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सूरा अन-नाज़िआ़त - Page: 3

An-Nazi'at

(Those Who Drag Forth, Soul-snatchers)

२१

فَكَذَّبَ وَعَصٰىۖ ٢١

fakadhaba
فَكَذَّبَ
तो उसने झुठलाया
waʿaṣā
وَعَصَىٰ
और उसने नाफ़रमानी की
किन्तु उसने झुठला दिया और कहा न माना, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

ثُمَّ اَدْبَرَ يَسْعٰىۖ ٢٢

thumma
ثُمَّ
फिर
adbara
أَدْبَرَ
वो पलटा
yasʿā
يَسْعَىٰ
कोशिश करते हुए
फिर सक्रियता दिखाते हुए पलटा, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

فَحَشَرَ فَنَادٰىۖ ٢٣

faḥashara
فَحَشَرَ
फिर उसने इकट्ठा किया
fanādā
فَنَادَىٰ
फिर उसने पुकारा
फिर (लोगों को) एकत्र किया और पुकारकर कहा, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

فَقَالَ اَنَا۠ رَبُّكُمُ الْاَعْلٰىۖ ٢٤

faqāla
فَقَالَ
फिर उसने कहा
anā
أَنَا۠
मैं
rabbukumu
رَبُّكُمُ
रब हूँ तुम्हारा
l-aʿlā
ٱلْأَعْلَىٰ
सब से बुलन्द
'मैं तुम्हारा उच्चकोटि का स्वामी हूँ!' ([७९] अन-नाज़िआ़त: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

فَاَخَذَهُ اللّٰهُ نَكَالَ الْاٰخِرَةِ وَالْاُوْلٰىۗ ٢٥

fa-akhadhahu
فَأَخَذَهُ
तो पकड़ लिया उसे
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
nakāla
نَكَالَ
अज़ाब में
l-ākhirati
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत
wal-ūlā
وَٱلْأُولَىٰٓ
और दुनिया के
अन्ततः अल्लाह ने उसे आख़िरत और दुनिया की शिक्षाप्रद यातना में पकड़ लिया ([७९] अन-नाज़िआ़त: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَعِبْرَةً لِّمَنْ يَّخْشٰى ۗ ࣖ ٢٦

inna
إِنَّ
बेशक
فِى
इसमें
dhālika
ذَٰلِكَ
इसमें
laʿib'ratan
لَعِبْرَةً
यक़ीनन इब्रत है
liman
لِّمَن
उसके लिए जो
yakhshā
يَخْشَىٰٓ
डरता हो
निस्संदेह इसमें उस व्यक्ति के लिए बड़ी शिक्षा है जो डरे! ([७९] अन-नाज़िआ़त: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

ءَاَنْتُمْ اَشَدُّ خَلْقًا اَمِ السَّمَاۤءُ ۚ بَنٰىهَاۗ ٢٧

a-antum
ءَأَنتُمْ
क्या तुम
ashaddu
أَشَدُّ
ज़्यादा सख़्त हो
khalqan
خَلْقًا
तख़लीक़ में
ami
أَمِ
या
l-samāu
ٱلسَّمَآءُۚ
आसमान
banāhā
بَنَىٰهَا
उसने बनाया उसे
क्या तुम्हें पैदा करना अधिक कठिन कार्य है या आकाश को? अल्लाह ने उसे बनाया, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

رَفَعَ سَمْكَهَا فَسَوّٰىهَاۙ ٢٨

rafaʿa
رَفَعَ
उसने बुलन्द किया
samkahā
سَمْكَهَا
इसकी छत को
fasawwāhā
فَسَوَّىٰهَا
फिर उसने दुरुस्त कर दिया उसे
उसकी ऊँचाई को ख़ूब ऊँचा करके उसे ठीक-ठाक किया; ([७९] अन-नाज़िआ़त: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

وَاَغْطَشَ لَيْلَهَا وَاَخْرَجَ ضُحٰىهَاۖ ٢٩

wa-aghṭasha
وَأَغْطَشَ
और उसने तारीक किया
laylahā
لَيْلَهَا
उसकी रात के
wa-akhraja
وَأَخْرَجَ
और उसने निकाला
ḍuḥāhā
ضُحَىٰهَا
उसकी धूप को
और उसकी रात को अन्धकारमय बनाया और उसका दिवस-प्रकाश प्रकट किया ([७९] अन-नाज़िआ़त: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

وَالْاَرْضَ بَعْدَ ذٰلِكَ دَحٰىهَاۗ ٣٠

wal-arḍa
وَٱلْأَرْضَ
और ज़मीन को
baʿda
بَعْدَ
बाद
dhālika
ذَٰلِكَ
उसके
daḥāhā
دَحَىٰهَآ
उसने फैला दिया उसे
और धरती को देखो! इसके पश्चात उसे फैलाया; ([७९] अन-नाज़िआ़त: 30)
Tafseer (तफ़सीर )