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सूरा अल-अन्फाल - Page: 6

Al-Anfal

(The Spoils of War)

५१

ذٰلِكَ بِمَا قَدَّمَتْ اَيْدِيْكُمْ وَاَنَّ اللّٰهَ لَيْسَ بِظَلَّامٍ لِّلْعَبِيْدِۙ ٥١

dhālika
ذَٰلِكَ
ये
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
qaddamat
قَدَّمَتْ
आगे भेजा
aydīkum
أَيْدِيكُمْ
तुम्हारे हाथों ने
wa-anna
وَأَنَّ
और बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
laysa
لَيْسَ
नहीं है
biẓallāmin
بِظَلَّٰمٍ
कोई ज़ुल्म करने वाला
lil'ʿabīdi
لِّلْعَبِيدِ
बन्दों पर
यह तो उसी का बदला है जो तुम्हारे हाथों ने आगे भेजा और यह कि अल्लाह अपने बन्दों पर तनिक भी अत्याचार नहीं करता ([८] अल-अन्फाल: 51)
Tafseer (तफ़सीर )
५२

كَدَأْبِ اٰلِ فِرْعَوْنَۙ وَالَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْۗ كَفَرُوْا بِاٰيٰتِ اللّٰهِ فَاَخَذَهُمُ اللّٰهُ بِذُنُوْبِهِمْۗ اِنَّ اللّٰهَ قَوِيٌّ شَدِيْدُ الْعِقَابِ ٥٢

kadabi
كَدَأْبِ
जैसी हालत थी
āli
ءَالِ
आले फ़िरऔन की
fir'ʿawna
فِرْعَوْنَۙ
आले फ़िरऔन की
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और उनकी जो
min
مِن
उनसे पहले थे
qablihim
قَبْلِهِمْۚ
उनसे पहले थे
kafarū
كَفَرُوا۟
उन्होंने कुफ़्र किया
biāyāti
بِـَٔايَٰتِ
अल्लाह की आयात का
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की आयात का
fa-akhadhahumu
فَأَخَذَهُمُ
फिर पकड़ लिया उन्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
bidhunūbihim
بِذُنُوبِهِمْۗ
बवजह उनके गुनाहों के
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
qawiyyun
قَوِىٌّ
बहुत क़ुव्वत वाला है
shadīdu
شَدِيدُ
सख़्त
l-ʿiqābi
ٱلْعِقَابِ
सज़ा वाला है
इनके साथ वैसा ही मामला पेश आया जैसा फ़िरऔन के लोगों और उनसे पहले के लोगों के साथ पेश आया। उन्होंने अल्लाह की आयतों का इनकार किया तो अल्लाह ने उनके गुनाहों के कारण उन्हें पकड़ लिया। निस्संदेह अल्लाह शक्तिशाली, कठोर यातना देनेवाला है ([८] अल-अन्फाल: 52)
Tafseer (तफ़सीर )
५३

ذٰلِكَ بِاَنَّ اللّٰهَ لَمْ يَكُ مُغَيِّرًا نِّعْمَةً اَنْعَمَهَا عَلٰى قَوْمٍ حَتّٰى يُغَيِّرُوْا مَا بِاَنْفُسِهِمْۙ وَاَنَّ اللّٰهَ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌۙ ٥٣

