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सूरा अन-नाज़िआ़त - शब्द द्वारा शब्द

An-Nazi'at

(Those Who Drag Forth, Soul-snatchers)

bismillaahirrahmaanirrahiim

وَالنّٰزِعٰتِ غَرْقًاۙ ١

wal-nāziʿāti
وَٱلنَّٰزِعَٰتِ
क़सम है (उन फ़रिश्तों की ) जो खींचने वाले हैं
gharqan
غَرْقًا
डूब कर
गवाह है वे (हवाएँ) जो ज़ोर से उखाड़ फैंके, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

وَّالنّٰشِطٰتِ نَشْطًاۙ ٢

wal-nāshiṭāti
وَٱلنَّٰشِطَٰتِ
और जो आसानी से निकालने वाले हैं
nashṭan
نَشْطًا
आसानी से निकालना
और गवाह है वे (हवाएँ) जो नर्मी के साथ चलें, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

وَّالسّٰبِحٰتِ سَبْحًاۙ ٣

wal-sābiḥāti
وَٱلسَّٰبِحَٰتِ
और जो तैरने वाले हैं
sabḥan
سَبْحًا
तेज़ी से तैरना
और गवाह है वे जो वायुमंडल में तैरें, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

فَالسّٰبِقٰتِ سَبْقًاۙ ٤

fal-sābiqāti
فَٱلسَّٰبِقَٰتِ
फिर जो सबक़त करने वाले हैं
sabqan
سَبْقًا
सबक़त करना
फिर एक-दूसरे से अग्रसर हों, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

فَالْمُدَبِّرٰتِ اَمْرًاۘ ٥

fal-mudabirāti
فَٱلْمُدَبِّرَٰتِ
फिर जो तदबीर करने वाले हैं
amran
أَمْرًا
किसी काम की
और मामले की तदबीर करें ([७९] अन-नाज़िआ़त: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

يَوْمَ تَرْجُفُ الرَّاجِفَةُۙ ٦

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
tarjufu
تَرْجُفُ
काँपेगी
l-rājifatu
ٱلرَّاجِفَةُ
काँपने वाली
जिस दिन हिला डालेगी हिला डालनेवाले घटना, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

تَتْبَعُهَا الرَّادِفَةُ ۗ ٧

tatbaʿuhā
تَتْبَعُهَا
पीछे आएगी उसके
l-rādifatu
ٱلرَّادِفَةُ
पीछे आने वाली
उसके पीछ घटित होगी दूसरी (घटना) ([७९] अन-नाज़िआ़त: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

قُلُوْبٌ يَّوْمَىِٕذٍ وَّاجِفَةٌۙ ٨

qulūbun
قُلُوبٌ
कुछ दिल
yawma-idhin
يَوْمَئِذٍ
उस दिन
wājifatun
وَاجِفَةٌ
धड़कने वाले होंगे
कितने ही दिल उस दिन काँप रहे होंगे, ([७९] अन-नाज़िआ़त: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

اَبْصَارُهَا خَاشِعَةٌ ۘ ٩

abṣāruhā
أَبْصَٰرُهَا
निगाहें उनकी
khāshiʿatun
خَٰشِعَةٌ
झुकी होंगी
उनकी निगाहें झुकी होंगी ([७९] अन-नाज़िआ़त: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

يَقُوْلُوْنَ ءَاِنَّا لَمَرْدُوْدُوْنَ فِى الْحَافِرَةِۗ ١٠

yaqūlūna
يَقُولُونَ
वो कहते हैं
a-innā
أَءِنَّا
क्या बेशक हम
lamardūdūna
لَمَرْدُودُونَ
अलबत्ता फेरे जाने वाले हैं
فِى
पहली हालत में
l-ḥāfirati
ٱلْحَافِرَةِ
पहली हालत में
वे कहते है, 'क्या वास्तव में हम पहली हालत में फिर लौटाए जाएँगे? ([७९] अन-नाज़िआ़त: 10)
Tafseer (तफ़सीर )