اِذْ يُغَشِّيْكُمُ النُّعَاسَ اَمَنَةً مِّنْهُ وَيُنَزِّلُ عَلَيْكُمْ مِّنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءً لِّيُطَهِّرَكُمْ بِهٖ وَيُذْهِبَ عَنْكُمْ رِجْزَ الشَّيْطٰنِ وَلِيَرْبِطَ عَلٰى قُلُوْبِكُمْ وَيُثَبِّتَ بِهِ الْاَقْدَامَۗ ١١
- idh
- إِذْ
- जब
- yughashīkumu
- يُغَشِّيكُمُ
- उसने ढांप दी तुम पर
- l-nuʿāsa
- ٱلنُّعَاسَ
- ऊँघ
- amanatan
- أَمَنَةً
- अमन के लिए
- min'hu
- مِّنْهُ
- उसकी तरफ़ से
- wayunazzilu
- وَيُنَزِّلُ
- और वो उतार रहा था
- ʿalaykum
- عَلَيْكُم
- तुम पर
- mina
- مِّنَ
- आसमान से
- l-samāi
- ٱلسَّمَآءِ
- आसमान से
- māan
- مَآءً
- पानी
- liyuṭahhirakum
- لِّيُطَهِّرَكُم
- ताकि वो पाक कर दे तुम्हें
- bihi
- بِهِۦ
- साथ उसके
- wayudh'hiba
- وَيُذْهِبَ
- और वो ले जाए
- ʿankum
- عَنكُمْ
- तुमसे
- rij'za
- رِجْزَ
- नजासत
- l-shayṭāni
- ٱلشَّيْطَٰنِ
- शैतान की
- waliyarbiṭa
- وَلِيَرْبِطَ
- और ताकि वो मज़बूत कर दे
- ʿalā
- عَلَىٰ
- तुम्हारे दिलों को
- qulūbikum
- قُلُوبِكُمْ
- तुम्हारे दिलों को
- wayuthabbita
- وَيُثَبِّتَ
- और वो जमा दे
- bihi
- بِهِ
- साथ उसके
- l-aqdāma
- ٱلْأَقْدَامَ
- क़दमों को
यह करो जबकि वह अपनी ओर से चैन प्रदान कर तुम्हें ऊँघ से ढँक रहा था और वह आकाश से तुमपर पानी बरसा रहा था, ताकि उसके द्वारा तुम्हें अच्छी तरह पाक करे और शैतान की गन्दगी तुमसे दूर करे और तुम्हारे दिलों को मज़बूत करे और उसके द्वारा तुम्हारे क़दमों को जमा दे ([८] अल-अन्फाल: 11)Tafseer (तफ़सीर )
اِذْ يُوْحِيْ رَبُّكَ اِلَى الْمَلٰۤىِٕكَةِ اَنِّيْ مَعَكُمْ فَثَبِّتُوا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْاۗ سَاُلْقِيْ فِيْ قُلُوْبِ الَّذِيْنَ كَفَرُوا الرُّعْبَ فَاضْرِبُوْا فَوْقَ الْاَعْنَاقِ وَاضْرِبُوْا مِنْهُمْ كُلَّ بَنَانٍۗ ١٢
- idh
- إِذْ
- जब
- yūḥī
- يُوحِى
- वही कर रहा था
- rabbuka
- رَبُّكَ
- रब आपका
- ilā
- إِلَى
- तरफ़ फ़रिश्तों के
- l-malāikati
- ٱلْمَلَٰٓئِكَةِ
- तरफ़ फ़रिश्तों के
- annī
- أَنِّى
- बेशक मैं
- maʿakum
- مَعَكُمْ
- साथ हों तुम्हारे
- fathabbitū
- فَثَبِّتُوا۟
- पस साबित रखो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उन्हें जो
- āmanū
- ءَامَنُوا۟ۚ
- ईमान लाए
- sa-ul'qī
- سَأُلْقِى
- अनक़रीब मैं डाल दूँगा
- fī
- فِى
- दिलों में
- qulūbi
- قُلُوبِ
- दिलों में
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनके जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- l-ruʿ'ba
- ٱلرُّعْبَ
- रौब को
- fa-iḍ'ribū
- فَٱضْرِبُوا۟
- पस मारो
- fawqa
- فَوْقَ
- ऊपर
- l-aʿnāqi
- ٱلْأَعْنَاقِ
- गर्दनों के
- wa-iḍ'ribū
- وَٱضْرِبُوا۟
- और मारो
- min'hum
- مِنْهُمْ
- उनके
- kulla
- كُلَّ
- हर
- banānin
- بَنَانٍ
- पोर पर
