३१
لَا ظَلِيْلٍ وَّلَا يُغْنِيْ مِنَ اللَّهَبِۗ ٣١
- lā
- لَّا
- ना साया देने वाला होगा
- ẓalīlin
- ظَلِيلٍ
- ना साया देने वाला होगा
- walā
- وَلَا
- और ना
- yugh'nī
- يُغْنِى
- वो बचाएगा
- mina
- مِنَ
- शोले से
- l-lahabi
- ٱللَّهَبِ
- शोले से
जिसमें न छाँव है और न वह अग्नि-ज्वाला से बचा सकती है ([७७] अल-मुर्सलत: 31)Tafseer (तफ़सीर )
३२
اِنَّهَا تَرْمِيْ بِشَرَرٍ كَالْقَصْرِۚ ٣٢
- innahā
- إِنَّهَا
- बेशक वो
- tarmī
- تَرْمِى
- वो फेंकेगी
- bishararin
- بِشَرَرٍ
- चिंगारियाँ
- kal-qaṣri
- كَٱلْقَصْرِ
- महल जैसी
निस्संदेह वे (ज्वालाएँ) महल जैसी (ऊँची) चिंगारियाँ फेंकती है ([७७] अल-मुर्सलत: 32)Tafseer (तफ़सीर )
३३
كَاَنَّهٗ جِمٰلَتٌ صُفْرٌۗ ٣٣
- ka-annahu
- كَأَنَّهُۥ
- गोया कि वो
- jimālatun
- جِمَٰلَتٌ
- ऊँट हैं
- ṣuf'run
- صُفْرٌ
- ज़र्द रंग के
मानो वे पीले ऊँट हैं! ([७७] अल-मुर्सलत: 33)Tafseer (तफ़सीर )
३४
وَيْلٌ يَّوْمَىِٕذٍ لِّلْمُكَذِّبِيْنَ ٣٤
- waylun
- وَيْلٌ
- हलाकत है
- yawma-idhin
- يَوْمَئِذٍ
- उस दिन
- lil'mukadhibīna
- لِّلْمُكَذِّبِينَ
- झुठलाने वालों के लिए
तबाही है उस झुठलानेवालों की! ([७७] अल-मुर्सलत: 34)Tafseer (तफ़सीर )
३५
هٰذَا يَوْمُ لَا يَنْطِقُوْنَۙ ٣٥
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- yawmu
- يَوْمُ
- दिन है
- lā
- لَا
- ना वो बोल सकेंगे
- yanṭiqūna
- يَنطِقُونَ
- ना वो बोल सकेंगे
यह वह दिन है कि वे कुछ बोल नहीं रहे है, ([७७] अल-मुर्सलत: 35)Tafseer (तफ़सीर )
३६
وَلَا يُؤْذَنُ لَهُمْ فَيَعْتَذِرُوْنَ ٣٦
- walā
- وَلَا
- और ना
- yu'dhanu
- يُؤْذَنُ
- इजाज़त दी जाएगी
- lahum
- لَهُمْ
- उन्हें
- fayaʿtadhirūna
- فَيَعْتَذِرُونَ
- कि वो मआज़रत करें
तो कोई उज़ पेश करें, (बात यह है कि) उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी जा रही है ([७७] अल-मुर्सलत: 36)Tafseer (तफ़सीर )
३७
وَيْلٌ يَّوْمَىِٕذٍ لِّلْمُكَذِّبِيْنَ ٣٧
- waylun
- وَيْلٌ
- हलाकत है
- yawma-idhin
- يَوْمَئِذٍ
- उस दिन
- lil'mukadhibīna
- لِّلْمُكَذِّبِينَ
- झुठलाने वालों के लिए
तबाही है उस दिन झुठलानेवालों की ([७७] अल-मुर्सलत: 37)Tafseer (तफ़सीर )
३८
هٰذَا يَوْمُ الْفَصْلِ جَمَعْنٰكُمْ وَالْاَوَّلِيْنَ ٣٨
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- yawmu
- يَوْمُ
- दिन है
- l-faṣli
- ٱلْفَصْلِۖ
- फ़ैसले का
- jamaʿnākum
- جَمَعْنَٰكُمْ
- जमा कर दिया हमने तुम्हें
- wal-awalīna
- وَٱلْأَوَّلِينَ
- और पहलों को
'यह फ़ैसले का दिन है, हमने तुम्हें भी और पहलों को भी इकट्ठा कर दिया ([७७] अल-मुर्सलत: 38)Tafseer (तफ़सीर )
३९
فَاِنْ كَانَ لَكُمْ كَيْدٌ فَكِيْدُوْنِ ٣٩
- fa-in
- فَإِن
- फिर अगर
- kāna
- كَانَ
- है
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- kaydun
- كَيْدٌ
- कोई चाल
- fakīdūni
- فَكِيدُونِ
- पस चाल चलो मुझ से
'अब यदि तुम्हारे पास कोई चाल है तो मेरे विरुद्ध चलो।' ([७७] अल-मुर्सलत: 39)Tafseer (तफ़सीर )
४०
وَيْلٌ يَّوْمَىِٕذٍ لِّلْمُكَذِّبِيْنَ ࣖ ٤٠
- waylun
- وَيْلٌ
- हलाकत है
- yawma-idhin
- يَوْمَئِذٍ
- उस दिन
- lil'mukadhibīna
- لِّلْمُكَذِّبِينَ
- झुठलाने वालों के लिए
तबाही है उस दिन झुठलानेवालो की! ([७७] अल-मुर्सलत: 40)Tafseer (तफ़सीर )