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सूरा अल-कियामा - शब्द द्वारा शब्द

Al-Qiyamah

(The Rising Of The Dead, Resurrection)

bismillaahirrahmaanirrahiim

لَآ اُقْسِمُ بِيَوْمِ الْقِيٰمَةِۙ ١

لَآ
नहीं मैं क़सम खाता हूँ
uq'simu
أُقْسِمُ
नहीं मैं क़सम खाता हूँ
biyawmi
بِيَوْمِ
दिन की
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِ
क़यामत के
नहीं, मैं क़सम खाता हूँ क़ियामत के दिन की, ([७५] अल-कियामा: 1)
Tafseer (तफ़सीर )

وَلَآ اُقْسِمُ بِالنَّفْسِ اللَّوَّامَةِ ٢

walā
وَلَآ
और नहीं
uq'simu
أُقْسِمُ
मैं क़सम खाता हूँ
bil-nafsi
بِٱلنَّفْسِ
नफ़्स की
l-lawāmati
ٱللَّوَّامَةِ
मलामत करने वाले
और नहीं! मैं कसम खाता हूँ मलामत करनेवाली आत्मा की ([७५] अल-कियामा: 2)
Tafseer (तफ़सीर )

اَيَحْسَبُ الْاِنْسَانُ اَلَّنْ نَّجْمَعَ عِظَامَهٗ ۗ ٣

ayaḥsabu
أَيَحْسَبُ
क्या समझता है
l-insānu
ٱلْإِنسَٰنُ
इन्सान
allan
أَلَّن
कि हरगिज़ नहीं
najmaʿa
نَّجْمَعَ
हम जमा करेंगे
ʿiẓāmahu
عِظَامَهُۥ
उसकी हड्डियाँ
क्या मनुष्य यह समझता है कि हम कदापि उसकी हड्डियों को एकत्र न करेंगे? ([७५] अल-कियामा: 3)
Tafseer (तफ़सीर )

بَلٰى قَادِرِيْنَ عَلٰٓى اَنْ نُّسَوِّيَ بَنَانَهٗ ٤

balā
بَلَىٰ
क्यों नहीं
qādirīna
قَٰدِرِينَ
क़ादिर हैं
ʿalā
عَلَىٰٓ
उस पर
an
أَن
कि
nusawwiya
نُّسَوِّىَ
हम दुरुस्त कर दें
banānahu
بَنَانَهُۥ
उसके पोर-पोर को
क्यों नहीं, हम उसकी पोरों को ठीक-ठाक करने की सामर्थ्य रखते है ([७५] अल-कियामा: 4)
Tafseer (तफ़सीर )

بَلْ يُرِيْدُ الْاِنْسَانُ لِيَفْجُرَ اَمَامَهٗۚ ٥

bal
بَلْ
बल्कि
yurīdu
يُرِيدُ
चाहता है
l-insānu
ٱلْإِنسَٰنُ
इन्सान
liyafjura
لِيَفْجُرَ
कि वो गुनाह करता रहे
amāmahu
أَمَامَهُۥ
अपने आगे भी
बल्कि मनुष्य चाहता है कि अपने आगे ढिठाई करता रहे ([७५] अल-कियामा: 5)
Tafseer (तफ़सीर )

يَسْـَٔلُ اَيَّانَ يَوْمُ الْقِيٰمَةِۗ ٦

yasalu
يَسْـَٔلُ
वो पूछता है
ayyāna
أَيَّانَ
कब है
yawmu
يَوْمُ
दिन
l-qiyāmati
ٱلْقِيَٰمَةِ
क़यामत का
पूछता है, 'आख़िर क़ियामत का दिन कब आएगा?' ([७५] अल-कियामा: 6)
Tafseer (तफ़सीर )

فَاِذَا بَرِقَ الْبَصَرُۙ ٧

fa-idhā
فَإِذَا
फिर जब
bariqa
بَرِقَ
चौंधिया जाऐंगी
l-baṣaru
ٱلْبَصَرُ
आँखें
तो जब निगाह चौंधिया जाएगी, ([७५] अल-कियामा: 7)
Tafseer (तफ़सीर )

وَخَسَفَ الْقَمَرُۙ ٨

wakhasafa
وَخَسَفَ
और बेनूर हो जाएगा
l-qamaru
ٱلْقَمَرُ
चाँद
और चन्द्रमा को ग्रहण लग जाएगा, ([७५] अल-कियामा: 8)
Tafseer (तफ़सीर )

وَجُمِعَ الشَّمْسُ وَالْقَمَرُۙ ٩

wajumiʿa
وَجُمِعَ
और जमा कर दिए जाऐंगे
l-shamsu
ٱلشَّمْسُ
सूरज
wal-qamaru
وَٱلْقَمَرُ
और चाँद
और सूर्य और चन्द्रमा इकट्ठे कर दिए जाएँगे, ([७५] अल-कियामा: 9)
Tafseer (तफ़सीर )
१०

يَقُوْلُ الْاِنْسَانُ يَوْمَىِٕذٍ اَيْنَ الْمَفَرُّۚ ١٠

yaqūlu
يَقُولُ
कहेगा
l-insānu
ٱلْإِنسَٰنُ
इन्सान
yawma-idhin
يَوْمَئِذٍ
उस दिन
ayna
أَيْنَ
कहाँ है
l-mafaru
ٱلْمَفَرُّ
फ़रार की जगह
उस दिन मनुष्य कहेगा, 'कहाँ जाऊँ भागकर?' ([७५] अल-कियामा: 10)
Tafseer (तफ़सीर )