قُلْ اِنِّيْ لَآ اَمْلِكُ لَكُمْ ضَرًّا وَّلَا رَشَدًا ٢١
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- innī
- إِنِّى
- बेशक मैं
- lā
- لَآ
- नहीं मैं मालिक हो सकता
- amliku
- أَمْلِكُ
- नहीं मैं मालिक हो सकता
- lakum
- لَكُمْ
- तुम्हारे लिए
- ḍarran
- ضَرًّا
- किसी नुक़्सान का
- walā
- وَلَا
- और ना
- rashadan
- رَشَدًا
- किसी भलाई का
कह दो, 'मैं तो तुम्हारे लिए न किसी हानि का अधिकार रखता हूँ और न किसी भलाई का।' ([७२] अल-जिन्न: 21)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اِنِّيْ لَنْ يُّجِيْرَنِيْ مِنَ اللّٰهِ اَحَدٌ ەۙ وَّلَنْ اَجِدَ مِنْ دُوْنِهٖ مُلْتَحَدًا ۙ ٢٢
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- innī
- إِنِّى
- बेशक
- lan
- لَن
- हरगिज़ ना
- yujīranī
- يُجِيرَنِى
- पनाह देगा मुझे
- mina
- مِنَ
- अल्लाह से
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह से
- aḥadun
- أَحَدٌ
- कोई एक
- walan
- وَلَنْ
- और हरगिज़ ना
- ajida
- أَجِدَ
- मैं पाऊँगा
- min
- مِن
- उसके सिवा
- dūnihi
- دُونِهِۦ
- उसके सिवा
- mul'taḥadan
- مُلْتَحَدًا
- कोई जाएपनाह
कहो, 'अल्लाह के मुक़ाबले में मुझे कोई पनाह नहीं दे सकता और न मैं उससे बचकर कतराने की कोई जगह पा सकता हूँ। - ([७२] अल-जिन्न: 22)Tafseer (तफ़सीर )
اِلَّا بَلٰغًا مِّنَ اللّٰهِ وَرِسٰلٰتِهٖۗ وَمَنْ يَّعْصِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ فَاِنَّ لَهٗ نَارَ جَهَنَّمَ خٰلِدِيْنَ فِيْهَآ اَبَدًاۗ ٢٣
- illā
- إِلَّا
- मगर
- balāghan
- بَلَٰغًا
- पहुँचा देना है
- mina
- مِّنَ
- अल्लाह की तरफ़ से (हुक्म)
- l-lahi
- ٱللَّهِ
- अल्लाह की तरफ़ से (हुक्म)
- warisālātihi
- وَرِسَٰلَٰتِهِۦۚ
- और उसके पैग़ामात
- waman
- وَمَن
- और जो कोई
- yaʿṣi
- يَعْصِ
- नाफ़रमानी करेगा
- l-laha
- ٱللَّهَ
- अल्लाह की
- warasūlahu
- وَرَسُولَهُۥ
- और उसके रसूल की
- fa-inna
- فَإِنَّ
- तो बेशक
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- nāra
- نَارَ
- आग है
- jahannama
- جَهَنَّمَ
- जहन्नम की
- khālidīna
- خَٰلِدِينَ
- हमेशा रहने वाले हैं
- fīhā
- فِيهَآ
- उसमें
- abadan
- أَبَدًا
- हमेशा-हमेशा
'सिवाय अल्लाह की ओर से पहुँचने और उसके संदेश देने के। और जो कोई अल्लाह और उसके रसूल की अवज्ञा करेगा तो उसके लिए जहन्नम की आग है, जिसमें ऐसे लोग सदैव रहेंगे।' ([७२] अल-जिन्न: 23)Tafseer (तफ़सीर )
حَتّٰىٓ اِذَا رَاَوْا مَا يُوْعَدُوْنَ فَسَيَعْلَمُوْنَ مَنْ اَضْعَفُ نَاصِرًا وَّاَقَلُّ عَدَدًاۗ ٢٤
- ḥattā
- حَتَّىٰٓ
- यहाँ तक कि
- idhā
- إِذَا
- जब
- ra-aw
- رَأَوْا۟
- वो देखेंगे
- mā
- مَا
- उसे जो
- yūʿadūna
- يُوعَدُونَ
- वो वादा किए जाते हैं
- fasayaʿlamūna
- فَسَيَعْلَمُونَ
- तो अनक़रीब वो जान लेंगे
- man
- مَنْ
- कौन
- aḍʿafu
- أَضْعَفُ
- ज़्यादा कमज़ोर है
- nāṣiran
- نَاصِرًا
- मददगार के ऐतबार से
- wa-aqallu
- وَأَقَلُّ
- और कौन ज़्यादा कम है
- ʿadadan