याद करो जब तुम्हारा रब फ़रिश्तों की ओर प्रकाशना (वह्य्) कर रहा था कि 'मैं तुम्हारे साथ हूँ। अतः तुम ईमानवालों को जमाए रखो। मैं इनकार करनेवालों के दिलों में रोब डाले देता हूँ। तो तुम उनकी गरदनें मारो और उनके पोर-पोर पर चोट लगाओ!' ([८] अल-अन्फाल: 12)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ شَاۤقُّوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗۚ وَمَنْ يُّشَاقِقِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ فَاِنَّ اللّٰهَ شَدِيْدُ الْعِقَابِ ١٣
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- ये
- bi-annahum
- بِأَنَّهُمْ
- बवजह इसके कि उन्होंने
- shāqqū
- شَآقُّوا۟
- मुख़ालिफ़त की
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- warasūlahu
- وَرَسُولَهُۥۚ
- और उसके रसूल की
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yushāqiqi
- يُشَاقِقِ
- मुख़ालिफ़त करेगा
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- warasūlahu
- وَرَسُولَهُۥ
- और उसके रसूल की
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- shadīdu
- شَدِيدُ
- सख़्त
- l-ʿiqābi
- ٱلْعِقَابِ
- सज़ा वाला है
यह इसलिए कि उन्होंने अल्लाह और उसके रसूल का विरोध किया। और जो कोई अल्लाह और उसके रसूल का विरोध करे (उसे कठोर यातना मिलकर रहेगी) क्योंकि अल्लाह कड़ी यातना देनेवाला है ([८] अल-अन्फाल: 13)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكُمْ فَذُوْقُوْهُ وَاَنَّ لِلْكٰفِرِيْنَ عَذَابَ النَّارِ ١٤
- dhālikum
- ذَٰلِكُمْ
- ये है ( सज़ा)
- fadhūqūhu
- فَذُوقُوهُ
- पस चख़ो इसे
- wa-anna
- وَأَنَّ
- और बेशक
- lil'kāfirīna
- لِلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों के लिए
- ʿadhāba
- عَذَابَ
- अज़ाब है
- l-nāri
- ٱلنَّارِ
- आग का
यह तो तुम चखो! और यह कि इनकार करनेवालों के लिए आग की यातना है ([८] अल-अन्फाल: 14)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِذَا لَقِيْتُمُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا زَحْفًا فَلَا تُوَلُّوْهُمُ الْاَدْبَارَۚ ١٥
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगों जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगों जो
- āmanū
- ءَامَنُوٓا۟
- ईमान लाए हो
- idhā
- إِذَا
- जब
- laqītumu
- لَقِيتُمُ
- मुलाक़ात करो तुम
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- उनसे जिन्होंने
- kafarū
- كَفَرُوا۟
- कुफ़्र किया
- zaḥfan
- زَحْفًا
- मैदाने जंग में
- falā
- فَلَا
- पस ना
- tuwallūhumu
- تُوَلُّوهُمُ
- तुम फेरो उनसे
- l-adbāra
- ٱلْأَدْبَارَ
- पुश्तों को
ऐ ईमान लानेवालो! जब एक सेना के रूप में तुम्हारा इनकार करनेवालों से मुक़ाबला हो तो पीठ न फेरो ([८] अल-अन्फाल: 15)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَنْ يُّوَلِّهِمْ يَوْمَىِٕذٍ دُبُرَهٗٓ اِلَّا مُتَحَرِّفًا لِّقِتَالٍ اَوْ مُتَحَيِّزًا اِلٰى فِئَةٍ فَقَدْ بَاۤءَ بِغَضَبٍ مِّنَ اللّٰهِ وَمَأْوٰىهُ جَهَنَّمُ ۗ وَبِئْسَ الْمَصِيْرُ ١٦
