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सूरा अल-अन्फाल - Page: 2

Al-Anfal

(The Spoils of War)

११

اِذْ يُغَشِّيْكُمُ النُّعَاسَ اَمَنَةً مِّنْهُ وَيُنَزِّلُ عَلَيْكُمْ مِّنَ السَّمَاۤءِ مَاۤءً لِّيُطَهِّرَكُمْ بِهٖ وَيُذْهِبَ عَنْكُمْ رِجْزَ الشَّيْطٰنِ وَلِيَرْبِطَ عَلٰى قُلُوْبِكُمْ وَيُثَبِّتَ بِهِ الْاَقْدَامَۗ ١١

idh
إِذْ
जब
yughashīkumu
يُغَشِّيكُمُ
उसने ढांप दी तुम पर
l-nuʿāsa
ٱلنُّعَاسَ
ऊँघ
amanatan
أَمَنَةً
अमन के लिए
min'hu
مِّنْهُ
उसकी तरफ़ से
wayunazzilu
وَيُنَزِّلُ
और वो उतार रहा था
ʿalaykum
عَلَيْكُم
तुम पर
mina
مِّنَ
आसमान से
l-samāi
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
māan
مَآءً
पानी
liyuṭahhirakum
لِّيُطَهِّرَكُم
ताकि वो पाक कर दे तुम्हें
bihi
بِهِۦ
साथ उसके
wayudh'hiba
وَيُذْهِبَ
और वो ले जाए
ʿankum
عَنكُمْ
तुमसे
rij'za
رِجْزَ
नजासत
l-shayṭāni
ٱلشَّيْطَٰنِ
शैतान की
waliyarbiṭa
وَلِيَرْبِطَ
और ताकि वो मज़बूत कर दे
ʿalā
عَلَىٰ
तुम्हारे दिलों को
qulūbikum
قُلُوبِكُمْ
तुम्हारे दिलों को
wayuthabbita
وَيُثَبِّتَ
और वो जमा दे
bihi
بِهِ
साथ उसके
l-aqdāma
ٱلْأَقْدَامَ
क़दमों को
यह करो जबकि वह अपनी ओर से चैन प्रदान कर तुम्हें ऊँघ से ढँक रहा था और वह आकाश से तुमपर पानी बरसा रहा था, ताकि उसके द्वारा तुम्हें अच्छी तरह पाक करे और शैतान की गन्दगी तुमसे दूर करे और तुम्हारे दिलों को मज़बूत करे और उसके द्वारा तुम्हारे क़दमों को जमा दे ([८] अल-अन्फाल: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

اِذْ يُوْحِيْ رَبُّكَ اِلَى الْمَلٰۤىِٕكَةِ اَنِّيْ مَعَكُمْ فَثَبِّتُوا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْاۗ سَاُلْقِيْ فِيْ قُلُوْبِ الَّذِيْنَ كَفَرُوا الرُّعْبَ فَاضْرِبُوْا فَوْقَ الْاَعْنَاقِ وَاضْرِبُوْا مِنْهُمْ كُلَّ بَنَانٍۗ ١٢

idh
إِذْ
जब
yūḥī
يُوحِى
वही कर रहा था
rabbuka
رَبُّكَ
रब आपका
ilā
إِلَى
तरफ़ फ़रिश्तों के
l-malāikati
ٱلْمَلَٰٓئِكَةِ
तरफ़ फ़रिश्तों के
annī
أَنِّى
बेशक मैं
maʿakum
مَعَكُمْ
साथ हों तुम्हारे
fathabbitū
فَثَبِّتُوا۟
पस साबित रखो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उन्हें जो
āmanū
ءَامَنُوا۟ۚ
ईमान लाए
sa-ul'qī
سَأُلْقِى
अनक़रीब मैं डाल दूँगा
فِى
दिलों में
qulūbi
قُلُوبِ
दिलों में
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनके जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
l-ruʿ'ba
ٱلرُّعْبَ
रौब को
fa-iḍ'ribū
فَٱضْرِبُوا۟
पस मारो
fawqa
فَوْقَ
ऊपर
l-aʿnāqi
ٱلْأَعْنَاقِ
गर्दनों के
wa-iḍ'ribū
وَٱضْرِبُوا۟
और मारो
min'hum
مِنْهُمْ
उनके
kulla
كُلَّ
हर
banānin
بَنَانٍ
पोर पर
याद करो जब तुम्हारा रब फ़रिश्तों की ओर प्रकाशना (वह्य्) कर रहा था कि 'मैं तुम्हारे साथ हूँ। अतः तुम ईमानवालों को जमाए रखो। मैं इनकार करनेवालों के दिलों में रोब डाले देता हूँ। तो तुम उनकी गरदनें मारो और उनके पोर-पोर पर चोट लगाओ!' ([८] अल-अन्फाल: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ شَاۤقُّوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗۚ وَمَنْ يُّشَاقِقِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ فَاِنَّ اللّٰهَ شَدِيْدُ الْعِقَابِ ١٣

