Skip to content

सूरा अल-अन्फाल - Page: 5

Al-Anfal

(The Spoils of War)

४१

۞ وَاعْلَمُوْٓا اَنَّمَا غَنِمْتُمْ مِّنْ شَيْءٍ فَاَنَّ لِلّٰهِ خُمُسَهٗ وَلِلرَّسُوْلِ وَلِذِى الْقُرْبٰى وَالْيَتٰمٰى وَالْمَسٰكِيْنِ وَابْنِ السَّبِيْلِ اِنْ كُنْتُمْ اٰمَنْتُمْ بِاللّٰهِ وَمَآ اَنْزَلْنَا عَلٰى عَبْدِنَا يَوْمَ الْفُرْقَانِ يَوْمَ الْتَقَى الْجَمْعٰنِۗ وَاللّٰهُ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ٤١

wa-iʿ'lamū
وَٱعْلَمُوٓا۟
और जान लो
annamā
أَنَّمَا
कि बेशक जो
ghanim'tum
غَنِمْتُم
ग़नीमत में पाओ तुम
min
مِّن
कोई भी चीज़
shayin
شَىْءٍ
कोई भी चीज़
fa-anna
فَأَنَّ
तो बेशक
lillahi
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए है
khumusahu
خُمُسَهُۥ
पाँचवां हिस्सा उसका
walilrrasūli
وَلِلرَّسُولِ
और रसूल के लिए
walidhī
وَلِذِى
और क़राबतदारों के लिए
l-qur'bā
ٱلْقُرْبَىٰ
और क़राबतदारों के लिए
wal-yatāmā
وَٱلْيَتَٰمَىٰ
और यतीमों
wal-masākīni
وَٱلْمَسَٰكِينِ
और मिस्कीनों
wa-ib'ni
وَٱبْنِ
और मुसाफ़िर के लिए
l-sabīli
ٱلسَّبِيلِ
और मुसाफ़िर के लिए
in
إِن
अगर
kuntum
كُنتُمْ
हो तुम
āmantum
ءَامَنتُم
ईमान लाए तुम
bil-lahi
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
wamā
وَمَآ
और उस पर जो
anzalnā
أَنزَلْنَا
नाज़िल किया हमने
ʿalā
عَلَىٰ
अपने बन्दे पर
ʿabdinā
عَبْدِنَا
अपने बन्दे पर
yawma
يَوْمَ
फ़ैसले के दिन
l-fur'qāni
ٱلْفُرْقَانِ
फ़ैसले के दिन
yawma
يَوْمَ
जिस दिन
l-taqā
ٱلْتَقَى
आमने-सामने हुईं
l-jamʿāni
ٱلْجَمْعَانِۗ
दो जमाअतें
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ʿalā
عَلَىٰ
ऊपर
kulli
كُلِّ
हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ के
qadīrun
قَدِيرٌ
ख़ूब क़ुदरत रखने वाला है
और तुम्हें मालूम हो कि जो कुछ ग़नीमत के रूप में माल तुमने प्राप्त किया है, उसका पाँचवा भाग अल्लाग का, रसूल का, नातेदारों का, अनाथों का, मुहताजों और मुसाफ़िरों का है। यदि तुम अल्लाह पर और उस चीज़ पर ईमान रखते हो, जो हमने अपने बन्दे पर फ़ैसले के दिन उतारी, जिस दिन दोनों सेनाओं में मुठभेड़ हूई, और अल्लाह को हर चीज़ की पूर्ण सामर्थ्य प्राप्त है ([८] अल-अन्फाल: 41)
Tafseer (तफ़सीर )
४२

اِذْ اَنْتُمْ بِالْعُدْوَةِ الدُّنْيَا وَهُمْ بِالْعُدْوَةِ الْقُصْوٰى وَالرَّكْبُ اَسْفَلَ مِنْكُمْۗ وَلَوْ تَوَاعَدْتُّمْ لَاخْتَلَفْتُمْ فِى الْمِيْعٰدِۙ وَلٰكِنْ لِّيَقْضِيَ اللّٰهُ اَمْرًا كَانَ مَفْعُوْلًا ەۙ لِّيَهْلِكَ مَنْ هَلَكَ عَنْۢ بَيِّنَةٍ وَّيَحْيٰى مَنْ حَيَّ عَنْۢ بَيِّنَةٍۗ وَاِنَّ اللّٰهَ لَسَمِيْعٌ عَلِيْمٌۙ ٤٢

