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सूरा अल-इन्सान - Page: 4

Al-Insan

(आदमी, मानव)

३१

يُّدْخِلُ مَنْ يَّشَاۤءُ فِيْ رَحْمَتِهٖۗ وَالظّٰلِمِيْنَ اَعَدَّ لَهُمْ عَذَابًا اَلِيْمًا ࣖ ٣١

yud'khilu
يُدْخِلُ
वो दाख़िल करता है
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
فِى
अपनी रहमत में
raḥmatihi
رَحْمَتِهِۦۚ
अपनी रहमत में
wal-ẓālimīna
وَٱلظَّٰلِمِينَ
और ज़ालिम लोग
aʿadda
أَعَدَّ
उसने तैयार कर रखा है
lahum
لَهُمْ
उनके लिए
ʿadhāban
عَذَابًا
अज़ाब
alīman
أَلِيمًۢا
दर्दनाक
वह जिसे चाहता है अपनी दयालुता में दाख़िल करता है। रहे ज़ालिम, तो उनके लिए उसने दुखद यातना तैयार कर रखी है ([७६] अल-इन्सान: 31)
Tafseer (तफ़सीर )