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सूरा अल्-मुद्दस्सिर - Page: 6

Al-Muddaththir

(The Cloaked One, The Man Wearing A Cloak)

५१

فَرَّتْ مِنْ قَسْوَرَةٍۗ ٥١

farrat
فَرَّتْ
जो भागे हों
min
مِن
शेर से
qaswaratin
قَسْوَرَةٍۭ
शेर से
जो शेर से (डरकर) भागे है? ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 51)
Tafseer (तफ़सीर )
५२

بَلْ يُرِيْدُ كُلُّ امْرِئٍ مِّنْهُمْ اَنْ يُّؤْتٰى صُحُفًا مُّنَشَّرَةًۙ ٥٢

bal
بَلْ
बल्कि
yurīdu
يُرِيدُ
चाहता है
kullu
كُلُّ
हर
im'ri-in
ٱمْرِئٍ
आदमी
min'hum
مِّنْهُمْ
उनमें से
an
أَن
कि
yu'tā
يُؤْتَىٰ
वो दिया जाए
ṣuḥufan
صُحُفًا
सहीफ़े
munasharatan
مُّنَشَّرَةً
खुले हुए
नहीं, बल्कि उनमें से प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसे खुली किताबें दी जाएँ ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 52)
Tafseer (तफ़सीर )
५३

كَلَّاۗ بَلْ لَّا يَخَافُوْنَ الْاٰخِرَةَۗ ٥٣

kallā
كَلَّاۖ
हरगिज़ नहीं
bal
بَل
बल्कि
لَّا
नहीं वे ख़ौफ़ रखते
yakhāfūna
يَخَافُونَ
नहीं वे ख़ौफ़ रखते
l-ākhirata
ٱلْءَاخِرَةَ
आख़िरत का
कदापि नहीं, बल्कि ले आख़िरत से डरते नहीं ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 53)
Tafseer (तफ़सीर )
५४

كَلَّآ اِنَّهٗ تَذْكِرَةٌ ۚ ٥٤

kallā
كَلَّآ
हरगिज़ नहीं
innahu
إِنَّهُۥ
बेशक वो
tadhkiratun
تَذْكِرَةٌ
एक नसीहत है
कुछ नहीं, वह तो एक अनुस्मति है ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 54)
Tafseer (तफ़सीर )
५५

فَمَنْ شَاۤءَ ذَكَرَهٗۗ ٥٥

faman
فَمَن
पस जो कोई
shāa
شَآءَ
चाहे
dhakarahu
ذَكَرَهُۥ
नसीहत हासिल करे उससे
अब जो कोई चाहे इससे नसीहत हासिल करे, ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 55)
Tafseer (तफ़सीर )
५६

وَمَا يَذْكُرُوْنَ اِلَّآ اَنْ يَّشَاۤءَ اللّٰهُ ۗهُوَ اَهْلُ التَّقْوٰى وَاَهْلُ الْمَغْفِرَةِ ࣖ ٥٦

wamā
وَمَا
और नहीं
yadhkurūna
يَذْكُرُونَ
वो नसीहत हासिल करेंगे
illā
إِلَّآ
मगर
an
أَن
ये कि
yashāa
يَشَآءَ
चाहे
l-lahu
ٱللَّهُۚ
अल्लाह
huwa
هُوَ
वो ही
ahlu
أَهْلُ
लायक़ है
l-taqwā
ٱلتَّقْوَىٰ
तक़्वा के
wa-ahlu
وَأَهْلُ
और लायक़ है
l-maghfirati
ٱلْمَغْفِرَةِ
बख़्शने के
और वे नसीहत हासिल नहीं करेंगे। यह और बात है कि अल्लाह ही ऐसा चाहे। वही इस योग्य है कि उसका डर रखा जाए और इस योग्य भी कि क्षमा करे ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 56)
Tafseer (तफ़सीर )