idh
إِذْ
जब
antum
أَنتُم
तुम
bil-ʿud'wati
بِٱلْعُدْوَةِ
किनारे पर थे
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
क़रीब के
wahum
وَهُم
और वो
bil-ʿud'wati
بِٱلْعُدْوَةِ
किनारे पर थे
l-quṣ'wā
ٱلْقُصْوَىٰ
दूर के
wal-rakbu
وَٱلرَّكْبُ
और क़ाफ़िला
asfala
أَسْفَلَ
नीचे था
minkum
مِنكُمْۚ
तुमसे
walaw
وَلَوْ
और अगर
tawāʿadttum
تَوَاعَدتُّمْ
आपस में वादा करते तुम
la-ikh'talaftum
لَٱخْتَلَفْتُمْ
अलबत्ता इख़्तिलाफ़ करते तुम
فِى
मुक़र्रर वक़्त/जगह के बारे में
l-mīʿādi
ٱلْمِيعَٰدِۙ
मुक़र्रर वक़्त/जगह के बारे में
walākin
وَلَٰكِن
और लेकिन
liyaqḍiya
لِّيَقْضِىَ
ताकि पूरा कर दे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
amran
أَمْرًا
एक काम को
kāna
كَانَ
जो था
mafʿūlan
مَفْعُولًا
होकर रहने वाला
liyahlika
لِّيَهْلِكَ
ताकि वो हलाक हो
man
مَنْ
जो
halaka
هَلَكَ
हलाक हो
ʿan
عَنۢ
साथ वाज़ेह दलील के
bayyinatin
بَيِّنَةٍ
साथ वाज़ेह दलील के
wayaḥyā
وَيَحْيَىٰ
और वो ज़िन्दा रहे
man
مَنْ
जो
ḥayya
حَىَّ
ज़िन्दा रहे
ʿan
عَنۢ
साथ वाज़ेह दलील के
bayyinatin
بَيِّنَةٍۗ
साथ वाज़ेह दलील के
wa-inna
وَإِنَّ
और बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
lasamīʿun
لَسَمِيعٌ
अलबत्ता ख़ूब सुनने वाला है
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
याद करो जब तुम घाटी के निकटवर्ती छोर पर थे और वे घाटी के दूरस्थ छोर पर थे और क़ाफ़िला तुमसे नीचे की ओर था। यदि तुम परस्पर समय निश्चित किए होते तो अनिवार्यतः तुम निश्चित समय पर न पहुँचते। किन्तु जो कुछ हुआ वह इसलिए कि अल्लाह उस बात का फ़ैसला कर दे, जिसका पूरा होना निश्चित था, ताकि जिसे विनष्ट होना हो, वह स्पष्ट प्रमाण देखकर ही विनष्ट हो और जिसे जीवित रहना हो वह स्पष्ट़ प्रमाण देखकर जीवित रहे। निस्संदेह अल्लाह भली-भाँति जानता, सुनता है ([८] अल-अन्फाल: 42)
Tafseer (तफ़सीर )
४३

اِذْ يُرِيْكَهُمُ اللّٰهُ فِيْ مَنَامِكَ قَلِيْلًاۗ وَلَوْ اَرٰىكَهُمْ كَثِيْرًا لَّفَشِلْتُمْ وَلَتَنَازَعْتُمْ فِى الْاَمْرِ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ سَلَّمَۗ اِنَّهٗ عَلِيْمٌۢ بِذَاتِ الصُّدُوْرِ ٤٣

idh
إِذْ
जब
yurīkahumu
يُرِيكَهُمُ
दिखाया आपको उन्हें
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
فِى
आपके ख़्वाब में
manāmika
مَنَامِكَ
आपके ख़्वाब में
qalīlan
قَلِيلًاۖ
थोड़े
walaw
وَلَوْ
और अगर
arākahum
أَرَىٰكَهُمْ
वो दिखाता आपको उन्हें
kathīran
كَثِيرًا
ज़्यादा
lafashil'tum
لَّفَشِلْتُمْ
अलबत्ता हिम्मत हार जाते तुम
walatanāzaʿtum
وَلَتَنَٰزَعْتُمْ
और अलबत्ता बाहम झगड़ने लगते तुम
فِى
मामले में
l-amri
ٱلْأَمْرِ
मामले में
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह ने
sallama
سَلَّمَۗ
सलामत रखा
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
ʿalīmun
عَلِيمٌۢ
ख़ूब जानने वाला है
bidhāti
بِذَاتِ
सीनों वाले (भेद)
l-ṣudūri
ٱلصُّدُورِ
सीनों वाले (भेद)
और याद करो जब अल्लाह उनको तुम्हारे स्वप्न में थोड़ा करके तुम्हें दिखा रहा था और यदि वह उन्हें ज़्यादा करके तुम्हें दिखा देता तो अवश्य ही तुम हिम्मत हार बैठते और असल मामले में झगड़ने लग जाते, किन्तु अल्लाह ने इससे बचा लिया। निश्चय ही वह तो जो कुछ दिलों में होता है उसे भी जानता है ([८] अल-अन्फाल: 43)
Tafseer (तफ़सीर )
४४

