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सूरा अल-नबा - Page: 2

An-Naba

(The Tidings, The Announcement)

११

وَّجَعَلْنَا النَّهَارَ مَعَاشًاۚ ١١

wajaʿalnā
وَجَعَلْنَا
और बनाया हमने
l-nahāra
ٱلنَّهَارَ
दिन को
maʿāshan
مَعَاشًا
मआश का वक़्त
और दिन को जीवन-वृति के लिए बनाया ([७८] अल-नबा: 11)
Tafseer (तफ़सीर )
१२

وَبَنَيْنَا فَوْقَكُمْ سَبْعًا شِدَادًاۙ ١٢

wabanaynā
وَبَنَيْنَا
और बनाए हमने
fawqakum
فَوْقَكُمْ
ऊपर तुम्हारे
sabʿan
سَبْعًا
सात
shidādan
شِدَادًا
मज़बूत (आसमान)
और तुम्हारे ऊपर सात सुदृढ़ आकाश निर्मित किए, ([७८] अल-नबा: 12)
Tafseer (तफ़सीर )
१३

وَّجَعَلْنَا سِرَاجًا وَّهَّاجًاۖ ١٣

wajaʿalnā
وَجَعَلْنَا
और बनाया हमने
sirājan
سِرَاجًا
एक चिराग़
wahhājan
وَهَّاجًا
ख़ूब रौशन
और एक तप्त और प्रकाशमान प्रदीप बनाया, ([७८] अल-नबा: 13)
Tafseer (तफ़सीर )
१४

وَّاَنْزَلْنَا مِنَ الْمُعْصِرٰتِ مَاۤءً ثَجَّاجًاۙ ١٤

wa-anzalnā
وَأَنزَلْنَا
और उतारा हमने
mina
مِنَ
बदलियों से
l-muʿ'ṣirāti
ٱلْمُعْصِرَٰتِ
बदलियों से
māan
مَآءً
पानी
thajjājan
ثَجَّاجًا
ख़ूब बरसने
और बरस पड़नेवाली घटाओं से हमने मूसलाधार पानी उतारा, ([७८] अल-नबा: 14)
Tafseer (तफ़सीर )
१५

لِّنُخْرِجَ بِهٖ حَبًّا وَّنَبَاتًاۙ ١٥

linukh'rija
لِّنُخْرِجَ
ताकि हम निकालें
bihi
بِهِۦ
उससे
ḥabban
حَبًّا
ग़ल्ला
wanabātan
وَنَبَاتًا
और नबातात
ताकि हम उसके द्वारा अनाज और वनस्पति उत्पादित करें ([७८] अल-नबा: 15)
Tafseer (तफ़सीर )
१६

وَّجَنّٰتٍ اَلْفَافًاۗ ١٦

wajannātin
وَجَنَّٰتٍ
और बाग़ात
alfāfan
أَلْفَافًا
घने
और सघन बांग़ भी। ([७८] अल-नबा: 16)
Tafseer (तफ़सीर )
१७

اِنَّ يَوْمَ الْفَصْلِ كَانَ مِيْقَاتًاۙ ١٧

inna
إِنَّ
बेशक
yawma
يَوْمَ
दिन
l-faṣli
ٱلْفَصْلِ
फ़ैसले का
kāna
كَانَ
है
mīqātan
مِيقَٰتًا
एक मुक़र्रर वक़्त
निस्संदेह फ़ैसले का दिन एक नियत समय है, ([७८] अल-नबा: 17)
Tafseer (तफ़सीर )
१८

يَّوْمَ يُنْفَخُ فِى الصُّوْرِ فَتَأْتُوْنَ اَفْوَاجًاۙ ١٨

yawma
يَوْمَ
जिस दिन
yunfakhu
يُنفَخُ
फूँक दिया जाएगा
فِى
सूर में
l-ṣūri
ٱلصُّورِ
सूर में
fatatūna
فَتَأْتُونَ
तो तुम आओगे
afwājan
أَفْوَاجًا
फ़ौज दर फ़ौज
जिस दिन नरसिंघा में फूँक मारी जाएगी, तो तुम गिरोह को गिरोह चले आओगे। ([७८] अल-नबा: 18)
Tafseer (तफ़सीर )
१९

وَّفُتِحَتِ السَّمَاۤءُ فَكَانَتْ اَبْوَابًاۙ ١٩

wafutiḥati
وَفُتِحَتِ
और खोल दिया जाएगा
l-samāu
ٱلسَّمَآءُ
आसमान
fakānat
فَكَانَتْ
तो वो हो जाएगा
abwāban
أَبْوَٰبًا
दरवाज़े-दरवाज़े
और आकाश खोल दिया जाएगा तो द्वार ही द्वार हो जाएँगे; ([७८] अल-नबा: 19)
Tafseer (तफ़सीर )
२०

وَّسُيِّرَتِ الْجِبَالُ فَكَانَتْ سَرَابًاۗ ٢٠

wasuyyirati
وَسُيِّرَتِ
और चला दिए जाऐंगे
l-jibālu
ٱلْجِبَالُ
पहाड़
fakānat
فَكَانَتْ
तो वो हो जाऐंगे
sarāban
سَرَابًا
सराब
और पहाड़ चलाए जाएँगे, तो वे बिल्कुल मरीचिका होकर रह जाएँगे ([७८] अल-नबा: 20)
Tafseer (तफ़सीर )