१
لَآ اُقْسِمُ بِيَوْمِ الْقِيٰمَةِۙ ١
- lā
- لَآ
- नहीं मैं क़सम खाता हूँ
- uq'simu
- أُقْسِمُ
- नहीं मैं क़सम खाता हूँ
- biyawmi
- بِيَوْمِ
- दिन की
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِ
- क़यामत के
नहीं, मैं क़सम खाता हूँ क़ियामत के दिन की, ([७५] अल-कियामा: 1)Tafseer (तफ़सीर )
२
وَلَآ اُقْسِمُ بِالنَّفْسِ اللَّوَّامَةِ ٢
- walā
- وَلَآ
- और नहीं
- uq'simu
- أُقْسِمُ
- मैं क़सम खाता हूँ
- bil-nafsi
- بِٱلنَّفْسِ
- नफ़्स की
- l-lawāmati
- ٱللَّوَّامَةِ
- मलामत करने वाले
और नहीं! मैं कसम खाता हूँ मलामत करनेवाली आत्मा की ([७५] अल-कियामा: 2)Tafseer (तफ़सीर )
३
اَيَحْسَبُ الْاِنْسَانُ اَلَّنْ نَّجْمَعَ عِظَامَهٗ ۗ ٣
- ayaḥsabu
- أَيَحْسَبُ
- क्या समझता है
- l-insānu
- ٱلْإِنسَٰنُ
- इन्सान
- allan
- أَلَّن
- कि हरगिज़ नहीं
- najmaʿa
- نَّجْمَعَ
- हम जमा करेंगे
- ʿiẓāmahu
- عِظَامَهُۥ
- उसकी हड्डियाँ
क्या मनुष्य यह समझता है कि हम कदापि उसकी हड्डियों को एकत्र न करेंगे? ([७५] अल-कियामा: 3)Tafseer (तफ़सीर )
४
بَلٰى قَادِرِيْنَ عَلٰٓى اَنْ نُّسَوِّيَ بَنَانَهٗ ٤
- balā
- بَلَىٰ
- क्यों नहीं
- qādirīna
- قَٰدِرِينَ
- क़ादिर हैं
- ʿalā
- عَلَىٰٓ
- उस पर
- an
- أَن
- कि
- nusawwiya
- نُّسَوِّىَ
- हम दुरुस्त कर दें
- banānahu
- بَنَانَهُۥ
- उसके पोर-पोर को
क्यों नहीं, हम उसकी पोरों को ठीक-ठाक करने की सामर्थ्य रखते है ([७५] अल-कियामा: 4)Tafseer (तफ़सीर )
५
بَلْ يُرِيْدُ الْاِنْسَانُ لِيَفْجُرَ اَمَامَهٗۚ ٥
- bal
- بَلْ
- बल्कि
- yurīdu
- يُرِيدُ
- चाहता है
- l-insānu
- ٱلْإِنسَٰنُ
- इन्सान
- liyafjura
- لِيَفْجُرَ
- कि वो गुनाह करता रहे
- amāmahu
- أَمَامَهُۥ
- अपने आगे भी
बल्कि मनुष्य चाहता है कि अपने आगे ढिठाई करता रहे ([७५] अल-कियामा: 5)Tafseer (तफ़सीर )
६
يَسْـَٔلُ اَيَّانَ يَوْمُ الْقِيٰمَةِۗ ٦
- yasalu
- يَسْـَٔلُ
- वो पूछता है
- ayyāna
- أَيَّانَ
- कब है
- yawmu
- يَوْمُ
- दिन
- l-qiyāmati
- ٱلْقِيَٰمَةِ
- क़यामत का
पूछता है, 'आख़िर क़ियामत का दिन कब आएगा?' ([७५] अल-कियामा: 6)Tafseer (तफ़सीर )
७
فَاِذَا بَرِقَ الْبَصَرُۙ ٧
- fa-idhā
- فَإِذَا
- फिर जब
- bariqa
- بَرِقَ
- चौंधिया जाऐंगी
- l-baṣaru
- ٱلْبَصَرُ
- आँखें
तो जब निगाह चौंधिया जाएगी, ([७५] अल-कियामा: 7)Tafseer (तफ़सीर )
८
وَخَسَفَ الْقَمَرُۙ ٨
- wakhasafa
- وَخَسَفَ
- और बेनूर हो जाएगा
- l-qamaru
- ٱلْقَمَرُ
- चाँद
और चन्द्रमा को ग्रहण लग जाएगा, ([७५] अल-कियामा: 8)Tafseer (तफ़सीर )
९
وَجُمِعَ الشَّمْسُ وَالْقَمَرُۙ ٩
- wajumiʿa
- وَجُمِعَ
- और जमा कर दिए जाऐंगे
- l-shamsu
- ٱلشَّمْسُ
- सूरज
- wal-qamaru
- وَٱلْقَمَرُ
- और चाँद
और सूर्य और चन्द्रमा इकट्ठे कर दिए जाएँगे, ([७५] अल-कियामा: 9)Tafseer (तफ़सीर )
१०
يَقُوْلُ الْاِنْسَانُ يَوْمَىِٕذٍ اَيْنَ الْمَفَرُّۚ ١٠
- yaqūlu
- يَقُولُ
- कहेगा
- l-insānu
- ٱلْإِنسَٰنُ
- इन्सान
- yawma-idhin
- يَوْمَئِذٍ
- उस दिन
- ayna
- أَيْنَ
- कहाँ है
- l-mafaru
- ٱلْمَفَرُّ
- फ़रार की जगह
उस दिन मनुष्य कहेगा, 'कहाँ जाऊँ भागकर?' ([७५] अल-कियामा: 10)Tafseer (तफ़सीर )