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सूरा अन-नाज़िआ़त - Page: 4

An-Nazi'at

(Those Who Drag Forth, Soul-snatchers)

३१

اَخْرَجَ مِنْهَا مَاۤءَهَا وَمَرْعٰىهَاۖ ٣١

akhraja
أَخْرَجَ
उसने निकाला
min'hā
مِنْهَا
उससे
māahā
مَآءَهَا
पानी उसका
wamarʿāhā
وَمَرْعَىٰهَا
और चारा उसक
उसमें से उसका पानी और उसका चारा निकाला ([७९] अन-नाज़िआ़त: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

وَالْجِبَالَ اَرْسٰىهَاۙ ٣٢

wal-jibāla
وَٱلْجِبَالَ
और पहाड़ों को
arsāhā
أَرْسَىٰهَا
उसने गाड़ दिया उन्हें
और पहाड़ो को देखो! उन्हें उस (धरती) में जमा दिया, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

مَتَاعًا لَّكُمْ وَلِاَنْعَامِكُمْۗ ٣٣

matāʿan
مَتَٰعًا
फ़ायदे का सामान है
lakum
لَّكُمْ
तुम्हारे लिए
wali-anʿāmikum
وَلِأَنْعَٰمِكُمْ
और तुम्हारे मवेशियों के लिए
तुम्हारे लिए और तुम्हारे मवेशियों के लिए जीवन-सामग्री के रूप में ([७९] अन-नाज़िआ़त: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

فَاِذَا جَاۤءَتِ الطَّاۤمَّةُ الْكُبْرٰىۖ ٣٤

fa-idhā
فَإِذَا
फिर जब
jāati
جَآءَتِ
आ जाएगी
l-ṭāmatu
ٱلطَّآمَّةُ
आफ़त
l-kub'rā
ٱلْكُبْرَىٰ
बहुत बड़ी
फिर जब वह महाविपदा आएगी, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

يَوْمَ يَتَذَكَّرُ الْاِنْسَانُ مَا سَعٰىۙ ٣٥

yawma
يَوْمَ
उस दिन
yatadhakkaru
يَتَذَكَّرُ
याद करेगा
l-insānu
ٱلْإِنسَٰنُ
इन्सान
مَا
जो
saʿā
سَعَىٰ
उसने कोशिश की
उस दिन मनुष्य जो कुछ भी उसने प्रयास किया होगा उसे याद करेगा ([७९] अन-नाज़िआ़त: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

وَبُرِّزَتِ الْجَحِيْمُ لِمَنْ يَّرٰى ٣٦

waburrizati
وَبُرِّزَتِ
और ज़ाहिर कर दी जाएगी
l-jaḥīmu
ٱلْجَحِيمُ
जहन्नम
liman
لِمَن
उसके लिए जो
yarā
يَرَىٰ
देखता है
और भड़कती आग (जहन्नम) देखने वालों के लिए खोल दी जाएगी ([७९] अन-नाज़िआ़त: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

فَاَمَّا مَنْ طَغٰىۖ ٣٧

fa-ammā
فَأَمَّا
तो रहा वो
man
مَن
जिसने
ṭaghā
طَغَىٰ
सरकशी की
तो जिस किसी ने सरकशी की ([७९] अन-नाज़िआ़त: 37)
Tafseer (तफ़सीर )
३८

وَاٰثَرَ الْحَيٰوةَ الدُّنْيَاۙ ٣٨

waāthara
وَءَاثَرَ
और उसने तरजीह दी
l-ḥayata
ٱلْحَيَوٰةَ
ज़िन्दगी को
l-dun'yā
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
और सांसारिक जीवन को प्राथमिकता दो होगी, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 38)
Tafseer (तफ़सीर )
३९

فَاِنَّ الْجَحِيْمَ هِيَ الْمَأْوٰىۗ ٣٩

fa-inna
فَإِنَّ
तो बेशक
l-jaḥīma
ٱلْجَحِيمَ
जहन्नम
hiya
هِىَ
वो ही
l-mawā
ٱلْمَأْوَىٰ
ठिकाना है (उसका)
तो निस्संदेह भड़कती आग ही उसका ठिकाना है ([७९] अन-नाज़िआ़त: 39)
Tafseer (तफ़सीर )
४०

وَاَمَّا مَنْ خَافَ مَقَامَ رَبِّهٖ وَنَهَى النَّفْسَ عَنِ الْهَوٰىۙ ٤٠

wa-ammā
وَأَمَّا
और रहा
man
مَنْ
वो जो
khāfa
خَافَ
डरा
maqāma
مَقَامَ
खड़े होने से
rabbihi
رَبِّهِۦ
अपने रब के (सामने)
wanahā
وَنَهَى
और उसने रोक लिया
l-nafsa
ٱلنَّفْسَ
नफ़्स को
ʿani
عَنِ
ख़्वाहिशात से
l-hawā
ٱلْهَوَىٰ
ख़्वाहिशात से
और रहा वह व्यक्ति जिसने अपने रब के सामने खड़े होने का भय रखा और अपने जी को बुरी इच्छा से रोका, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 40)
Tafseer (तफ़सीर )