dhālika
ذَٰلِكَ
ये
bi-anna
بِأَنَّ
बवजह इसके कि
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
lam
لَمْ
नहीं
yaku
يَكُ
है वो
mughayyiran
مُغَيِّرًا
तब्दील करने वाला
niʿ'matan
نِّعْمَةً
किसी नेअमत को
anʿamahā
أَنْعَمَهَا
उसने इनाम किया हो जिसे
ʿalā
عَلَىٰ
किसी क़ौम पर
qawmin
قَوْمٍ
किसी क़ौम पर
ḥattā
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
yughayyirū
يُغَيِّرُوا۟
वो तब्दील कर दें
مَا
उसे जो
bi-anfusihim
بِأَنفُسِهِمْۙ
उनके नफ़्सों में है
wa-anna
وَأَنَّ
और बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
samīʿun
سَمِيعٌ
ख़ूब सुनने वाला है
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
यह इसलिए हुआ कि अल्लाह उस उदार अनुग्रह (नेमत) को, जो उसने किसी क़ौम पर किया हो, बदलनेवाला नहीं हैं, जब तक कि लोग उस चीज़ को न बदल डालें, जिसका सम्बन्ध स्वयं उनसे है। और यह कि अल्लाह सब कुछ सुनता, जानता है ([८] अल-अन्फाल: 53)
Tafseer (तफ़सीर )
५४

كَدَأْبِ اٰلِ فِرْعَوْنَۙ وَالَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِهِمْۚ كَذَّبُوْا بِاٰيٰتِ رَبِّهِمْ فَاَهْلَكْنٰهُمْ بِذُنُوْبِهِمْ وَاَغْرَقْنَآ اٰلَ فِرْعَوْنَۚ وَكُلٌّ كَانُوْا ظٰلِمِيْنَ ٥٤

kadabi
كَدَأْبِ
जैसी हालत थी
āli
ءَالِ
आले फ़िरऔन की
fir'ʿawna
فِرْعَوْنَۙ
आले फ़िरऔन की
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और उनकी जो
min
مِن
उनसे पहले थे
qablihim
قَبْلِهِمْۚ
उनसे पहले थे
kadhabū
كَذَّبُوا۟
उन्होंने झुठलाया
biāyāti
بِـَٔايَٰتِ
आयात को
rabbihim
رَبِّهِمْ
अपने रब की
fa-ahlaknāhum
فَأَهْلَكْنَٰهُم
तो हलाक कर दिया हमने उन्हें
bidhunūbihim
بِذُنُوبِهِمْ
बवजह उनके गुनाहों के
wa-aghraqnā
وَأَغْرَقْنَآ
और ग़र्क़ कर दिया हमने
āla
ءَالَ
आले फ़िरऔन को
fir'ʿawna
فِرْعَوْنَۚ
आले फ़िरऔन को
wakullun
وَكُلٌّ
और सबके सब
kānū
كَانُوا۟
थे वो
ẓālimīna
ظَٰلِمِينَ
ज़ालिम
जैसे फ़िरऔनियों और उनसे पहले के लोगों का हाल हुआ। उन्होंने अपने रब की आयतों को झुठलाया तो हमने उन्हें उनके गुनाहों के बदले में विनष्ट कर दिया और फ़िरऔनियों को डूबो दिया। ये सभी अत्याचारी थे ([८] अल-अन्फाल: 54)
Tafseer (तफ़सीर )
५५

اِنَّ شَرَّ الدَّوَاۤبِّ عِنْدَ اللّٰهِ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا فَهُمْ لَا يُؤْمِنُوْنَۖ ٥٥

inna
إِنَّ
बेशक
sharra
شَرَّ
बदतरीन
l-dawābi
ٱلدَّوَآبِّ
जानदारों में
ʿinda
عِندَ
अल्लाह के नज़दीक
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के नज़दीक
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो हैं जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
fahum
فَهُمْ
पस वो
لَا
नहीं वो ईमान लाऐंगे
yu'minūna
يُؤْمِنُونَ
नहीं वो ईमान लाऐंगे
निश्चय ही, सबसे बुरे प्राणी अल्लाह की स्पष्ट में वे लोग है, जिन्होंने इनकार किया। फिर वे ईमान नहीं लाते ([८] अल-अन्फाल: 55)
Tafseer (तफ़सीर )
५६

