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सूरा अल्-मुद्दस्सिर - Page: 4

Al-Muddaththir

(The Cloaked One, The Man Wearing A Cloak)

३१

وَمَا جَعَلْنَآ اَصْحٰبَ النَّارِ اِلَّا مَلٰۤىِٕكَةً ۖوَّمَا جَعَلْنَا عِدَّتَهُمْ اِلَّا فِتْنَةً لِّلَّذِيْنَ كَفَرُوْاۙ لِيَسْتَيْقِنَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ وَيَزْدَادَ الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِيْمَانًا وَّلَا يَرْتَابَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ وَالْمُؤْمِنُوْنَۙ وَلِيَقُوْلَ الَّذِيْنَ فِيْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ وَّالْكٰفِرُوْنَ مَاذَآ اَرَادَ اللّٰهُ بِهٰذَا مَثَلًاۗ كَذٰلِكَ يُضِلُّ اللّٰهُ مَنْ يَّشَاۤءُ وَيَهْدِيْ مَنْ يَّشَاۤءُۗ وَمَا يَعْلَمُ جُنُوْدَ رَبِّكَ اِلَّا هُوَۗ وَمَا هِيَ اِلَّا ذِكْرٰى لِلْبَشَرِ ࣖ ٣١

wamā
وَمَا
और नहीं
jaʿalnā
جَعَلْنَآ
बनाया हमने
aṣḥāba
أَصْحَٰبَ
निगरान
l-nāri
ٱلنَّارِ
आग के
illā
إِلَّا
मगर
malāikatan
مَلَٰٓئِكَةًۙ
फ़रिश्ते
wamā
وَمَا
और नहीं
jaʿalnā
جَعَلْنَا
बनाया हमने
ʿiddatahum
عِدَّتَهُمْ
उनकी तादाद को
illā
إِلَّا
मगर
fit'natan
فِتْنَةً
एक फ़ितना
lilladhīna
لِّلَّذِينَ
उनके लिए जिन्होंने
kafarū
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
liyastayqina
لِيَسْتَيْقِنَ
ताकि यक़ीन कर लें
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
ūtū
أُوتُوا۟
दिए गए
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
wayazdāda
وَيَزْدَادَ
और ज़्यादा हो जाऐं
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
āmanū
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए
īmānan
إِيمَٰنًاۙ
ईमान में
walā
وَلَا
और ना
yartāba
يَرْتَابَ
शक करें
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो जो
ūtū
أُوتُوا۟
दिए गए
l-kitāba
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
wal-mu'minūna
وَٱلْمُؤْمِنُونَۙ
और मोमिन
waliyaqūla
وَلِيَقُولَ
और ताकि कहें
alladhīna
ٱلَّذِينَ
वो लोग
فِى
जिनके दिलों में
qulūbihim
قُلُوبِهِم
जिनके दिलों में
maraḍun
مَّرَضٌ
बीमारी है
wal-kāfirūna
وَٱلْكَٰفِرُونَ
और काफ़िर
mādhā
مَاذَآ
क्या कुछ
arāda
أَرَادَ
इरादा किया
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
bihādhā
بِهَٰذَا
साथ इस
mathalan
مَثَلًاۚ
मिसाल के
kadhālika
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
yuḍillu
يُضِلُّ
भटका देता है
l-lahu
ٱللَّهُ
अल्लाह
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُ
वो चाहता है
wayahdī
وَيَهْدِى
और वो हिदायत देता है
man
مَن
जिसे
yashāu
يَشَآءُۚ
वो चाहता है
wamā
وَمَا
और नहीं
yaʿlamu
يَعْلَمُ
जानता
junūda
جُنُودَ
लश्करों को
rabbika
رَبِّكَ
आपके रब के
illā
إِلَّا
मगर
huwa
هُوَۚ
वो ही
wamā
وَمَا
और नहीं
hiya
هِىَ
वो
illā
إِلَّا
मगर
dhik'rā
ذِكْرَىٰ
नसीहत
lil'bashari
لِلْبَشَرِ
इन्सान के लिए
और हमने उस आग पर नियुक्त रहनेवालों को फ़रिश्ते ही बनाया है, और हमने उनकी संख्या को इनकार करनेवालों के लिए मुसीबत और आज़माइश ही बनाकर रखा है। ताकि वे लोग जिन्हें किताब प्रदान की गई थी पूर्ण विश्वास प्राप्त करें, और वे लोग जो ईमान ले आए वे ईमान में और आगे बढ़ जाएँ। और जिन लोगों को किताब प्रदान की गई वे और ईमानवाले किसी संशय मे न पड़े, और ताकि जिनके दिलों मे रोग है वे और इनकार करनेवाले कहें, 'इस वर्णन से अल्लाह का क्या अभिप्राय है?' इस प्रकार अल्लाह जिसे चाहता है पथभ्रष्ट कर देता है और जिसे चाहता हैं संमार्ग प्रदान करता है। और तुम्हारे रब की सेनाओं को स्वयं उसके सिवा कोई नहीं जानता, और यह तो मनुष्य के लिए मात्र एक शिक्षा-सामग्री है ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 31)
Tafseer (तफ़सीर )
३२