- عَدَدًا
- तादाद के ऐतबार से
यहाँ तक कि जब वे उस चीज़ को देख लेंगे जिसका उनसे वादा किया जाता है तो वे जान लेंगे कि कौन अपने सहायक की दृष्टि से कमज़ोर और संख्या में न्यूतर है ([७२] अल-जिन्न: 24)Tafseer (तफ़सीर )
قُلْ اِنْ اَدْرِيْٓ اَقَرِيْبٌ مَّا تُوْعَدُوْنَ اَمْ يَجْعَلُ لَهٗ رَبِّيْٓ اَمَدًا ٢٥
- qul
- قُلْ
- कह दीजिए
- in
- إِنْ
- नहीं
- adrī
- أَدْرِىٓ
- मैं जानता
- aqarībun
- أَقَرِيبٌ
- क्या क़रीब है
- mā
- مَّا
- वो जो
- tūʿadūna
- تُوعَدُونَ
- तुम वादा किए जाते हो
- am
- أَمْ
- या
- yajʿalu
- يَجْعَلُ
- मुक़र्रर कर देगा
- lahu
- لَهُۥ
- उसके लिए
- rabbī
- رَبِّىٓ
- मेरा रब
- amadan
- أَمَدًا
- कोई मुद्दत
कह दो, 'मैं नहीं जानता कि जिस चीज़ का तुमसे वादा किया जाता है वह निकट है या मेरा रब उसके लिए लम्बी अवधि ठहराता है ([७२] अल-जिन्न: 25)Tafseer (तफ़सीर )
عٰلِمُ الْغَيْبِ فَلَا يُظْهِرُ عَلٰى غَيْبِهٖٓ اَحَدًاۙ ٢٦
- ʿālimu
- عَٰلِمُ
- जानने वाला है
- l-ghaybi
- ٱلْغَيْبِ
- ग़ैब का
- falā
- فَلَا
- पस नहीं
- yuẓ'hiru
- يُظْهِرُ
- वो ज़ाहिर करता
- ʿalā
- عَلَىٰ
- अपने ग़ैब पर
- ghaybihi
- غَيْبِهِۦٓ
- अपने ग़ैब पर
- aḥadan
- أَحَدًا
- किसी एक को
'परोक्ष का जाननेवाला वही है और वह अपने परोक्ष को किसी पर प्रकट नहीं करता, ([७२] अल-जिन्न: 26)Tafseer (तफ़सीर )
اِلَّا مَنِ ارْتَضٰى مِنْ رَّسُوْلٍ فَاِنَّهٗ يَسْلُكُ مِنْۢ بَيْنِ يَدَيْهِ وَمِنْ خَلْفِهٖ رَصَدًاۙ ٢٧
- illā
- إِلَّا
- मगर
- mani
- مَنِ
- जिसे
- ir'taḍā
- ٱرْتَضَىٰ
- वो पसंद करे
- min
- مِن
- कोई रसूल
- rasūlin
- رَّسُولٍ
- कोई रसूल
- fa-innahu
- فَإِنَّهُۥ
- पस बेशक वो
- yasluku
- يَسْلُكُ
- वो लगा देता है
- min
- مِنۢ
- उसके आगे
- bayni
- بَيْنِ
- उसके आगे
- yadayhi
- يَدَيْهِ
- उसके आगे
- wamin
- وَمِنْ
- और उसके पीछे
- khalfihi
- خَلْفِهِۦ
- और उसके पीछे
- raṣadan
- رَصَدًا
- मुहाफ़िज़
सिवाय उस व्यक्ति के जिसे उसने रसूल की हैसियत से पसन्द कर लिया हो तो उसके आगे से और उसके पीछे से निगरानी की पूर्ण व्यवस्था कर देता है, ([७२] अल-जिन्न: 27)Tafseer (तफ़सीर )
لِّيَعْلَمَ اَنْ قَدْ اَبْلَغُوْا رِسٰلٰتِ رَبِّهِمْ وَاَحَاطَ بِمَا لَدَيْهِمْ وَاَحْصٰى كُلَّ شَيْءٍ عَدَدًا ࣖ ٢٨
- liyaʿlama
- لِّيَعْلَمَ
- ताकि वो जान ले
- an
- أَن
- कि
- qad
- قَدْ
- तहक़ीक़
- ablaghū
- أَبْلَغُوا۟
- उन्होंने पहुँचा दिए
- risālāti
- رِسَٰلَٰتِ
- पैग़ामात
- rabbihim
- رَبِّهِمْ
- अपने रब के
- wa-aḥāṭa
- وَأَحَاطَ
- और उसने घेर रखा है
- bimā
- بِمَا
- उनको जो
- ladayhim
- لَدَيْهِمْ
- उनके पास है
- wa-aḥṣā
- وَأَحْصَىٰ
- और उसने शुमार कर रखा है
- kulla
- كُلَّ
- हर
- shayin
- شَىْءٍ
- चीज़ को
- ʿadadan
- عَدَدًۢا
- अदद के ऐतबार से
ताकि वह यक़ीनी बना दे कि उन्होंने अपने रब के सन्देश पहुँचा दिए और जो कुछ उनके पास है उसे वह घेरे हुए है और हर चीज़ को उसने गिन रखा है।' ([७२] अल-जिन्न: 28)Tafseer (तफ़सीर )