الَّذِيْنَ عَاهَدْتَّ مِنْهُمْ ثُمَّ يَنْقُضُوْنَ عَهْدَهُمْ فِيْ كُلِّ مَرَّةٍ وَّهُمْ لَا يَتَّقُوْنَ ٥٦

alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
ʿāhadtta
عَٰهَدتَّ
अहद लिया आपने
min'hum
مِنْهُمْ
उनसे
thumma
ثُمَّ
फिर
yanquḍūna
يَنقُضُونَ
वो तोड़ देते हैं
ʿahdahum
عَهْدَهُمْ
अपने अहद को
فِى
हर
kulli
كُلِّ
हर
marratin
مَرَّةٍ
बार
wahum
وَهُمْ
और वो
لَا
नहीं वो डरते
yattaqūna
يَتَّقُونَ
नहीं वो डरते
जिनसे तुमने वचन लिया वे फिर हर बार अपने वचन को भंग कर देते है और वे डर नहीं रखते ([८] अल-अन्फाल: 56)
Tafseer (तफ़सीर )
५७

فَاِمَّا تَثْقَفَنَّهُمْ فِى الْحَرْبِ فَشَرِّدْ بِهِمْ مَّنْ خَلْفَهُمْ لَعَلَّهُمْ يَذَّكَّرُوْنَ ٥٧

fa-immā
فَإِمَّا
फिर अगर
tathqafannahum
تَثْقَفَنَّهُمْ
आप पाऐं उन्हें
فِى
जंग में
l-ḥarbi
ٱلْحَرْبِ
जंग में
fasharrid
فَشَرِّدْ
तो मार भगाऐं
bihim
بِهِم
उनके ज़रिए
man
مَّنْ
उन्हें जो
khalfahum
خَلْفَهُمْ
पीछे हैं उनके
laʿallahum
لَعَلَّهُمْ
शायद कि वो
yadhakkarūna
يَذَّكَّرُونَ
वो नसीहत पकड़ें
अतः यदि युद्ध में तुम उनपर क़ाबू पाओ, तो उनके साथ इस तरह पेश आओ कि उनके पीछेवाले भी भाग खड़े हों, ताकि वे शिक्षा ग्रहण करें ([८] अल-अन्फाल: 57)
Tafseer (तफ़सीर )
५८

وَاِمَّا تَخَافَنَّ مِنْ قَوْمٍ خِيَانَةً فَانْۢبِذْ اِلَيْهِمْ عَلٰى سَوَاۤءٍۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يُحِبُّ الْخَاۤىِٕنِيْنَ ࣖ ٥٨

wa-immā
وَإِمَّا
और अगर
takhāfanna
تَخَافَنَّ
आप वाक़ई ख़ौफ़ रखते हैं
min
مِن
किसी क़ौम से
qawmin
قَوْمٍ
किसी क़ौम से
khiyānatan
خِيَانَةً
ख़यानत का
fa-inbidh
فَٱنۢبِذْ
पस फेंक दीजिए (अहद)
ilayhim
إِلَيْهِمْ
तरफ़ उनके
ʿalā
عَلَىٰ
बराबरी पर
sawāin
سَوَآءٍۚ
बराबरी पर
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नहीं वो पसंद करता
yuḥibbu
يُحِبُّ
नहीं वो पसंद करता
l-khāinīna
ٱلْخَآئِنِينَ
ख़यानत करने वालों को
और यदि तुम्हें किसी क़ौम से विश्वासघात की आशंका हो, तो तुम भी उसी प्रकार ऐसे लोगों के साथ हुई संधि को खुल्लम-खुल्ला उनके आगे फेंक दो। निश्चय ही अल्लाह को विश्वासघात करनेवाले प्रिय नहीं ([८] अल-अन्फाल: 58)
Tafseer (तफ़सीर )
५९

