कर डालते तो भी उनके दिलों को परस्पर जोड़ न सकते, किन्तु अल्लाह ने उन्हें परस्पर जोड़ दिया। निश्चय ही वह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([८] अल-अन्फाल: 63)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا النَّبِيُّ حَسْبُكَ اللّٰهُ وَمَنِ اتَّبَعَكَ مِنَ الْمُؤْمِنِيْنَ ࣖ ٦٤
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ
- l-nabiyu
- ٱلنَّبِىُّ
- नबी
- ḥasbuka
- حَسْبُكَ
- काफ़ी है आपको
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- wamani
- وَمَنِ
- और उसे जो
- ittabaʿaka
- ٱتَّبَعَكَ
- पैरवी करे आपकी
- mina
- مِنَ
- मोमिनों में से
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों में से
ऐ नबी! तुम्हारे लिए अल्लाह और तुम्हारे ईमानवाले अनुयायी ही काफ़ी है ([८] अल-अन्फाल: 64)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا النَّبِيُّ حَرِّضِ الْمُؤْمِنِيْنَ عَلَى الْقِتَالِۗ اِنْ يَّكُنْ مِّنْكُمْ عِشْرُوْنَ صَابِرُوْنَ يَغْلِبُوْا مِائَتَيْنِۚ وَاِنْ يَّكُنْ مِّنْكُمْ مِّائَةٌ يَّغْلِبُوْٓا اَلْفًا مِّنَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا يَفْقَهُوْنَ ٦٥
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ
- l-nabiyu
- ٱلنَّبِىُّ
- नबी
- ḥarriḍi
- حَرِّضِ
- रग़बत दिलाइए
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों को
- ʿalā
- عَلَى
- जंग पर
- l-qitāli
- ٱلْقِتَالِۚ
- जंग पर
- in
- إِن
- अगर
- yakun
- يَكُن
- होंगे
- minkum
- مِّنكُمْ
- तुम में से
- ʿish'rūna
- عِشْرُونَ
- बीस
- ṣābirūna
- صَٰبِرُونَ
- सब्र करने वाले
- yaghlibū
- يَغْلِبُوا۟
- वो ग़ालिब आ जाऐंगे
- mi-atayni
- مِا۟ئَتَيْنِۚ
- दो सौ पर
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yakun
- يَكُن
- होंगे
- minkum
- مِّنكُم
- तुम में से
- mi-atun
- مِّا۟ئَةٌ
- एक सौ
- yaghlibū
- يَغْلِبُوٓا۟
- वो ग़ालिब आ जाऐंगे
- alfan
- أَلْفًا
- एक हज़ार पर
- mina
- مِّنَ
- उनमें से जिन्होंने
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनमें से जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- bi-annahum
- بِأَنَّهُمْ
- बवजह उसके कि वो
- qawmun
- قَوْمٌ
- ऐसे लोग हैं
- lā
- لَّا
- जो समझ नहीं रखते
- yafqahūna
- يَفْقَهُونَ
- जो समझ नहीं रखते
ऐ नबी! मोमिनों को जिहाद पर उभारो। यदि तुम्हारे बीस आदमी जमे होंगे, तो वे दो सौ पर प्रभावी होंगे और यदि तुमसे से ऐसे सौ होंगे तो वे इनकार करनेवालों में से एक हज़ार पर प्रभावी होंगे, क्योंकि वे नासमझ लोग है ([८] अल-अन्फाल: 65)Tafseer (तफ़सीर )
اَلْـٰٔنَ خَفَّفَ اللّٰهُ عَنْكُمْ وَعَلِمَ اَنَّ فِيْكُمْ ضَعْفًاۗ فَاِنْ يَّكُنْ مِّنْكُمْ مِّائَةٌ صَابِرَةٌ يَّغْلِبُوْا مِائَتَيْنِۚ وَاِنْ يَّكُنْ مِّنْكُمْ اَلْفٌ يَّغْلِبُوْٓا اَلْفَيْنِ بِاِذْنِ اللّٰهِ ۗوَاللّٰهُ مَعَ الصّٰبِرِيْنَ ٦٦
- al-āna
