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सूरा अन-नाज़िआ़त - Page: 5

An-Nazi'at

(Those Who Drag Forth, Soul-snatchers)

४१

فَاِنَّ الْجَنَّةَ هِيَ الْمَأْوٰىۗ ٤١

fa-inna
فَإِنَّ
तो यक़ीनन
l-janata
ٱلْجَنَّةَ
जन्नत
hiya
هِىَ
वो ही
l-mawā
ٱلْمَأْوَىٰ
ठिकाना है (उसका)
तो जन्नत ही उसका ठिकाना है ([७९] अन-नाज़िआ़त: 41)
Tafseer (तफ़सीर )
४२

يَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ السَّاعَةِ اَيَّانَ مُرْسٰىهَاۗ ٤٢

yasalūnaka
يَسْـَٔلُونَكَ
वो सवाल करता हैं आपसे
ʿani
عَنِ
क़यामत के बारे में
l-sāʿati
ٱلسَّاعَةِ
क़यामत के बारे में
ayyāna
أَيَّانَ
कब है
mur'sāhā
مُرْسَىٰهَا
ठहरना उसका
वे तुमसे उस घड़ी के विषय में पूछते है कि वह कब आकर ठहरेगी? ([७९] अन-नाज़िआ़त: 42)
Tafseer (तफ़सीर )
४३

فِيْمَ اَنْتَ مِنْ ذِكْرٰىهَاۗ ٤٣

fīma
فِيمَ
किस (फ़िक्र) में हैं
anta
أَنتَ
आप
min
مِن
उसके ज़िक्र से
dhik'rāhā
ذِكْرَىٰهَآ
उसके ज़िक्र से
उसके बयान करने से तुम्हारा क्या सम्बन्ध? ([७९] अन-नाज़िआ़त: 43)
Tafseer (तफ़सीर )
४४

اِلٰى رَبِّكَ مُنْتَهٰىهَاۗ ٤٤

ilā
إِلَىٰ
तरफ़ आपके रब के
rabbika
رَبِّكَ
तरफ़ आपके रब के
muntahāhā
مُنتَهَىٰهَآ
इन्तिहा है उसकी
उसकी अन्तिम पहुँच तो तेरे से ही सम्बन्ध रखती है ([७९] अन-नाज़िआ़त: 44)
Tafseer (तफ़सीर )
४५

اِنَّمَآ اَنْتَ مُنْذِرُ مَنْ يَّخْشٰىهَاۗ ٤٥

innamā
إِنَّمَآ
बेशक
anta
أَنتَ
आप तो
mundhiru
مُنذِرُ
डराने वाले हैं
man
مَن
उसे जो
yakhshāhā
يَخْشَىٰهَا
डरता हो उससे
तुम तो बस उस व्यक्ति को सावधान करनेवाले हो जो उससे डरे ([७९] अन-नाज़िआ़त: 45)
Tafseer (तफ़सीर )
४६

كَاَنَّهُمْ يَوْمَ يَرَوْنَهَا لَمْ يَلْبَثُوْٓا اِلَّا عَشِيَّةً اَوْ ضُحٰىهَا ࣖ ٤٦

ka-annahum
كَأَنَّهُمْ
गोया कि वो
yawma
يَوْمَ
जिस दिन
yarawnahā
يَرَوْنَهَا
वो देखेंगे उसे (तो कहेंगे)
lam
لَمْ
नहीं
yalbathū
يَلْبَثُوٓا۟
वो ठहरे
illā
إِلَّا
मगर
ʿashiyyatan
عَشِيَّةً
पिछला पहर
aw
أَوْ
या
ḍuḥāhā
ضُحَىٰهَا
पहला पहर उसका
जिस दिन वे उसे देखेंगे तो (ऐसा लगेगा) मानो वे (दुनिया में) बस एक शाम या उसकी सुबह ही ठहरे है ([७९] अन-नाज़िआ़त: 46)
Tafseer (तफ़सीर )