وَلَا تَكُوْنُوْا كَالَّذِيْنَ قَالُوْا سَمِعْنَا وَهُمْ لَا يَسْمَعُوْنَۚ ٢١
- walā
- وَلَا
- और ना
- takūnū
- تَكُونُوا۟
- तुम हो जाओ
- ka-alladhīna
- كَٱلَّذِينَ
- उनकी तरह जिन्होंने
- qālū
- قَالُوا۟
- कहा
- samiʿ'nā
- سَمِعْنَا
- सुना हमने
- wahum
- وَهُمْ
- हालाँकि वो
- lā
- لَا
- नहीं वो सुनते
- yasmaʿūna
- يَسْمَعُونَ
- नहीं वो सुनते
और उन लोगों की तरह न हो जाना जिन्होंने कहा था, 'हमने सुना' हालाँकि वे सुनते नहीं ([८] अल-अन्फाल: 21)Tafseer (तफ़सीर )
۞ اِنَّ شَرَّ الدَّوَاۤبِّ عِنْدَ اللّٰهِ الصُّمُّ الْبُكْمُ الَّذِيْنَ لَا يَعْقِلُوْنَ ٢٢
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- sharra
- شَرَّ
- बदतरीन
- l-dawābi
- ٱلدَّوَآبِّ
- जानदार
- ʿinda
- عِندَ
- अल्लाह के नज़दीक
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह के नज़दीक
- l-ṣumu
- ٱلصُّمُّ
- वो बहरे
- l-buk'mu
- ٱلْبُكْمُ
- गूँगे हैं
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- जो
- lā
- لَا
- नहीं वो अक़्ल से काम लेते
- yaʿqilūna
- يَعْقِلُونَ
- नहीं वो अक़्ल से काम लेते
अल्लाह की स्पष्ट में तो निकृष्ट पशु वे बहरे-गूँगे लोग है, जो बुद्धि से काम नहीं लेते ([८] अल-अन्फाल: 22)Tafseer (तफ़सीर )
وَلَوْ عَلِمَ اللّٰهُ فِيْهِمْ خَيْرًا لَّاَسْمَعَهُمْۗ وَلَوْ اَسْمَعَهُمْ لَتَوَلَّوْا وَّهُمْ مُّعْرِضُوْنَ ٢٣
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- ʿalima
- عَلِمَ
- जान लेता
- l-lahu
- ٱللَّهُ
- अल्लाह
- fīhim
- فِيهِمْ
- उनमें
- khayran
- خَيْرًا
- कोई भलाई
- la-asmaʿahum
- لَّأَسْمَعَهُمْۖ
- अलबत्ता वो सुनवा देता उन्हें
- walaw
- وَلَوْ
- और अगर
- asmaʿahum
- أَسْمَعَهُمْ
- वो सुनवा देता उन्हें
- latawallaw
- لَتَوَلَّوا۟
- यक़ीनन वो मुँह फेर जाते
- wahum
- وَّهُم
- और वो हैं ही
- muʿ'riḍūna
- مُّعْرِضُونَ
- ऐराज़ करने वाले
यदि अल्लाह जानता कि उनमें कुछ भी भलाई है, तो वह उन्हें अवश्य सुनने का सौभाग्य प्रदान करता। और यदि वह उन्हें सुना देता तो भी वे कतराते हुए मुँह फेर लेते ([८] अल-अन्फाल: 23)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوا اسْتَجِيْبُوْا لِلّٰهِ وَلِلرَّسُوْلِ اِذَا دَعَاكُمْ لِمَا يُحْيِيْكُمْۚ وَاعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ يَحُوْلُ بَيْنَ الْمَرْءِ وَقَلْبِهٖ وَاَنَّهٗٓ اِلَيْهِ تُحْشَرُوْنَ ٢٤
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- is'tajībū
- ٱسْتَجِيبُوا۟
- क़ुबूल कर लो (हुक्म)
- lillahi
- لِلَّهِ
- अल्लाह का
- walilrrasūli
- وَلِلرَّسُولِ
- और रसूल का
- idhā
- إِذَا
- जब
- daʿākum
- دَعَاكُمْ
- वो पुकारे तुम्हें
- limā
- لِمَا
- उसके लिए जो
- yuḥ'yīkum
- يُحْيِيكُمْۖ
- ज़िन्दगी बख़्शता है तुम्हें
- wa-iʿ'lamū
- وَٱعْلَمُوٓا۟
- और जान लो
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- yaḥūlu
- يَحُولُ
- वो हाइल होता है
- bayna
- بَيْنَ
- दर्मियान
- l-mari
- ٱلْمَرْءِ
- आदमी
- waqalbihi
- وَقَلْبِهِۦ
- और उसके दिल के
- wa-annahu
- وَأَنَّهُۥٓ
- और बेशक वो
- ilayhi
- إِلَيْهِ
- तरफ़ उसी के
- tuḥ'sharūna
- تُحْشَرُونَ
- तुम इकट्ठे किए जाओगे