وَاِذْ يُرِيْكُمُوْهُمْ اِذِ الْتَقَيْتُمْ فِيْٓ اَعْيُنِكُمْ قَلِيْلًا وَّيُقَلِّلُكُمْ فِيْٓ اَعْيُنِهِمْ لِيَقْضِيَ اللّٰهُ اَمْرًا كَانَ مَفْعُوْلًا ۗوَاِلَى اللّٰهِ تُرْجَعُ الْاُمُوْرُ ࣖ ٤٤

wa-idh
وَإِذْ
और जब
yurīkumūhum
يُرِيكُمُوهُمْ
वो दिखा रहा था तुम्हें उनको
idhi
إِذِ
जब
l-taqaytum
ٱلْتَقَيْتُمْ
आमने-सामने हुए तुम
فِىٓ
तुम्हारी निगाहों में
aʿyunikum
أَعْيُنِكُمْ
तुम्हारी निगाहों में
qalīlan
قَلِيلًا
थोड़े
wayuqallilukum
وَيُقَلِّلُكُمْ
और वो थोड़ा दिखा रहा था तुम्हें
فِىٓ
उनकी निगाहों में
aʿyunihim
أَعْيُنِهِمْ
उनकी निगाहों में
liyaqḍiya
لِيَقْضِىَ
ताकि वो पूरा कर दे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
amran
أَمْرًا
काम
kāna
كَانَ
था जो
mafʿūlan
مَفْعُولًاۗ
होकर रहने वाला
wa-ilā
وَإِلَى
और तरफ़ अल्लाह ही के
l-lahi
ٱللَّهِ
और तरफ़ अल्लाह ही के
tur'jaʿu
تُرْجَعُ
लौटाए जाते हैं
l-umūru
ٱلْأُمُورُ
सब काम
याद करो जब तुम्हारी परस्पर मुठभेड़ हुई तो वह तुम्हारी निगाहों में उन्हें कम करके और तुम्हें उनकी निगाहों में कम करके दिखा रहा था, ताकि अल्लाह उस बात का फ़ैसला कर दे जिसका होना निश्चित था। और सारे मामले अल्लाह ही की ओर पलटते है ([८] अल-अन्फाल: 44)
Tafseer (तफ़सीर )
४५

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِذَا لَقِيْتُمْ فِئَةً فَاثْبُتُوْا وَاذْكُرُوا اللّٰهَ كَثِيْرًا لَّعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَۚ ٤٥

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए हो
idhā
إِذَا
जब
laqītum
لَقِيتُمْ
मुक़ाबला हो तुम्हारा
fi-atan
فِئَةً
किसी गिरोह से
fa-uth'butū
فَٱثْبُتُوا۟
तो साबित क़दम रहो
wa-udh'kurū
وَٱذْكُرُوا۟
और याद करो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह को
kathīran
كَثِيرًا
कसरत से
laʿallakum
لَّعَلَّكُمْ
ताकि तुम
tuf'liḥūna
تُفْلِحُونَ
तुम फ़लाह पाओ
ऐ ईमान लानेवालो! जब तुम्हारा किसी गिरोह से मुक़ाबला हो जाए तो जमे रहो और अल्लाह को ज़्यादा याद करो, ताकि तुम्हें सफलता प्राप्त हो ([८] अल-अन्फाल: 45)
Tafseer (तफ़सीर )
४६

وَاَطِيْعُوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ وَلَا تَنَازَعُوْا فَتَفْشَلُوْا وَتَذْهَبَ رِيْحُكُمْ وَاصْبِرُوْاۗ اِنَّ اللّٰهَ مَعَ الصّٰبِرِيْنَۚ ٤٦

wa-aṭīʿū
وَأَطِيعُوا۟
और इताअत करो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
warasūlahu
وَرَسُولَهُۥ
और उसके रसूल की
walā
وَلَا
और ना
tanāzaʿū
تَنَٰزَعُوا۟
तुम बाहम झगड़ो
fatafshalū
فَتَفْشَلُوا۟
वरना तुम कम हिम्मत हो जाओगे
watadhhaba
وَتَذْهَبَ
और जाती रहेगी
rīḥukum
رِيحُكُمْۖ
हवा (शान) तुम्हारी
wa-iṣ'birū
وَٱصْبِرُوٓا۟ۚ
और सब्र करो
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
maʿa
مَعَ
साथ है
l-ṣābirīna
ٱلصَّٰبِرِينَ
सब्र करने वालों के
और अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा मानो और आपस में न झगड़ो, अन्यथा हिम्मत हार बैठोगे और तुम्हारी हवा उखड़ जाएगी। और धैर्य से काम लो। निश्चय ही, अल्लाह धैर्यवानों के साथ है ([८] अल-अन्फाल: 46)
Tafseer (तफ़सीर )
४७

