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सूरा अल-इन्सान - Page: 3

Al-Insan

(आदमी, मानव)

२१

عٰلِيَهُمْ ثِيَابُ سُنْدُسٍ خُضْرٌ وَّاِسْتَبْرَقٌۖ وَّحُلُّوْٓا اَسَاوِرَ مِنْ فِضَّةٍۚ وَسَقٰىهُمْ رَبُّهُمْ شَرَابًا طَهُوْرًا ٢١

ʿāliyahum
عَٰلِيَهُمْ
उन पर
thiyābu
ثِيَابُ
कपड़े होंगे
sundusin
سُندُسٍ
बारीक रेशम के
khuḍ'run
خُضْرٌ
सब्ज़
wa-is'tabraqun
وَإِسْتَبْرَقٌۖ
और मोटे रेशम के
waḥullū
وَحُلُّوٓا۟
और वो पहनाए जाऐंगे
asāwira
أَسَاوِرَ
कंगन
min
مِن
चाँदी के
fiḍḍatin
فِضَّةٍ
चाँदी के
wasaqāhum
وَسَقَىٰهُمْ
और पिलाएगा उन्हें
rabbuhum
رَبُّهُمْ
रब उनका
sharāban
شَرَابًا
शराब
ṭahūran
طَهُورًا
पाकीज़ा
उनके ऊपर हरे बारीक हरे बारीक रेशमी वस्त्र और गाढ़े रेशमी कपड़े होंगे, और उन्हें चाँदी के कंगन पहनाए जाएँगे और उनका रब उन्हें पवित्र पेय पिलाएगा ([७६] अल-इन्सान: 21)
Tafseer (तफ़सीर )
२२

اِنَّ هٰذَا كَانَ لَكُمْ جَزَاۤءً وَّكَانَ سَعْيُكُمْ مَّشْكُوْرًا ࣖ ٢٢

inna
إِنَّ
बेशक
hādhā
هَٰذَا
ये
kāna
كَانَ
है
lakum
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
jazāan
جَزَآءً
बदला
wakāna
وَكَانَ
और है
saʿyukum
سَعْيُكُم
कोशिश तुम्हारी
mashkūran
مَّشْكُورًا
क़ाबिले क़दर
'यह है तुम्हारा बदला और तुम्हारा प्रयास क़द्र करने के योग्य है।' ([७६] अल-इन्सान: 22)
Tafseer (तफ़सीर )
२३

اِنَّا نَحْنُ نَزَّلْنَا عَلَيْكَ الْقُرْاٰنَ تَنْزِيْلًاۚ ٢٣

innā
إِنَّا
बेशक हम
naḥnu
نَحْنُ
हमने ही
nazzalnā
نَزَّلْنَا
नाज़िल किया हमने
ʿalayka
عَلَيْكَ
आप पर
l-qur'āna
ٱلْقُرْءَانَ
क़ुरआन
tanzīlan
تَنزِيلًا
आहिस्ता-आहिस्ता नाज़िल करना
निश्चय ही हमने अत्यन्त व्यवस्थित ढंग से तुमपर क़ुरआन अवतरित किया है; ([७६] अल-इन्सान: 23)
Tafseer (तफ़सीर )
२४

فَاصْبِرْ لِحُكْمِ رَبِّكَ وَلَا تُطِعْ مِنْهُمْ اٰثِمًا اَوْ كَفُوْرًاۚ ٢٤

fa-iṣ'bir
فَٱصْبِرْ
पस सब्र कीजिए
liḥuk'mi
لِحُكْمِ
हुक्म के लिए
rabbika
رَبِّكَ
अपने रब के
walā
وَلَا
और ना
tuṭiʿ
تُطِعْ
आप इताअत कीजिए
min'hum
مِنْهُمْ
उनमें से
āthiman
ءَاثِمًا
किसी गुनाहगार की
aw
أَوْ
या
kafūran
كَفُورًا
बहुत नाशुक्रे की
अतः अपने रब के हुक्म और फ़ैसले के लिए धैर्य से काम लो और उनमें से किसी पापी या कृतघ्न का आज्ञापालन न करना ([७६] अल-इन्सान: 24)
Tafseer (तफ़सीर )
२५

وَاذْكُرِ اسْمَ رَبِّكَ بُكْرَةً وَّاَصِيْلًاۚ ٢٥

wa-udh'kuri
وَٱذْكُرِ
और याद कीजिए
is'ma
ٱسْمَ
नाम
rabbika
رَبِّكَ
अपने रब का
buk'ratan
بُكْرَةً
सुबह
wa-aṣīlan
وَأَصِيلًا
और शाम
और प्रातःकाल और संध्या समय अपने रब के नाम का स्मरण करो ([७६] अल-इन्सान: 25)
Tafseer (तफ़सीर )
२६

