Skip to content

सूरा अल-नबा - Page: 3

An-Naba

(The Tidings, The Announcement)

२१

اِنَّ جَهَنَّمَ كَانَتْ مِرْصَادًاۙ ٢١

inna
إِنَّ
बेशक
jahannama
جَهَنَّمَ
जहन्नम
kānat
كَانَتْ
है
mir'ṣādan
مِرْصَادًا
एक घात
वास्तव में जहन्नम एक घात-स्थल है; ([७८] अल-नबा: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

لِّلطّٰغِيْنَ مَاٰبًاۙ ٢٢

lilṭṭāghīna
لِّلطَّٰغِينَ
सरकशों के लिए
maāban
مَـَٔابًا
ठिकाना
सरकशों का ठिकाना है ([७८] अल-नबा: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

لّٰبِثِيْنَ فِيْهَآ اَحْقَابًاۚ ٢٣

lābithīna
لَّٰبِثِينَ
हमेशा रहने वाले हैं
fīhā
فِيهَآ
उसमें
aḥqāban
أَحْقَابًا
मुद्दतों
वस्तुस्थिति यह है कि वे उसमें मुद्दत पर मुद्दत बिताते रहेंगे ([७८] अल-नबा: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

لَا يَذُوْقُوْنَ فِيْهَا بَرْدًا وَّلَا شَرَابًاۙ ٢٤

لَّا
ना वो चखेंगे
yadhūqūna
يَذُوقُونَ
ना वो चखेंगे
fīhā
فِيهَا
उसमें
bardan
بَرْدًا
कोई ठंडक
walā
وَلَا
और ना
sharāban
شَرَابًا
कोई पीने की चीज़
वे उसमे न किसी शीतलता का मज़ा चखेगे और न किसी पेय का, ([७८] अल-नबा: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

اِلَّا حَمِيْمًا وَّغَسَّاقًاۙ ٢٥

illā
إِلَّا
मगर
ḥamīman
حَمِيمًا
खौलता पानी
waghassāqan
وَغَسَّاقًا
और बहती पीप
सिवाय खौलते पानी और बहती पीप-रक्त के ([७८] अल-नबा: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

جَزَاۤءً وِّفَاقًاۗ ٢٦

jazāan
جَزَآءً
बदला है
wifāqan
وِفَاقًا
पूरा-पूरा
यह बदले के रूप में उनके कर्मों के ठीक अनुकूल होगा ([७८] अल-नबा: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

اِنَّهُمْ كَانُوْا لَا يَرْجُوْنَ حِسَابًاۙ ٢٧

innahum
إِنَّهُمْ
बेशक वो
kānū
كَانُوا۟
थे वो
لَا
ना वो उम्मीद रखते
yarjūna
يَرْجُونَ
ना वो उम्मीद रखते
ḥisāban
حِسَابًا
हिसाब की
वास्तव में किसी हिसाब की आशा न रखते थे, ([७८] अल-नबा: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

وَّكَذَّبُوْا بِاٰيٰتِنَا كِذَّابًاۗ ٢٨

wakadhabū
وَكَذَّبُوا۟
और उन्होंने झुठलाया
biāyātinā
بِـَٔايَٰتِنَا
हमारी आयात को
kidhāban
كِذَّابًا
बहुत झुठलाना
और उन्होंने हमारी आयतों को ख़ूब झुठलाया, ([७८] अल-नबा: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

وَكُلَّ شَيْءٍ اَحْصَيْنٰهُ كِتٰبًاۙ ٢٩

wakulla
وَكُلَّ
और हर
shayin
شَىْءٍ
चीज़ को
aḥṣaynāhu
أَحْصَيْنَٰهُ
शुमार कर रखा है हमने उसे
kitāban
كِتَٰبًا
एक किताब मे
और हमने हर चीज़ लिखकर गिन रखी है ([७८] अल-नबा: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

فَذُوْقُوْا فَلَنْ نَّزِيْدَكُمْ اِلَّا عَذَابًا ࣖ ٣٠

fadhūqū
فَذُوقُوا۟
पस चखो
falan
فَلَن
पस हरगिज़ ना
nazīdakum
نَّزِيدَكُمْ
हम ज़्यादा देंगे तुम्हें
illā
إِلَّا
मगर
ʿadhāban
عَذَابًا
अज़ाब
'अब चखो मज़ा कि यातना के अतिरिक्त हम तुम्हारे लिए किसी और चीज़ में बढ़ोत्तरी नहीं करेंगे। ' ([७८] अल-नबा: 30)
Tafseer (तफ़सीर )