११
ءَاِذَا كُنَّا عِظَامًا نَّخِرَةً ۗ ١١
- a-idhā
- أَءِذَا
- क्या जब
- kunnā
- كُنَّا
- होंगे हम
- ʿiẓāman
- عِظَٰمًا
- हड्डियाँ
- nakhiratan
- نَّخِرَةً
- बोसीदा
क्या जब हम खोखली गलित हड्डियाँ हो चुके होंगे?' ([७९] अन-नाज़िआ़त: 11)Tafseer (तफ़सीर )
१२
قَالُوْا تِلْكَ اِذًا كَرَّةٌ خَاسِرَةٌ ۘ ١٢
- qālū
- قَالُوا۟
- उन्होंने कहा
- til'ka
- تِلْكَ
- ये
- idhan
- إِذًا
- तब
- karratun
- كَرَّةٌ
- वापसी है
- khāsiratun
- خَاسِرَةٌ
- ख़सारे की
वे कहते है, 'तब तो लौटना बड़े ही घाटे का होगा।' ([७९] अन-नाज़िआ़त: 12)Tafseer (तफ़सीर )
१३
فَاِنَّمَا هِيَ زَجْرَةٌ وَّاحِدَةٌۙ ١٣
- fa-innamā
- فَإِنَّمَا
- तो बेशक
- hiya
- هِىَ
- वो
- zajratun
- زَجْرَةٌ
- डाँट होगी
- wāḥidatun
- وَٰحِدَةٌ
- एक ही
वह तो बस एक ही झिड़की होगी, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 13)Tafseer (तफ़सीर )
१४
فَاِذَا هُمْ بِالسَّاهِرَةِۗ ١٤
- fa-idhā
- فَإِذَا
- तो अचानक
- hum
- هُم
- वो
- bil-sāhirati
- بِٱلسَّاهِرَةِ
- मैदान में होंगे
फिर क्या देखेंगे कि वे एक समतल मैदान में उपस्थित है ([७९] अन-नाज़िआ़त: 14)Tafseer (तफ़सीर )
१५
هَلْ اَتٰىكَ حَدِيْثُ مُوْسٰىۘ ١٥
- hal
- هَلْ
- क्या
- atāka
- أَتَىٰكَ
- आई है आपके पास
- ḥadīthu
- حَدِيثُ
- ख़बर
- mūsā
- مُوسَىٰٓ
- मूसा की
क्या तुम्हें मूसा की ख़बर पहुँची है? ([७९] अन-नाज़िआ़त: 15)Tafseer (तफ़सीर )
१६
اِذْ نَادٰىهُ رَبُّهٗ بِالْوَادِ الْمُقَدَّسِ طُوًىۚ ١٦
- idh
- إِذْ
- जब
- nādāhu
- نَادَىٰهُ
- पुकारा उसे
- rabbuhu
- رَبُّهُۥ
- उसके रब ने
- bil-wādi
- بِٱلْوَادِ
- मुक़द्दस वादी में
- l-muqadasi
- ٱلْمُقَدَّسِ
- मुक़द्दस वादी में
- ṭuwan
- طُوًى
- तुवा की
जबकि उसके रब ने पवित्र घाटी 'तुवा' में उसे पुकारा था ([७९] अन-नाज़िआ़त: 16)Tafseer (तफ़सीर )
१७
اِذْهَبْ اِلٰى فِرْعَوْنَ اِنَّهٗ طَغٰىۖ ١٧
- idh'hab
- ٱذْهَبْ
- जाओ
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ फ़िरऔन के
- fir'ʿawna
- فِرْعَوْنَ
- तरफ़ फ़िरऔन के
- innahu
- إِنَّهُۥ
- बेशक वो
- ṭaghā
- طَغَىٰ
- वो सरकश हो गया है
कि 'फ़िरऔन के पास जाओ, उसने बहुत सिर उठा रखा है ([७९] अन-नाज़िआ़त: 17)Tafseer (तफ़सीर )
१८
فَقُلْ هَلْ لَّكَ اِلٰٓى اَنْ تَزَكّٰىۙ ١٨
- faqul
- فَقُلْ
- पस कहो
- hal
- هَل
- क्या है
- laka
- لَّكَ
- तुझे(ख़्वाहिश)
- ilā
- إِلَىٰٓ
- तरफ़ इसके कि
- an
- أَن
- तरफ़ इसके कि
- tazakkā
- تَزَكَّىٰ
- तू पाक हो जाए
'और कहो, क्या तू यह चाहता है कि स्वयं को पाक-साफ़ कर ले, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 18)Tafseer (तफ़सीर )
१९
وَاَهْدِيَكَ اِلٰى رَبِّكَ فَتَخْشٰىۚ ١٩
- wa-ahdiyaka
- وَأَهْدِيَكَ
- और मैं रहनुमाई करूँ तेरी
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ तेरे रब के
- rabbika
- رَبِّكَ
- तरफ़ तेरे रब के
- fatakhshā
- فَتَخْشَىٰ
- फिर तू डरे
'और मैं तेरे रब की ओर तेरा मार्गदर्शन करूँ कि तु (उससे) डरे?' ([७९] अन-नाज़िआ़त: 19)Tafseer (तफ़सीर )
२०
فَاَرٰىهُ الْاٰيَةَ الْكُبْرٰىۖ ٢٠
- fa-arāhu
- فَأَرَىٰهُ
- पस उसने दिखाई उसे
- l-āyata
- ٱلْءَايَةَ
- निशानी
- l-kub'rā
- ٱلْكُبْرَىٰ
- बहुत बड़ी
फिर उसने (मूसा ने) उसको बड़ी निशानी दिखाई, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 20)Tafseer (तफ़सीर )