وَلَا يَحْسَبَنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا سَبَقُوْاۗ اِنَّهُمْ لَا يُعْجِزُوْنَ ٥٩

walā
وَلَا
और ना
yaḥsabanna
يَحْسَبَنَّ
हरगिज़ गुमान करें
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
sabaqū
سَبَقُوٓا۟ۚ
कि वो सबक़त ले गए
innahum
إِنَّهُمْ
बेशक वो
لَا
नहीं वो आजिज़ कर सकते
yuʿ'jizūna
يُعْجِزُونَ
नहीं वो आजिज़ कर सकते
इनकार करनेवाले यह न समझे कि वे आगे निकल गए। वे क़ाबू से बाहर नहीं जा सकते ([८] अल-अन्फाल: 59)
Tafseer (तफ़सीर )
६०

وَاَعِدُّوْا لَهُمْ مَّا اسْتَطَعْتُمْ مِّنْ قُوَّةٍ وَّمِنْ رِّبَاطِ الْخَيْلِ تُرْهِبُوْنَ بِهٖ عَدُوَّ اللّٰهِ وَعَدُوَّكُمْ وَاٰخَرِيْنَ مِنْ دُوْنِهِمْۚ لَا تَعْلَمُوْنَهُمْۚ اَللّٰهُ يَعْلَمُهُمْۗ وَمَا تُنْفِقُوْا مِنْ شَيْءٍ فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ يُوَفَّ اِلَيْكُمْ وَاَنْتُمْ لَا تُظْلَمُوْنَ ٦٠

wa-aʿiddū
وَأَعِدُّوا۟
और तैयार रखो
lahum
لَهُم
उनके लिए
مَّا
जो
is'taṭaʿtum
ٱسْتَطَعْتُم
इस्तिताअत रखते हो तुम
min
مِّن
क़ुव्वत में से
quwwatin
قُوَّةٍ
क़ुव्वत में से
wamin
وَمِن
और बाँधे हुए घोड़ों से
ribāṭi
رِّبَاطِ
और बाँधे हुए घोड़ों से
l-khayli
ٱلْخَيْلِ
और बाँधे हुए घोड़ों से
tur'hibūna
تُرْهِبُونَ
तुम डराओगे
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
ʿaduwwa
عَدُوَّ
अल्लाह के दुश्मनों को
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के दुश्मनों को
waʿaduwwakum
وَعَدُوَّكُمْ
और अपने दुश्मनों को
waākharīna
وَءَاخَرِينَ
और कुछ दूसरों को
min
مِن
उनके अलावा
dūnihim
دُونِهِمْ
उनके अलावा
لَا
नहीं तुम जानते उन्हें
taʿlamūnahumu
تَعْلَمُونَهُمُ
नहीं तुम जानते उन्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
yaʿlamuhum
يَعْلَمُهُمْۚ
वो जानता है उन्हें
wamā
وَمَا
और जो
tunfiqū
تُنفِقُوا۟
तुम ख़र्च करोगे
min
مِن
कुछ भी
shayin
شَىْءٍ
कुछ भी
فِى
अल्लाह के रास्ते में
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
yuwaffa
يُوَفَّ
वो पूरा-पूरा दिया जाएगा
ilaykum
إِلَيْكُمْ
तुम्हें
wa-antum
وَأَنتُمْ
और तुम
لَا
ना तुम ज़ुल्म किए जाओगे
tuẓ'lamūna
تُظْلَمُونَ
ना तुम ज़ुल्म किए जाओगे
और जो भी तुमसे हो सके, उनके लिए बल और बँधे घोड़े तैयार रखो, ताकि इसके द्वारा अल्लाह के शत्रुओं और अपने शत्रुओं और इनके अतिरिक्त उन दूसरे लोगों को भी भयभीत कर दो जिन्हें तुम नहीं जानते। अल्लाह उनको जानता है और अल्लाह के मार्ग में तुम जो कुछ भी ख़र्च करोगे, वह तुम्हें पूरा-पूरा चुका दिया जाएगा और तुम्हारे साथ कदापि अन्याय न होगा ([८] अल-अन्फाल: 60)
Tafseer (तफ़सीर )