ऐ ईमान लानेवाले! अल्लाह और रसूल की बात मानो, जब वह तुम्हें उस चीज़ की ओर बुलाए जो तुम्हें जीवन प्रदान करनेवाली है, और जान रखो कि अल्लाह आदमी और उसके दिल के बीच आड़े आ जाता है और यह कि वही है जिसकी ओर (पलटकर) तुम एकत्र होगे ([८] अल-अन्फाल: 24)Tafseer (तफ़सीर )
وَاتَّقُوْا فِتْنَةً لَّا تُصِيْبَنَّ الَّذِيْنَ ظَلَمُوْا مِنْكُمْ خَاۤصَّةً ۚوَاعْلَمُوْٓا اَنَّ اللّٰهَ شَدِيْدُ الْعِقَابِ ٢٥
- wa-ittaqū
- وَٱتَّقُوا۟
- और डरो
- fit'natan
- فِتْنَةً
- फ़ितने से (उस)
- lā
- لَّا
- जो हरगिज़ ना पहुँचेगा
- tuṣībanna
- تُصِيبَنَّ
- जो हरगिज़ ना पहुँचेगा
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन्हें जिन्होंने
- ẓalamū
- ظَلَمُوا۟
- ज़ुल्म किया
- minkum
- مِنكُمْ
- तुम में से
- khāṣṣatan
- خَآصَّةًۖ
- ख़ासकर
- wa-iʿ'lamū
- وَٱعْلَمُوٓا۟
- और जान लो
- anna
- أَنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- shadīdu
- شَدِيدُ
- सख़्त
- l-ʿiqābi
- ٱلْعِقَابِ
- सज़ा वाला है
बचो उस फ़ितने से जो अपनी लपेट में विशेष रूप से केवल अत्याचारियों को ही नहीं लेगा, जान लो अल्लाह कठोर दंड देनेवाला है ([८] अल-अन्फाल: 25)Tafseer (तफ़सीर )
وَاذْكُرُوْٓا اِذْ اَنْتُمْ قَلِيْلٌ مُّسْتَضْعَفُوْنَ فِى الْاَرْضِ تَخَافُوْنَ اَنْ يَّتَخَطَّفَكُمُ النَّاسُ فَاٰوٰىكُمْ وَاَيَّدَكُمْ بِنَصْرِهٖ وَرَزَقَكُمْ مِّنَ الطَّيِّبٰتِ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ٢٦
- wa-udh'kurū
- وَٱذْكُرُوٓا۟
- और याद करो
- idh
- إِذْ
- जब
- antum
- أَنتُمْ
- तुम
- qalīlun
- قَلِيلٌ
- थोड़े थे
- mus'taḍʿafūna
- مُّسْتَضْعَفُونَ
- कमज़ोर समझे जाते थे
- fī
- فِى
- ज़मीन में
- l-arḍi
- ٱلْأَرْضِ
- ज़मीन में
- takhāfūna
- تَخَافُونَ
- तुम डरते थे
- an
- أَن
- कि
- yatakhaṭṭafakumu
- يَتَخَطَّفَكُمُ
- उचक लेंगे तुम्हें
- l-nāsu
- ٱلنَّاسُ
- लोग
- faāwākum
- فَـَٔاوَىٰكُمْ
- फिर उसने ठिकाना दिया तुम्हें
- wa-ayyadakum
- وَأَيَّدَكُم
- और उसने ताईद की तुम्हारी
- binaṣrihi
- بِنَصْرِهِۦ
- अपनी मदद से
- warazaqakum
- وَرَزَقَكُم
- और उसने रिज़्क़ दिया तुम्हें
- mina
- مِّنَ
- पाकीज़ा चीज़ों से
- l-ṭayibāti
- ٱلطَّيِّبَٰتِ
- पाकीज़ा चीज़ों से
- laʿallakum
- لَعَلَّكُمْ
- ताकि तुम
- tashkurūna
- تَشْكُرُونَ
- तुम शुक्र अदा करो
और याद करो जब तुम थोड़े थे, धरती में निर्बल थे, डरे-सहमे रहते कि लोग कहीं तु्म्हें उचक न ले जाएँ, फिर उसने तुम्हें ठिकाना दिया और अपनी सहायता से तुम्हें शक्ति प्रदान की और अच्छी-स्वच्छ चीज़ों की तुम्हें रोजी दी, ताकि तुम कृतज्ञता दिखलाओ ([८] अल-अन्फाल: 26)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَخُوْنُوا اللّٰهَ وَالرَّسُوْلَ وَتَخُوْنُوْٓا اَمٰنٰتِكُمْ وَاَنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ٢٧
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟
- ईमान लाए हो
- lā
- لَا
- ना तुम ख़यानत करो
- takhūnū
- تَخُونُوا۟
- ना तुम ख़यानत करो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- wal-rasūla
- وَٱلرَّسُولَ
- और रसूल की
- watakhūnū
- وَتَخُونُوٓا۟
- और (ना) तुम ख़यानत करो
- amānātikum
- أَمَٰنَٰتِكُمْ
- अपनी अमानतों में
- wa-antum
- وَأَنتُمْ
- जबकि तुम
- taʿlamūna
- تَعْلَمُونَ
- तुम जानते हो