dhālika
ذَٰلِكَ
ये
bi-annahum
بِأَنَّهُمْ
बवजह इसके कि उन्होंने
shāqqū
شَآقُّوا۟
मुख़ालिफ़त की
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
warasūlahu
وَرَسُولَهُۥۚ
और उसके रसूल की
waman
وَمَن
और जो कोई
yushāqiqi
يُشَاقِقِ
मुख़ालिफ़त करेगा
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
warasūlahu
وَرَسُولَهُۥ
और उसके रसूल की
fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
shadīdu
شَدِيدُ
सख़्त
l-ʿiqābi
ٱلْعِقَابِ
सज़ा वाला है
यह इसलिए कि उन्होंने अल्लाह और उसके रसूल का विरोध किया। और जो कोई अल्लाह और उसके रसूल का विरोध करे (उसे कठोर यातना मिलकर रहेगी) क्योंकि अल्लाह कड़ी यातना देनेवाला है ([८] अल-अन्फाल: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

ذٰلِكُمْ فَذُوْقُوْهُ وَاَنَّ لِلْكٰفِرِيْنَ عَذَابَ النَّارِ ١٤

dhālikum
ذَٰلِكُمْ
ये है ( सज़ा)
fadhūqūhu
فَذُوقُوهُ
पस चख़ो इसे
wa-anna
وَأَنَّ
और बेशक
lil'kāfirīna
لِلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों के लिए
ʿadhāba
عَذَابَ
अज़ाब है
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग का
यह तो तुम चखो! और यह कि इनकार करनेवालों के लिए आग की यातना है ([८] अल-अन्फाल: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِذَا لَقِيْتُمُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا زَحْفًا فَلَا تُوَلُّوْهُمُ الْاَدْبَارَۚ ١٥

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगों जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगों जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए हो
idhā
إِذَا
जब
laqītumu
لَقِيتُمُ
मुलाक़ात करो तुम
alladhīna
ٱلَّذِينَ
उनसे जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
zaḥfan
زَحْفًا
मैदाने जंग में
falā
فَلَا
पस ना
tuwallūhumu
تُوَلُّوهُمُ
तुम फेरो उनसे
l-adbāra
ٱلْأَدْبَارَ
पुश्तों को
ऐ ईमान लानेवालो! जब एक सेना के रूप में तुम्हारा इनकार करनेवालों से मुक़ाबला हो तो पीठ न फेरो ([८] अल-अन्फाल: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

وَمَنْ يُّوَلِّهِمْ يَوْمَىِٕذٍ دُبُرَهٗٓ اِلَّا مُتَحَرِّفًا لِّقِتَالٍ اَوْ مُتَحَيِّزًا اِلٰى فِئَةٍ فَقَدْ بَاۤءَ بِغَضَبٍ مِّنَ اللّٰهِ وَمَأْوٰىهُ جَهَنَّمُ ۗ وَبِئْسَ الْمَصِيْرُ ١٦

waman
وَمَن
और जो कोई
yuwallihim
يُوَلِّهِمْ
फेरेगा उनसे
yawma-idhin
يَوْمَئِذٍ
उस दिन
duburahu
دُبُرَهُۥٓ
पुश्त अपनी
illā
إِلَّا
सिवाय
mutaḥarrifan
مُتَحَرِّفًا
पैंतरा बदलने वाले के
liqitālin
لِّقِتَالٍ
जंग के लिए
aw
أَوْ
या
mutaḥayyizan
مُتَحَيِّزًا
पनाह लेने वाले के
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ एक गिरोह के
fi-atin
فِئَةٍ
तरफ़ एक गिरोह के
faqad
فَقَدْ
तो तहक़ीक़
bāa
بَآءَ
वो पलटा
bighaḍabin
بِغَضَبٍ
साथ ग़ज़ब के
mina
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
wamawāhu
وَمَأْوَىٰهُ
और ठिकाना उसका
jahannamu
جَهَنَّمُۖ
जहन्नम है
wabi'sa
وَبِئْسَ
और कितना बुरा है
l-maṣīru
ٱلْمَصِيرُ
ठिकाना
जिस किसी ने भी उस दिन उनसे अपनी पीठ फेरी - यह और बात है कि युद्ध-चाल के रूप में या दूसरी टुकड़ी से मिलने के लिए ऐसा करे - तो वह अल्लाह के प्रकोप का भागी हुआ और उसका ठिकाना जहन्नम है, और क्या ही बुरा जगह है वह पहुँचने की! ([८] अल-अन्फाल: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

