عٰلِيَهُمْ ثِيَابُ سُنْدُسٍ خُضْرٌ وَّاِسْتَبْرَقٌۖ وَّحُلُّوْٓا اَسَاوِرَ مِنْ فِضَّةٍۚ وَسَقٰىهُمْ رَبُّهُمْ شَرَابًا طَهُوْرًا ٢١
- ʿāliyahum
- عَٰلِيَهُمْ
- उन पर
- thiyābu
- ثِيَابُ
- कपड़े होंगे
- sundusin
- سُندُسٍ
- बारीक रेशम के
- khuḍ'run
- خُضْرٌ
- सब्ज़
- wa-is'tabraqun
- وَإِسْتَبْرَقٌۖ
- और मोटे रेशम के
- waḥullū
- وَحُلُّوٓا۟
- और वो पहनाए जाऐंगे
- asāwira
- أَسَاوِرَ
- कंगन
- min
- مِن
- चाँदी के
- fiḍḍatin
- فِضَّةٍ
- चाँदी के
- wasaqāhum
- وَسَقَىٰهُمْ
- और पिलाएगा उन्हें
- rabbuhum
- رَبُّهُمْ
- रब उनका
- sharāban
- شَرَابًا
- शराब
- ṭahūran
- طَهُورًا
- पाकीज़ा
उनके ऊपर हरे बारीक हरे बारीक रेशमी वस्त्र और गाढ़े रेशमी कपड़े होंगे, और उन्हें चाँदी के कंगन पहनाए जाएँगे और उनका रब उन्हें पवित्र पेय पिलाएगा ([७६] अल-इन्सान: 21)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ هٰذَا كَانَ لَكُمْ جَزَاۤءً وَّكَانَ سَعْيُكُمْ مَّشْكُوْرًا ࣖ ٢٢
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- hādhā
- هَٰذَا
- ये
- kāna
- كَانَ
- है
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- jazāan
- جَزَآءً
- बदला
- wakāna
- وَكَانَ
- और है
- saʿyukum
- سَعْيُكُم
- कोशिश तुम्हारी
- mashkūran
- مَّشْكُورًا
- क़ाबिले क़दर
'यह है तुम्हारा बदला और तुम्हारा प्रयास क़द्र करने के योग्य है।' ([७६] अल-इन्सान: 22)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّا نَحْنُ نَزَّلْنَا عَلَيْكَ الْقُرْاٰنَ تَنْزِيْلًاۚ ٢٣
- innā
- إِنَّا
- बेशक हम
- naḥnu
- نَحْنُ
- हमने ही
- nazzalnā
- نَزَّلْنَا
- नाज़िल किया हमने
- ʿalayka
- عَلَيْكَ
- आप पर
- l-qur'āna
- ٱلْقُرْءَانَ
- क़ुरआन
- tanzīlan
- تَنزِيلًا
- आहिस्ता-आहिस्ता नाज़िल करना
निश्चय ही हमने अत्यन्त व्यवस्थित ढंग से तुमपर क़ुरआन अवतरित किया है; ([७६] अल-इन्सान: 23)Tafseer (तफ़सीर )
فَاصْبِرْ لِحُكْمِ رَبِّكَ وَلَا تُطِعْ مِنْهُمْ اٰثِمًا اَوْ كَفُوْرًاۚ ٢٤
- fa-iṣ'bir
- فَٱصْبِرْ
- पस सब्र कीजिए
- liḥuk'mi
- لِحُكْمِ
- हुक्म के लिए
- rabbika
- رَبِّكَ
- अपने रब के
- walā
- وَلَا
- और ना
- tuṭiʿ
- تُطِعْ
- आप इताअत कीजिए
- min'hum
- مِنْهُمْ
- उनमें से
- āthiman
- ءَاثِمًا
- किसी गुनाहगार की
- aw
- أَوْ
- या
- kafūran
- كَفُورًا
- बहुत नाशुक्रे की
अतः अपने रब के हुक्म और फ़ैसले के लिए धैर्य से काम लो और उनमें से किसी पापी या कृतघ्न का आज्ञापालन न करना ([७६] अल-इन्सान: 24)Tafseer (तफ़सीर )
وَاذْكُرِ اسْمَ رَبِّكَ بُكْرَةً وَّاَصِيْلًاۚ ٢٥
- wa-udh'kuri
- وَٱذْكُرِ
- और याद कीजिए
- is'ma
- ٱسْمَ
- नाम
- rabbika
- رَبِّكَ
- अपने रब का
- buk'ratan
- بُكْرَةً
- सुबह
- wa-aṣīlan
- وَأَصِيلًا
- और शाम
और प्रातःकाल और संध्या समय अपने रब के नाम का स्मरण करो ([७६] अल-इन्सान: 25)Tafseer (तफ़सीर )
وَمِنَ الَّيْلِ فَاسْجُدْ لَهٗ وَسَبِّحْهُ لَيْلًا طَوِيْلًا ٢٦
- wamina
- وَمِنَ
- और रात के कुछ हिस्से में
- al-layli
