३१
فَلَا صَدَّقَ وَلَا صَلّٰىۙ ٣١
- falā
- فَلَا
- पस ना
- ṣaddaqa
- صَدَّقَ
- उसने तस्दीक़ की
- walā
- وَلَا
- और ना
- ṣallā
- صَلَّىٰ
- उसने नमाज़ पढ़ी
किन्तु उसने न तो सत्य माना और न नमाज़ अदा की, ([७५] अल-कियामा: 31)Tafseer (तफ़सीर )
३२
وَلٰكِنْ كَذَّبَ وَتَوَلّٰىۙ ٣٢
- walākin
- وَلَٰكِن
- और लेकिन
- kadhaba
- كَذَّبَ
- उसने झुठलाया
- watawallā
- وَتَوَلَّىٰ
- और उसने मुँह मोड़ लिया
लेकिन झुठलाया और मुँह मोड़ा, ([७५] अल-कियामा: 32)Tafseer (तफ़सीर )
३३
ثُمَّ ذَهَبَ اِلٰٓى اَهْلِهٖ يَتَمَطّٰىۗ ٣٣
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- dhahaba
- ذَهَبَ
- वो चला गया
- ilā
- إِلَىٰٓ
- तरफ़ अपने घर वालों के
- ahlihi
- أَهْلِهِۦ
- तरफ़ अपने घर वालों के
- yatamaṭṭā
- يَتَمَطَّىٰٓ
- अकड़ता हुआ
फिर अकड़ता हुआ अपने लोगों की ओर चल दिया ([७५] अल-कियामा: 33)Tafseer (तफ़सीर )
३४
اَوْلٰى لَكَ فَاَوْلٰىۙ ٣٤
- awlā
- أَوْلَىٰ
- अफ़सोस
- laka
- لَكَ
- तुझ पर
- fa-awlā
- فَأَوْلَىٰ
- फिर अफ़सोस
अफ़सोस है तुझपर और अफ़सोस है! ([७५] अल-कियामा: 34)Tafseer (तफ़सीर )
३५
ثُمَّ اَوْلٰى لَكَ فَاَوْلٰىۗ ٣٥
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- awlā
- أَوْلَىٰ
- अफ़सोस
- laka
- لَكَ
- तुझ पर
- fa-awlā
- فَأَوْلَىٰٓ
- फिर अफ़सोस
फिर अफ़सोस है तुझपर और अफ़सोस है! ([७५] अल-कियामा: 35)Tafseer (तफ़सीर )
३६
اَيَحْسَبُ الْاِنْسَانُ اَنْ يُّتْرَكَ سُدًىۗ ٣٦
- ayaḥsabu
- أَيَحْسَبُ
- क्या समझता है
- l-insānu
- ٱلْإِنسَٰنُ
- इन्सान
- an
- أَن
- कि
- yut'raka
- يُتْرَكَ
- वो छोड़ दिया जाएगा
- sudan
- سُدًى
- बेकार
क्या मनुष्य समझता है कि वह यूँ ही स्वतंत्र छोड़ दिया जाएगा? ([७५] अल-कियामा: 36)Tafseer (तफ़सीर )
३७
اَلَمْ يَكُ نُطْفَةً مِّنْ مَّنِيٍّ يُّمْنٰى ٣٧
- alam
- أَلَمْ
- क्या नहीं
- yaku
- يَكُ
- था वो
- nuṭ'fatan
- نُطْفَةً
- एक नुत्फ़ा
- min
- مِّن
- मनी का
- maniyyin
- مَّنِىٍّ
- मनी का
- yum'nā
- يُمْنَىٰ
- जो टपकाया जाता है
क्या वह केवल टपकाए हुए वीर्य की एक बूँद न था? ([७५] अल-कियामा: 37)Tafseer (तफ़सीर )
३८
ثُمَّ كَانَ عَلَقَةً فَخَلَقَ فَسَوّٰىۙ ٣٨
- thumma
- ثُمَّ
- फिर
- kāna
- كَانَ
- हो गया वो
- ʿalaqatan
- عَلَقَةً
- जमा हुआ ख़ून
- fakhalaqa
- فَخَلَقَ
- फिर उसने पैदा किया
- fasawwā
- فَسَوَّىٰ
- फिर उसने दुरुस्त कर दिया
फिर वह रक्त की एक फुटकी हुआ, फिर अल्लाह ने उसे रूप दिया और उसके अंग-प्रत्यंग ठीक-ठाक किए ([७५] अल-कियामा: 38)Tafseer (तफ़सीर )
३९
فَجَعَلَ مِنْهُ الزَّوْجَيْنِ الذَّكَرَ وَالْاُنْثٰىۗ ٣٩
- fajaʿala
- فَجَعَلَ
- फिर उसने बनाया
- min'hu
- مِنْهُ
- उससे
- l-zawjayni
- ٱلزَّوْجَيْنِ
- जोड़ा
- l-dhakara
- ٱلذَّكَرَ
- मर्द
- wal-unthā
- وَٱلْأُنثَىٰٓ
- और औरत
और उसकी दो जातियाँ बनाई - पुरुष और स्त्री ([७५] अल-कियामा: 39)Tafseer (तफ़सीर )
४०
اَلَيْسَ ذٰلِكَ بِقٰدِرٍ عَلٰٓى اَنْ يُّحْيِ َۧ الْمَوْتٰى ࣖ ٤٠
- alaysa
- أَلَيْسَ
- क्या नहीं है
- dhālika
- ذَٰلِكَ
- वो
- biqādirin
- بِقَٰدِرٍ
- क़ादिर
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- उस पर
- an
- أَن
- कि
- yuḥ'yiya
- يُحْۦِىَ
- वो ज़िन्दा कर दे
- l-mawtā
- ٱلْمَوْتَىٰ
- मुर्दों को
क्या उसे वह सामर्थ्य प्राप्त- नहीं कि वह मुर्दों को जीवित कर दे? ([७५] अल-कियामा: 40)Tafseer (तफ़सीर )