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yuwallihim
- يُوَلِّهِمْ
- फेरेगा उनसे
- yawma-idhin
- يَوْمَئِذٍ
- उस दिन
- duburahu
- دُبُرَهُۥٓ
- पुश्त अपनी
- illā
- إِلَّا
- सिवाय
- mutaḥarrifan
- مُتَحَرِّفًا
- पैंतरा बदलने वाले के
- liqitālin
- لِّقِتَالٍ
- जंग के लिए
- aw
- أَوْ
- या
- mutaḥayyizan
- مُتَحَيِّزًا
- पनाह लेने वाले के
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ एक गिरोह के
- fi-atin
- فِئَةٍ
- तरफ़ एक गिरोह के
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- bāa
- بَآءَ
- वो पलटा
- bighaḍabin
- بِغَضَبٍ
- साथ ग़ज़ब के
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह की तरफ़ से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की तरफ़ से
- wamawāhu
- وَمَأْوَىٰهُ
- और ठिकाना उसका
- jahannamu
- جَهَنَّمُۖ
- जहन्नम है
- wabi'sa
- وَبِئْسَ
- और कितना बुरा है
- l-maṣīru
- ٱلْمَصِيرُ
- ठिकाना
जिस किसी ने भी उस दिन उनसे अपनी पीठ फेरी - यह और बात है कि युद्ध-चाल के रूप में या दूसरी टुकड़ी से मिलने के लिए ऐसा करे - तो वह अल्लाह के प्रकोप का भागी हुआ और उसका ठिकाना जहन्नम है, और क्या ही बुरा जगह है वह पहुँचने की! ([८] अल-अन्फाल: 16)Tafseer (तफ़सीर )
فَلَمْ تَقْتُلُوْهُمْ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ قَتَلَهُمْۖ وَمَا رَمَيْتَ اِذْ رَمَيْتَ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ رَمٰىۚ وَلِيُبْلِيَ الْمُؤْمِنِيْنَ مِنْهُ بَلَاۤءً حَسَنًاۗ اِنَّ اللّٰهَ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌ ١٧
- falam
- فَلَمْ
- तो नहीं
- taqtulūhum
- تَقْتُلُوهُمْ
- तुम ने क़त्ल किया उन्हें
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह ने
- qatalahum
- قَتَلَهُمْۚ
- क़त्ल किया उन्हें
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- ramayta
- رَمَيْتَ
- फेंका आपने
- idh
- إِذْ
- जब
- ramayta
- رَمَيْتَ
- फेंका था आपने
- walākinna
- وَلَٰكِنَّ
- और लेकिन
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह ने
- ramā
- رَمَىٰۚ
- फेंका था
- waliyub'liya
- وَلِيُبْلِىَ
- और ताकि वो आज़माए
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- मोमिनों को
- min'hu
- مِنْهُ
- अपनी तरफ़ से
- balāan
- بَلَآءً
- आज़माइश
- ḥasanan
- حَسَنًاۚ
- अच्छी से
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- samīʿun
- سَمِيعٌ
- ख़ूब सुनने वाला है
- ʿalīmun
- عَلِيمٌ
- ख़ूब जानने वाला है
तुमने उसे क़त्ल नहीं किया बल्कि अल्लाह ही ने उन्हें क़त्ल किया और जब तुमने (उनकी ओर मिट्टी और कंकड़) फेंक, तो तुमने नहीं फेंका बल्कि अल्लाह ने फेंका (कि अल्लाह अपनी गुण-गरिमा दिखाए) और ताकि अपनी ओर से ईमानवालों के गुण प्रकट करे। निस्संदेह अल्लाह सुनता, जानता है ([८] अल-अन्फाल: 17)Tafseer (तफ़सीर )
