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सूरा अल-इन्सान - शब्द द्वारा शब्द

Al-Insan

(आदमी, मानव)

bismillaahirrahmaanirrahiim

هَلْ اَتٰى عَلَى الْاِنْسَانِ حِيْنٌ مِّنَ الدَّهْرِ لَمْ يَكُنْ شَيْـًٔا مَّذْكُوْرًا ١

hal
هَلْ
क्या
atā
أَتَىٰ
आया है
ʿalā
عَلَى
इन्सान पर
l-insāni
ٱلْإِنسَٰنِ
इन्सान पर
ḥīnun
حِينٌ
एक वक़्त
mina
مِّنَ
ज़माने में से
l-dahri
ٱلدَّهْرِ
ज़माने में से
lam
لَمْ
कि ना
yakun
يَكُن
था वो
shayan
شَيْـًٔا
कोई चीज़
madhkūran
مَّذْكُورًا
क़ाबिले ज़िक्र
क्या मनुष्य पर काल-खंड का ऐसा समय भी बीता है कि वह कोई ऐसी चीज़ न था जिसका उल्लेख किया जाता? ([७६] अल-इन्सान: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

اِنَّا خَلَقْنَا الْاِنْسَانَ مِنْ نُّطْفَةٍ اَمْشَاجٍۖ نَّبْتَلِيْهِ فَجَعَلْنٰهُ سَمِيْعًاۢ بَصِيْرًا ٢

innā
إِنَّا
बेशक हम
khalaqnā
خَلَقْنَا
पैदा किया हमने
l-insāna
ٱلْإِنسَٰنَ
इन्सान को
min
مِن
एक नुत्फ़े से
nuṭ'fatin
نُّطْفَةٍ
एक नुत्फ़े से
amshājin
أَمْشَاجٍ
मिले-जुले /मख़लूत
nabtalīhi
نَّبْتَلِيهِ
कि हम आज़माऐं उसे
fajaʿalnāhu
فَجَعَلْنَٰهُ
तो बनाया हमने उसे
samīʿan
سَمِيعًۢا
ख़ूब सुनने वाला
baṣīran
بَصِيرًا
ख़ूब देखने वाला
हमने मनुष्य को एक मिश्रित वीर्य से पैदा किया, उसे उलटते-पलटते रहे, फिर हमने उसे सुनने और देखनेवाला बना दिया ([७६] अल-इन्सान: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

اِنَّا هَدَيْنٰهُ السَّبِيْلَ اِمَّا شَاكِرًا وَّاِمَّا كَفُوْرًا ٣

innā
إِنَّا
बेशक हम
hadaynāhu
هَدَيْنَٰهُ
हिदायत दी हमने उसे
l-sabīla
ٱلسَّبِيلَ
रास्ते की
immā
إِمَّا
ख़्वाह
shākiran
شَاكِرًا
शुक्रगुज़ार हो
wa-immā
وَإِمَّا
और ख़्वाह
kafūran
كَفُورًا
नाशुक्रा हो
हमने उसे मार्ग दिखाया, अब चाहे वह कृतज्ञ बने या अकृतज्ञ ([७६] अल-इन्सान: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

اِنَّآ اَعْتَدْنَا لِلْكٰفِرِيْنَ سَلٰسِلَا۟ وَاَغْلٰلًا وَّسَعِيْرًا ٤

innā
إِنَّآ
बेशक हम
aʿtadnā
أَعْتَدْنَا
तैयार कर रखा है हमने
lil'kāfirīna
لِلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों के लिए
salāsilā
سَلَٰسِلَا۟
ज़नजीरों को
wa-aghlālan
وَأَغْلَٰلًا
और तौक़ को
wasaʿīran
وَسَعِيرًا
और भड़कती आग को
हमने इनकार करनेवालों के लिए ज़जीरें और तौक़ और भड़कती हुई आग तैयार कर रखी है ([७६] अल-इन्सान: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

اِنَّ الْاَبْرَارَ يَشْرَبُوْنَ مِنْ كَأْسٍ كَانَ مِزَاجُهَا كَافُوْرًاۚ ٥

inna
إِنَّ
बेशक
l-abrāra
ٱلْأَبْرَارَ
नेक लोग
yashrabūna
يَشْرَبُونَ
वो पीयेंगे
min
مِن
एक साग़र से
kasin
كَأْسٍ
एक साग़र से
kāna
كَانَ
होगी
mizājuhā
مِزَاجُهَا
आमेज़िश उसकी
kāfūran
كَافُورًا
काफ़ूर से
निश्चय ही वफ़ादार लोग ऐसे जाम से पिएँगे जिसमें काफ़ूर का मिश्रण होगा, ([७६] अल-इन्सान: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

