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सूरा अल-कियामा - Page: 4

Al-Qiyamah

(The Rising Of The Dead, Resurrection)

३१

فَلَا صَدَّقَ وَلَا صَلّٰىۙ ٣١

falā
فَلَا
पस ना
ṣaddaqa
صَدَّقَ
उसने तस्दीक़ की
walā
وَلَا
और ना
ṣallā
صَلَّىٰ
उसने नमाज़ पढ़ी
किन्तु उसने न तो सत्य माना और न नमाज़ अदा की, ([७५] अल-कियामा: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

وَلٰكِنْ كَذَّبَ وَتَوَلّٰىۙ ٣٢

walākin
وَلَٰكِن
और लेकिन
kadhaba
كَذَّبَ
उसने झुठलाया
watawallā
وَتَوَلَّىٰ
और उसने मुँह मोड़ लिया
लेकिन झुठलाया और मुँह मोड़ा, ([७५] अल-कियामा: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

ثُمَّ ذَهَبَ اِلٰٓى اَهْلِهٖ يَتَمَطّٰىۗ ٣٣

thumma
ثُمَّ
फिर
dhahaba
ذَهَبَ
वो चला गया
ilā
إِلَىٰٓ
तरफ़ अपने घर वालों के
ahlihi
أَهْلِهِۦ
तरफ़ अपने घर वालों के
yatamaṭṭā
يَتَمَطَّىٰٓ
अकड़ता हुआ
फिर अकड़ता हुआ अपने लोगों की ओर चल दिया ([७५] अल-कियामा: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

اَوْلٰى لَكَ فَاَوْلٰىۙ ٣٤

awlā
أَوْلَىٰ
अफ़सोस
laka
لَكَ
तुझ पर
fa-awlā
فَأَوْلَىٰ
फिर अफ़सोस
अफ़सोस है तुझपर और अफ़सोस है! ([७५] अल-कियामा: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

ثُمَّ اَوْلٰى لَكَ فَاَوْلٰىۗ ٣٥

thumma
ثُمَّ
फिर
awlā
أَوْلَىٰ
अफ़सोस
laka
لَكَ
तुझ पर
fa-awlā
فَأَوْلَىٰٓ
फिर अफ़सोस
फिर अफ़सोस है तुझपर और अफ़सोस है! ([७५] अल-कियामा: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

اَيَحْسَبُ الْاِنْسَانُ اَنْ يُّتْرَكَ سُدًىۗ ٣٦

ayaḥsabu
أَيَحْسَبُ
क्या समझता है
l-insānu
ٱلْإِنسَٰنُ
इन्सान
an
أَن
कि
yut'raka
يُتْرَكَ
वो छोड़ दिया जाएगा
sudan
سُدًى
बेकार
क्या मनुष्य समझता है कि वह यूँ ही स्वतंत्र छोड़ दिया जाएगा? ([७५] अल-कियामा: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

اَلَمْ يَكُ نُطْفَةً مِّنْ مَّنِيٍّ يُّمْنٰى ٣٧

alam
أَلَمْ
क्या नहीं
yaku
يَكُ
था वो
nuṭ'fatan
نُطْفَةً
एक नुत्फ़ा
min
مِّن
मनी का
maniyyin
مَّنِىٍّ
मनी का
yum'nā
يُمْنَىٰ
जो टपकाया जाता है
क्या वह केवल टपकाए हुए वीर्य की एक बूँद न था? ([७५] अल-कियामा: 37)
Tafseer (तफ़सीर )
३८

ثُمَّ كَانَ عَلَقَةً فَخَلَقَ فَسَوّٰىۙ ٣٨

thumma
ثُمَّ
फिर
kāna
كَانَ
हो गया वो
ʿalaqatan
عَلَقَةً
जमा हुआ ख़ून
fakhalaqa
فَخَلَقَ
फिर उसने पैदा किया
fasawwā
فَسَوَّىٰ
फिर उसने दुरुस्त कर दिया
फिर वह रक्त की एक फुटकी हुआ, फिर अल्लाह ने उसे रूप दिया और उसके अंग-प्रत्यंग ठीक-ठाक किए ([७५] अल-कियामा: 38)
Tafseer (तफ़सीर )
३९

فَجَعَلَ مِنْهُ الزَّوْجَيْنِ الذَّكَرَ وَالْاُنْثٰىۗ ٣٩

fajaʿala
فَجَعَلَ
फिर उसने बनाया
min'hu
مِنْهُ
उससे
l-zawjayni
ٱلزَّوْجَيْنِ
जोड़ा
l-dhakara
ٱلذَّكَرَ
मर्द
wal-unthā
وَٱلْأُنثَىٰٓ
और औरत
और उसकी दो जातियाँ बनाई - पुरुष और स्त्री ([७५] अल-कियामा: 39)
Tafseer (तफ़सीर )
४०

اَلَيْسَ ذٰلِكَ بِقٰدِرٍ عَلٰٓى اَنْ يُّحْيِ َۧ الْمَوْتٰى ࣖ ٤٠

alaysa
أَلَيْسَ
क्या नहीं है
dhālika
ذَٰلِكَ
वो
biqādirin
بِقَٰدِرٍ
क़ादिर
ʿalā
عَلَىٰٓ
उस पर
an
أَن
कि
yuḥ'yiya
يُحْۦِىَ
वो ज़िन्दा कर दे
l-mawtā
ٱلْمَوْتَىٰ
मुर्दों को
क्या उसे वह सामर्थ्य प्राप्त- नहीं कि वह मुर्दों को जीवित कर दे? ([७५] अल-कियामा: 40)
Tafseer (तफ़सीर )