كَلَّا وَالْقَمَرِۙ ٣٢

kallā
كَلَّا
हरगिज़ नहीं
wal-qamari
وَٱلْقَمَرِ
क़सम है चाँद की
कुछ नहीं, साक्षी है चाँद ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 32)
Tafseer (तफ़सीर )
३३

وَالَّيْلِ اِذْ اَدْبَرَۙ ٣٣

wa-al-layli
وَٱلَّيْلِ
और रात की
idh
إِذْ
जब
adbara
أَدْبَرَ
वो पलट जाए
और साक्षी है रात जबकि वह पीठ फेर चुकी, ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 33)
Tafseer (तफ़सीर )
३४

وَالصُّبْحِ اِذَآ اَسْفَرَۙ ٣٤

wal-ṣub'ḥi
وَٱلصُّبْحِ
और सुबह की
idhā
إِذَآ
जब
asfara
أَسْفَرَ
वो रौशन हो जाए
और प्रातःकाल जबकि वह पूर्णरूपेण प्रकाशित हो जाए। ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 34)
Tafseer (तफ़सीर )
३५

اِنَّهَا لَاِحْدَى الْكُبَرِۙ ٣٥

innahā
إِنَّهَا
बिलाशुबा वो (जहन्नम)
la-iḥ'dā
لَإِحْدَى
अलबत्ता एक है
l-kubari
ٱلْكُبَرِ
बहुत बड़ी चीज़ों में से
निश्चय ही वह भारी (भयंकर) चीज़ों में से एक है, ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 35)
Tafseer (तफ़सीर )
३६

نَذِيْرًا لِّلْبَشَرِۙ ٣٦

nadhīran
نَذِيرًا
डराने वाली है
lil'bashari
لِّلْبَشَرِ
इन्सान को
मनुष्यों के लिए सावधानकर्ता के रूप में, ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 36)
Tafseer (तफ़सीर )
३७

لِمَنْ شَاۤءَ مِنْكُمْ اَنْ يَّتَقَدَّمَ اَوْ يَتَاَخَّرَۗ ٣٧

liman
لِمَن
उसके लिए जो
shāa
شَآءَ
चाहे
minkum
مِنكُمْ
तुम में से
an
أَن
कि
yataqaddama
يَتَقَدَّمَ
वो आगे बढ़े
aw
أَوْ
या
yata-akhara
يَتَأَخَّرَ
वो पीछे रहे
तुममें से उस व्यक्ति के लिए जो आगे बढ़ना या पीछे हटना चाहे ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 37)
Tafseer (तफ़सीर )
३८

كُلُّ نَفْسٍۢ بِمَا كَسَبَتْ رَهِيْنَةٌۙ ٣٨

kullu
كُلُّ
हर
nafsin
نَفْسٍۭ
नफ़्स
bimā
بِمَا
बवजह उसके जो
kasabat
كَسَبَتْ
उसने कमाई की
rahīnatun
رَهِينَةٌ
रहन है
प्रत्येक व्यक्ति जो कुछ उसने कमाया उसके बदले रेहन (गिरवी) है, ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 38)
Tafseer (तफ़सीर )
३९

اِلَّآ اَصْحٰبَ الْيَمِيْنِ ۛ ٣٩

illā
إِلَّآ
सिवाय
aṣḥāba
أَصْحَٰبَ
दाऐं हाथ वालों के
l-yamīni
ٱلْيَمِينِ
दाऐं हाथ वालों के
सिवाय दाएँवालों के ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 39)
Tafseer (तफ़सीर )
४०

فِيْ جَنّٰتٍ ۛ يَتَسَاۤءَلُوْنَۙ ٤٠

فِى
बाग़ात में
jannātin
جَنَّٰتٍ
बाग़ात में
yatasāalūna
يَتَسَآءَلُونَ
सवाल कर रहे होंगे
वे बाग़ों में होंगे, पूछ-ताछ कर रहे होंगे ([७४] अल्-मुद्दस्सिर: 40)
Tafseer (तफ़सीर )