وَمِنَ الَّيْلِ فَاسْجُدْ لَهٗ وَسَبِّحْهُ لَيْلًا طَوِيْلًا ٢٦

wamina
وَمِنَ
और रात के कुछ हिस्से में
al-layli
ٱلَّيْلِ
और रात के कुछ हिस्से में
fa-us'jud
فَٱسْجُدْ
पस सजदा कीजिए
lahu
لَهُۥ
उसके लिए
wasabbiḥ'hu
وَسَبِّحْهُ
और तस्बीह कीजिए उसकी
laylan
لَيْلًا
रात में
ṭawīlan
طَوِيلًا
लम्बी
और रात के कुछ हिस्से में भी उसे सजदा करो, लम्बी-लम्बी रात तक उसकी तसबीह करते रहो ([७६] अल-इन्सान: 26)
Tafseer (तफ़सीर )
२७

اِنَّ هٰٓؤُلَاۤءِ يُحِبُّوْنَ الْعَاجِلَةَ وَيَذَرُوْنَ وَرَاۤءَهُمْ يَوْمًا ثَقِيْلًا ٢٧

inna
إِنَّ
बेशक
hāulāi
هَٰٓؤُلَآءِ
ये लोग
yuḥibbūna
يُحِبُّونَ
मुहब्बत रखते हैं
l-ʿājilata
ٱلْعَاجِلَةَ
जल्द मिलने वाली (दुनिया) से
wayadharūna
وَيَذَرُونَ
और वो छोड़ देते हैं
warāahum
وَرَآءَهُمْ
पीछे अपने
yawman
يَوْمًا
एक दिन
thaqīlan
ثَقِيلًا
बहुत भारी
निस्संदेह ये लोग शीघ्र प्राप्त होनेवाली चीज़ (संसार) से प्रेम रखते है और एक भारी दिन को अपने परे छोड़ रह है ([७६] अल-इन्सान: 27)
Tafseer (तफ़सीर )
२८

نَحْنُ خَلَقْنٰهُمْ وَشَدَدْنَآ اَسْرَهُمْۚ وَاِذَا شِئْنَا بَدَّلْنَآ اَمْثَالَهُمْ تَبْدِيْلًا ٢٨

naḥnu
نَّحْنُ
हम ही ने
khalaqnāhum
خَلَقْنَٰهُمْ
पैदा किया हमने उन्हें
washadadnā
وَشَدَدْنَآ
और मज़बूत किए हमने
asrahum
أَسْرَهُمْۖ
जोड़ उनके
wa-idhā
وَإِذَا
और जब
shi'nā
شِئْنَا
चाहें हम
baddalnā
بَدَّلْنَآ
बदल दें हम
amthālahum
أَمْثَٰلَهُمْ
उन जैसों को
tabdīlan
تَبْدِيلًا
बदल देना
हमने उन्हें पैदा किया और उनके जोड़-बन्द मज़बूत किेए और हम जब चाहे उन जैसों को पूर्णतः बदल दें ([७६] अल-इन्सान: 28)
Tafseer (तफ़सीर )
२९

اِنَّ هٰذِهٖ تَذْكِرَةٌ ۚ فَمَنْ شَاۤءَ اتَّخَذَ اِلٰى رَبِّهٖ سَبِيْلًا ٢٩

inna
إِنَّ
बेशक
hādhihi
هَٰذِهِۦ
ये
tadhkiratun
تَذْكِرَةٌۖ
एक याद देहानी है
faman
فَمَن
तो जो कोई
shāa
شَآءَ
चाहे
ittakhadha
ٱتَّخَذَ
वो बना ले
ilā
إِلَىٰ
तरफ़ अपने रब के
rabbihi
رَبِّهِۦ
तरफ़ अपने रब के
sabīlan
سَبِيلًا
रास्ता
निश्चय ही यह एक अनुस्मृति है, अब जो चाहे अपने रब की ओर मार्ग ग्रहण कर ले ([७६] अल-इन्सान: 29)
Tafseer (तफ़सीर )
३०

وَمَا تَشَاۤءُوْنَ اِلَّآ اَنْ يَّشَاۤءَ اللّٰهُ ۗاِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَلِيْمًا حَكِيْمًاۖ ٣٠

wamā
وَمَا
और नहीं
tashāūna
تَشَآءُونَ
तुम चाहते
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
ये कि
yashāa
يَشَآءَ
चाहे
l-lahu
ٱللَّهُۚ
अल्लाह
inna
إِنَّ
बेशक
l-laha
ٱللَّهَ
अल्लाह
kāna
كَانَ
है वो
ʿalīman
عَلِيمًا
बहुत इल्म वाला
ḥakīman
حَكِيمًا
ख़ूब हिकमत वाला
और तुम नहीं चाह सकते सिवाय इसके कि अल्लाह चाहे। निस्संदेह अल्लाह सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है ([७६] अल-इन्सान: 30)
Tafseer (तफ़सीर )