- ٱلْـَٰٔنَ
- अब
- khaffafa
- خَفَّفَ
- हल्का कर दिया (बोझ)
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह ने
- ʿankum
- عَنكُمْ
- तुमसे
- waʿalima
- وَعَلِمَ
- और उसने जान लिया
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- fīkum
- فِيكُمْ
- तुम में
- ḍaʿfan
- ضَعْفًاۚ
- कमज़ोरी है
- fa-in
- فَإِن
- पस अगर
- yakun
- يَكُن
- हों
- minkum
- مِّنكُم
- तुम में से
- mi-atun
- مِّا۟ئَةٌ
- एक सौ
- ṣābiratun
- صَابِرَةٌ
- सब्र करने वाले
- yaghlibū
- يَغْلِبُوا۟
- वो ग़ालिब आ जाऐंगे
- mi-atayni
- مِا۟ئَتَيْنِۚ
- दो सौ पर
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- yakun
- يَكُن
- हों
- minkum
- مِّنكُمْ
- तुम में से
- alfun
- أَلْفٌ
- एक हज़ार
- yaghlibū
- يَغْلِبُوٓا۟
- वो ग़ालिब आ जाऐंगे
- alfayni
- أَلْفَيْنِ
- दो हज़ार पर
- bi-idh'ni
- بِإِذْنِ
- अल्लाह के इज़्न से
- l-lahi
- ٱللَّهِۗ
- अल्लाह के इज़्न से
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- maʿa
- مَعَ
- साथ है
- l-ṣābirīna
- ٱلصَّٰبِرِينَ
- सब्र करने वालों के
अब अल्लाह ने तुम्हारे बोझ हल्का कर दिया और उसे मालूम हुआ कि तुममें कुछ कमज़ोरी है। तो यदि तुम्हारे सौ आदमी जमे रहनेवाले होंगे, तो वे दो सौ पर प्रभावी रहेंगे और यदि तुममें से ऐसे हजार होंगे तो अल्लाह के हुक्म से वे दो हज़ार पर प्रभावी रहेंगे। अल्लाह तो उन्ही लोगों के साथ है जो जमे रहते है ([८] अल-अन्फाल: 66)Tafseer (तफ़सीर )
مَاكَانَ لِنَبِيٍّ اَنْ يَّكُوْنَ لَهٗٓ اَسْرٰى حَتّٰى يُثْخِنَ فِى الْاَرْضِۗ تُرِيْدُوْنَ عَرَضَ الدُّنْيَاۖ وَاللّٰهُ يُرِيْدُ الْاٰخِرَةَۗ وَاللّٰهُ عَزِيْزٌحَكِيْمٌ ٦٧
- mā
- مَا
- नहीं
- kāna
- كَانَ
- है
- linabiyyin
- لِنَبِىٍّ
- किसी नबी के लिए
- an
- أَن
- कि
- yakūna
- يَكُونَ
- हों
- lahu
- لَهُۥٓ
- उसके लिए
- asrā
- أَسْرَىٰ
- क़ैदी
- ḥattā
- حَتَّىٰ
- यहाँ तक कि
- yuth'khina
- يُثْخِنَ
- वो अच्छी तरह ख़ून बहा दे
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِۚ
- ज़मीन में
- turīdūna
- تُرِيدُونَ
- तुम चाहते हो
- ʿaraḍa
- عَرَضَ
- सामान
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया का
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- yurīdu
- يُرِيدُ
- चाहता है
- l-ākhirata
- ٱلْءَاخِرَةَۗ
- आख़िरत
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ʿazīzun
- عَزِيزٌ
- बहुत ज़बरदस्त है
- ḥakīmun
- حَكِيمٌ
- ख़ूब हिकमत वाला है
किसी नबी के लिए यह उचित नहीं कि उसके पास क़ैदी हो यहाँ तक की वह धरती में रक्तपात करे। तुम लोग संसार की सामग्री चाहते हो, जबकि अल्लाह आख़िरत चाहता है। अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([८] अल-अन्फाल: 67)Tafseer (तफ़सीर )
لَوْلَاكِتٰبٌ مِّنَ اللّٰهِ سَبَقَ لَمَسَّكُمْ فِيْمَآ اَخَذْتُمْ عَذَابٌ عَظِيْمٌ ٦٨
- lawlā
- لَّوْلَا
- अगर ना होता