وَلَا تَكُوْنُوْا كَالَّذِيْنَ خَرَجُوْا مِنْ دِيَارِهِمْ بَطَرًا وَّرِئَاۤءَ النَّاسِ وَيَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۗوَاللّٰهُ بِمَايَعْمَلُوْنَ مُحِيْطٌ ٤٧

walā
وَلَا
और ना
takūnū
تَكُونُوا۟
तुम हो जाओ
ka-alladhīna
كَٱلَّذِينَ
मानिन्द उनके जो
kharajū
خَرَجُوا۟
निकले
min
مِن
अपने घरों से
diyārihim
دِيَٰرِهِم
अपने घरों से
baṭaran
بَطَرًا
इतराते हुए
wariāa
وَرِئَآءَ
और दिखावा करते हुए
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोगों को
wayaṣuddūna
وَيَصُدُّونَ
और वो रोकते थे
ʿan
عَن
अल्लाह के रास्ते से
sabīli
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते से
l-lahi
ٱللَّهِۚ
अल्लाह के रास्ते से
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
bimā
بِمَا
उसको जो
yaʿmalūna
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते हैं
muḥīṭun
مُحِيطٌ
घेरने वाला है
और उन लोगों की तरह न हो जाना जो अपने घरों से इतराते और लोगों को दिखाते निकले थे और वे अल्लाह के मार्ग से रोकते है, हालाँकि जो कुछ वे करते है, अल्लाह उसे अपने घेरे में लिए हुए है ([८] अल-अन्फाल: 47)
Tafseer (तफ़सीर )
४८

وَاِذْ زَيَّنَ لَهُمُ الشَّيْطٰنُ اَعْمَالَهُمْ وَقَالَ لَا غَالِبَ لَكُمُ الْيَوْمَ مِنَ النَّاسِ وَاِنِّيْ جَارٌ لَّكُمْۚ فَلَمَّا تَرَاۤءَتِ الْفِئَتٰنِ نَكَصَ عَلٰى عَقِبَيْهِ وَقَالَ اِنِّيْ بَرِيْۤءٌ مِّنْكُمْ اِنِّيْٓ اَرٰى مَا لَا تَرَوْنَ اِنِّيْٓ اَخَافُ اللّٰهَ ۗوَاللّٰهُ شَدِيْدُ الْعِقَابِ ࣖ ٤٨

wa-idh
وَإِذْ
और जब
zayyana
زَيَّنَ
मुज़य्यन कर दिया
lahumu
لَهُمُ
उनके लिए
l-shayṭānu
ٱلشَّيْطَٰنُ
शैतान ने
aʿmālahum
أَعْمَٰلَهُمْ
उनके आमाल को
waqāla
وَقَالَ
और उसने कहा
لَا
नहीं
ghāliba
غَالِبَ
कोई ग़ालिब आने वाला
lakumu
لَكُمُ
तुम पर
l-yawma
ٱلْيَوْمَ
आज के दिन
mina
مِنَ
लोगों में से
l-nāsi
ٱلنَّاسِ
लोगों में से
wa-innī
وَإِنِّى
और बेशक मैं
jārun
جَارٌ
हमसाया/हिमायती हूँ
lakum
لَّكُمْۖ
तुम्हारा
falammā
فَلَمَّا
तो जब
tarāati
تَرَآءَتِ
एक-दूसरे को देखा
l-fi-atāni
ٱلْفِئَتَانِ
दोनों जमाअतों ने
nakaṣa
نَكَصَ
वो पलट गया
ʿalā
عَلَىٰ
अपनी दोनों एड़ियों पर
ʿaqibayhi
عَقِبَيْهِ
अपनी दोनों एड़ियों पर
waqāla
وَقَالَ
और उसने कहा
innī
إِنِّى
बेशक मैं
barīon
بَرِىٓءٌ
बरी उज़ ज़िम्मा हूँ
minkum
مِّنكُمْ
तुम से
innī
إِنِّىٓ
बेशक मैं
arā
أَرَىٰ
मैं देख रहा हूँ
مَا
जो
لَا
नहीं तुम देख रहे
tarawna
تَرَوْنَ
नहीं तुम देख रहे
innī
إِنِّىٓ
बेशक मैं
akhāfu
أَخَافُ
मैं डरता हूँ
l-laha
ٱللَّهَۚ
अल्लाह से
wal-lahu
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
shadīdu
شَدِيدُ
सख़्त
l-ʿiqābi
ٱلْعِقَابِ
सज़ा वाला है
और याद करो जब शैतान ने उनके कर्म उनके लिए सुन्दर बना दिए और कहा, 'आज लोगों में से कोई भी तुमपर प्रभावी नहीं हो सकता। मैं तुम्हारे साथ हूँ।' किन्तु जब दोनों गिरोह आमने-सामने हुए तो वह उलटे पाँव फिर गया और कहने लगा, 'मेरा तुमसे कोई सम्बन्ध नहीं। मैं वह कुछ देख रहा हूँ, जो तुम्हें नहीं दिखाई देता। मैं अल्लाह से डरता हूँ, और अल्लाह कठोर यातना देनेवाला है।' ([८] अल-अन्फाल: 48)
Tafseer (तफ़सीर )
४९

