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सूरा अल्-मुद्दस्सिर - Page: 5

Al-Muddaththir

(The Cloaked One, The Man Wearing A Cloak)

४१

عَنِ الْمُجْرِمِيْنَۙ ٤١

ʿani
عَنِ
मुजरिमों से
l-muj'rimīna
ٱلْمُجْرِمِينَ
मुजरिमों से
अपराधियों के विषय में ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 41)
Tafseer (तफ़सीर )
४२

مَا سَلَكَكُمْ فِيْ سَقَرَ ٤٢

مَا
किस चीज़ ने
salakakum
سَلَكَكُمْ
दाख़िल किया तुम्हें
فِى
दोज़ख़ में
saqara
سَقَرَ
दोज़ख़ में
'तुम्हे क्या चीज़ सकंर (जहन्नम) में ले आई?' ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 42)
Tafseer (तफ़सीर )
४३

قَالُوْا لَمْ نَكُ مِنَ الْمُصَلِّيْنَۙ ٤٣

qālū
قَالُوا۟
वो कहेंगे
lam
لَمْ
ना
naku
نَكُ
थे हम
mina
مِنَ
नमाज़ पढ़ने वालों में से
l-muṣalīna
ٱلْمُصَلِّينَ
नमाज़ पढ़ने वालों में से
वे कहेंगे, 'हम नमाज़ अदा करनेवालों में से न थे। ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 43)
Tafseer (तफ़सीर )
४४

وَلَمْ نَكُ نُطْعِمُ الْمِسْكِيْنَۙ ٤٤

walam
وَلَمْ
और ना
naku
نَكُ
थे हम
nuṭ'ʿimu
نُطْعِمُ
हम खाना खिलाते
l-mis'kīna
ٱلْمِسْكِينَ
मिसकीन को
और न हम मुहताज को खाना खिलाते थे ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 44)
Tafseer (तफ़सीर )
४५

وَكُنَّا نَخُوْضُ مَعَ الْخَاۤىِٕضِيْنَۙ ٤٥

wakunnā
وَكُنَّا
और थे हम
nakhūḍu
نَخُوضُ
हम बहस करते
maʿa
مَعَ
साथ
l-khāiḍīna
ٱلْخَآئِضِينَ
बहस करने वालों के
'और व्यर्थ बात और कठ-हुज्जती में पड़े रहनेवालों के साथ हम भी उसी में लगे रहते थे। ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 45)
Tafseer (तफ़सीर )
४६

وَكُنَّا نُكَذِّبُ بِيَوْمِ الدِّيْنِۙ ٤٦

wakunnā
وَكُنَّا
और थे हम
nukadhibu
نُكَذِّبُ
हम झुठलाते
biyawmi
بِيَوْمِ
दिन को
l-dīni
ٱلدِّينِ
बदले के
और हम बदला दिए जाने के दिन को झुठलाते थे, ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 46)
Tafseer (तफ़सीर )
४७

حَتّٰىٓ اَتٰىنَا الْيَقِيْنُۗ ٤٧

ḥattā
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
atānā
أَتَىٰنَا
आ गई हमारे पास
l-yaqīnu
ٱلْيَقِينُ
यक़ीनी चीज़ (मौत)
'यहाँ तक कि विश्वसनीय चीज़ (प्रलय-दिवस) में हमें आ लिया।' ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 47)
Tafseer (तफ़सीर )
४८

فَمَا تَنْفَعُهُمْ شَفَاعَةُ الشَّافِعِيْنَۗ ٤٨

famā
فَمَا
तो ना
tanfaʿuhum
تَنفَعُهُمْ
काम आएगी उन्हें
shafāʿatu
شَفَٰعَةُ
सिफ़ारिश
l-shāfiʿīna
ٱلشَّٰفِعِينَ
सिफ़ारिशियों की
अतः सिफ़ारिश करनेवालों को कोई सिफ़ारिश उनको कुछ लाभ न पहुँचा सकेगी ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 48)
Tafseer (तफ़सीर )
४९

فَمَا لَهُمْ عَنِ التَّذْكِرَةِ مُعْرِضِيْنَۙ ٤٩

famā
فَمَا
तो क्या है
lahum
لَهُمْ
उन्हें
ʿani
عَنِ
नसीहत से
l-tadhkirati
ٱلتَّذْكِرَةِ
नसीहत से
muʿ'riḍīna
مُعْرِضِينَ
ऐराज़ करने वाले हैं
आख़िर उन्हें क्या हुआ है कि वे नसीहत से कतराते है, ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 49)
Tafseer (तफ़सीर )
५०

كَاَنَّهُمْ حُمُرٌ مُّسْتَنْفِرَةٌۙ ٥٠

ka-annahum
كَأَنَّهُمْ
गोया की वो
ḥumurun
حُمُرٌ
गधे हैं
mus'tanfiratun
مُّسْتَنفِرَةٌ
सख़्त बिदकने वाले
मानो वे बिदके हुए जंगली गधे है ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 50)
Tafseer (तफ़सीर )