३१
اَخْرَجَ مِنْهَا مَاۤءَهَا وَمَرْعٰىهَاۖ ٣١
- akhraja
- أَخْرَجَ
- उसने निकाला
- min'hā
- مِنْهَا
- उससे
- māahā
- مَآءَهَا
- पानी उसका
- wamarʿāhā
- وَمَرْعَىٰهَا
- और चारा उसक
उसमें से उसका पानी और उसका चारा निकाला ([७९] अन-नाज़िआ़त: 31)Tafseer (तफ़सीर )
३२
وَالْجِبَالَ اَرْسٰىهَاۙ ٣٢
- wal-jibāla
- وَٱلْجِبَالَ
- और पहाड़ों को
- arsāhā
- أَرْسَىٰهَا
- उसने गाड़ दिया उन्हें
और पहाड़ो को देखो! उन्हें उस (धरती) में जमा दिया, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 32)Tafseer (तफ़सीर )
३३
مَتَاعًا لَّكُمْ وَلِاَنْعَامِكُمْۗ ٣٣
- matāʿan
- مَتَٰعًا
- फ़ायदे का सामान है
- lakum
- لَّكُمْ
- तुम्हारे लिए
- wali-anʿāmikum
- وَلِأَنْعَٰمِكُمْ
- और तुम्हारे मवेशियों के लिए
तुम्हारे लिए और तुम्हारे मवेशियों के लिए जीवन-सामग्री के रूप में ([७९] अन-नाज़िआ़त: 33)Tafseer (तफ़सीर )
३४
فَاِذَا جَاۤءَتِ الطَّاۤمَّةُ الْكُبْرٰىۖ ٣٤
- fa-idhā
- فَإِذَا
- फिर जब
- jāati
- جَآءَتِ
- आ जाएगी
- l-ṭāmatu
- ٱلطَّآمَّةُ
- आफ़त
- l-kub'rā
- ٱلْكُبْرَىٰ
- बहुत बड़ी
फिर जब वह महाविपदा आएगी, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 34)Tafseer (तफ़सीर )
३५
يَوْمَ يَتَذَكَّرُ الْاِنْسَانُ مَا سَعٰىۙ ٣٥
- yawma
- يَوْمَ
- उस दिन
- yatadhakkaru
- يَتَذَكَّرُ
- याद करेगा
- l-insānu
- ٱلْإِنسَٰنُ
- इन्सान
- mā
- مَا
- जो
- saʿā
- سَعَىٰ
- उसने कोशिश की
उस दिन मनुष्य जो कुछ भी उसने प्रयास किया होगा उसे याद करेगा ([७९] अन-नाज़िआ़त: 35)Tafseer (तफ़सीर )
३६
وَبُرِّزَتِ الْجَحِيْمُ لِمَنْ يَّرٰى ٣٦
- waburrizati
- وَبُرِّزَتِ
- और ज़ाहिर कर दी जाएगी
- l-jaḥīmu
- ٱلْجَحِيمُ
- जहन्नम
- liman
- لِمَن
- उसके लिए जो
- yarā
- يَرَىٰ
- देखता है
और भड़कती आग (जहन्नम) देखने वालों के लिए खोल दी जाएगी ([७९] अन-नाज़िआ़त: 36)Tafseer (तफ़सीर )
३७
فَاَمَّا مَنْ طَغٰىۖ ٣٧
- fa-ammā
- فَأَمَّا
- तो रहा वो
- man
- مَن
- जिसने
- ṭaghā
- طَغَىٰ
- सरकशी की
तो जिस किसी ने सरकशी की ([७९] अन-नाज़िआ़त: 37)Tafseer (तफ़सीर )
३८
وَاٰثَرَ الْحَيٰوةَ الدُّنْيَاۙ ٣٨
- waāthara
- وَءَاثَرَ
- और उसने तरजीह दी
- l-ḥayata
- ٱلْحَيَوٰةَ
- ज़िन्दगी को
- l-dun'yā
- ٱلدُّنْيَا
- दुनिया की
और सांसारिक जीवन को प्राथमिकता दो होगी, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 38)Tafseer (तफ़सीर )
३९
فَاِنَّ الْجَحِيْمَ هِيَ الْمَأْوٰىۗ ٣٩
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- l-jaḥīma
- ٱلْجَحِيمَ
- जहन्नम
- hiya
- هِىَ
- वो ही
- l-mawā
- ٱلْمَأْوَىٰ
- ठिकाना है (उसका)
तो निस्संदेह भड़कती आग ही उसका ठिकाना है ([७९] अन-नाज़िआ़त: 39)Tafseer (तफ़सीर )
४०
وَاَمَّا مَنْ خَافَ مَقَامَ رَبِّهٖ وَنَهَى النَّفْسَ عَنِ الْهَوٰىۙ ٤٠
- wa-ammā
- وَأَمَّا
- और रहा
- man
- مَنْ
- वो जो
- khāfa
- خَافَ
- डरा
- maqāma
- مَقَامَ
- खड़े होने से
- rabbihi
- رَبِّهِۦ
- अपने रब के (सामने)
- wanahā
- وَنَهَى
- और उसने रोक लिया
- l-nafsa
- ٱلنَّفْسَ
- नफ़्स को
- ʿani
- عَنِ
- ख़्वाहिशात से
- l-hawā
- ٱلْهَوَىٰ
- ख़्वाहिशात से
और रहा वह व्यक्ति जिसने अपने रब के सामने खड़े होने का भय रखा और अपने जी को बुरी इच्छा से रोका, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 40)Tafseer (तफ़सीर )