فَلَمْ تَقْتُلُوْهُمْ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ قَتَلَهُمْۖ وَمَا رَمَيْتَ اِذْ رَمَيْتَ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ رَمٰىۚ وَلِيُبْلِيَ الْمُؤْمِنِيْنَ مِنْهُ بَلَاۤءً حَسَنًاۗ اِنَّ اللّٰهَ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌ ١٧

falam
فَلَمْ
तो नहीं
taqtulūhum
تَقْتُلُوهُمْ
तुम ने क़त्ल किया उन्हें
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह ने
qatalahum
قَتَلَهُمْۚ
क़त्ल किया उन्हें
wamā
وَمَا
और नहीं
ramayta
رَمَيْتَ
फेंका आपने
idh
إِذْ
जब
ramayta
رَمَيْتَ
फेंका था आपने
walākinna
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह ने
ramā
رَمَىٰۚ
फेंका था
waliyub'liya
وَلِيُبْلِىَ
और ताकि वो आज़माए
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों को
min'hu
مِنْهُ
अपनी तरफ़ से
balāan
بَلَآءً
आज़माइश
ḥasanan
حَسَنًاۚ
अच्छी से
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
samīʿun
سَمِيعٌ
ख़ूब सुनने वाला है
ʿalīmun
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है
तुमने उसे क़त्ल नहीं किया बल्कि अल्लाह ही ने उन्हें क़त्ल किया और जब तुमने (उनकी ओर मिट्टी और कंकड़) फेंक, तो तुमने नहीं फेंका बल्कि अल्लाह ने फेंका (कि अल्लाह अपनी गुण-गरिमा दिखाए) और ताकि अपनी ओर से ईमानवालों के गुण प्रकट करे। निस्संदेह अल्लाह सुनता, जानता है ([८] अल-अन्फाल: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

ذٰلِكُمْ وَاَنَّ اللّٰهَ مُوْهِنُ كَيْدِ الْكٰفِرِيْنَ ١٨

dhālikum
ذَٰلِكُمْ
ये है
wa-anna
وَأَنَّ
और बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
mūhinu
مُوهِنُ
कमज़ोर करने वाला है
kaydi
كَيْدِ
चाल को
l-kāfirīna
ٱلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों की
यह तो हुआ, और यह (जान लो) कि अल्लाह इनकार करनेवालों की चाल को कमज़ोर कर देनेवाला है ([८] अल-अन्फाल: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

اِنْ تَسْتَفْتِحُوْا فَقَدْ جَاۤءَكُمُ الْفَتْحُۚ وَاِنْ تَنْتَهُوْا فَهُوَ خَيْرٌ لَّكُمْۚ وَاِنْ تَعُوْدُوْا نَعُدْۚ وَلَنْ تُغْنِيَ عَنْكُمْ فِئَتُكُمْ شَيْـًٔا وَّلَوْ كَثُرَتْۙ وَاَنَّ اللّٰهَ مَعَ الْمُؤْمِنِيْنَ ࣖ ١٩

in
إِن
अगर
tastaftiḥū
تَسْتَفْتِحُوا۟
तुम फ़ैसला चाहते हो
faqad
فَقَدْ
तो तहक़ीक़
jāakumu
جَآءَكُمُ
आ गया तुम्हारे पास
l-fatḥu
ٱلْفَتْحُۖ
फ़ैसला
wa-in
وَإِن
और अगर
tantahū
تَنتَهُوا۟
तुम बाज़ आ जाओ
fahuwa
فَهُوَ
तो वो
khayrun
خَيْرٌ
बेहतर है
lakum
لَّكُمْۖ
तुम्हारे लिए
wa-in
وَإِن
और अगर
taʿūdū
تَعُودُوا۟
तुम लौटोगे
naʿud
نَعُدْ
हम भी लौटेंगे
walan
وَلَن
और हरगिज़ ना
tugh'niya
تُغْنِىَ
काम आएगा
ʿankum
عَنكُمْ
तुम्हें
fi-atukum
فِئَتُكُمْ
गिरोह तुम्हारा
shayan
شَيْـًٔا
कुछ भी
walaw
وَلَوْ
और अगरचे
kathurat
كَثُرَتْ
वो बकसरत हों
wa-anna
وَأَنَّ
और बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
maʿa
مَعَ
साथ है
l-mu'minīna
ٱلْمُؤْمِنِينَ
ईमान लाने वालों के
यदि तुम फ़ैसला चाहते हो तो फ़ैसला तुम्हारे सामने आ चुका और यदि बाज़ आ जाओ तो यह तुम्हारे ही लिए अच्छा है। लेकिन यदि तुमने पलटकर फिर वही हरकत की तो हम भी पलटेंगे और तुम्हारा जत्था, चाहे वह कितना ही अधिक हो, तुम्हारे कुछ काम न आ सकेगा। और यह कि अल्लाह मोमिनों के साथ होता है ([८] अल-अन्फाल: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اَطِيْعُوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ وَلَا تَوَلَّوْا عَنْهُ وَاَنْتُمْ تَسْمَعُوْنَ ٢٠

yāayyuhā
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
alladhīna
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए हो
aṭīʿū
أَطِيعُوا۟
इताअत करो
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह की
warasūlahu
وَرَسُولَهُۥ
और उसके रसूल की
walā
وَلَا
और ना
tawallaw
تَوَلَّوْا۟
तुम मुँह फेरो
ʿanhu
عَنْهُ
उससे
wa-antum
وَأَنتُمْ
जब कि तुम
tasmaʿūna
تَسْمَعُونَ
तुम सुन रहे हो
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह और उसके रसूल का आज्ञापालन करो और उससे मुँह न फेरो जबकि तुम सुन रहे हो ([८] अल-अन्फाल: 20)
Tafseer (तफ़सीर )