४१
فَاِنَّ الْجَنَّةَ هِيَ الْمَأْوٰىۗ ٤١
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो यक़ीनन
- l-janata
- ٱلْجَنَّةَ
- जन्नत
- hiya
- هِىَ
- वो ही
- l-mawā
- ٱلْمَأْوَىٰ
- ठिकाना है (उसका)
तो जन्नत ही उसका ठिकाना है ([७९] अन-नाज़िआ़त: 41)Tafseer (तफ़सीर )
४२
يَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ السَّاعَةِ اَيَّانَ مُرْسٰىهَاۗ ٤٢
- yasalūnaka
- يَسْـَٔلُونَكَ
- वो सवाल करता हैं आपसे
- ʿani
- عَنِ
- क़यामत के बारे में
- l-sāʿati
- ٱلسَّاعَةِ
- क़यामत के बारे में
- ayyāna
- أَيَّانَ
- कब है
- mur'sāhā
- مُرْسَىٰهَا
- ठहरना उसका
वे तुमसे उस घड़ी के विषय में पूछते है कि वह कब आकर ठहरेगी? ([७९] अन-नाज़िआ़त: 42)Tafseer (तफ़सीर )
४३
فِيْمَ اَنْتَ مِنْ ذِكْرٰىهَاۗ ٤٣
- fīma
- فِيمَ
- किस (फ़िक्र) में हैं
- anta
- أَنتَ
- आप
- min
- مِن
- उसके ज़िक्र से
- dhik'rāhā
- ذِكْرَىٰهَآ
- उसके ज़िक्र से
उसके बयान करने से तुम्हारा क्या सम्बन्ध? ([७९] अन-नाज़िआ़त: 43)Tafseer (तफ़सीर )
४४
اِلٰى رَبِّكَ مُنْتَهٰىهَاۗ ٤٤
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ आपके रब के
- rabbika
- رَبِّكَ
- तरफ़ आपके रब के
- muntahāhā
- مُنتَهَىٰهَآ
- इन्तिहा है उसकी
उसकी अन्तिम पहुँच तो तेरे से ही सम्बन्ध रखती है ([७९] अन-नाज़िआ़त: 44)Tafseer (तफ़सीर )
४५
اِنَّمَآ اَنْتَ مُنْذِرُ مَنْ يَّخْشٰىهَاۗ ٤٥
- innamā
- إِنَّمَآ
- बेशक
- anta
- أَنتَ
- आप तो
- mundhiru
- مُنذِرُ
- डराने वाले हैं
- man
- مَن
- उसे जो
- yakhshāhā
- يَخْشَىٰهَا
- डरता हो उससे
तुम तो बस उस व्यक्ति को सावधान करनेवाले हो जो उससे डरे ([७९] अन-नाज़िआ़त: 45)Tafseer (तफ़सीर )
४६
كَاَنَّهُمْ يَوْمَ يَرَوْنَهَا لَمْ يَلْبَثُوْٓا اِلَّا عَشِيَّةً اَوْ ضُحٰىهَا ࣖ ٤٦
- ka-annahum
- كَأَنَّهُمْ
- गोया कि वो
- yawma
- يَوْمَ
- जिस दिन
- yarawnahā
- يَرَوْنَهَا
- वो देखेंगे उसे (तो कहेंगे)
- lam
- لَمْ
- नहीं
- yalbathū
- يَلْبَثُوٓا۟
- वो ठहरे
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ʿashiyyatan
- عَشِيَّةً
- पिछला पहर
- aw
- أَوْ
- या
- ḍuḥāhā
- ضُحَىٰهَا
- पहला पहर उसका
जिस दिन वे उसे देखेंगे तो (ऐसा लगेगा) मानो वे (दुनिया में) बस एक शाम या उसकी सुबह ही ठहरे है ([७९] अन-नाज़िआ़त: 46)Tafseer (तफ़सीर )