४१
اِنَّ الْمُتَّقِيْنَ فِيْ ظِلٰلٍ وَّعُيُوْنٍۙ ٤١
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-mutaqīna
- ٱلْمُتَّقِينَ
- मुत्तक़ी लोग
- fī
- فِى
- सायों में होंगे
- ẓilālin
- ظِلَٰلٍ
- सायों में होंगे
- waʿuyūnin
- وَعُيُونٍ
- और चश्मों में होंगे
निस्संदेह डर रखनेवाले छाँवों और स्रोतों में है, ([७७] अल-मुर्सलत: 41)Tafseer (तफ़सीर )
४२
وَّفَوَاكِهَ مِمَّا يَشْتَهُوْنَۗ ٤٢
- wafawākiha
- وَفَوَٰكِهَ
- और फल
- mimmā
- مِمَّا
- उसमें से जो
- yashtahūna
- يَشْتَهُونَ
- वो ख़्वाहिश करेंगे
और उन फलों के बीच जो वे चाहे ([७७] अल-मुर्सलत: 42)Tafseer (तफ़सीर )
४३
كُلُوْا وَاشْرَبُوْا هَنِيْۤـًٔا ۢبِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ٤٣
- kulū
- كُلُوا۟
- खाओ
- wa-ish'rabū
- وَٱشْرَبُوا۟
- और पियो
- hanīan
- هَنِيٓـًٔۢا
- मज़े से
- bimā
- بِمَا
- बवजह उसके जो
- kuntum
- كُنتُمْ
- थे तुम
- taʿmalūna
- تَعْمَلُونَ
- तुम अमल करते
'खाओ-पियो मज़े से, उस कर्मों के बदले में जो तुम करते रहे हो।' ([७७] अल-मुर्सलत: 43)Tafseer (तफ़सीर )
४४
اِنَّا كَذٰلِكَ نَجْزِى الْمُحْسِنِيْنَ ٤٤
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- kadhālika
- كَذَٰلِكَ
- इसी तरह
- najzī
- نَجْزِى
- हम बदला देते हैं
- l-muḥ'sinīna
- ٱلْمُحْسِنِينَ
- नेकोकारों को
निश्चय ही उत्तमकारों को हम ऐसा ही बदला देते है ([७७] अल-मुर्सलत: 44)Tafseer (तफ़सीर )
४५
وَيْلٌ يَّوْمَىِٕذٍ لِّلْمُكَذِّبِيْنَ ٤٥
- waylun
- وَيْلٌ
- हलाकत है
- yawma-idhin
- يَوْمَئِذٍ
- उस दिन
- lil'mukadhibīna
- لِّلْمُكَذِّبِينَ
- झुठलाने वालों के लिए
तबाही है उस दिन झुठलानेवालों की! ([७७] अल-मुर्सलत: 45)Tafseer (तफ़सीर )
४६
كُلُوْا وَتَمَتَّعُوْا قَلِيْلًا اِنَّكُمْ مُّجْرِمُوْنَ ٤٦
- kulū
- كُلُوا۟
- खाओ
- watamattaʿū
- وَتَمَتَّعُوا۟
- और फ़ायदा उठा लो
- qalīlan
- قَلِيلًا
- थोड़ा सा
- innakum
- إِنَّكُم
- बेशक तुम
- muj'rimūna
- مُّجْرِمُونَ
- मुजरिम हो
'खा लो और मज़े कर लो थोड़ा-सा, वास्तव में तुम अपराधी हो!' ([७७] अल-मुर्सलत: 46)Tafseer (तफ़सीर )
४७
وَيْلٌ يَّوْمَىِٕذٍ لِّلْمُكَذِّبِيْنَ ٤٧
- waylun
- وَيْلٌ
- हलाकत है
- yawma-idhin
- يَوْمَئِذٍ
- उस दिन
- lil'mukadhibīna
- لِّلْمُكَذِّبِينَ
- झुठलाने वालों के लिए
तबाही है उस दिन झुठलानेवालों की! ([७७] अल-मुर्सलत: 47)Tafseer (तफ़सीर )
४८
وَاِذَا قِيْلَ لَهُمُ ارْكَعُوْا لَا يَرْكَعُوْنَ ٤٨
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- qīla
- قِيلَ
- कहा जाता है
- lahumu
- لَهُمُ
- उनसे
- ir'kaʿū
- ٱرْكَعُوا۟
- रुकूअ करो
- lā
- لَا
- नहीं वो रुकूअ करते
- yarkaʿūna
- يَرْكَعُونَ
- नहीं वो रुकूअ करते
जब उनसे कहा जाता है कि 'झुको! तो नहीं झुकते।' ([७७] अल-मुर्सलत: 48)Tafseer (तफ़सीर )
४९
وَيْلٌ يَّوْمَىِٕذٍ لِّلْمُكَذِّبِيْنَ ٤٩
- waylun
- وَيْلٌ
- हलाकत है
- yawma-idhin
- يَوْمَئِذٍ
- उस रोज़
- lil'mukadhibīna
- لِّلْمُكَذِّبِينَ
- झुठलाने वालों के लिए
तबाही है उस दिन झुठलानेवालों की! ([७७] अल-मुर्सलत: 49)Tafseer (तफ़सीर )
५०
فَبِاَيِّ حَدِيْثٍۢ بَعْدَهٗ يُؤْمِنُوْنَ ࣖ ۔ ٥٠
- fabi-ayyi
- فَبِأَىِّ
- तो साथ किस
- ḥadīthin
- حَدِيثٍۭ
- बात के
- baʿdahu
- بَعْدَهُۥ
- बाद इसके
- yu'minūna
- يُؤْمِنُونَ
- वो ईमान लाऐंगे
अब आख़िर इसके पश्चात किस वाणी पर वे ईमान लाएँगे? ([७७] अल-मुर्सलत: 50)Tafseer (तफ़सीर )