ذٰلِكُمْ وَاَنَّ اللّٰهَ مُوْهِنُ كَيْدِ الْكٰفِرِيْنَ ١٨
- dhālikum
- ذَٰلِكُمْ
- ये है
- wa-anna
- وَأَنَّ
- और बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- mūhinu
- مُوهِنُ
- कमज़ोर करने वाला है
- kaydi
- كَيْدِ
- चाल को
- l-kāfirīna
- ٱلْكَٰفِرِينَ
- काफ़िरों की
यह तो हुआ, और यह (जान लो) कि अल्लाह इनकार करनेवालों की चाल को कमज़ोर कर देनेवाला है ([८] अल-अन्फाल: 18)Tafseer (तफ़सीर )
اِنْ تَسْتَفْتِحُوْا فَقَدْ جَاۤءَكُمُ الْفَتْحُۚ وَاِنْ تَنْتَهُوْا فَهُوَ خَيْرٌ لَّكُمْۚ وَاِنْ تَعُوْدُوْا نَعُدْۚ وَلَنْ تُغْنِيَ عَنْكُمْ فِئَتُكُمْ شَيْـًٔا وَّلَوْ كَثُرَتْۙ وَاَنَّ اللّٰهَ مَعَ الْمُؤْمِنِيْنَ ࣖ ١٩
- in
- إِن
- अगर
- tastaftiḥū
- تَسْتَفْتِحُوا۟
- तुम फ़ैसला चाहते हो
- faqad
- فَقَدْ
- तो तहक़ीक़
- jāakumu
- جَآءَكُمُ
- आ गया तुम्हारे पास
- l-fatḥu
- ٱلْفَتْحُۖ
- फ़ैसला
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- tantahū
- تَنتَهُوا۟
- तुम बाज़ आ जाओ
- fahuwa
- فَهُوَ
- तो वो
- khayrun
- خَيْرٌ
- बेहतर है
- lakum
- لَّكُمْۖ
- तुम्हारे लिए
- wa-in
- وَإِن
- और अगर
- taʿūdū
- تَعُودُوا۟
- तुम लौटोगे
- naʿud
- نَعُدْ
- हम भी लौटेंगे
- walan
- وَلَن
- और हरगिज़ ना
- tugh'niya
- تُغْنِىَ
- काम आएगा
- ʿankum
- عَنكُمْ
- तुम्हें
- fi-atukum
- فِئَتُكُمْ
- गिरोह तुम्हारा
- shayan
- شَيْـًٔا
- कुछ भी
- walaw
- وَلَوْ
- और अगरचे
- kathurat
- كَثُرَتْ
- वो बकसरत हों
- wa-anna
- وَأَنَّ
- और बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- maʿa
- مَعَ
- साथ है
- l-mu'minīna
- ٱلْمُؤْمِنِينَ
- ईमान लाने वालों के
यदि तुम फ़ैसला चाहते हो तो फ़ैसला तुम्हारे सामने आ चुका और यदि बाज़ आ जाओ तो यह तुम्हारे ही लिए अच्छा है। लेकिन यदि तुमने पलटकर फिर वही हरकत की तो हम भी पलटेंगे और तुम्हारा जत्था, चाहे वह कितना ही अधिक हो, तुम्हारे कुछ काम न आ सकेगा। और यह कि अल्लाह मोमिनों के साथ होता है ([८] अल-अन्फाल: 19)Tafseer (तफ़सीर )
يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اَطِيْعُوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ وَلَا تَوَلَّوْا عَنْهُ وَاَنْتُمْ تَسْمَعُوْنَ ٢٠
- yāayyuhā
- يَٰٓأَيُّهَا
- ऐ लोगो जो
- alladhīna
- ٱلَّذِينَ
- ऐ लोगो जो
- āmanū
- ءَامَنُوٓا۟
- ईमान लाए हो
- aṭīʿū
- أَطِيعُوا۟
- इताअत करो
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- warasūlahu
- وَرَسُولَهُۥ
- और उसके रसूल की
- walā
- وَلَا
- और ना
- tawallaw
- تَوَلَّوْا۟
- तुम मुँह फेरो
- ʿanhu
- عَنْهُ
- उससे
- wa-antum
- وَأَنتُمْ
- जब कि तुम
- tasmaʿūna
- تَسْمَعُونَ
- तुम सुन रहे हो
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह और उसके रसूल का आज्ञापालन करो और उससे मुँह न फेरो जबकि तुम सुन रहे हो ([८] अल-अन्फाल: 20)Tafseer (तफ़सीर )