- kitābun
- كِتَٰبٌ
- लिखा हुआ
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की तरफ़ से
- sabaqa
- سَبَقَ
- जो गुज़र चुका है
- lamassakum
- لَمَسَّكُمْ
- अलबत्ता पहुँचता तुम्हें
- fīmā
- فِيمَآ
- उसके (बदले) में जो
- akhadhtum
- أَخَذْتُمْ
- लिया तुमने
- ʿadhābun
- عَذَابٌ
- अज़ाब
- ʿaẓīmun
- عَظِيمٌ
- बहुत बड़ा
यदि अल्लाह का लिखा पहले से मौजूद न होता, तो जो कुछ नीति तुमने अपनाई है उसपर तुम्हें कोई बड़ी यातना आ लेती ([८] अल-अन्फाल: 68)Tafseer (तफ़सीर )
فَكُلُوْا مِمَّاغَنِمْتُمْ حَلٰلًا طَيِّبًاۖ وَّاتَّقُوا اللّٰهَ ۗاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ٦٩
- fakulū
- فَكُلُوا۟
- पस खाओ
- mimmā
- مِمَّا
- उसमें से जो
- ghanim'tum
- غَنِمْتُمْ
- ग़नीमत पाई तुमने
- ḥalālan
- حَلَٰلًا
- हलाल
- ṭayyiban
- طَيِّبًاۚ
- पाक
- wa-ittaqū
- وَٱتَّقُوا۟
- और डरो
- l-laha
- ٱللَّهَۚ
- अल्लाह से
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
अतः जो कुछ ग़नीमत का माल तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ और अल्लाह का डर रखो। निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है ([८] अल-अन्फाल: 69)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا النَّبِيُّ قُلْ لِّمَنْ فِيْٓ اَيْدِيْكُمْ مِّنَ الْاَسْرٰٓىۙ اِنْ يَّعْلَمِ اللّٰهُ فِيْ قُلُوْبِكُمْ خَيْرًا يُّؤْتِكُمْ خَيْرًا مِّمَّآ اُخِذَ مِنْكُمْ وَيَغْفِرْ لَكُمْۗ وَاللّٰهُ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ࣖ ٧٠
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ
- l-nabiyu
- ٱلنَّبِىُّ
- नबी
- qul
- قُل
- कह दीजिए
- liman
- لِّمَن
- उनसे जो
- fī
- فِىٓ
- तुम्हारे हाथों में है
- aydīkum
- أَيْدِيكُم
- तुम्हारे हाथों में है
- mina
- مِّنَ
- क़ैदियों में से
- l-asrā
- ٱلْأَسْرَىٰٓ
- क़ैदियों में से
- in
- إِن
- अगर
- yaʿlami
- يَعْلَمِ
- जान लेगा
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- fī
- فِى
- तुम्हारे दिलों में
- qulūbikum
- قُلُوبِكُمْ
- तुम्हारे दिलों में
- khayran
- خَيْرًا
- कोई भलाई
- yu'tikum
- يُؤْتِكُمْ
- वो देगा तुम्हें
- khayran
- خَيْرًا
- बेहतर
- mimmā
- مِّمَّآ
- उससे जो
- ukhidha
- أُخِذَ
- ले लिया गया
- minkum
- مِنكُمْ
- तुम से
- wayaghfir
- وَيَغْفِرْ
- और वो बख़्श देगा
- lakum
- لَكُمْۗ
- तुम्हें
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- ghafūrun
- غَفُورٌ
- बहुत बख़्शने वाला है
- raḥīmun
- رَّحِيمٌ
- निहायत रहम करने वाला है
ऐ नबी! जो क़ैदी तुम्हारे क़ब्जें में है, उनसे कह दो, 'यदि अल्लाह ने यह जान लिया कि तुम्हारे दिलों में कुछ भलाई है तो वह तुम्हें उससे कहीं उत्तम प्रदान करेगा, जो तुम से छिन गया है और तुम्हें क्षमा कर देगा। और अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है।' ([८] अल-अन्फाल: 70)Tafseer (तफ़सीर )