اِذْ يَقُوْلُ الْمُنٰفِقُوْنَ وَالَّذِيْنَ فِيْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ غَرَّ هٰٓؤُلَاۤءِ دِيْنُهُمْۗ وَمَنْ يَّتَوَكَّلْ عَلَى اللّٰهِ فَاِنَّ اللّٰهَ عَزِيْزٌ حَكِيْمٌ ٤٩

idh
إِذْ
जब
yaqūlu
يَقُولُ
कह रह थे
l-munāfiqūna
ٱلْمُنَٰفِقُونَ
मुनाफ़िक़
wa-alladhīna
وَٱلَّذِينَ
और वो लोग
فِى
दिलों में जिनके
qulūbihim
قُلُوبِهِم
दिलों में जिनके
maraḍun
مَّرَضٌ
बीमारी थी
gharra
غَرَّ
धोखे में डाल दिया है
hāulāi
هَٰٓؤُلَآءِ
उन लोगों को
dīnuhum
دِينُهُمْۗ
उनके दीन ने
waman
وَمَن
और जो कोई
yatawakkal
يَتَوَكَّلْ
तवक्कल करेगा
ʿalā
عَلَى
अल्लाह पर
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
ʿazīzun
عَزِيزٌ
बहुत ज़बरदस्त है
ḥakīmun
حَكِيمٌ
ख़ूब हिकमत वाला है
याद करो जब कपटाचारी और वे लोग जिनके दिलों में रोग है, कह रहे थे, 'इन लोगों को तो इनके धर्म ने धोखे में डाल रखा है।' हालाँकि जो अल्लाह पर भरोसा रखता है, तो निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है ([८] अल-अन्फाल: 49)
Tafseer (तफ़सीर )
५०

وَلَوْ تَرٰٓى اِذْ يَتَوَفَّى الَّذِيْنَ كَفَرُوا الْمَلٰۤىِٕكَةُ يَضْرِبُوْنَ وُجُوْهَهُمْ وَاَدْبَارَهُمْۚ وَذُوْقُوْا عَذَابَ الْحَرِيْقِ ٥٠

walaw
وَلَوْ
और काश
tarā
تَرَىٰٓ
आप देखें
idh
إِذْ
जब
yatawaffā
يَتَوَفَّى
फ़ौत करते हैं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनको जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟ۙ
कुफ़्र किया
l-malāikatu
ٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
फ़रिश्ते
yaḍribūna
يَضْرِبُونَ
वो मारते हैं
wujūhahum
وُجُوهَهُمْ
उनके चेहरों पर
wa-adbārahum
وَأَدْبَٰرَهُمْ
और उनकी पीठों पर
wadhūqū
وَذُوقُوا۟
और (वो कहते हैं) चखो
ʿadhāba
عَذَابَ
अज़ाब
l-ḥarīqi
ٱلْحَرِيقِ
आग का
क्या ही अच्छा होता कि तुम देखते जब फ़रिश्ते इनकार करनेवालों के प्राण ग्रस्त करते हैं! वे उनके चहरों और उनकी पीठों पर मारते जाते हैं कि 'लो अब जलने की यातना मज़ा चखो।' (तो उनकी दुर्दशा का अन्दाजा कर सकते) ([८] अल-अन्फाल: 50)
Tafseer (तफ़सीर )