ऐ ईमान लानेवालो! जानते-बुझते तुम अल्लाह और उसके रसूल के साथ विश्वासघात न करना और न अपनी अमानतों में ख़ियानत करना ([८] अल-अन्फाल: 27)Tafseer (तफ़सीर )
وَاعْلَمُوْٓا اَنَّمَآ اَمْوَالُكُمْ وَاَوْلَادُكُمْ فِتْنَةٌ ۙوَّاَنَّ اللّٰهَ عِنْدَهٗٓ اَجْرٌ عَظِيْمٌ ࣖ ٢٨
- wa-iʿ'lamū
- وَٱعْلَمُوٓا۟
- और जान लो
- annamā
- أَنَّمَآ
- बेशक
- amwālukum
- أَمْوَٰلُكُمْ
- माल तुम्हारे
- wa-awlādukum
- وَأَوْلَٰدُكُمْ
- और औलाद तुम्हारी
- fit'natun
- فِتْنَةٌ
- आज़माइश हैं
- wa-anna
- وَأَنَّ
- और बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- ʿindahu
- عِندَهُۥٓ
- उसके पास
- ajrun
- أَجْرٌ
- अजर है
- ʿaẓīmun
- عَظِيمٌ
- बहुत बड़ा
और जान रखो कि तुम्हारे माल और तुम्हारी संतान परीक्षा-सामग्री हैं और यह कि अल्लाह के पास बड़ा प्रतिदान है ([८] अल-अन्फाल: 28)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِنْ تَتَّقُوا اللّٰهَ يَجْعَلْ لَّكُمْ فُرْقَانًا وَّيُكَفِّرْ عَنْكُمْ سَيِّاٰتِكُمْ وَيَغْفِرْ لَكُمْۗ وَاللّٰهُ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِيْمِ ٢٩
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوٓا۟
- ईमान लाए हो
- in
- إِن
- अगर
- tattaqū
- تَتَّقُوا۟
- तुम डरोगे
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह से
- yajʿal
- يَجْعَل
- वो बना देगा
- lakum
- لَّكُمْ
- तुम्हारे लिए
- fur'qānan
- فُرْقَانًا
- फ़ुरक़ान
- wayukaffir
- وَيُكَفِّرْ
- और वो दूर कर देगा
- ʿankum
- عَنكُمْ
- तुम से
- sayyiātikum
- سَيِّـَٔاتِكُمْ
- बुराइयाँ तुम्हारी
- wayaghfir
- وَيَغْفِرْ
- और वो बख़्श देगा
- lakum
- لَكُمْۗ
- तुम्हें
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- dhū
- ذُو
- फ़ज़ल वाला है
- l-faḍli
- ٱلْفَضْلِ
- फ़ज़ल वाला है
- l-ʿaẓīmi
- ٱلْعَظِيمِ
- बहुत बड़े
ऐ ईमान लानेवालो! यदि तुम अल्लाह का डर रखोगे तो वह तुम्हें एक विशिष्टता प्रदान करेगा और तुमसे तुम्हारी बुराइयाँ दूर करेगा और तुम्हे क्षमा करेगा। अल्लाह बड़ा अनुग्राहक है ([८] अल-अन्फाल: 29)Tafseer (तफ़सीर )
وَاِذْ يَمْكُرُ بِكَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لِيُثْبِتُوْكَ اَوْ يَقْتُلُوْكَ اَوْ يُخْرِجُوْكَۗ وَيَمْكُرُوْنَ وَيَمْكُرُ اللّٰهُ ۗوَاللّٰهُ خَيْرُ الْمَاكِرِيْنَ ٣٠
- wa-idh
- وَإِذْ
- और जब
- yamkuru
- يَمْكُرُ
- चालें चल रहे थे
- bika
- بِكَ
- साथ आपके
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- वो जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- liyuth'bitūka
- لِيُثْبِتُوكَ
- ताकि वो क़ैद कर लें आपको
- aw
- أَوْ
- या
- yaqtulūka
- يَقْتُلُوكَ
- वो क़त्ल कर दें आपको
- aw
- أَوْ
- या
- yukh'rijūka
- يُخْرِجُوكَۚ
- वो निकाल दें आपको
- wayamkurūna
- وَيَمْكُرُونَ
- और वो चालें चल रहे थे
- wayamkuru
- وَيَمْكُرُ
- और तदबीर कर रहा था
- l-lahu
- ٱللَّهُۖ
- अल्लाह
- wal-lahu
- وَٱللَّهُ
- और अल्लाह
- khayru
- خَيْرُ
- बेहतर है
- l-mākirīna
- ٱلْمَٰكِرِينَ
- सब तदबीर करने वालों से
और याद करो जब इनकार करनेवाले तुम्हारे साथ चालें चल रहे थे कि तम्हें क़ैद रखें या तुम्हे क़त्ल कर दें या तुम्हे निकाल बाहर करे। वे अपनी चालें चल रहे थे और अल्लाह भी अपनी चाल चल रहा था। अल्लाह सबसे अच्छी चाल चलता है ([८] अल-अन्फाल: 30)Tafseer (तफ़सीर )