عَيْنًا يَّشْرَبُ بِهَا عِبَادُ اللّٰهِ يُفَجِّرُوْنَهَا تَفْجِيْرًا ٦

ʿaynan
عَيْنًا
एक चश्मा है
yashrabu
يَشْرَبُ
पीयेंगे
bihā
بِهَا
उससे
ʿibādu
عِبَادُ
बन्दे
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
yufajjirūnahā
يُفَجِّرُونَهَا
वो फाड़ ले जाऐंगे उसको
tafjīran
تَفْجِيرًا
फाड़ ले जाना
उस स्रोत का क्या कहना! जिस पर बैठकर अल्लाह के बन्दे पिएँगे, इस तरह कि उसे बहा-बहाकर (जहाँ चाहेंगे) ले जाएँगे ([७६] अल-इन्सान: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

يُوْفُوْنَ بِالنَّذْرِ وَيَخَافُوْنَ يَوْمًا كَانَ شَرُّهٗ مُسْتَطِيْرًا ٧

yūfūna
يُوفُونَ
वो पूरी करते हैं
bil-nadhri
بِٱلنَّذْرِ
नज़र / मन्नत
wayakhāfūna
وَيَخَافُونَ
और वो डरते हैं
yawman
يَوْمًا
एक दिन से
kāna
كَانَ
होगा
sharruhu
شَرُّهُۥ
शर जिसका
mus'taṭīran
مُسْتَطِيرًا
फैल जाने वाला
वे नज़र (मन्नत) पूरी करते है और उस दिन से डरते है जिसकी आपदा व्यापक होगी, ([७६] अल-इन्सान: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

وَيُطْعِمُوْنَ الطَّعَامَ عَلٰى حُبِّهٖ مِسْكِيْنًا وَّيَتِيْمًا وَّاَسِيْرًا ٨

wayuṭ'ʿimūna
وَيُطْعِمُونَ
और वो खिलाते हैं
l-ṭaʿāma
ٱلطَّعَامَ
खाना
ʿalā
عَلَىٰ
उसकी मुहब्बत में
ḥubbihi
حُبِّهِۦ
उसकी मुहब्बत में
mis'kīnan
مِسْكِينًا
मिसकीन
wayatīman
وَيَتِيمًا
और यतीम
wa-asīran
وَأَسِيرًا
और क़ैदी को
और वे मुहताज, अनाथ और क़ैदी को खाना उसकी चाहत रखते हुए खिलाते है, ([७६] अल-इन्सान: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

اِنَّمَا نُطْعِمُكُمْ لِوَجْهِ اللّٰهِ لَا نُرِيْدُ مِنْكُمْ جَزَاۤءً وَّلَا شُكُوْرًا ٩

innamā
إِنَّمَا
बेशक
nuṭ'ʿimukum
نُطْعِمُكُمْ
हम खिलाते हैं तुम्हें
liwajhi
لِوَجْهِ
चेहरे के लिए
l-lahi
ٱللَّهِ
अल्लाह के
لَا
नहीं हम चाहते
nurīdu
نُرِيدُ
नहीं हम चाहते
minkum
مِنكُمْ
तुम से
jazāan
جَزَآءً
कोई बदला
walā
وَلَا
और ना
shukūran
شُكُورًا
कोई शुक्रिया
'हम तो केवल अल्लाह की प्रसन्नता के लिए तुम्हें खिलाते है, तुमसे न कोई बदला चाहते है और न कृतज्ञता ज्ञापन ([७६] अल-इन्सान: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

اِنَّا نَخَافُ مِنْ رَّبِّنَا يَوْمًا عَبُوْسًا قَمْطَرِيْرًا ١٠

innā
إِنَّا
बेशक हम
nakhāfu
نَخَافُ
हम डरते हैं
min
مِن
अपने रब से
rabbinā
رَّبِّنَا
अपने रब से
yawman
يَوْمًا
दिन से
ʿabūsan
عَبُوسًا
बहुत तेवरी चढ़ाने वाला
qamṭarīran
قَمْطَرِيرًا
निहायत सख़्त
'हमें तो अपने रब की ओर से एक ऐसे दिन का भय है जो त्योरी पर बल डाले हुए अत्यन्त क्रूर होगा।' ([७६] अल-इन्सान: 10)
Tafseer (तफ़सीर )