४१
عَنِ الْمُجْرِمِيْنَۙ ٤١
- ʿani
- عَنِ
- मुजरिमों से
- l-muj'rimīna
- ٱلْمُجْرِمِينَ
- मुजरिमों से
अपराधियों के विषय में ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 41)Tafseer (तफ़सीर )
४२
مَا سَلَكَكُمْ فِيْ سَقَرَ ٤٢
- mā
- مَا
- किस चीज़ ने
- salakakum
- سَلَكَكُمْ
- दाख़िल किया तुम्हें
- fī
- فِى
- दोज़ख़ में
- saqara
- سَقَرَ
- दोज़ख़ में
'तुम्हे क्या चीज़ सकंर (जहन्नम) में ले आई?' ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 42)Tafseer (तफ़सीर )
४३
قَالُوْا لَمْ نَكُ مِنَ الْمُصَلِّيْنَۙ ٤٣
- qālū
- قَالُوا۟
- वो कहेंगे
- lam
- لَمْ
- ना
- naku
- نَكُ
- थे हम
- mina
- مِنَ
- नमाज़ पढ़ने वालों में से
- l-muṣalīna
- ٱلْمُصَلِّينَ
- नमाज़ पढ़ने वालों में से
वे कहेंगे, 'हम नमाज़ अदा करनेवालों में से न थे। ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 43)Tafseer (तफ़सीर )
४४
وَلَمْ نَكُ نُطْعِمُ الْمِسْكِيْنَۙ ٤٤
- walam
- وَلَمْ
- और ना
- naku
- نَكُ
- थे हम
- nuṭ'ʿimu
- نُطْعِمُ
- हम खाना खिलाते
- l-mis'kīna
- ٱلْمِسْكِينَ
- मिसकीन को
और न हम मुहताज को खाना खिलाते थे ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 44)Tafseer (तफ़सीर )
४५
وَكُنَّا نَخُوْضُ مَعَ الْخَاۤىِٕضِيْنَۙ ٤٥
- wakunnā
- وَكُنَّا
- और थे हम
- nakhūḍu
- نَخُوضُ
- हम बहस करते
- maʿa
- مَعَ
- साथ
- l-khāiḍīna
- ٱلْخَآئِضِينَ
- बहस करने वालों के
'और व्यर्थ बात और कठ-हुज्जती में पड़े रहनेवालों के साथ हम भी उसी में लगे रहते थे। ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 45)Tafseer (तफ़सीर )
४६
وَكُنَّا نُكَذِّبُ بِيَوْمِ الدِّيْنِۙ ٤٦
- wakunnā
- وَكُنَّا
- और थे हम
- nukadhibu
- نُكَذِّبُ
- हम झुठलाते
- biyawmi
- بِيَوْمِ
- दिन को
- l-dīni
- ٱلدِّينِ
- बदले के
और हम बदला दिए जाने के दिन को झुठलाते थे, ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 46)Tafseer (तफ़सीर )
४७
حَتّٰىٓ اَتٰىنَا الْيَقِيْنُۗ ٤٧
- ḥattā
- حَتَّىٰٓ
- यहाँ तक कि
- atānā
- أَتَىٰنَا
- आ गई हमारे पास
- l-yaqīnu
- ٱلْيَقِينُ
- यक़ीनी चीज़ (मौत)
'यहाँ तक कि विश्वसनीय चीज़ (प्रलय-दिवस) में हमें आ लिया।' ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 47)Tafseer (तफ़सीर )
४८
فَمَا تَنْفَعُهُمْ شَفَاعَةُ الشَّافِعِيْنَۗ ٤٨
- famā
- فَمَا
- तो ना
- tanfaʿuhum
- تَنفَعُهُمْ
- काम आएगी उन्हें
- shafāʿatu
- شَفَٰعَةُ
- सिफ़ारिश
- l-shāfiʿīna
- ٱلشَّٰفِعِينَ
- सिफ़ारिशियों की
अतः सिफ़ारिश करनेवालों को कोई सिफ़ारिश उनको कुछ लाभ न पहुँचा सकेगी ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 48)Tafseer (तफ़सीर )
४९
فَمَا لَهُمْ عَنِ التَّذْكِرَةِ مُعْرِضِيْنَۙ ٤٩
- famā
- فَمَا
- तो क्या है
- lahum
- لَهُمْ
- उन्हें
- ʿani
- عَنِ
- नसीहत से
- l-tadhkirati
- ٱلتَّذْكِرَةِ
- नसीहत से
- muʿ'riḍīna
- مُعْرِضِينَ
- ऐराज़ करने वाले हैं
आख़िर उन्हें क्या हुआ है कि वे नसीहत से कतराते है, ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 49)Tafseer (तफ़सीर )
५०
كَاَنَّهُمْ حُمُرٌ مُّسْتَنْفِرَةٌۙ ٥٠
- ka-annahum
- كَأَنَّهُمْ
- गोया की वो
- ḥumurun
- حُمُرٌ
- गधे हैं
- mus'tanfiratun
- مُّسْتَنفِرَةٌ
- सख़्त बिदकने वाले
मानो वे बिदके हुए जंगली गधे है ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 50)Tafseer (तफ़सीर )