२१
اِنَّ جَهَنَّمَ كَانَتْ مِرْصَادًاۙ ٢١
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- jahannama
- جَهَنَّمَ
- जहन्नम
- kānat
- كَانَتْ
- है
- mir'ṣādan
- مِرْصَادًا
- एक घात
वास्तव में जहन्नम एक घात-स्थल है; ([७८] अल-नबा: 21)Tafseer (तफ़सीर )
२२
لِّلطّٰغِيْنَ مَاٰبًاۙ ٢٢
- lilṭṭāghīna
- لِّلطَّٰغِينَ
- सरकशों के लिए
- maāban
- مَـَٔابًا
- ठिकाना
सरकशों का ठिकाना है ([७८] अल-नबा: 22)Tafseer (तफ़सीर )
२३
لّٰبِثِيْنَ فِيْهَآ اَحْقَابًاۚ ٢٣
- lābithīna
- لَّٰبِثِينَ
- हमेशा रहने वाले हैं
- fīhā
- فِيهَآ
- उसमें
- aḥqāban
- أَحْقَابًا
- मुद्दतों
वस्तुस्थिति यह है कि वे उसमें मुद्दत पर मुद्दत बिताते रहेंगे ([७८] अल-नबा: 23)Tafseer (तफ़सीर )
२४
لَا يَذُوْقُوْنَ فِيْهَا بَرْدًا وَّلَا شَرَابًاۙ ٢٤
- lā
- لَّا
- ना वो चखेंगे
- yadhūqūna
- يَذُوقُونَ
- ना वो चखेंगे
- fīhā
- فِيهَا
- उसमें
- bardan
- بَرْدًا
- कोई ठंडक
- walā
- وَلَا
- और ना
- sharāban
- شَرَابًا
- कोई पीने की चीज़
वे उसमे न किसी शीतलता का मज़ा चखेगे और न किसी पेय का, ([७८] अल-नबा: 24)Tafseer (तफ़सीर )
२५
اِلَّا حَمِيْمًا وَّغَسَّاقًاۙ ٢٥
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ḥamīman
- حَمِيمًا
- खौलता पानी
- waghassāqan
- وَغَسَّاقًا
- और बहती पीप
सिवाय खौलते पानी और बहती पीप-रक्त के ([७८] अल-नबा: 25)Tafseer (तफ़सीर )
२६
جَزَاۤءً وِّفَاقًاۗ ٢٦
- jazāan
- جَزَآءً
- बदला है
- wifāqan
- وِفَاقًا
- पूरा-पूरा
यह बदले के रूप में उनके कर्मों के ठीक अनुकूल होगा ([७८] अल-नबा: 26)Tafseer (तफ़सीर )
२७
اِنَّهُمْ كَانُوْا لَا يَرْجُوْنَ حِسَابًاۙ ٢٧
- innahum
- إِنَّهُمْ
- बेशक वो
- kānū
- كَانُوا۟
- थे वो
- lā
- لَا
- ना वो उम्मीद रखते
- yarjūna
- يَرْجُونَ
- ना वो उम्मीद रखते
- ḥisāban
- حِسَابًا
- हिसाब की
वास्तव में किसी हिसाब की आशा न रखते थे, ([७८] अल-नबा: 27)Tafseer (तफ़सीर )
२८
وَّكَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَا كِذَّابًاۗ ٢٨
- wakadhabū
- وَكَذَّبُوا۟
- और उन्होंने झुठलाया
- biāyātinā
- بِـَٔايَٰتِنَا
- हमारी आयात को
- kidhāban
- كِذَّابًا
- बहुत झुठलाना
और उन्होंने हमारी आयतों को ख़ूब झुठलाया, ([७८] अल-नबा: 28)Tafseer (तफ़सीर )
२९
وَكُلَّ شَيْءٍ اَحْصَيْنٰهُ كِتٰبًاۙ ٢٩
- wakulla
- وَكُلَّ
- और हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ को
- aḥṣaynāhu
- أَحْصَيْنَٰهُ
- शुमार कर रखा है हमने उसे
- kitāban
- كِتَٰبًا
- एक किताब मे
और हमने हर चीज़ लिखकर गिन रखी है ([७८] अल-नबा: 29)Tafseer (तफ़सीर )
३०
فَذُوْقُوْا فَلَنْ نَّزِيْدَكُمْ اِلَّا عَذَابًا ࣖ ٣٠
- fadhūqū
- فَذُوقُوا۟
- पस चखो
- falan
- فَلَن
- पस हरगिज़ ना
- nazīdakum
- نَّزِيدَكُمْ
- हम ज़्यादा देंगे तुम्हें
- illā
- إِلَّا
- मगर
- ʿadhāban
- عَذَابًا
- अज़ाब
'अब चखो मज़ा कि यातना के अतिरिक्त हम तुम्हारे लिए किसी और चीज़ में बढ़ोत्तरी नहीं करेंगे। ' ([७८] अल-नबा: 30)Tafseer (तफ़सीर )