- ٱلَّيْلِ
- और रात के कुछ हिस्से में
- fa-us'jud
- فَٱسْجُدْ
- पस सजदा कीजिए
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- wasabbiḥ'hu
- وَسَبِّحْهُ
- और तस्बीह कीजिए उसकी
- laylan
- لَيْلًا
- रात में
- ṭawīlan
- طَوِيلًا
- लम्बी
और रात के कुछ हिस्से में भी उसे सजदा करो, लम्बी-लम्बी रात तक उसकी तसबीह करते रहो ([७६] अल-इन्सान: 26)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ هٰٓؤُلَاۤءِ يُحِبُّوْنَ الْعَاجِلَةَ وَيَذَرُوْنَ وَرَاۤءَهُمْ يَوْمًا ثَقِيْلًا ٢٧
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- hāulāi
- هَٰٓؤُلَآءِ
- ये लोग
- yuḥibbūna
- يُحِبُّونَ
- मुहब्बत रखते हैं
- l-ʿājilata
- ٱلْعَاجِلَةَ
- जल्द मिलने वाली (दुनिया) से
- wayadharūna
- وَيَذَرُونَ
- और वो छोड़ देते हैं
- warāahum
- وَرَآءَهُمْ
- पीछे अपने
- yawman
- يَوْمًا
- एक दिन
- thaqīlan
- ثَقِيلًا
- बहुत भारी
निस्संदेह ये लोग शीघ्र प्राप्त होनेवाली चीज़ (संसार) से प्रेम रखते है और एक भारी दिन को अपने परे छोड़ रह है ([७६] अल-इन्सान: 27)Tafseer (तफ़सीर )
نَحْنُ خَلَقْنٰهُمْ وَشَدَدْنَآ اَسْرَهُمْۚ وَاِذَا شِئْنَا بَدَّلْنَآ اَمْثَالَهُمْ تَبْدِيْلًا ٢٨
- naḥnu
- نَّحْنُ
- हम ही ने
- khalaqnāhum
- خَلَقْنَٰهُمْ
- पैदा किया हमने उन्हें
- washadadnā
- وَشَدَدْنَآ
- और मज़बूत किए हमने
- asrahum
- أَسْرَهُمْۖ
- जोड़ उनके
- wa-idhā
- وَإِذَا
- और जब
- shi'nā
- شِئْنَا
- चाहें हम
- baddalnā
- بَدَّلْنَآ
- बदल दें हम
- amthālahum
- أَمْثَٰلَهُمْ
- उन जैसों को
- tabdīlan
- تَبْدِيلًا
- बदल देना
हमने उन्हें पैदा किया और उनके जोड़-बन्द मज़बूत किेए और हम जब चाहे उन जैसों को पूर्णतः बदल दें ([७६] अल-इन्सान: 28)Tafseer (तफ़सीर )
اِنَّ هٰذِهٖ تَذْكِرَةٌ ۚ فَمَنْ شَاۤءَ اتَّخَذَ اِلٰى رَبِّهٖ سَبِيْلًا ٢٩
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- hādhihi
- هَٰذِهِۦ
- ये
- tadhkiratun
- تَذْكِرَةٌۖ
- एक याद देहानी है
- faman
- فَمَن
- तो जो कोई
- shāa
- شَآءَ
- चाहे
- ittakhadha
- ٱتَّخَذَ
- वो बना ले
- ilā
- إِلَىٰ
- तरफ़ अपने रब के
- rabbihi
- رَبِّهِۦ
- तरफ़ अपने रब के
- sabīlan
- سَبِيلًا
- रास्ता
निश्चय ही यह एक अनुस्मृति है, अब जो चाहे अपने रब की ओर मार्ग ग्रहण कर ले ([७६] अल-इन्सान: 29)Tafseer (तफ़सीर )
وَمَا تَشَاۤءُوْنَ اِلَّآ اَنْ يَّشَاۤءَ اللّٰهُ ۗاِنَّ اللّٰهَ كَانَ عَلِيْمًا حَكِيْمًاۖ ٣٠
- wamā
- وَمَا
- और नहीं
- tashāūna
- تَشَآءُونَ
- तुम चाहते
- illā
- إِلَّآ
- मगर
- an
- أَن
- ये कि
- yashāa
- يَشَآءَ
- चाहे
- l-lahu
- ٱللَّهُۚ
- अल्लाह
- inna
- إِنَّ
- बेशक
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह
- kāna
- كَانَ
- है वो
- ʿalīman
- عَلِيمًا
- बहुत इल्म वाला
- ḥakīman
- حَكِيمًا
- ख़ूब हिकमत वाला
और तुम नहीं चाह सकते सिवाय इसके कि अल्लाह चाहे। निस्संदेह अल्लाह सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है ([७६] अल-इन्सान: 30)Tafseer (तफ़सीर )